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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 16, 2017

समाज मे असफल--सरकार से अशन्तुष्ट तत्व ही साइबर हमले के सूत्रधार ? अपराधियो की पहचान भी अभी तक नहीं हुई



विकिलिक्स की जानकारियों को पूरी तरह से सबूत या सच तो नहीं माना जा सकता --परंतु उसके अंगुली दिखाने पर हक़ीक़त को जाना जा सकता है | बीबीसी और सीएनएन तथा अल जज़ीरा जैसे टीवी चैनलो से मिली मालूमात से यह तो साफ हो गया है की ट्रम्प प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के पास यह "”वाइरस था "” | बताया जाता है की पेंटागन ने ही ऐसे घातक हथियार बनवाए थे | जिस से ईरान और सीरिया के तंत्र को बेकार किया जा सके | आज दुनिया के 150 देशो से अधिक इस हमले के शिकार हुए है ,जिनकी सामान्य कारी प्रणाली प्रभावित हुई है | सूत्रो के अनुसार विस्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानो मे स्पर्धा के कारण अश्वेत और गैर श्वेत सफलता से दूर धकेल दिये जाते है | ज्ञान और योग्यता मे बराबरी के बाद जब "”उन्हे लुजर और बेकार कह कर सार्वजनिक प्रताड़ना दी जाती है ----तब सत्ता के प्रति आक्रोश भभक उठता है | चैनलो की चर्चाओ मे इस बात की संभावना व्यक्त की गयी है |

कड़ी प्रतियोगिता के बाद अगर उचित सफलता नहीं मिले -और प्रताड़ना ऊपर से मिले तब युवा मन विद्रोही हो जाता है | जब वह देखता है की बेईमानी अथवा धन या पद के बल पर कम योग्य सम्मान और सफलता पा ले – तब प्रतिहिंसा जाग उठती है -जो सरकार और धन की सत्ता के कंगूरो को येन - केन प्रकारेंण ध्वष्त करने मे जुट जाता है | शायद ऐसा ही कुछ हुआ होगा | जिसने महाबली अमेरिका--रूस और चीन की कम्प्युटर आधारित सेवाओ को ठप कर दि

पेंटागन दुनिया मे भांति - भांति के प्रयोगो के लिए जाना जाता है | वे कीट -पतंगो तथा पशु - पक्षियो और यानहा तक मानवो पर भी प्रयोग किए है --जिनके द्वारा अपने विरोधी या शत्रु को नुकसान पन्हुचाया जा सके | मानव दिमाग को दवाओ और अन्य उपायो से वश मे करने के प्रयोगो की बात विकिलिक्स के अलावा अन्य सूत्रो से भी सार्वजनिक हुई है | अमेरिकी प्रशासन के अलावा वनहा की बहू राष्ट्रीय कार्पोरेशन भी इन कामो मे पेंटागन का हाथ बटाते है | एक तकनीकी एक्सपेर्ट ने यह माना की जिस कंपनी से वाइरस फैलाने के तरक़ीबों पर काम कराया जा रहा था | उसके ही किसी ठेकेदार ने यह तरकीब धन लेकर बेच दिया | अब राष्ट्रीय सुरक्षा जब ठेके पर चलेगी --तब ऐसी समभावनए होगी | लगभग सभी एक्सपेर्ट ने यह साफ कहा है की "”यह आदि है पर अंत नहीं ऐसे हमले आगे भी हो सकते है और फिरौती वसूली जा सकती है |”” यह तो चंबल के डाकुओ द्वरा किए जाने वाले अपहरण और फिरौती की भांति ही है | बस फर्क है तो इतना की दुनिया की कोई भी पुलिस उन लोगो तक पहुँच नहीं पा रही क्योंकि उनकी पहचान भी मालूम नहीं है ??