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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 9, 2018

राज्य सभा ने की राहुल की चुगली लोकसभा को
सदन के बाहर की गयी टिप्पणी पर विशेषाधिकर की कारवाई का नोटिस ?
क्या दूसरा सदन आँय सदस्य के बारे मे सुनवाई कर सकता है ?

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू जो देश के उप राष्ट्रपति भी है , उन्होने राज्यसभा मे बीजेपी सदस्य मोहन यादव द्वरा काँग्रेस अध्यकष राहुल गांधी द्वरा वित मंत्री के प्रति ट्विटर पर की गयी टिप्पणी को आधार बना कर मानहानि की कारवाई के लिए सूचना दी | जिसे वेंकैया नायडू ने मजुर करते हुए लोकसभा स्पीकर श्रीमति महाजन को कारवाई करने के लिए भेज दिया है |

वैसे विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश करने का अधिकार सदन के सभी सदस्यो को है | परंतु इस प्रस्ताव के लिए दो आवश्यक शर्ते है ----
1-- शिकायत का मुद्दा /विषय /कारवाई के कारण सदस्य को अपने कर्तव्य के निर्वहन मे बाधा हुई हो
2- अथवा सदन मे किए गए कथन से किसी सदस्य के सम्मान को ठेस पहुंची हो

3 - जिस सदस्य के प्रति प्रस्ताव लाया जा रहा हो --वह सदन का सदस्य हो अथवा शासन का कोई अधिकारी हो / आम नागरिक के विरुद्ध भी प्रस्ताव लाया जा सकता है |

अब राहुल गांधी के विवादित ट्वीट पर बात की जाये - जिसमे उन्होने वित्तमंत्री अरुण जेटली को "””जेटलाई ''' लिखा था |

तकनीकी तौर पर सदस्य के सदन के बाहर किए गए 'कथन ' को लेकर नोटिस तो दिया जा सकता है |परंतु "”पीठ "”” ऐसे प्रस्ताव को अग्राह्य कर देते है | इस निर्णय का आधार होता है - सदन के बाहर किए गए कथन /क्रत्य के लिए पुलिस और अदालत उचित माध्यम है | न की सदन | संभवतः यह पहला मामला होगा जिसमे ऊपरी सदन मे लोकसभा के सदस्य के विरुद्ध मर्यादा हनन का प्रस्ताव कारवाई हेतु स्पेकर को प्रेषित किया गया हो | अब सवाल यह है की अगर टिवीटर पर की गयी टिप्पणी से मर्यादा हनन का मसला बनता है तब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वरा पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उप राष्ट्रपति हमीद अंसारी के लिए पाकिस्तान से मिलकर गुजरात चुनाव मे षड्यंत्र करने का आरोप लगाने पर क्या इस लिए कारवाई नहीं हुई चूंकि किसी सदस्य ने उनके विरुद्ध सदस्य की मर्यादा हनन का प्रस्ताव पीठ को नहीं दिया
था ? क्या मनमोहन सिंह द्वरा नायडू से शिकायत भर करने को पर्याप्त कारण नहीं माना ? अथवा इसलिए चूंकि प्रधान मंत्री है इसलिए उनके प्रति "” सभापति "” का विशेस मोह था | जिसके कारण उन्होने सिर्फ जेटली द्वरा "”सफाई "” को ही पर्याप्त मान लिया ? यह भी शंका है की राहुल गांधी लोकसभा के सदस्य है , अतः यह प्रस्ताव उसी सदन मे बीजेपी सदस्यो द्वरा लाया जा सकता था ? तब ऐसा न करके राज्यसभा से प्रेषित कराने के पीछे क्या मक़सद है ? इन प्रश्नो के उत्तर भविष्य की गोद मे है --परंतु संसदीय इतिहास मे यह निर्णय एक नाज़िर बन सकता है ---- अब अच्छा या बुरा यह तो आगे पता चलेगा |