Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 10, 2013

नाबालिग जननी और जनक ?

      नाबालिग  जननी और जनक ? 

                                         दामिनी बलात्कार काण्ड के छठे आरोपी , जिसको एक मात्र चश्मदीद  गवाह ने  उसकी हत्या का मुख्य दोषी  बताया हैं ।उसके अनुसार इसी ''नाबालिग '' के  पाशविक कृत्य ने दामिनी को मौत  के दरवाजे  पहुंचा दिया ।सवाल हैं की क्या जब एक नाबालिग लड़की जननी बन सकती हैं और उसके होने वाले बच्चे का बाप भी 17 वर्ष का हो तो क्या उन्हे सिर्फ बाल सुधार  गृह भेज कर कानून का   कर्त्तव्य पूरा हो जाता हैं ? मेक्स्सिको की एक खबर के अनुसार 27 जनवरी को नौ  साल की एक लड़की ने 5 पौंड  के बच्चे को जन्म दिया । अधिकारियो के  अनुसार  इस बच्चे का जनक 17 वर्ष का  ""बालक""हैं ।अब वंहा के शासन के समक्ष  भी यही प्रश्न हैं की क्या किया जाए ?  लेकिन वंहा अधिकारियो ने फैसला किया की ''बालक'' को रपे के जुर्म में  चालान  किया जायेगा । मैं भी इसलिए यह लिख रहा हूँ , क्योंकि दामिनी के  अपराधी  को अनावश्यक रूप से  ''नाबालिग''' बता कर उसके दोष को हल्का करने की अनचाही  कवायद की जा रही हैं । 
                                     मेरा मत हैं की अपराध की गंभीरता  को देखकर  ही  यह तय करना चहिये की ''कुकृत्य''' नाबालिग द्वारा किया गया हैं ,अथवा  यह बालिग कुकृत्य  कम उम्र के द्वारा किया गया ''बालिग ''' अपराध हैं । अब अगर नाबालिग किसी बच्चे का बाप बना हैं तो उसे यह रियायत  तो कतई नहीं मिलनी चाहिए की वह तो एक ""बच्चा ""हैं । क्योंकि  अगर बलात्कार वह भी पाशविकता पूर्ण ढंग से किया गया तो ऐसे को  नाबालिग तो कतई नहीं मन जाना जा सकता । मेक्स्सिको के मामलेमें  वंहा  अधिकारियो ने अपराध  की किस्म  को देखते हुए उस 17 वर्षीय  ''बाप'' को बलात्कार का दोषी करार दिया हैं उसी प्रकार दामिनी के मामले में भी किया जाना चाहिए  ।जेंह तक यू एन ओ के चार्टर का सवाल हैं तो मेक्सिको  भी उस चार्टर पर हस्ताछर  करने वाला देश हैं । फिर अगर वह बालिगो द्वारा किये जाने वाले   अपराध को देखते हुए  दोषी को इस तथ्य फायदा उठाने  की इज़ाज़त  नहीं दे  सकता की करने वाले की उम्र 18 साल नहीं हैं  और वह ''बालिग '' नहीं हैं । इसका मतलब तो सीधा सा यह हुआ की  उसने बलात्कार  नहीं किया वरन हलकी - फुलकी मारपीट की हैं ,जिसकी सजा तीन साल हैं । 

जननी ही जन्म का आखिरी प्रमाण हैं ।

 जननी  ही जन्म  का आखिरी  प्रमाण हैं ।
                                                           दिल्ली  में हुए लोमहर्षक  बलात्कार के छह आरोपियों में छठे आरोपी की उम्र  को लेकर उठे विवाद ने  अनेक या बहुसंख्यक लोगो को  इस बात से निराश किया की उस हिंसक आदमजात को नाबालिग  साबित करने की  कोशिश हो रही हैं । जबकि उसके जन्म  की तिथि  को साबित करने के लिए उसके स्कूल  का प्रमाणपत्र  दाखिल किया गया हैं । जबकि स्कूल के प्रिंसिपल ने यह मन हैं की उसके  जन्म  का कोई प्रमाणपत्र  उसके  भर्ती के समय नहीं दिया गया  था । केवल उसके संरक्षक  के कहने पर ही उसकी जन्म  तिथि वह लिखी गयी जो उन्होने कहा । अब ऐसे में सवाल उठता हैं की क्या किसी के कहने से जन्म  की तिथि को प्रमाण मान लेना कान्हा से निर्णायक होगा ?

                                           अभी हाल में छठे आरोपी की माता  ने एक समाचारपत्र  को दिए इंटरव्यू में मंजूर किया हैं की जो तिथि स्कूल में लिखाई  गयी हैं ,वह वास्तविक नहीं हैं ।उन्होने अपने  बयान में माना हैं की आरोपी  की उम्र 18 वर्ष से अधिक हैं । आश्चर्य हैं की दिल्ली  पुलिस  ने  उनसे कोई पूछताछ  नहीं की हैं , लेकिन क्यों ? क्यंकि जन्म देने के बारे में ''जननी'' से बड़ा कोई गवाह नहीं होता हैं ।क्योंकि वही  तो जन्म  देने की पीड़ा  को सहती हैं । फिर  क्यों नहीं सत्य जानने  के लिए उसकी माँ से  पूछताछ  की जाती हैं ? अगर ऐसा नहीं हुआ तो ''दामिनी'' को सर्वाधिक  दर्द  पहूचाने  और उसकी ''हत्या'' का कारण  था , वह सिर्फ तीन साल की क़ैद  की ''हलकी'' सजा पाकर बच  जायेगा  ।  जिसके लिए हम सभी जिम्मेदार होंगे  । जिन्होने बलात्कार की घटना के खिलाफ आवाज को बुलंद  किया और देश-विदेश मैं उसकी गूंज सुनाई पड़ी ।अब हमारी कोशिस होनी चाहिए  की वास्तविक  गुनाहगार को फांसी  के  तखत  पर पहुंचा सके  , अन्यथा सारी कसरत  बेकार हो जाएगी ।