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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 9, 2020

 

असत पर सत--दंभ पर मर्यादा का प्रतीक है --बाइडेन और कमला की विजय

अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प की पराजय , उनके समर्थक [[भक्तो]] को अधिक पीड़ा देने वाली घटना हैं | पर उनके ही देश में एक पराए देश की माँ को जन्मी कन्या -देश की पहिला महिला उप राष्ट्रपति बने , यह उन कट्टर "श्वेत नहीं गोरे समर्थको "” को कलेजे में खंजर की तरह घुश गया हैं , जैसे शिवाजी ने अफजल खान के कलेजे में बघनखा उतारा था | या जैसे सत्तारुड बीजेपी को दिल्ली विधान सभा के चुनावो में -लगातार दूसरी बार भी पराजय झेलनी पड़ी | ट्रम्प का दावा है की उन्हे सर्वाधिक [ अभी तक हुए चुनावो में ] मत मले हैं ---पर वे यह नहीं बताते की जो बाइडेन को उनसे ज्यड़ा मत मिले है | ट्रम्प डाक से आए मतो को '’’फर्जी'’ बताते हैं ! परंतु की सबूत नहीं देते ! पर अदालत को दी गयी अर्ज़ी में भी यह आरोप दुहराते हैं | जैसे नरेंद्र मोदी जी विभाजन और काश्मीर तथा चीन की समस्या के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बताते हैं | ट्रम्प की तरह भारत में भी सत्ता की एक "”ट्रोल आर्मी है "” जो कल्पना को आधे - अधूरे और गलत रूप से परिभाषित किए गए आरोपो को "”सोशल मीडिया "” में एक सर्व स्थापित सत्य"” की भांति ----भक्तजनों और उनके साथियो को "”सत्य तथ्य "” के रोप में परोसते हैं | जैसे 2016 के राष्ट्रपति के चुनाव में ट्रम्प ने अपने विरोधी उम्मीदवार श्रीमति हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ लगाए थे ! डेमोक्रेट पार्टी और हिलेरी इस "””अमर्यादित प्रचार "”” के लिए तैयार नहीं थी | परिणाम स्वरूप वे पराजित हुई |

इस बार डेमोक्रेट पार्टी किसी भी ऐसे "”आकस्मिक "” हमले के लिए तैयार थी |सबसे बेहतर उपाय था की ,उन्होने सभी 50 राज्यो में अपने रजिस्टर्ड वोटरो को डाक द्वरा मतदान करने क सलाह दी | इससे जनहा मतपत्र की सुरक्षा निश्चित हो गयी वनही , उन्हे प्रचार के लिए ऐसे वोटर कार्यकर्ता के रूप में मिल गए | ट्रम्प द्वरा बाइडेन के खिलाफ भ्रस्ताचर का आरोप की जांच के लिए राष्ट्रपति ने यूक्रेन की आर्थिक साहायता रोक कर उनसे अपनी मर्ज़ी का फैसला देने का दबाव डाला था | परंतु बात खुल गयी और ---मामला टांय -टांय फिस्स हो गया | कुछ ऐसा ही भारत में भी होता हैं | साहायता के मामलो में बीजेपी शासित प्रदेशों और गैर बीजेपी राज्यो के साथ |

ट्रम्प और मोदी जी में एक और समानता थी --- वे अपने शासन काल को अब तक का सर्वश्रेष्ठ और पूर्वर्ती नेताओ को निकम्मा सीध करते रहते हैं | ओबामा से लेकर सीनियर और जूनियर बुश - रेगन तथा अन्य से बेहतर प्रशसन का दावा करते थे | यानहा भी

70 साल बनाम 60 माह को भारत के उद्य से अब तक का सबसे "” स्वर्णिम काल बताते हैं "” | वैसे आज 8 साल बाद भी "”नोट बंदी "” का बुरा असर खतम नहीं हुआ हैं | कोरोना काल में 2 करोड़ से ज्यदा मजदूरो के पलायन की तस्वीर टीवी में देख कर – लोगो को देश के विभाजन में लोग किस प्रकार पैदल - गाड़ी - रेल में ठूंस कर भागे थे ---उस्की याद आ जाती हैं |

हालांकि कुछ ऐसे घटनाए भी हुई जो मिसाल बन गयी ---जैसे 800 किलो मीटर साइकल से पिता को लेकर बिहार जाने वाली लड़की --- ऑटो में परिवार को लेकर बिहार में गाँव जाने वाले बहुत से किस्से हैं | इनमें दुखड़ा यह भी हैं की बीजेपी शशासित राज्यो बिहार ने तो अपने ही लोगो के लिए सीमा बंद कर दी | उत्तर प्रदेश में भी यही हुआ | जैसे डोनाल्ड ट्रम्प ने मेक्सिको सीमा पर दीवाल खड़ी करने का प्रोजेक्ट किया ---- वह शुरू तो हुआ पर पूरा नहीं हो सका ! जैसे संसद परिसर में मोदी जी अपने लिए सेंट्रल विस्टा नामक -नया संसद भवन बनाना छह रहे हैं | सिर्फ 4 से 6 हज़ार करोड़ रुपये में ! ब्रिटेन और अमेरिका के संसद भवन सदियो पुराने हैं , पर उन देशो का काम काज चल रहा हैं , फिर क्यू इतना खर्चा ? सरदार पटेल की मूर्ति पर और अयोध्या में मंदिर पर हजारो करोड़ का खरचा "”” गैर ज़रूरी हैं "” |पर ट्रम्प की ह तर्ज़ पर हमारे प्रधान मंत्री भी "” मेरी मर्ज़ी "” पर चल रहे हैं |

स्वास्थ्य के नाम पर मोदी जी ने अनेकों योजनाए बताई हैं , जैसे आयुष्मान पर --- अधिकतर ज़िला अस्पतालो में एक्स रेय --ऑक्सीज़न - और डाक्टर ही नहीं हैं , तब क्या करेगा आयुष्मान योजना ? सिवाय प्रचार के | ट्रम्प का ओबामा केयर स्वास्थ्य योजना का विरोध – बीमा कंपनियो को इलाज़ के लिए अस्पतालो का खर्चा उठाने से ----उनका "”मुनाफा "” घाट जाता था | परंतु बराक ओबामा ने बीमा कंपनियो को दो टूक कह दिया की आपको अस्पताल का खर्चा देना पड़ेगा | तब अस्पतालो ने दवा कंपनोयो को अपने दाम घटाने पर मजबूर किया , जिससे की उनका घाटा कम हो सके | ट्रम्प के आने के बाद बीमा और फार्मा कंपनियो ने प्रशासन पर दबाव बनाया | और इस योजना को बंद करने को कहा | आयुष्मान योजना के कार्ड को निजी अस्पताल वाले भर्ती ही नहीं करते , वे बेड नहीं हैं ---सुविधा नहीं हैं और डाक्टर {विशेस्ज्ञ } नहीं हैं कह कर दूसरे अस्पताल भेज देते हैं | कोरोना काल में ऐसी सैकड़ो घटनाए समाचार पात्रो में आई हैं | यानहा प्राइम मिनिस्टर

केयर फ़ंड - में मिले चंदे और उसके रख - रखाव के लिए जिम्मेदार कौन हैं , प्रधान मंत्री कार्यालय यह सूचना देने को तैयार नहीं हैं |सूचना के अधिकार को कमजोर करने के लिए केंद्र सरकार ने अनेक निर्देश और आदेश निकाले हैं | संवैधानिक स्थिति से उन्हे सरकारी नौकर बना दिया गया हैं ! देश के प्रधान सूचना आयुक्त के पद पर जंगल सेवा के एक अधिकारी को बैठा दिया हैं !

ट्रम्प ने भी पर्यावरण और श्रम विभाग द्वरा देश में रोजगार की स्थिति तथा क्रशि की उपज के विवरण और किसानो की आय के आकड़े बताने वाली वेब साइट को बंद करा दिया ! जिससे की उनके कहे को कोई आंकड़े के हिसाब से चुनौती नहीं दे सके |

यह थोड़े से उदाहरण हैं की सच को झूठ बता कर -----सत्य के आधार को ही समाप्त कर देते हैं | वैसे चुनाव के दौरान हर वोटर को 15 लाख और , नोटबंदी से काले धन का अंत तथा आतंकवाद का खात्मा का दावा कितना सही निकला यह देश के हर नागरिक को मालूम हैं | यही हाल डोनाल्ड ट्रम्प का था ,उनके जमाने मैं सिर्फ फॉक्स चैनल के मालिक रुपेर्ट मरडोक का ही फाइदा हुआ --जैसे मोदी जी के काल में रिपब्लिक चैनल का ! अदानी और अंबानी की भांति ट्रम्प के अनेक खनिज तेल के व्यापारी भी लाभान्वित हुए है | पर वनहा हवाई अड्डे नीलाम नहीं हुए !