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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 6, 2021

 

लखीमपुर खीरी – मुद्दा चार किसान बनाम चार भाजपाई का



पीतरपक्ष में योगी आदित्यनाथ को जो "””अनायास "” झटका लगा हैं , उसने अयोध्या की "” भव्य"” रामलीला के शोर को ढक दिया हैं | वैसे पंडित इसे पित्र पक्ष कहेंगे , परंतु उत्तर प्रदेश के ग्रामीण छेत्रों में इसे पीतर पक्ष या गरुए दिन भी बोलते है | गरुआ माने "”” भारी "” अब आदित्यनाथ जी को यानहा बड़ा योग लगाना पड़ेगा | वैसे 11 माह से देश में निरंतर चल रहे किसान आंदोलन को केंद्र सरकार - और बीजेपी की राज्य सरकारो का विरोध झेलना पड़ रहा हैं !

इसलिए जब लखीमपुर खेरी में किसान उप मुख्य मंत्री के विरोध के लिए गए तब , इलाके के "”दबंग "” और केंद्र में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को गुस्सा आना स्वाभाविक था | वैसे केन्द्रीय राज्य मंत्री जिले की नामी -गिरामी हस्ती हैं | उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरणो की सूची हैं | अनेकों मुकदमें में एक ऐसा हैं , जिसकी सुनवाई गत सात सालो से नहीं हो पायी हैं !! इस हत्या के केस के कारण ही शायद केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री के वीरुध "”” हिस्टरी शीट थाने में खुली थी !!! अब लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली में जब मंत्री बनाने की बारी आई ---तो उन्हेआ'’’’’’’’’’’ समुचित भार "” केंद्रीय गृह मंत्री द्वरा दिया गया < जो स्वयं भी इस भार के भुक्त भोगी थे | हाँ बाद में जिस न्याधीश ने इनको ज़िलाबदर किया था | उसको काफी तकलीफ उठान पड़ी ! जब महाराष्ट्र में इस मामले को सुनवाई के लिए भेजा गया तब नागपूर के उस ज़िला न्यायाधीश की रहस्यमय स्थितियो में हत्या हो गयी | हाँ जिस वकील ने गृह मंत्री की पैरवी की थी ---वे आज सुप्रीम कोर्ट के जज हैं और किसी दिन प्रधान न्यायधीश का पद सम्हालेंगे !!

यह तो हुई तथ्यो की विवेचना , अब हमे बीजेपी नेताओ के बयान भी सुनने चाहिए , उनके अनुसार "”” घटना अत्यंत दुखद हैं – हमे संवेदना हैं किसानो केसाथ , परंतु हमारे चार कार्यकर्ता भी मारे गए हैं , क्या वे नागरिक नहीं थे ? आंदोलन कर रहे किसानो के मध्य जाने की क्या ज़रूरत थी ? क्या पोस्टमारटाम में किसानो की मौत मोटर से दबने से नहीं हुई | अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा हैं की अपनीजीवन रक्षा और परिवार की रक्षा के लिए "”कानुन को हाथ में लिया जा सकता हैं "”| इस संदर्भ में अगर हम तथ्यओ को परखे तो कार से कुचले जाने के बाद उत्तेजित किसानो द्वरा गाड़ियो पर हमला स्व्भविक ही हैं | वैसे यू पी के अति महानिदेशक शांति व्यवास्था जो अपनी मुछ के लिए और बिना कानून समझे ब्यान देने के आदि है ---- उन्होने '’जिस त्वरित गति से टिकैत जी को '’’साधा '’’ व उनकी तिकड़म की सफलता का उदाहरण है | हाथरस में आदिवासी कन्या के बलात्कार के आरोप के जवाब पर उन्होने अखबार वालो को बताया था की '’’बलात्कार हुआ ही नहीं '’ हालांकि सीबीआई ने अपनी जांच में उन्हे "””झूठा साबित कर दिया "!!

अब बात मुआवजे की – टिकैत के साथ की साझा प्रैस कोन्फ्रेंस में प्रशांत कुमार जी ने कहा था की 45 लाख का मुआवजा सिर्फ "””किसानो को दिया जाएगा "” | उस दिन भी 8 लोगो के मरने का तथ्य था | लेकिन आज योगी के मंत्री सिधार्थ सिंह ने आजतक चैनल पर कहा की किसान मारे हैं तो हमारे कार्यकर्ता भ मारे गए हैं | इस लिए 45 लाखा का मुआवजा 8 म्रतक के परिवारों को दिया जाएगा !!!!!!! ऐसा इसलिए करना पड़ा की पंजाब और छतीसगरह के मुख्य मंत्रियो ने चरो किसानो को 50 -50 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया |

उधर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय शर्मा के पुत्र के वीरुध अशीस मिस्र टेनी के खिलाफ पुलिस ने प्राथमिकी में नाम दर्ज़ किया हैं | परंतु बुधवार को दिल्ली में हुए राजनीतिक परिवर्तन के बाद पिता अजय मिश्रा और पुत्र अशीस मिश्रा टेनी के वीरुध कोई कारवाई "””” नहीं होगी "”” क्यूंकी अजय मिश्रा को एक तरह से मोदी और -शाह ने अभयदान दे दिया है |

तो यह हुआ किसानो के सामूहिक हत्याकांड का परिणाम , अब सवाल यह हैं की किया क्या समग्र विपक्ष और राहुल तथा प्रियंका की किसानो को इंसाफ दिलाने की कोशिस बेकार जाएगी |