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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 7, 2023

 

छोटी छोटी से बात –

संविधान  की समानता – कुबरी के दशमत को क्यू नहीं मिली !

 

       सीधी जिले में कोल आदिवासी  दशमत को बीजेपी नेता  शुक्ल द्वरा  जिस प्रकार अपमान किया गया ---- क्या उसकी भरपाई  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वरा  उनके चरण पखार  कर की जा सकती है ?  अथवा शुवपुरी में जिस प्रकार  दलित समाज के युवक को मल  में डुबो कर मार –मार कर बेइज़्ज़त किया  वह भुक्तभोगी के मन से मिट सकता है ! ष्यद नहीं | दशमत को तो सरकार की ओर से  6.50 लाख रुपये की मदद मिली है --- यह उसके बेइज्जती का मुआवजा है क्या ?  तो फिर शिवपुरी के डाली को भी तो मिलना चाहिए ?

                      हक़ीक़त यह है की  जब सरकार का नेत्रत्व  सिर्फ चुनाव जीतने को और सरकार बनाने  को अपना अंतिम लक्ष्य  बना लेता है ----तब वह शासन  करना भूल जाता है | फिर जनता को  भरमाने के लिए तरह –तरह की लोक लुभावन  घोसनाए और नारे दिये जाते है | सरकारी खर्चे से बुलाई गयी भीड़ को राजनीतिक घुट्टी पिलाने की कोशिस होती है ---- हर घोसना  पर भीड़ से हामी भरवाई जाती है मसलन “”” बोलो भइयो  होगा की नहीं  , कुछ लोग आवाज़ देते है होगा “””  हाथा हिला –हिला कर हामी भरवाने की यह कला  वास्तव  नाजी नेता एडोल्फ हिटलर की थी | जब वह अपनी सोसलिस्ट पार्टी  के समर्थन के लिए  फैक्टरी  और मिल के गेट पर – पाली  खतम कर के जाते  थके –हारे मजदूरो  को  उनके हक़ के लिए लड़ने का वादा करता था | उसी समय अपनी पालि {शिफ्ट }  में जाने वालो का अभिवादन करता था | चूंकि शिफ्ट में पाहुचने की जल्दी में मज़दूरा रहते थे ---- तो वे भी अपने थके  हारे मजदूर भाइयो  के साथ  उसके वादो के समर्थन  में हाथ उठा देते थे –बिना यह समझे की क्या वास्तव में यह अपने वादे निभा पाएगा ?  बिलकुल उसी तरह जिस प्रकार  हमारे प्रधान मंत्री मड़ी जी सार्वजनिक रूप से – वादा किया था की स्विस बैंको में  “””भ्रष्ट  कांग्रेसी नेताओ के बैंक खातो  से धन लेकर आएंगे , और इतना धन होगा की हर भारतवासी के हिस्से में 15- 15 लाखा रुपये  आएंगे |   क्या भीड़ से किया गया वह वादा  पूरा हुआ !

    फिर तो नौजवानो के लिए हर साल एक करोड़ नौकरिया , किसानो के लिए फसल  के दुगने दाम का वादा क्या हुआ ---- किसानो को अपने खेत और फसल बचाने के लिए  महीनो दिल्ली का “”घेरा डालना “” पड़ा , पर आज तक तो कोई वादा नहीं पूरा हुआ | उल्टे नोटबंदी और कामबंदी के दौरान देश की माध्यम और निम्न आय वर्ग को जितनी मुश्किलों और तकलीफ़ों को सहना पड़ा  उतना तो देश विभाजन में शायद सहना पड़ा हो |

     कहने का तात्पर्य  यह हैं की डबल एंजन की सरकार राज्य में ना तो कानुन का राज्य स्थापित कर पायी है  ---और अब बात कर रही है  “” समान कानून संहिता :”” की | हैं ना  आश्चर्य की बात मूल रूप से भारतीय जनता पार्टी     उत्तर भारत  की पार्टी है | जिसका दक्षिण में कोई जनाधार  नहीं है | कर्नाटक में धन बल और एंफोर्समेंट  डिरेक्टोरेट  की बदौलत  तथा दल बदल से सरकार बनाई ------पर चुनाव में जनता ने बता दिया की वह “”समाज में फुट डालने के खिलाफ है “”

      मध्य प्रदेश की जनता ने भी आम  चुनावो में बीजेपी को बहुमत नहीं दिया था ---- परंतु थैलिशाहो  की मदद से बीजेपी ने सरकार बनाई | वही ट्रिक महराष्ट्र  में हुआ , और अब एनसीपी के “” भ्रष्ट नेताओ –जिनको फडनवीस साहब ने “”चक्की पिसींग अँड पिसींग “” के लिए  निशाना बनाया था , आज उनही के साथ उप मुख्यमंत्री बने हुए है !!!!

 

   अब सत्ताधारी पार्टी में भासन देते समय  हाथ उठा उठा कर और उंगली दिखा दिखा कर “विरोधियो ‘’ को बेईमान और झूठा तथा  देश विरोधी तक बता देने का कल्चर सा हो गया है |बॉक्स

     जब मोदी जी ने भोपाल में  कामन  सिविल कोड की सुर्री छोड़ी  तब लगा की सरकार कुछ असहज है , देश के राजनीतिक हालातो से  | क्यूंकी  तीन विधान सभा चुनावो  मध्य प्रदेश ---छतीसगरह और राजस्थान  में सिर्फ एमपी में ही डबल एंजन की सरकार है | बाकी दोनों राज्यो में  काँग्रेस सरकारे है | अब मध्या प्रदेश में सरकारो को अपना भविषय  अनिश्चित लग रहा है | फलस्वरूप  खजाने से रोज बा रोज  मुख्य मंत्री नयी नयी घोसनाए करते हैं | बेरोजगारो क नौकरिया और सरकारी नौकरियों में में जो  “” विसंगतिया “” थी उन्हे भी वेतन भत्ते बड़ाकर दूर करने की कवायद हो रही है |

   पर बीजेपी के लोग सिविल कोड पर कुछ बोलने से कतराते हैं ---उनका बस एक ही नारा है –एक देश में एक विधान ,जैसा की जम्मू काश्मीर  के विभाजन  के समय किया था |  हिन्दू –हिन्दू खतरे में है का भय  लोगो में  भरा जा रहा है |  पार्टी नेताओ को यह भी नहीं पता है की हिन्दू विवाह अधिनियम  में  विवाह की तीन स्थितिया है ----1 – निसिद्ध श्रेणी , इसके अन्तरगत  खून के संबंधो में विवाह वर्जित है , जैसे  मौसी –बुआ ताई  मामा आदि की संतानों में विवाह स्वीकार नहीं है |  परंतु इस अधिनियम में यह भी व्यवस्था  है की यदि इन श्रेणियों में विवाह हुआ है तो संबन्धित पक्षो द्वरा ही आपति की जा सकती |

2- - निशिधात्मक  संबंध --- इनमे यदि दोनों पक्षो के रीति – रिवाज  में ऐसे विवाह होते रहे है तब  उन पर आपति नहीं होगी | जैसे समाज के कुछ वर्गो में “”आट्टा साट्टा  ‘’ इसमें  दो भाई –बहन एक दूसरे से बदल विवाह करते है |

   अब इन प्रावधानों के बावजूद दक्षिण भारत में  रक्त संबंधो में विवाह का प्रचालन  आम है | उत्तर भारत में मामा और भांजी का विवाह न केवल वर्जित है वरन पाप है , परंतु  दक्षिण मे यह सर्वोतम व्वह है | केरल में मातर  सत्तात्मक  परिवार है , वनहा वर को वधू के यानहा रहना होता है –जिसे हम घर जमाई कहते है |  संपटी की अधिकारी  पुत्री होती है , कुछ जातियो में बड़ी और अन्य जातियो में सबसे छोटी  पुत्री को विरासत मिलती है | अब बिना समझे एक कानुयान की बात करना तो समझदारी नहीं हो सकती |