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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 25, 2022

 

बुलडोजर संस्क्रती के बाद अब पत्रकारो पर नंगई का हमला !!

वैसे बुलडोजर अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवाधारी योगी जी की ईज़ाद थी | जिसके द्वरा "” तथाकथित " दंगाइयो और माफिया लोगो को "तुरंता न्याय " देने की नियत थी |

पर पत्रकारो को पुलिस द्वरा नंगा कर के सार्वजनिक परेड कराने की सीख यू पी पुलिस ने मध्य प्रदेश से सीखा हैं सीधी जिले के पड़ोसी जिले में पत्रकारो और रंगकर्मियो को नंगा घुमाने की मिसाल तो मध्य प्रदेश पुलिस ने ही शुरू की हैं |

योगी आदित्यनांथ ने तो अपने सरकारी अमले को अधिकार दे दिया था की बिना नोटिस और अदालती हुकुम के ही इमारतों को नेस्तनाबूद कर दिया जाये | बाद में एक खास वर्ग के लोगो पर "संपती"हानि को वसूलने के लिए पूरी आबादी पर बिना अदालती कारवाई के जुर्माना वसूलने का भी हक़ दे दिया था ! वह तो भला हो हमारे सुप्रीम कोर्ट का की उन्होने इस "जुर्माना "लगाने और वसूलने पर कहा की "”यानहा सरकार ही आरोप लगा रही है और खुद ही जुर्म को साबित मान कर जुर्माना वसूल रही है !” तीनों काम सरकार कैसे कर सकती हैं ? उन्होने योगी सरकार को हुकुम दिया की वे वसूले गए जुर्माने को उन लोगो को वापस करे जिनसे लिया गया है | तब जिलो -जिलो में सरकारी कारिंदो ने हड़बड़ी में जनता से वसूले गए जुर्माने की राशि वापस किया | सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे इस कारवाई को कानूनी तरीके से करने का भी हुकुम दिया |

खैर योगी जी के फार्मूले को मध्यप्रदेश में भी खरगोन में रामनवमी के अवसर पर जुलूस पर पथराव लेकर लोगो की गिरफ्तारी भी हुई और कुछ के घरो को बुलडोज़ भी किया गया | खैर आनन -फानन में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश पर एक ट्राइब्यूनल गठित करने का फैसला किया गया | जिसकी सदारत अवकाश प्रापत जज होंगे | पर मध्य प्रदेश की पुलिस जिसे उत्तर प्रदेश के पुलिस के अमले के मुक़ाबले कानूनी कारवाई करने वाला माना जाता था - समझा जाता था , उसने पत्रकारो को निशना बनाना शुरू कर दिया | विंध्य के सीधी जिले के बगल की औद्योगिक नगरी में पुलिस ने कुछ रंगकर्मियो और चार पत्रकारो को सिर्फ इसलिए ना केवल प्रताड़ित किया की वे एक बीजेपी विधायक के कारनामो को उजागर कर रहे थे जिससे एमएलए साहब नाराज़ थे | लिहाजा थाने की पुलिस ने अपना बार्बर रूप द्खते हुए ना केवल उन्हे मारा -पीटाऔर खूब कुटा और उनकी सारे आम - सारे कपड़े उतार कर नंगा करके सिर्फ चढ़ी में सड़क पर परेड कराई वरन थाने में भी थानेदार साहब के हुजूर में भी उसी हालत में पेश किया गया | इस वारदात का वीडियो जब वाइरल हुआ तब दूसरे दिन उस इलाके के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने कहा की सुरक्षा के कारण हवालात में आरोपियों को इसी हालत में रखा जाता है की कनही वे कपड़ो से रस्सी बना कर फांसी ना लगा लें ! अब इन नौकरशाह को यह बताना चाहिए की महिला आरोपियों के साथ भी क्या वे ऐसा ही व्यवहार कर सकते हैं ? पर इस पुलिस अफसर ने दुबारा इस मसले पर पूछे जाने पर अपने को दूर कर लिया | खैर इस घटना पर मुखय मंत्री शिवराज सिंह ने दोनों पुलिस थानेदारों को "”लाइन हाजिर "किए जाने का आदेश दिया | पर क्या यह कारवाई उन दोनों थानेदारों और उस अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के कथन पर कोई कारवाई नहीं होनी चाहिए ? शायद कोई कारवाई होगी भी नहीं |

पर इस बार उत्तर प्रदेश पुलिस पत्रकारो को नंगा घुमाने की सीख मध्य प्रदेश से ली हैं | कानपुर के एक लोकल चैनल "”के न्यूज़ "” के पत्रकार चन्दन जायसवाल को महाराजपुर थाने की पुलिस ने सारे आम सारे कपड़े उतरवा कर सार्वजनिक परेड कराई !!! फिलहाल योगी जी की सरकार ने पुलिस की इस हरकत पर अभी तक कोई कारवाई नहीं की हैं |

पर क्या हम कह सकते है की हम एक लोकतान्त्रिक देश की व्ययस्था में रह रहे हैं ? क्या यही रूल ऑफ ला है ? अथवा यह राज्य अपने कारिंदो द्वरा अपने क्रूर और गैर कानूनी इरादो को अंजाम दे रहा हैं ? क्या इस प्रकार की घटनाओ से सरकार की बदनामी नहीं होती ---क्या राजी का नेत्रत्व यही चाहता है की उसके नागरिक भयभीत रहे और कानून से नहीं पुलिस से डरे ? सवाल महत्वपूर्ण है जिसका जवाब नागरिकों को खुद खोजना होगा | अगर लोकतन्त्र को जीवित रखना हैं तो कानून और नागरिक अधिकारो का सम्मान सभी को करना होगा , छहे वह सरकार का कोई अंग हो अथवा व्यक्ति हो |