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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 30, 2018


माब लिंचिंग - अबोधों से बलात्कार -- बैंको से क़र्ज़ लेकर विदेश भागते 'कारोबारी ' और वनही कर्ज़ के कारण ख़ुदकुशी करते हजारो किसान
आखिर कोई तो होगा इन सबका जिम्मेदार ? कब होगा उसका न्याय ?
देश - प्रदेश मे होती हिंसक और अनचाही घटनाओ से अखबार भले भरे पड़े हो , पाठक और जनता निराश हो --परंतु नियति इतनी भी निर्दयी नहीं की ---हाल की दो घटनाओ ने देश मे सिसकते लोकतन्त्र की हाज़िरी बताई ! पहली घटना है - सड़क परिवहन मंत्री गडकरी द्वरा लोकसभा मे कांग्रेसी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से छमा याचना उस गलती के लिए की जिसके लिए वास्तव मे प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार जिम्मेदार थी --- गुना मे सड़क निर्माण के शिलान्यास मे शासन द्वरा सांसद को आमंत्रित नहीं करने और उनका नाम शिलान्यास की पट्टिका पर नहीं लिखे जाने बाबत था | प्रदेश मे शासकीय आयोजनो मे कांग्रेस्स विधायकों और सांसदो की उपपेक्षा आम बात हो चुकी है | इनमे जंतांत्रिक मर्यादा का पालन --- स्थानीय विध्यक या सांसद अगर कांग्रेस्स का है तब उसे ऐसे समारोहो मे मे स्थान नहीं है |

दूसरी घटना दिल्ली सरकार द्वरा भूख से तीन कन्याओ की मौत की ज़िम्मेदारी उप मुख्या मंत्री सिसौडिया ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार की और कहा की सरकार का तंत्र विफल हुआ इसकी यह निशानी है ! लोकतन्त्र मे शासन द्वरा अपनी ज़िम्मेदारी मंजूर किया जाना ही --- जनता के विश्वास को मजबूत करता है |

एक ओर तो यह उदाहरण है दूसरी ओर अलवर मे रकबर की भीड़ द्वरा गौ तस्करी का संदेह मे पीट - पीट कर मार डाला गया | राजस्थान सरकार ने इस घटना के लिए पुलिस को जिम्मेदार माना है , इसकी न्यायिक जांच के आदेश भी दिये है | भारतीय जनता पार्टी की सरकारो की "” असंवेदनशीलता ऐसे अन्यायों के प्रति रही है "” वे इन घटनाओ मे हिन्दू - मुसलमान और गौकशी को संघ केएजेंडे के तहत प्र्शसनिक "”बेरुखी दिखते रहे है "| परंतु लोकतन्त्र मे भरोसा रखने वालो को तब धक्का लगता है जब राजगद के भारतीय जनता पार्टी के विधायक आहुजा कहते है की वह इसी लायक था | क्योंकि वह पहले भी गौ तस्करी के मामले मे आरोपी रहा है | हालांकि शासन की ओर से बताया गया की म्र्तक पर कभी भी कोई आरोप नहीं था | संघ के एक बड़े नेता जो विवादित बयान देने के लिए ही जाने जाते है --उन्होने कहा की मुसलमान गाय खाना बंद कर दे तो माब लिंचिंग की घटनाए बंद हो जाएगी !! अब उनसे यह पूछा जाना चाहिए की गोवा - अरुनञ्चल - नागालैंड और मेघालय ततः केरल मे क्या वे ऐसा करे सकते है | सार्वजनिक रूप से सत्ताधारी पार्टी के इन दिग्गजों का "”” पाखंड "” सिवाय आशंतोष और अव्यवस्था के कुछ नहीं होता !!

लगता है की संघ समर्थित सरकारे इन घटनाओ से अपने हिन्दू वोट बैंक को ही मजबूत करने का प्रयास कर रही है | परंतु इन हरकतों से उदारवादी {{ संघ और भक्तो के हिसाब से छद्म उदरवादी ,क्योंकि वे संघ के ब्रहत हिन्दू राष्ट्र और उसमे आँय धर्मो के लोगो को दोयम दर्जे नागरिक बनाए जाने के कट्टर विरोधी है }}} हिन्दू --सनातनी - सिख और ईसाई उनसे दूर होते जा रहे है !! हाल ही मे हुए उप चुनावो को अगर जनमानस की राय माने तो यह स्पष्ट है की भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल भी --सत्ता मे होने के बाद भी अपनी साख नहीं बचा सके ! सत्ताधारी पार्टी के रुख से उनके कुनबे मे अब दाल खलबलने लगी है | शिवसेना ने महाराष्ट्र मे और उप्न्द्र कुशवाहा की पार्टी ने बिहार मे और उत्तर प्रदेश मे राजभर ने तो सीधे सीधे मुख्यमंत्री भगवादधारी आदित्यनाथ को धम्की दे दी है | आंध्र मे तेलगुदेशम ने राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन से अलग होने की घोसना ही नहीं की वरन लोकसभा मे अविश्वास का प्रस्ताव भी अपनी नाराजगी को व्यक्त करने को रकहा | तेलंगाना के चंद्रशेखर राव और उड़ीसा के पटनायक ने सरकार और विरोधी डालो से दूरी बनाए राखी है |

कहा गया है की हाकिम हुकुम फ़ौजफाटे से नहीं उसके इकबाल से चलता है यह इकबाल जनसाम्नय की "””इच्छा '’’ होती है जिसे राजनीति शास्त्र मे "” पब्लिक फ्री विल "” कहा गया है | जो किसी भी देश की सार्वभौमिकता होती है | किसी भी छेत्र की आबादी को "”हिंसक कारवाई से डराया तो जा सकता है -- परंतु उनका अशन्तोष राज्य मे शांति और व्यवस्था के लिए चुनौती बन रहेगा |”” एक समाचारपत्र की रिपोर्ट के अनुसार लिंचिंग की बर्बर घटनाये विगत एक वर्ष मे 12 राज्यो 21 हुई है | इनमे मात्र सिर्फ दो ही मामलो सज़ा सुनाई गयी है | झारखंड के जिस मामले मे अदालत ने अलीमुडीन की बीफ ले जाने के शक मे पीट पीट कर हत्या की थी -उन ग्यारह लोगो को अदालत ने तो आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है | परंतु उन्हे उच्च न्यायालय से जमानत मिल गयी | और उन सभी 11 अपराधियो को केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने हार फूलो से अपने निवास पर स्वागत किया !! केंद्र के मंत्री द्वरा लिंचिंग के अपराधियो की आव भगत यह संकेत देती है की अपील मे शायद सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा !!

भीड़ द्वरा कानून हाथ मे लेकर "”शक के आधार पर ही सज़ा देने का हौसला "” तभी आता है जब उसमे शामिल लोगो के सर पर "”हाकिम का हाथ हो "” | क्योंकि माब लिंचिंग के मामले कभी गाय को लेकर ---कभी बच्चा चोरी के शक मे कभी ---चोरी अथवा टोना टोटका करने के आरोप मे भीड़ मार डालती है | बारह राज्यो मे जनहा 21 घटनाए हुई उनमे मात्र दो मामलो मे ही सज़ा हुई है |

  • अब अबोध कन्याओ के साथ दुराचार के मामलो को ले तो -आए दिन पड़ने को मिलता ही की तीन वर्ष पाँच वर्ष या आठ वर्ष की कन्याओ को वासना पूर्ति का निशाना बनाया जा रहा है | इंदौर मे -रतलाम मे और सागर मे इन घटनाओ पर जनता का आक्रोश सड़क पर आगया | इसलिए इन बच्चियो को इलाज़ मिल गया ,परंतु सागर और टीकमगरह मे हुई बलात्कार की घटनाए पुलिस के रोजनामचे मे दर्ज़ हो कर रह गयी !! ऐसी घटनाए तब सांप्रदायिक रूप ले लेती है जब बलात्कारी गैर हिन्दू हो | कठुआ की घटना ने यह सीध कर दिया की पड़े लिखे वकील हो या राज नेता अपने वोट बैंक के लिए वे किसी भी हद्द तक जा सकते है | इस मामले मे भी एक मुस्लिम बच्ची का बलात्कार कई दिनो तक हुआ और अनेकों लोगो ने किए | इस मामले ने जब अंतराष्ट्रीय स्तर पर आवाज़ उथनी सुरू हो गयी ---तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जम्मू -काश्मीर से बाहर करने का फैसला दिया | पर राज्यपाल शासन मे भी इस मामले को कमजोर कर अभियुक्तों को बचाने की कारवाई जारी है | जो वकील अभियोजन के जिम्मेदार थे उन्हे राज्य का अतिरिक्त एडवोकेट जनरल नामित कर दिया गया है | अर्थात अब कोई आँय अभियोजन की कारवाई करेगा!!!!!
वक़्त गुजर जाने के बाद ऐसे मामलो मे राख पद जाती है | सिर्फ अभियुक्त ही गवाहो को तोड़ने और सबूतो को गायब करने मे लग जाते है | हाल ही मे सुनने मे आया की बलात्कार से जिस अबोध बच्ची की मौत हुई उसके पोस्टमरतम की रिपोर्ट "”””नहीं मिल रही है "””” |


सवाल फिर वही रह जाता है की इन घटनाओ के लिए जिम्मेदार कौन ??
उनकी ज़िम्मेदारी मे लापरवाही बरतने के लिए कोई कानून या अदालत है ?? वैसे तो देश मे कानूनों की कमी नहीं है ----ऐसे मसलो से निपटने की | परंतु वह तंत्र अब बेकार हो चुका है जो अपराधी को सज़ा दिला सके |
हमारी अदालतों का उसूल है है की अभियुक्त का दोष "”संदेह से परे "” सिद्ध हो तभी सज़ा दी जाएगी | परंतु दूसरी ओर हाकिम की सरपरस्ती की भीड़ है जो "””सिर्फ और सिर्फ शक के आधार पर सजाये -मौत देती है "” इस विषम स्थिति से कैसे निकलेंगे ???