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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 6, 2015

शत वार्षिकी माना चुकी रेल्वे --सौ साल पुराने पुलो पर !

शत वार्षिकी मना चुकी रेल्वे सौ साल पुराने पुलो पर !

              1856 मे जब   बॉम्बे  से पूना की ओर  भाप से चलने वाले इंजिन को  देख कर स्थानीय लोग अचरज से भर उठे थे | परंतु वह प्रयास देश की परिवहन व्यवस्था मे एक क्रांतिकारी कदम था | जिसने ना केवल देश को एक छोर से दूसरे छोर से मिलाया ,वरन उयोग और  व्यापार को  बढावा दिया | कलकते के मुहाने से बनारस होते हुए पटना तक चलने वाले नौकायन को इस रेलगाड़ी ने बिलकुल बंद सा ही करा दिया | आज यह इतिहास की बात हो गयी है ,की गंगा नदी मे बड़ी – बड़ी नौकाओ से लोग यात्रा करते थे और माल भी ढोया जाता था |तब से  अरबों –खरबो टन माल तथा  करोड़ो यात्रियो को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है |
                    परंतु  जिन लोहे की पटरियो पर इंजन डब्बो के साथ दौड़ते थे  वे तो  बदली गयी  और उनकी मरम्मत भी होती रही है | इसलिए अभी भी  रेलगाड़ी  दौड़ रही है ,भले ही उसमे कभी –कभी  रुकावते आती रही हो |  वैसे  भी जब कभी जन आंदोलन  होते है तो सड़क पर बसे जलती है और रेलगाड़ियो को नुकसान भी पहुंचाया जाता है –कभी कभी  आग भी लगती है |
          परंतु इधर कुछ समय से  रेल्वे  के पूल और पुलिया  भी गाड़ी की                 
रफ्तार और दिशा पर रोक लगा रही है | इस समय  रेल्वे के पास 1 लाख 38 हज़ार 312  पूल – पुलिया  के संसाधरण का जिम्मा है |   परंतु आसचर्य है की इनमे 35 हज़ार 437  पुलिया और पुल  भी सौ साल से पुराने है | ताज्जुब  इस बात का है  की  रेल्वे के अधिकारी  और केंद्र सरकार  दोनों ही इस “”””हक़ीक़त””से अंजान रहे !  अभी हरदा के समीप  हुई कामायनी और जनता  एक्सप्रेस के  नाले मे गिरने से  तीस से ज्यादा  लोग मारे गए और  16 अगस्त तक  तीस से ज्यादा ट्राइनो के रूट  बदले गए दस ट्रेन  कंसिल की गयी और  छह ट्रेनों के समय बदले गए है | अब इसका  सिर्फ एक कारण है  इन पैंतीस हज़ार पुल और पुलियो का उचित रख –रखाव नहीं होना  क्या अभी भी सरकार जागेगी या फिर रेल्वे को निजी  हाथो मेदेने का राग अलापेगी ?