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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 10, 2013

चिटफड कंपनियो के खिलाफ कारवाई अब कलेक्टर करेंगे

चिटफड कंपनियो के खिलाफ कारवाई अब कलेक्ट र करेंगे 
                                             प्रदेश के अनेकों ज़िलो मे छोटे - छोटे  बचत खाता खोल कर रोज 50 से 100 या 200 रुपये की किश्त जमा करने वालों के  पैसे लेकर गायब हो जाने वाली कंपनियो पर अब पोलिस यह कर अपना पीछा  नहीं छुड़ा सकती यह मामला कंपनी से जुड़ा हैं | इसलिए  कारवाई रिजर्व  बैंक द्वारा की जाएगी | अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक सर्क्युलर  जारी कर के  ज़िलो के कलक्टरों  को  अधिकार  दिया हैं की वे  चिटफंड  कंपनियो के खिलाफ  जनता से शिकायत मिलने पर  कानूनी कारवाई निश्चित करे | इस अधिकार मिल जाने से अब उन लाखो लोगो को राहत मिलेगी जिनके पैसे लेकर चिटफंड कंपनी  भाग जाती थी और पोलिस  और प्रशासन कानून के अभाव की शिकायत करके उन बेसहारा लोगो के कष्ट को दूर करने मे असफल रहता था |
                                                                  रिजर्व बैंक द्वारा  अधिक्ररत नान बैंकिंग फ़ाइनेंस कंपनी भी कुछ खास  स्थितियो मे ही लोगो से जमा स्वीकार कर सकती हैं |परंतु  चिटफंड के नाम पर  हजारो फ़र्म  लोगो को धोखा दे रही हैं | रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार  देश मे पाँच हज़ार से अधिक ऐसी कंपनीय कार्यरत हैं , जो पूरी तरह से  वैधानिक नहीं हैं , परंतु कानूनी  दाव-पेंच   के कारण  इनके खिलाफ केवल दीवानी यानि सिविल  कारवाई ही हो सकती हैं | दीवानी कारवाई मे  अदालते  सालो साल  लगती हैं , जब की पुलिस चाहे  तो ''अमानत मे खयानत के   केस  दर्ज़  करके '''' कारवाई कर सकती हैं , परंतु  करती नहीं हैं |  

क्या व्यक्ति की आज़ादी समाज और देश से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ?

 क्या व्यक्ति की आज़ादी  समाज और देश से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ?
                                                       सी आई ए के  कर्मचारी  स्नौडेन को लेकर आज कल न केवल मानव अधिकारो की रक्षा की संस्थाए चिंतित हैं ,वरन ''महाशक्ति''' कहे जाने वाला  अमेरिका  भी परेशान हैं | वह पगलाया हुआ दुनिया के सभी देशो को धम्की दे रहा हैं की ''कोई उसे अपने यंहा राजनीतिक शरण न दे | लेकिन  अमरीका  के ही पड़ोसी  देश वेनेजुयाला  ने स्नोडेन  को राजनीतिक शरण देकर इस सुपर पावर को  ठेंगा  दिखा दिया हैं |  

                             इस  घटना से यह तो साफ हो गया हैं की अमरीका की धम्की  के बावजूद भी कोई राष्ट्र अपने  संप्रभुता  का इस्तेमाल खुलमखुल्ला कर के भी दुनिया की  बिरदारी मे सर ऊंचा रख सकता हैं | यह बात हमारे देश  के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण  हैं , क्योंकि हमारे  चारो  तरफ   अगर शत्रुता का वातावरण नहीं हैं तो कम से कम अविसवास  और धम्की  का तो है ही | बंगला देश के  जन्म  से लेकर उसे अपने पैर पर खड़े होने मे भारत ने मदद की परंतु वह भी कट्टर  वादियो के दबाव मे अक्सर बेरुखी  दिखाता हैं | उधर नेपाल जो अकेला हिन्दू  राष्ट्र  था वह भी आज शत्रुता का रवैया  अपनाए हुए हैं | उसकी प्रगति के लिए नदी और बिजली की अनेक परियोजनाओ के लिए हमारे देश ने खुले हाथ से मदद की , पर वही आज चीन के प्रभाव मे आकार  दुश्मनी करे बैठा हैं | वक़्त बेवक्त बयानबाजी और  अन्तराष्ट्रिय  बिरादरी  मे चीन के साथ खड़ा हो कर परेशानी पैदा करता हैं | चीन और पाकिस्तान  की बात तो आईने की तरह साफ हैं इन दोनों से ही हमारा युद्ध हो चुका हैं | पाकिस्तान अगर सीमा पर आए दिन गोली बारी कर के अशांति पैदा करता हैं तब  चीन हमारी  सीमा पर आए दिन घुस कर हमारी संप्रभुता को चुनौती देता रहता हैं | ऐसे मे ज़रूरी हैं की हमारी सरकार भी कुछ ऐसा कर के दिखाये की लोगो का विसवास  अपने देश और उसकी सरकार पर कायम रहे |