महाकाल का कोप या देस का दुर्भाग्य ,आस्था बना चुनावी मुद्दा !
मई माह के अंतिम दिनो –जब दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी न्ये संसद भवन का भव्य उदघाटन कर रहे थे –उसी समय उनके द्वरा उदघाटन किए गए “”महाकाल लोक “” की सप्त ऋषियों की प्रतिमाए धूल चाट गयी थी ! उस समय कोई विपर्जोय तूफान नहीं आया था बस जरा सा हवा का बहाव तेज़ हो
गया था ! हंगामेदार आयोजन में जिस लोक का उदघाटन
मोदी जी की इच्छा के अनुरूप हुआ वही अपशकुन
की शुरुआत बना ! इतना ही नहीं दूसरे ही दिन नंदी हाल के द्वार का कंगूरा भी जमीन पर
आ गिरा ---गनीमत थी की कोई भक्त उसके नीचे नहीं आया वरना शिव का दरबार रक्तरंजित हो जाता !
परंतु सत्ता को इन दैवी संकेतो से क्या –वनहा तो महत्वाकांछा { मेरी मर्ज़ी } ही सर्वोपरि !
खैर
संसद के नए भवन के गृह प्रवेश के सात दिनो
में ही उड़ीसा के बालेसोर में तीन रेलगाड़ियो
की टक्कर में 300 लोग काल कवलित हो गए ! एवं 800 से ज्यादा लोग घायल हुए | शवो को रखने और घालो का इलाज़ करने के लिए आस पास के चार – पाँच ज़िलो का स्वस्थ्य
–अग्निशामन और एसडीआरएफ़ ,एनडीआरएफ़ सेना लगी , तब कनही लाशों को शीत ग्रहो
तक पहुंचाया गया | यह
देश की भयंकरतम दुर्घटनाओ में दर्ज़ हुई | खास बात यह थी की तीन ट्रेनों की
टक्कर का यह पहला वाक्य था ! क्यूंकी अभी तक
दो ट्रेनों में टक्कर हुआ करती थी | खास बात यह रही की ---इतनी बड़ी त्रासदी सिर्फ एक
छोटी सी चूक “सिग्नल” देने की थी ! अब इसे
क्या माने की इस घटना के कारण प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी को घटना स्थल पर जाना पड़ा , जबकि आम तौर पर वे मानव त्रासदी के “”गवाह “” नहीं बने है ! हाँ रेल
मंत्री जो उड़ीसा के आईएएस अफसर रहे –उन्हे तीन दिन तक निगरानी करनी पड़ी !~ घटना ही
इतनी बड़ी थी | अब इसे महाकाल का कोप नहीं समझे क्या ?
मई
के माह में ही दिल्ली की काबीना में नंबर दो
–गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में मैतेई और
कुकी जन जातियो के हिंसक टकराव के लिए “” चार दिन “” का प्रवास किया –इलाके का दौरा भी
किया वादे भी किए –इंतेज़ाम भी किया - अफसरो में फेरबदल
भी किया | इतना ही नहीं कुकी विद्रोहियो को सेना और पुलिस से लूटे गए हथियार जमा करने का 24 घंटे का अल्टिमेटम भी दे आए
| उनके जाने के बाद 48 घंटे तक कर्फ़्यू में ढील भी हुई ------पर
शाह के जाने तीसरे ही दिन से फिर पुलिस और
माईते लोगो पर हमले शुरू -- | यानि की मोदी सरकार का इकबाल
कुल छ दिनो तक ही रहा | आज फिर मणिपुर जल रहा है ---वनहा भी डबल इंजन की सरकार हैं !
सवाल
यह है की काश्मीर को सेना के बल से क़ाबू किया
है ---तब या तो बहुत छोटा सा राज्य है –फिर हिंसा यू नहीं रुक रही ? वैसे काश्मीर में आतकियों को हथियार पाकिस्तान
से आते है ---यानहा पड़ोसी म्यांमार से आ रहे हैं ! चलो यह महादेव का कोप नहीं
पर भोपाल के सतपुड़ा भवन जो मंत्रालय का भाग है – इस
छ मंजिली इमारत मे राज्य सरकार के स्वस्थ्य
–आदिम जाती कल्याण के दफ्तर है | अब 13 जून मंगलवार को इस अग्निकांड की जांच के लिए तीन सदसीय हाइ पावर सामी
बनी है जिसे तीन दिन में रिपोर्ट देने का हुकुम मुख्यमंत्री ने दिया ---लेकिन वक़्त
बीआईटी जाने के बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली | हाँ आग लाग्ने पर मुख्य मंत्री ने प्रधान मंत्री
–रक्षा मंत्री से मदद मांगी थी --- सेना के हेलीकाप्टरों से आग बुझाने के लिए ---परंतु
भोपाल से सौ किलोमीटर की दूरी पर रक्षा मंत्री राजगढ़ में पार्टी
के कार्यकरम में व्यस्त थे ! अब इसे तो महाकाल
का कोप कहा ही जा सकता है |
और
अंत में 15 जून को विपर्यजोय चक्रवात का पाकिस्तान की ओर जाते जाते गुजरात की ओर मूड जाना –भले ही प्राकरतीक कारण रहा हो –परंतु प्रकरती भी तो दैव
आधीन होती है --- इन्द्र-वरुण आदि जल के ही तो अधिपति है ----और वे शंकर शंभू के क्रोध को तो पहचानेंगे ही | बस अभी तो महाकाल
लोक के सप्त ऋषियों की मूर्तियो का खंडित होना
और नंदी द्वार के कंगूरे का गिरना - इतना दुखा गया अब आगे देखिये क्या होता हैं |