मक्का
मस्जिद धमाका के सभी आरोपियों
को एन आई ए जज रवीद्र रेड्डी
ने बरी किए जाने का फैसला सुनाने
के बाद ,अचानक
इस्तीफा दिया !
वैशाख
अमावस्या दिन सोमवार को दो
फैसलो ने न्यायिक और अपराध
की जांच प्रक्रिया पर कुछ सवाल
उठा दिये |
पहली
खबर धार जिले के पेटलवाद कस्बे
मे 12
ओक्तुबर
2016
को
मोहर्रम के जुलूस को रोके जाने
पर उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव
की स्थिति मे गिरफ्तार राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ के 6
स्वयंसेवको
को एकल सदस्यीय आर के पांडे
न्यायिक जांच आयोग ने "”क्लीन
चिट"”
देते
हुए ,
वनहा
के तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक
राकेश व्यास और थाना प्रभारी
करनी सिंह शकतावत को दोषी बाते
|
आयोग
ने कहा की पुलिस अधिकारियों
ने "”
द्यवेशवश
"”
अभियुक्तों
के वीरुध कारवाई की |
जबकि
मोहर्रम जुलूस को लेकर”कोई
भी विवाद की स्थिति नहीं थी
"”
!!
दूसरा
फैसला हैदराबाद स्थित मक्का
मस्जिद मे हुए बम धमाके के
दसो आरोपियों को एनआईए के जज
रवीन्द्र रेड्डी ने भी अभियोजन
के केस को सही नहीं मानते हुए
बरी कर दिया !
परंतु
उन्होने इस जांच एजेंसी के
अधिकारियों के विरुद्ध किसी
भी प्रकार की टिप्पणी नहीं
की !
इस
मामले मे सबसे बड़ा आश्चर्य ,
फैसला
सुनाने के कुछ घंटो बाद ही जज
ने "”अप्रात्याशित
रूप से इस्तीफा दे दिया ,और
लंबी छुट्टी पर चले गए |
उनके
अचानक इस्तीफा देने से लोग
भौचक्के रह गये |
क्योंकि
फैसला देने तक ऐसी कोई उम्मीद
नहीं थी |
इस्तीफे
का आधार "”निजी
कारण "”
लिखा
है |
संघ
इस मुकदमे को जनहा भगवा आतंक
के कलंक का खात्मा मानता है
,
वनही
वह जज के अचानक त्यागपत्र पर
बिलकुल मौन है |
आश्चर्य
की बात है जिन केंद्रीय गृह
सचिव आर के सिंह ने इन दसो
अभियुक्तों के विरुद्ध जांच
का आदेश दिया था ---वे
आज मोदी सरकार के ऊर्जा राज्य
मंत्री है !
एक
टीवी चैनल की बहस मे संघ के
प्र्वकता रागी जी ने जो की
पेशे से शिक्षक है ---उन्होने
कहा की "”
आतंक
का धर्म होता है ,
आज
दुनिया मे 85
प्रतिशत
आतंकी कारवाई मुसलमानो द्वरा
की जा रही है "”!
जबकि
काँग्रेस के प्रवक्ता का कहना
था की "”आतंक
का कोई धर्म नहीं होता "”
|
अभी
हाल ही मे कठुआ मे आठ वर्ष की
आसिफा से मंदिर मे बलात्कार
करने वाले हिन्दुओ के बचाव
मे आए कश्मीर के दो मंत्रियो
को मुख्य मंत्री महबूबा मुफ़्ती
के दबाव मे पद त्याग करना पड़ा
|
इतना
ही नहीं वनहा की बार असोसिएशन
ने पीड़िता की वकील दीपिका
शकतावत को "”
देख
लेने और पैरवी नहीं करने की
हिदायत दी |
वह
तो भला हो सुप्रीम कोर्ट का
जिसने कठुआ की बार असोसिएशन
को "”
ताकीद
की वे अवांछित कारी नहीं करे
--अन्यथा
उनकी सनद को रद्द कर दिया जाएगा
"”
| पीड़िता
के परिवार को और उनके वकील को
पर्याप्त सुरक्षा सुलभ करने
का आदेश राज्य सरकार को दिया
गया "”
| पीड़िता
के परिवार ने मुकदमे की सुनवाई
चंडीगढ मे किए जाने की मांग
की है |
आसिफा
जिसके साथ एक अवकाश प्रापत
अधिकारी सहित दो पुलिस कर्मी
तथा तीन अन्य ने डीनो तक बलात्कार
करने के बाद हत्या कर दी --वह
अनुसूचित जनजाति बकरवाल समुदाय
की थी |
सभी
अभियोगी "”हिन्दू
है "”
| आठ
साल की बच्ची से बलात्कार का
कारण भी साफ नहीं है |
क्या
यह संभव नहीं की इस मुस्लिम
समुदाय की अनुसूचित जाति को
"”आतंकित
"”
करना
एक कारण रहा हो ?
क्योंकि
मृतका आसिफा के परिवारजानो
ने गाव मे थोड़ी जमीन खरीदी थी
|
जिसमे
वे अपनी लड़की को दफनाना चाहते
थे----
परंतु
गाव के हिन्दू बाशिंदों ने
उन्हे "”अपनी
खरीदी जमीन पर भी शव को दफनाने
का विरोध किया ,
यहा
तक की हिंसक कारवाई का शिकार
होने का भाय दिखाया |
दो
फैसलो से सत्तासीन पार्टी
"”भगवा
आतंक "”
को
निरर्थक बताती है --तब
आसिफा के मामले मे कठुआ के बार
के लोगो और वनहा के गाव के लोगो
का व्यवहार क्या "”
भगवा
अथवा हिन्दू आतंक नहीं है "”?
संघ
और भाजपा की ओर से कहा जा रहा
है की घाटकोपर बम धमाका के 11
मुस्लिमो
को जब बारी किया गया था --तब
तो किसी ने सावल नहीं किया था
,की
न्याया नहीं हुआ |
क्योंकि
उसमे "”भी
हिन्दू मारे गए थे "”
| सवाल
मक्का मस्जिद केस मे दसो
अभियुक्तों के बारी किए जाने
भर का नहीं है "|
वरन
ऐसा क्या हुआ की जज रवीन्द्र
रेड्डी ने अचानक पद से इस्तीफा
दिया ?
क्योंकि
घाटकोपर मामले मे जज ने इस्तीफा
नहीं दिया था |
क्या
इस इस्तीफे से यह आशंका नहीं
होती की – जिस प्रकार जज लोया
की रहस्यमय स्थितियो मे मौत
हुई उससे भयभीत होकर रवीद्र
रेड्डी ने पद त्याग किया हो
|
क्या
यह संयोग ही कहा जाएगा की
अमावस्या का दिन "न्याय
"”
पर
काली छाया बन कर आई हो ?
यह
बहुत भयावह है की जांच एजेंसी
इतनी लापरवाही से जांच करती
है की ट्रायल कोर्ट मे ही उनके
केस "”असफल
हो जाते है "”?
2जी
मामले मे भी सीबीआई कोर्ट ने
जांच एजेंसी पर ''सबूत
पेश नहीं करने का दोषी बतया
था "”
| सुप्रीम
कोर्ट ने भी कहा की केन्द्रीय
जांच एजेंसिया सौ -दो
सौ गवाहो को पेश करती है |
जबकि
उनमे से बहुतों को मामले का
ही पता नहीं होता |
कठुवा
मे आसिफा के बलात्कार का मामला
सीधे तौर पर हिन्दू और मुसलमान
{
अनुसूचित
जाति}
के
मध्य बन गया है |
वनहा
के मंत्री और वकीलो का व्यवहार
की तो सुप्रीम कोर्ट ने भी
निंदा की |
क्या
अब भी भगवा आतंक की बात बेमानी
है ?