Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 28, 2019

चिदम्बरम और चंदा कोचर होने का फर्क ! सीबीआई और ईडी पर एक सवाल ?


चिदम्बरम और चंदा कोचर होने का फर्क ! सीबीआई और ईडी पर एक सवाल ?
जनवरी का महीना सीबीआई और ई डी के लिए बहुत दुर्भाग्यशाली सिद्ध हुआ है ! सीबीआई के निदेशक का तबादला करने के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला "कितना निष्प्रभावी रहा "” यह इस तथ्य से सिद्ध होता हैं की --- अवकाशग्रहण की आयु के बाद उन्होने एक आईपीएस अधिकारी का तबादला किया ! जो एक प्रकार से मज़ाक का विषय बना | अतिरिक्त निदेशक अस्थाना {जो सरकार की आँख के तारे थे } को भी सीबीआई छोड़कर जाना पड़ा !
परंतु बक़ौल सुप्रीम कोर्ट के इस सरकारी तोते के मास्टर ने एक वफादार अधिकारी नागेश्वर राव को "”कार्यवाहक "” का कार्यभार दिला दिया ! उसी का परिणाम हैं की -उस अधिकारी को "”शंट" कर दिया -जिसने आईसीआईसीआई और वीडियोकॉन के "”अपवित्र गठ बंधन को उजागर करने के लिये 22 जनवारी को ज़रूरी दस्तवेज़ों पर दस्तखत किए | और 24 तारीख को "” इस अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट " दर्ज़ की | परंतु 25 तारीख को ही अमेरिका मे ऑपरेशन करा कर "”आराम कर रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में --- हजारो करोड़ के क़र्ज़ घोटाले में फसने वाले आठ बड़े लोगो के वीरुध इस कारवाई को "” दुस्साहस "” बताया ! जिसे दो केंद्रीय मंत्रियो पीयूष गोयल और निर्मला सीता रमन ने "”साझा किया "” ! फिर क्या था आनन फानन में बैंकिंग सेक्युर्टी अँड फ़्राड सेल के अधिकारी सुधांशु धर मिश्रा को "इन महान वीआईपी लोगो के खिलाफ जांच की "” ज़ुर्रत {दुस्साहस } करने के अपराध में झारखंड की राजधानी रांची तबादला का फौरी आदेश थमा दिया ! इतिफाक हैं की आगरा और रांची के पगलखाने प्रसिद्ध हैं ; अब चंदा कोचर - केवी कामात - संदीप बक्शी - संजय चटरजी-- जरीन दारुवाला-- राजीव सबबरवाल – होमी खुशरो के साथ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ मोदी सरकार के रहते कोई अफसर कारवाई करने की हिम्मत करे तो उसे तो सबक सीखना ही होगा | मिश्रा के तबादले के बाद ही सीबीआई के सूत्रो ने बताया की उन्होने प्राथमिकी लिखे जाने की खबर को लीक किया था !!!

जिस सरकार के निज़ाम में बंकों का अरबों रुपये लेकर नीरव मोदी --मेहुल चौकसे और विजय माल्या विदेशो में "”ऐश करे " उस सरकार के रहते --- अंबानी परिवार के भाइयो के बंटवारे को अंजाम देने वाले केवी कामाथ पर नज़र उठाने वाले का हश्र तो यही होना था | अभी तो मिश्रा जी को | ईमानदारी और कर्तव्य परायणता के इस दुशसाहस की और भी कीमत चुकानी पड सकती है !

नागेश्वर राव के अधीन यह वही सीबीआई है जो 25 जनवरी को दिल्ली हाइ कोर्ट के जस्टिस सुनील गौड़ की अदालत में दरख़ाष्त देती है कि--- आई एन एक्स मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री चिदांबरम को हिरासत मे देने का आदेश करे --- क्योंकि वे जांच एजेंसी {{सीबीआई -ईडी }} के सवालो का गोलमाल जवाब देते है !! यह दलील देश के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश करते है !

अब इस संदर्भ में अगर हम सीबीआई की कार्य प्रणाली को देखे तो साफ लगता है की "”सरकारी तोता वही पट्टु पट्टू बोल रहा जो उसके राजनीतिक आक़ा {{सरकार में बैठे है }} चाहते है ! यानि की अंबानी और अदानी जी के करिबियों और व्यवसायिक दोस्तो की कानून उल्लंघन की कारवाई को अनदेखा किया जाये | इसी सीबीआई ने काँग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री हुड्डा के घर पर --तीन बार छापा मारा – क्योंकि एक भूमि आवंटन किया था जिसमें रोबर्ट वाड्रा शामिल थे !

पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार के समर्थक द्वरा निर्मित फिल्म "”एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ही नहीं वे एक्सीडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी रह चुके है --- नरसिंघ राव सरकार में | यह तंज़ अरुण जेटली जी के उस लेखन के बाद है की "”” अंत हीन जांच का दुशसहस और विभागीय जांच में "””अंतर होता हैं "”” ? अब इस अंतर को इन घटनाओ से समझा जा सकता है !
यह एक संयोग ही हैं की वकालत के छेत्र में -जेटली और एटार्नी जनरल तुषार मेहता चिदम्बरम से बहुत जूनियर है | एवं जिस मामले की जांच में "”उन्हे अभियुक्त "”बनाया गया है --- उसमें उन्होने एक कंपनी को " अनुमति "” देने की ज़ुर्रत की थी | अब मौजूदा वितता मंत्री के इस लेखन के बाद "”जिस प्रकार सीबीआई और ईडी ने उपरोक्त आठो "”महान लोगो '’ के खिलाफ सारी कारवाई बंद कर दी है | उसका कोई प्रशासनिक कारण नहीं बताया गया है |

हरीशंकर व्यास जी ने तो यनहा तक लिखा है कि सीबीआई जैसी भ्रष्ट संस्था द्वरा अगर किसी पर कारवाई कि जाये तो उसे शंका कि निगाह से देखे | क्योंकि जेटली के "”ब्लॉग में भी कहा गया "” आईसीआईसीआई के मामले में संभावित लक्ष्यो का रास्ता हैं ! इस जांच में सबूत या बिना सबूत के शामिल करेंगे तो हम क्या हासिल करेंगे ? “”” अब उनकी इस भावना को विस्तार दिया जाये तो चिदम्बरम – उनके पुत्र और पत्नी तथा अखिलेश और हुड्डा कि जांच का क्या आधार होगा ??
चिदम्बरम और उनके परिवार के सदस्यो से "”पूछताछ"” करने के लिए सीबीआई को "” हिरासत क्यो चाहिए ? “ क्या वह एक पूर्व वित्त मंत्री के परिवार कि सामाजिक प्रतिस्ठा को इसलिए लांछित करना चाहता है कि ---- उन्होने भी ट्वीट करके मौजूदा वित्त मंत्री के फैसलो कि तार्किकता और तथ्यो पर प्रश्न चिन्ह लगे था इसलिए ? अथवा नोटबंदी और जीएसटी के माडल पर उन्होने सर्वदलीय बैठक कि सहमति को अनदेखा करने का आरोप लगाया था ? या कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन कि ताकत को विगत दो उप चुनावो में देख चुके है , इसलिए वे अखिलेश और मायावती को प्र्टादित करना चाहते है ? क्योंकि उनकी संयुक्त ताक़त बीजेपी कि आगामी लोक सभा चुनावो में मौजूदा संख्या को "” काफी घटा देगी ? अथवा जनता कि चौपाल पर हारे जुआरी कि भांति --- जीतने वाले को बुरा -भला कह कर अपमानित करने के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करना हैं ?
ऐसे सवाल अब तो उठेंगे - प्रदेश के सबसे बड़े भ्रष्टाचार के घोटाले व्यायापम मे बीजेपी कि तत्कालीन सरकार और पार्टी के लोगो को "”क्लीन चिट'’ इसी सीबीआई द्वरा तथा कथित जांच के बाद दी गयी ~! अब तो वे व्हिसिल ब्लोवेर ही गलत साबित हो रहे हैं < हो सकता है कि उन्हे ही इस मामले का दोषी बना दिया जाये !!