कॅहा हैं प्रतिद्वंदीता व्यापार मैं ? जागो ग्राहक अभियान का अर्थ ?
सैकड़ो करोड़ो रुपये का विज्ञापन इलेक्ट्रोनिक चैनलो पर देने वाली कंपनिया कितनी '''ईमानदार'' हैं यह मुंबई के एक न्यायाधिकरण के फैसले से सामने आया हैं | देश की दस बड़ी सीमेंट उत्पादन करने वाली कम्पनियो पर 10 करोड़ 90 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया हैं | इन '''ईमानदार '' कंपनियो ने आपस मैं मिलकर एक गैर कानूनी करार करते हुए ,सब ने उत्पादन कम करते हुए बाज़ार मैं सीमेंट के मूल्य व्रद्धि का षड्यंत्र किया | जब इन कंपनियो की ''हरकतों'' की जांच सरकार के विभागो ने की तब इन उत्पादको ने , इसका विरोध किया |
सीमेंट उत्पादक जिन इकाइयो पर जुर्माना ठोका गया वे हैं ---अदित्या बिरला ग्रुप --अंबुजा सीमेंट --जेपी [जय प्रकाश ]सीमेंट --और फ़्रांस की ''ल फार्ज ''' तथा अल्ट्रा टेक | इन सभी कंपनियो की बाज़ार मैं बदिया साख हैं , और बिक्री का संगठित जाल भी हैं | इन कंपनियो ने इस वर्ष के प्रारम्भ मैं ही यह तय कर लिया था , की विधान सभा चुनावो के पहले शासकीय निर्माण कार्यो को बड़ी संख्या मैं पूरा करने की ज़रूरत पड़ेगी | इसलिए सरकार को और निजी व्यापारियो को काफी मात्रा मैं सीमेंट की ज़रूरत होगी , इस संभावना को देखते हुए इन उत्पादको ने बाज़ार मैं ""नकली''' अभाव दिखने की कोशिस करते हुए एक साथ अपने उत्पादन का दाम बदा दिया , इस प्रकार गैर कानूनी रूप से '''लाभ '' कमाने का जरिया निकाला |
उधर भारत सरकार ''जागो ग्राहक जागो '' का अभियान चला कर जन साधारण को उचित दामो मैं खरीद का संदेश दे रहे , उधर बड़े -बड़े सेठ बाज़ार मैं ''माल'' रोक कर अभाव दिखने की कोशिस कर रहे हैं | प्रतिद्वंदीता नियामक प्राधिकरण ने इस चाल को भापते हुए जांच शुरू की , जिस मैं इन उत्पादको ने कच्चे माल की आपूर्ति मैं कमी का बहाना बनाया | जांच मैं पता चला की इन लोगो ने औसत से कम के कच्चे माल को मंगाया था , जो इनके इरादे को स्पष्ट करता था की वे बाज़ार मैं अभाव की स्थिति बनाना चाहते थे | जिसके फल स्वरूप अतिरिक्त लाभ कमाया जा सके |
यह तो थी उद्योग मैं एक्सट्रा लाभ कमाने की प्रवृति लेकिन व्यापार मैं भी जब उपभोक्ता बचत करने लगे तब डीलर कैसे उत्पादन कर्ता को ब्लैकमेल कर्ता हैं इसका भी नमूना सामने आया हैं | फ्लैट एचडी टीवी के दाम सिंगापुर और थायलैंड मैं 25 से 30 हज़ार रुपये हैं , जो यहॉ पर साथ से सत्तर हज़ार का पड़ता हैं | अर्थात दो गुने का अंतर | इसलिए बहुत से सैलानी जो सिंगापुर-- बैंकॉक --पटाया जाते हैं वापसी मैं वे एक मनपसंद टीवी लेकर आते हैं | यद्यपि इस जरिये से देश मैं मात्रा कुछ हज़ार ही सेट्स आते हैं , परंतु इस से डीलर का लाभ मारा जाता हैं क्योंकि वह ग्राहक को मुर्गा नहीं बना पता हैं | जो उसे बहुत अखरने लगा हैं |
अपना ''लाभ'' पक्का करने के लिए इन व्यापारियो ने सोनी --सैमसंग -- पैनासोनिक के उत्पादो से इंटरनेशनल वारंटी और गारंटी की सुविधा को भारत मैं अमान्य करने की पहल की हैं | जबकि चाइना मैं बने उत्पादो मैं ही कोई वारंटी या गारंटी नहीं दी जाती हैं | अब अगर इन व्यापारियो की पहल पर इन जापानी और कोरिया के उत्पादको ने अगर ऐसा किया तब इनके माल को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाएगा | अब गेंद इन टीवी उत्पादको के पाले मैं हैं ?
इन दो हालातो ने साबित कर दिया हैं की जब तक सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठाएगी तब तक व्यापारी और उत्पादक सुधारने वाले नहीं हैं | भले ही आप जागो ग्राहक जागो के अभियान के विज्ञापनो पर करोड़ो रुपये खर्च कर दो |
सैकड़ो करोड़ो रुपये का विज्ञापन इलेक्ट्रोनिक चैनलो पर देने वाली कंपनिया कितनी '''ईमानदार'' हैं यह मुंबई के एक न्यायाधिकरण के फैसले से सामने आया हैं | देश की दस बड़ी सीमेंट उत्पादन करने वाली कम्पनियो पर 10 करोड़ 90 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया हैं | इन '''ईमानदार '' कंपनियो ने आपस मैं मिलकर एक गैर कानूनी करार करते हुए ,सब ने उत्पादन कम करते हुए बाज़ार मैं सीमेंट के मूल्य व्रद्धि का षड्यंत्र किया | जब इन कंपनियो की ''हरकतों'' की जांच सरकार के विभागो ने की तब इन उत्पादको ने , इसका विरोध किया |
सीमेंट उत्पादक जिन इकाइयो पर जुर्माना ठोका गया वे हैं ---अदित्या बिरला ग्रुप --अंबुजा सीमेंट --जेपी [जय प्रकाश ]सीमेंट --और फ़्रांस की ''ल फार्ज ''' तथा अल्ट्रा टेक | इन सभी कंपनियो की बाज़ार मैं बदिया साख हैं , और बिक्री का संगठित जाल भी हैं | इन कंपनियो ने इस वर्ष के प्रारम्भ मैं ही यह तय कर लिया था , की विधान सभा चुनावो के पहले शासकीय निर्माण कार्यो को बड़ी संख्या मैं पूरा करने की ज़रूरत पड़ेगी | इसलिए सरकार को और निजी व्यापारियो को काफी मात्रा मैं सीमेंट की ज़रूरत होगी , इस संभावना को देखते हुए इन उत्पादको ने बाज़ार मैं ""नकली''' अभाव दिखने की कोशिस करते हुए एक साथ अपने उत्पादन का दाम बदा दिया , इस प्रकार गैर कानूनी रूप से '''लाभ '' कमाने का जरिया निकाला |
उधर भारत सरकार ''जागो ग्राहक जागो '' का अभियान चला कर जन साधारण को उचित दामो मैं खरीद का संदेश दे रहे , उधर बड़े -बड़े सेठ बाज़ार मैं ''माल'' रोक कर अभाव दिखने की कोशिस कर रहे हैं | प्रतिद्वंदीता नियामक प्राधिकरण ने इस चाल को भापते हुए जांच शुरू की , जिस मैं इन उत्पादको ने कच्चे माल की आपूर्ति मैं कमी का बहाना बनाया | जांच मैं पता चला की इन लोगो ने औसत से कम के कच्चे माल को मंगाया था , जो इनके इरादे को स्पष्ट करता था की वे बाज़ार मैं अभाव की स्थिति बनाना चाहते थे | जिसके फल स्वरूप अतिरिक्त लाभ कमाया जा सके |
यह तो थी उद्योग मैं एक्सट्रा लाभ कमाने की प्रवृति लेकिन व्यापार मैं भी जब उपभोक्ता बचत करने लगे तब डीलर कैसे उत्पादन कर्ता को ब्लैकमेल कर्ता हैं इसका भी नमूना सामने आया हैं | फ्लैट एचडी टीवी के दाम सिंगापुर और थायलैंड मैं 25 से 30 हज़ार रुपये हैं , जो यहॉ पर साथ से सत्तर हज़ार का पड़ता हैं | अर्थात दो गुने का अंतर | इसलिए बहुत से सैलानी जो सिंगापुर-- बैंकॉक --पटाया जाते हैं वापसी मैं वे एक मनपसंद टीवी लेकर आते हैं | यद्यपि इस जरिये से देश मैं मात्रा कुछ हज़ार ही सेट्स आते हैं , परंतु इस से डीलर का लाभ मारा जाता हैं क्योंकि वह ग्राहक को मुर्गा नहीं बना पता हैं | जो उसे बहुत अखरने लगा हैं |
अपना ''लाभ'' पक्का करने के लिए इन व्यापारियो ने सोनी --सैमसंग -- पैनासोनिक के उत्पादो से इंटरनेशनल वारंटी और गारंटी की सुविधा को भारत मैं अमान्य करने की पहल की हैं | जबकि चाइना मैं बने उत्पादो मैं ही कोई वारंटी या गारंटी नहीं दी जाती हैं | अब अगर इन व्यापारियो की पहल पर इन जापानी और कोरिया के उत्पादको ने अगर ऐसा किया तब इनके माल को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाएगा | अब गेंद इन टीवी उत्पादको के पाले मैं हैं ?
इन दो हालातो ने साबित कर दिया हैं की जब तक सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठाएगी तब तक व्यापारी और उत्पादक सुधारने वाले नहीं हैं | भले ही आप जागो ग्राहक जागो के अभियान के विज्ञापनो पर करोड़ो रुपये खर्च कर दो |