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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 29, 2019


अमितशाह जी जरा विदेश मंत्रालय की "”चोपड़ी " पढ लीजिये -कोसने के पूर्व !

देश के गृह मंत्री अमितशाह का लोक सभा मैं काश्मीर पर बयान सुन कर लगा की , उनके मंत्रालय ने – उन्हे सत्य और हक़ीक़त बताने की जगह ठाकुरसुहाती करते हुई तथ्यो की ---उस तरह से परिभाषित किया ---जैसा इन गुजराती महोदय --का मानसिक "”स्वाद "” हैं ! अगर सिलसिलेवार और संदर्भ समेत तत्कालीन तथ्य – अधिकारी बताते तब उनका "”साहस "” यह कहने काही नहीं होता की , की एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान के हाथो इस लिए लगा की देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवहरलाल नेहरू ने सीजफायर कर के युद्ध रोकने की एकतरफा घोसना की थी !! देश की संसद मैं एक मंत्री द्वरा इतना बड़ा "”असत्य' देश के सामने बोलने का "”पुण्य "” उन्हे ज़रूर हैं | परंतु अमितशाह को विदेश मंत्रालय से "तथ्य " मांगने चाहिए !! क्योंकि दो राष्ट्रो के मध्य विवाद---- उनके मंत्रलाया के अधीन नहीं हैं ! भगवती माँ का आशीर्वाद है देश को !

अमितशाह जी जिस समय काश्मीर पर क़बायली हमला हुआ – उस समय देश मैं राष्ट्रिय सरकार थी --जिसमैं आपके "”संस्थापक "” श्यमा प्रसाद मुकर्जी – आपूर्ति मंत्री थे ! उस सरकार का सारा काम "” गवर्नमेंट ऑफ इंडिया अक्त 1935 “” के तहत हो रहा था | फ़्रीडम ऑफ इंडिया अक्त 1947 के तहत ब्रिटिश संसद ने ही भारत और --पाकिस्तान दो राष्ट्रो के निर्माण का फतवा दे दिया था | जिसको भारत की अविभाजित भारत की जनता को मानना मजबूरी थी | जैसी मजबूरी अमितशाह की पार्टी को मुफ़्ती महबूबा के साथ काश्मीर मैं सरकार बनाने की थी !!! पर ब्रिटिश कानून पर देश "” उलटबासी "” या गुलाटी नहीं खा सकता था ! जैसा आपकी { अध्यक्षता ]} वाली पार्टी ने किया ! क्योंकि जिस स्वतन्त्रता के लिए महात्मा गांधी और काँग्रेस पार्टी ने 30 साल तक जेल काटी और लाठी खाई --या तो उसे कुछ सालो के लिए और टाल देते ! तब देशी रियासते आज़ाद रह जाती ! जिस भारत का सपना बापू और पंडित जी तथा सरदार और मौलाना आज़ाद ने देखा था ----- वह छिन्न -भिन्न हो जाता ! परंतु अमित शाह जी को यह स्थिति अफसरो ने नहीं बताई होगी !! वरना वे तो '’’’ एक चतुर गुजराती बनिया '’’ जो ठहरे !!

उनके और गैर जानकारो को यह ऐतिहासिक सत्य मालूम होना चाहिए , जिस समय हमला हुआ उस समय देश के प्रथम गवर्नर जनरल थे "” लॉर्ड माउंट बैटन "” जो भारत मैं ब्रिटिश साम्राज्य के आखिरी वायसरॉय भी थे !! काश्मीर मैं क़बायली हमलावरो को जब देश के "”आखिरी भारतीय कमांडर -इन -चीफ जनरल करिअप्पा के नेत्रत्व की फौजों ने खदेरना शुरू किया , तब पाकिस्तान के गवर्नर गनरल जिन्ना ने पाकिस्तान स्थित ब्रिटिश फौज के अंग्रेज़ कमांडर -इन -चीफ ............., को हमले का हुकुम दिया तब उन्होने '’’कहा की हम अभी भी ब्रिटिश साम्राज्य की सेवा मैं हैं | एवं अपनी ही सेना के खिलाफ लड़ने का आदेश – तभी संभव है , जब लार्ड माउंट बैटन मुझे निर्देश दें !! अमित शाह जी जनरल करिअप्पा को भी माउंटबैटन ने सिर्फ "””कबालियो को महाराजा हरी सिंह की रियासत से खदेड़ने का हुकुम दिया था |
इन तथ्यो की तसदीक राष्ट्रिय सरकार और लार्ड मौंत्बाइटन के बीच हुए पत्राचार से की जा सकती हैं | बरतनिया की संसद से पारित भारत की आज़ादी की कानून और भारत सरकार अक्त 1935 के प्रावधानों को देखने के लिए दोनों दस्तावेज़ो को देखा जा सकता हैं | परंतु इनको क्र्पा करकर विकिपीडिया या गूगल मई मत सर्च करे !!!! {{ कुछ दस्तावेज़ मेरे पास हैं }}


अब बात एकतरफा युद्ध विराम की सच्चाई की , 1 जनवरी 1949 से शुरू हुए
हुए क़बायली हमले {जिनको पाकिस्तानी रेंजरो } का समर्थन प्रपात होने की बात कही जाती है | परंतु पाँच माह की अशांति और युद्ध के बाद ब्रिटेन और अमेरिका ने युद्धविराम के प्रस्ताव द्वारा इस "” हमले को --जो जनहा हैं वनही पर रहेगा "” के सिधान्त पर तुरंत दोनों देशो को अमल करने को कहा | तब 18 जुलाई से 27 जुलाई तक संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के तहत "”करांची मैं दोनों देशो के सेना के अधिकारियों की बैठक हुई "”” जिसमै संयुक्त राष्ट्र के नियुक्त पर्यवेक्षक उन छेत्रों मैं तैनात किए गए --जिनहे दुनिया "” लाइन ऑफ कंट्रोल " के नाम से जानती हैं | इसलिए देश के मौजूदा गृह मंत्री का यह कहना की युद्ध विराम पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की रॉय नहीं मानी , तो इसके लिए उन्हे मंत्रिमंडल की तत्कालीन बैठक की कारवाई के उस हिस्से को देश की जनता के सामने लाना चाहिए "”” जिसमाइन सरदार ने मंत्रिमंडल मैं "”असहमति का नोट लिखा हो !! “” अब मोदी सरकार केन्द्रीय चुनाव आयोग की तरह यह नहीं कहे की ---- की वह दस्तावेज़ राष्ट्रीय हिट मैं सार्वजनिक करना देश हित मैं नहीं होगा !!! क्योंकि अमित शाह जी लोकसभा मैं की गयी बयानबाजी -जुमले बाज़ी----- देश की आज़ादी के संघर्ष मैं दस साल जेल मैं बिताने वाले और देश के प्रथम प्रधान मंत्री नेहरू का अपमान कर रहे हैं | वह भी देश के सामने तथ्यो को तत्कालीन समय की स्थिति के संदर्भों मैं
व्याख्यायित नहीं कर के ------ छुद्र संघ और बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं | वैसे भी भले और सभ्य लोग उनही बातो को सार्वजनिक संदर्भों मैं कहते हैं -जिनहे वे घटनाओ और तथ्यो -घटनाओ से सिद्ध कर सके | टकसाली जुमलेबाजी नहीं करते |

अब दूसरे भारत ---पाक युद्ध की बात करे जो पाकिस्तान द्वरा गुजरात के रन ऑफ कच्छ मैं फौजों के भेजने से शुरू हुआ | तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ऑल इंडिया रेडियो पर घटना की सूचना देश को देते हुए युद्ध की घोषणा की | लगभग पाँच माह तक देश की जनता ने सीमा पर जाने वाली फौजी ट्रेनों मैं जवानो की आरती उतारने घरो से महिलाए निकाल पड़ी ! प्रधानमंत्री की एक आवाज पर महिलाओ ने अपने सोने के गहने उतार कर देश के लिए मदद की | हमारी सेनाओ का मनोबल ऊंचा था | हम लाहौर के समीप इछोगील नहर तक सेप्टेम्बर मैं पहुँच गए थे | तभी संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका और रूस ने दोनों देशो पर दबाव बनाकर तुरंत सघर्ष रोकने और युद्ध विराम करने को कहा !! यह दूसरा युद्ध विराम था भारत -पाक के मध्य !!
आगे की घटनाये मार्मिक हैं - रूस के ताजकिस्तान की राजधानी ताशकंद मैं 10 जनवरी 1965 को पाकिस्तानी राष्ट्रपति मोहम्मद आयुब खान और प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने रूस के राष्ट्रपति ब्रेज़नेव अमेरिका के राजदूत और ताजकिस्तान के नेताओ की उपस्थिती मैं दोनों सेनाओ को अपने -अपने ठिकाने पर जाने पर संधि हुयी | शास्त्री जी ने बाहरी ह्रदय से इस संधि पर दस्तखत किए | एवं उसी रात दिल का दौरा पड़ने से देहावसान हो गया | उनके देहांत की सूचना भारतीय समय के अनुसार मध्य रात्रि के बाद हुई , | मुझे यह घटना इसलिए स्मरण हैं क्योंकि उस दिन राष्ट्रपति भवन से प्रधान मंत्री के देहांत की सूचना उनके मिलिट्री आफिसर ने दी ---- टाइम्स ऑफ इंडिया और नव भारत टाइम्स की छपी कापिया रोक ली गयी, और काले बैनर का अखबार निकला | वैसे इस मौत पर 53 साल बाद किसी ने एक जासूसी फिल्म भी भी बनाई है ,जो राजनीति प्रेरित हैं |

इस कड़ी मैं शिमला सम्झौता ---जो वास्तव मैं शांति सम्झौता हैं | 1971 मैं प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी ने आल इंडिया रेडियो से पाक हवाई जहाजो द्वरा आगरा के सैनिक हवाई अड्डे पर बम वर्षा किए जाने के बाद युद्ध की घोसना की | पश्चिमी सीमाओ पर हमारी सेनाओ ने जनहा ---पंजाब से गुजरात तक सीमा को अभेद्य बनाया , वनही पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति वाहिनी की पाकिस्तान की बलुच रेजीमेंट और पंजाब रेजीमेंट के खिलाफ छापा मार युद्ध मैं भारतीय सेना ने मदद के लिए अपनी कुमुक भेजी | महीने भर चले युद्ध मैं भारत को झुकाने के लिए अमेरिका ने अपनी पण्डुब्बिया बंगाल की खाड़ी के बाहर तैनात कर दी | परंतु इन्दिरा जी की मदद तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति लियोनिड ब्रेज़नेव ने भारत के हमले का समर्थन करते हुए -,अमरीका को परिणाम भुगतने के लिए भी चेतावनी दे दी | परिणाम स्वरूप इस एकतरफा युद्ध मैं 93000 सैनिको और अफसरो के साथ जनरल नियाजी ने आतंसमर्पण किया | सैनिक युद्ध के इतिहास मैं इतने फौजियो का आतंसमर्पण एक मिसाल बन गया |

शिमला मैं राष्ट्रपति ज़ुल्फिकर अली भुट्टो और इन्दिरा गांधी ने 1971 के युद्ध मैं कुछ मुद्दो को सुधारा | वैसे मोदी सरकार - बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भक्तो को इन्दिरा गांधी की इस सफलता से ज्यादा उनके आपातकाल की गलती याद आती हैं | उनही के कारण दुनिया के नक्शे पर एक नया देश उभरा बंगला देश |







Jun 27, 2019


अब ये हैं लोकतन्त्र

आवेदन - निवेदन और [नहीं माने तो ] दे दनादन - वह भी विधायक जी द्वरा !!

इंदौर मैं बीजेपी विधायक और पार्टी के महासचिव कैलाश विजय वर्गीय के चिरंजीव आकाश द्वारा इंडोर नगर निगम के अधिकारियों से जो व्यवहार किया गया – वह सर्वथा अनुचित ही नहीं अपराध भी था , जिसके लिए उन्हे जेल जाना पड़ा | शायद यह पहला मौका होगा जब की वे जेल गए होंगे क्योंकि इसके पहले उनके बारे मैं ना तो कुछ सुना गया और ना ही कुछ लिखा गया | संभवतः वे भी अपने पिता की राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पाहुचने वाला काम नहीं करना चाहते रहे होंगे | इसीलिए ना तो वे "”चर्चित हुए और ना ही विवादित हुए "” | पर इस हरकत ने उन्हे एकदम से उन्हे चर्चित ही नहीं वरन विवादित भी बना दिया | उस पर उनके पिता श्री का यह कथन की "”आकाश के सामने गरीब के साथ अन्याय हुआ होगा , तभी उसने ऐसा किया ! वरना उसे गुस्सा नहीं आता ! अब गरीब के साथ अन्याय इंदौर जैसे नगर मैं नहीं होते हो – ऐसा राम राजी अभी तो नहीं आया हैं | हाँ यह हो सकता हैं की उनके निर्वाचन छेत्र के मतदाताओ को वे भले ही सरकारी मुलाजिमों के "”अन्याय और अत्याचार “” से बचाने की कोशिस करते रहे होंगे | क्योंकि आखिर उन्हे भी तो अपने मतदाताओ का ख्याल रखना होगा | जिनकी बदौलत वे विधायक चुने गए |
परंतु अधिकारो की सुरक्षा और अन्याय का प्रतिकार --कानून द्वारा ही तो किए जाने का विधान हैं --- संविधान मैं इसीलिए व्यसथा हैं | पुलिस - अदालत इनीही कारणो से बनी हैं | भले आज उनकी ईमानदारी को भ्रस्ताचार की दीमक खा गयी हो , परंतु जब तक कोई अन्य विधान नाही बने तब तक तो इनहि पर चलना होगा ! यह कैसे हो सकता हैं की - आप ही कानून बन जाओ और आप ही कारवाई करने वाली अदालत बन जाओ --वह भी बिना सबको सुने हुए !! जर्जर मकानो को गिरने गए निगम कर्मियों को – अदालत से स्टे लाने की मोहलत मांगी जा सकती थी ! तब कारवाई का "”सच और झूठ "” पता चल जाता !! पर ऐसा उन्होने नहीं किया और खुद ही "” कारवाई करदी "” वह भी गैर कानूनी !

इस घटना के कुछ और पहलू हैं जो इंगित करते हैं की इस वारदात के समय मौके पर मौजूद निगम कर्मी और पुलिस वालो ने इस झगड़े मैं बीच -बचाव करने अथवा रोकने का प्रयास नहीं किया | भला क्यो कोई दो हाथियो की लड़ाई मैं हाथ - पैर तुढ़वाता ! वजह थी की मौके पर खड़े 8 निगम कर्मी विधायक से जुड़े थे , अब इसका पुख्ता सबूत तो खोज्न होगा | लेकिन इंदौर नगर निगम ने विध्यक समर्थित 21 कर्मचारियो को बरख़ाष्त कर दिया ! यह निगम मैं वर्चस्व की लड़ाई का संकेत हैं | कैलाश विजयवर्गीय भी इंदौर के महापौर रह चुके हैं | उन्हे निगम की कारवाई की यूञ्च - नीच का अंदाज़ा हैं | फिर यह कहना की गरीब का अहित हुआ होगा तो आकाश को गुस्सा आ गया होगा , कुछ समझ मैं नहीं आता | आकाश ने सारे आम कहा की "”अफसर पैसा खा कर अबरीय मकान खाली कराकर तोड़ रहे हैं ! “” इस आरोप को क्या वे सिद्धर पाएंगे ? वैसे नगर निगम बीजेपी के ही क़ब्ज़े मैं हैं |
महापौर मालिनी गौड़ और कैलाश विजय वर्गीय की पार्टी मैं प्रति द्वंदिता जग ज़हीर हैं | एक सवाल यह भी हैं है की
11.30 बजे दिन की इस सार्वजनिक पिटाई पर पुलिस ने 3.00 बजे रिपोर्ट दर्ज़ आकाश सहित 11 लोग पर !~ और गिरफ्तारी हुई 4.35 बजे !! पुलिस की कारवाई बताती हैं की कितनी त्वरित कारवाई हुई ---जबकि सरकारी अमले को ड्यूटि निभाने पर मारा -पीटा गया ! ऐसी हालत मैं कोई अफसर या कर्मी लोगो का मुंह देखकर ही काम और न्याय करेगा | आखिर मैं शाम 7.30 बजे जिला अदालत मैं उन्हे पेश किया गया , जनहा से वे जेल भेज दिये गए |
बीजेपी नेताओ के पुत्रो के विरुद्ध यह चौथी घटना हैं , केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और उनके विधायक भाई जलम सिंह पटेल तथा पूर्व मंत्री कमाल पटेल के पुत्रो पर फ़ौजदारी के मुकदमैं दर्ज़ हैं |
लोकतन्त्र का दूसरा पहलू



इसी सिलसिले मैं हाल की एक घटना याद आई , राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत शिकायत मिलने पर सिहोर जिला मुख्यालय पर कुशवाह नामक तहसीलदार के दफ्तर का अचनक निरीक्षण किया , और पाया की सैकड़ो जमीन के मामले लंबे समय से लंबित हैं | इन मामलो मैं जमीन की पैमाइश --- ज़मीन के बटान [बँटवारे ] और नामांतरण के मामले थे | जब उन्होने पूछताछ की तो कोई संतोष जनक उत्तर नहीं मिला | मंत्री ने कलेक्टर से उक्त तहसीलदार के निलंबन का प्रस्ताव आयुक्त को भेजने को निर्देश दिया | अब खेल शुरू होता है ---की मंत्री को तहसीलदार के डायस पर बैठने का हक़ नहीं था ---वे कैसे बैठे ? फिर राजस्व अधिकारियों के संघ ने सरकार को चेतावनी दी की अगर कुशवाहा के खिलाफ कोई कारवाई हुयी तो वे राजी व्यापी हड्ताल कर देंगे !! कलेक्टर कह रहे हैं की मुझे तहसीलदार को निलंबित करने का अधिकार नहीं हैं !! अरे भाई आप को तो प्रसत्व बनाकर आयुक्त को भेजने के लिए कहा गया था , निलंबन आप नहीं कर सकते हो यह मंत्री को भी मालूम था | तभी तो उन्होने आयुक्त को निलंबन का प्रस्ताव भेजने को निर्देश दिया था !!

इन दो घटनाओ का ज़िक्र करते हुए यह तथ्य सामने लाना है की "”लोग या जनता "” अपनी शिकायतों या कठिनाइयो को लेकर विध्यक या मंत्री के पास इस आस मैं जाते हैं की उनका काम हो जाएगा | जो अफसरो की निरङ्कुसता और कानून को ढाल बना कर मनमानी करने की हो गयी हैं | बताते हैं की सीहोर जिले मैं बीजेपी नेता नलिन कोहली को हज़ार एकड़ से भी ज्यादा खेती की ज़मीन आवंटित की गयी थी | यह भूमि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए थी | अब यह मध्य प्रदेश मैं ही संभव हैं की कोई व्यक्ति या संस्था इतनी मात्रा मैं खेती की भूमि रख सके | लेकिन औद्योगिक काम के लिए प्रदेश मैं पहले भी लंबी -लंबी जमीने आवंटित की गयी थी | जो ज़रूरत से ज्यदा सीध हुई | इसमैं सार्वजनिक और निजी छेत्र की कंपनी है | भोपाल नगर मैं भारत हेवी इलैक्ट्रिकल यानि की भेल के पास दासियो साल से '’’’ औइद्योगिक पडत की भूमि हैं '’’ परंतु जब - जब सार्वजनिक हित के लिए प्रदेश सरकार ने मांगा तब - तब अड़ंगा लगा दिया गया !

भवन निर्माताओ और रिसार्ट बनाने वालो ने भोपाल से सटे सीहोर जिले मैं दासियो हज़ार एकड़ भूमि कब्ज़िय राखी हैं | इनमैं सरकारी करामचरि ----छोटे सरकारी करामचरि से लेकर बड़े -बड़े अफसरो ने कभी जंगल भूमि दर्ज़ रहे रकबो पर आलीशान भवन बना रखे हैं | बीजेपी के 15 साल के राज मैं भूमि और नदी के रेत को खूब लूटा गया || पर क्या यह लूट काँग्रेस सरकार रोक पाएगी ?? भोपाल -होसंगाबाद रोड पर रेट भरे डंपरो को आबादी के इलाको मैं दिन दहाड़े दौड़ते देखा जा सकता हैं | सरकारी बयानो और दस्तावेज़ो मैं भले ही रेत की चोरी पर रोक लगा दी गयी हो परंतु हक़ीक़त तो बहुत दूर हैं !!!!! पर यह भी लोकतन्त्र का ही एक चेहरा तो हैं !!!!!

Jun 26, 2019


कैसा है नया इंडिया और कैसे बना रहे हैं मेक इन इंडिया को !!

इधर कुछ समय से ऐसी खबरे अखबारो के पन्नो मैं आ रही हैं ,जिनको पड़ने के बाद मन मैं यह सवाल उठा | सबसे पहले तो मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज मैं सौ अधिक बच्चो की इन्सेफ़्लाइटीस से हो रही मौते , एक बारगी गोरखपुर के मेडिकल कालेज मैं ऑक्सीज़न के अभाव मैं इसी रोग से हुई मौते याद आ जाती हैं | जब वनहा के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ योगी ने सफाई दी थी की ---गड़बड़ी की जांच की जाएगी | इस कमी की जिम्मेदार हैड ऑफ डिपार्टमेंट ,इतिफाक से मेडिकल कूलेज के प्रिन्सिपल की पत्नी थी !! सो होना क्या था , ऑक्सीज़न के आपूर्तिकर्ता पर छ्प मारी की गयी ,और उसके वीरुध रिपोर्ट लिखवा दी गयी ! उसका कहना था की साल भर से ज्यादा बकाए का भुगतान नहीं होने पर उसे मजबूरन यह कदम उठान पड़ा ! जबकि उसने संस्थान को बता दिया था की "” भुगतान "”नहीं होने पर आपूर्ति करना संभव नहीं होगा | उसका भुगतान तो पता नहीं हुआ भी या नहीं इसकी कोई खबर नहीं आई | मामला मुख्यमंत्री के ज़िले का जो था | जिस डाक्टर ने निजी तौर पर दूसरे अस्पतालो से आक्सीजन के सिलेन्डर लिए थे --उसे निलंबित किया गया -जेल भेज दिया गया ___ क्योंकि वह मुसलमान था !!!

अब बिहार मैं देखे तो मरीजो की बदती भीड़ को देखते हुए सरकार ने कोई विशेस इंटेजाम नहीं किए | ना तो दूसरे ज़िलो से डाक्टरों को और नाही पैरा मेडिकल स्टाफ को बुलाया गया | घटना को मुख्य मंत्री नितीश कुमार जिनहे उनके भक्त "”सुशासन बाबू "” कहते हैं , ने भी पटना से 80 किलोमीटर दूर जाने मैं आठ दिन लगा दिये ! पर सिर्फ राउंड लेने और अधिकारियों से बात करने के अलावा उन्होने भी , कोई विशेस कदम नहीं उठाया ! हालांकि उनसे पहले केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन अपने राज्य मंत्री के साथ अस्पताल जरूर पहुंचे | परंतु न कोई दवाओ का प्रबंध ना ही डाक्टरों की टीम भेजी | पत्रकारो के सवाल के जवाब मैं बस इतना ही कहा की सरकार कर रही , पर क्या कर रही हैं यह नहीं बताया गया !!

कोई एनजीओ भी इस अवसर पर आगे नहीं आया ,की वह अस्पताल मैं आने वाले बीमार बच्चो और उनके साथ आ रहे परिवार के लोगो को कुछ मददा पाहुचता | अचरज की बात तो यह हैं की बिहार मैं हुई इतनी बड़ी घटना को वनहा के अखबार घोंट कर पी गए ! उन्होने सरकार से सवाल पूछना भी उचित नहीं समझा !! यह हैं हमारा स्वतंत्र मीडिया !!!

इतना ही नहीं जिन परिवारों नए अपने बच्चे बीमारी मैं खोये हैं , अब नितीश कुमार की सरकार उन लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ करा रही हैं ? गुनाह उनका यह हैं की उन्होने सरकार की "” गैर ज़िम्मेदारी के खिलाफ प्रदर्शन किया था !! इसे कहते हैं की दवा तो दी नहीं उल्टे जले पर नमक छिड़क दिया !!


दक्षिण के एक आईआईटी के दलित छात्र ने अध्ययन के लिए बैंक से क़र्ज़ लिया था |चार साल का कौर्स पूरा हो जाने के बाद उसको नौकरी नहीं मिल पायी | लेकिन बैंक ने अध्ययन पूरा होने के बाद , अपनी लेनदारी की किश्त का नोटिस भेज दिया | अब बेकार इंजीनीयर क्या करे ? क़र्ज़ चुकाने के लिए वह अपनी किडनी बेचने के लिए तैयार हो गया , जिससे क़र्ज़ को चुकाया जा सके !! परंतु नए इंडिया मैं , उस बेचारे की किडनी भी कोई अस्पताल लेने को तैयार नहीं हुआ ------क्योंकि वह एक दलित की किडनी थी !!!!! यह कैसा देश हैं जनहा अध्ययन के लिए क़र्ज़ की वसूली के लिए तो बैंक "””बहुत तत्परता से काम करता हैं "”” पर जो जानबुझ कर अरबों - करोड़ो रुपये लेकर भी बैंक को भुगतान नहीं करते -----उनका ये वित्तीय संस्थान बड़े आदर से स्वागत करते हैं !! क्योंकि वह क़र्ज़ किसी "”बड़े "” आदमी के कहने पर दिया गया था !!!


बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड मैं भी भीडतंत्र की ही चलती हैं , वैसे यह आदिवासी बहुल राज्य हैं जनहा धर्म या जाति का झगड़ा नहीं हुआ करता था , गाय के नाम पर भी मुसलमानो को आतंकित नहीं किया जाता था | पर वनहा भी अब "”अन्य कारणो '’ से मुसलमानो को हिंशा का निशाना बनाने की घटनाए बहुत हो रही हैं | पिछली सरकार मैं राज्यमंत्री रहे सिन्हा जी द्वरा भीड़ द्वरा मुसलमानो को मरने के अभियुक्त को माला पहनाए जाने की फोटो काफी चर्चा मैं थी | उनका मासूम उत्तर था की वे मिलने आ गए तो क्या करता !!~!! इस बार तबरेज अंसारी को भीड़ ने इसलिए पीट -पीट कर अधमरा कर दिया की --क्योंकि उनको शक था की उसने साइकल चुराई हैं | हालांकि चोरी की गयी साइकल की कोई बरमदगी नहीं दिखाई गयी | आखिर पाँच दिन बाद वह मर गया !! पीछे छोड गया अपनी पत्नी शबीसता को ! जिसके ना तो कोई मायके मैं हैं ना ही कोई ससुराल मैं !!! हालांकि पुलिस ने तबरेज की हत्या के सिलसिले मैं 11 लोगो को गिरफ्तार किया है

अभी खबर आई हैं की झारखंड मैं ही एक '’अलियार मोची '’को भीड़ ने इस लिए पीट पीट कर मार डाला ---क्योंकि गाँव के बाहुबलियो को शक था की वह "”गुनिया या ओझा "” था | जिसने गाव की दो महिलाओ को बीमार कर दिया !!! क्या हम वाक़ई इक्कीसवी सदी मैं जी रहे हैं ---अथवा इतिहास के अंधकार युग मैं ?

यह सब तब हो रहा हैं जब सुप्रीम कोर्ट ने मोब लिंचिंग के मामले मैं झारखंड सरकार को इस बारे मैं एक व्यवस्था करने की ताकीद पिछले वर्ष दी थी | जिसमाइन निर्देश दिया गया था की ऐसे मामलो की जांच त्वरित गति से हो और सुनवाई फास्ट ट्रैक अदलत करे | साथ ही घटना के प्र्भवितों को मुआवजा के प्रबंध भी किया जाये | पर साल गुजर गया पर कोई भी कदम सरकार ने ऐसी घटनाओ पर रोक लगाने अथवा जनता को शिक्षित करने का कोई प्रयास किया हो !! इसीलिए कभी गाय चोरी या टोना टोटका के मामले मैं गाव्न के बाहुबली कमजोर लोगो को शिकार बनाते हैं | जिससे की उनका रौब दाब बना रहे | जमींदारी प्रथा मैं जैसे नीची जाति के लोगो को --बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता था ,आज भी वही आतंकवाद कायम हैं |मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कहा करते थे ---की दंगा {जिसे मोब लिंचिंग भी कह सकते हैं } या ऐसी सामूहिक हिंसा बिना अफसर या नेता की शह के बिना नहीं हो सकता | झारखंड की घटना अथवा उत्तर प्रदेश मैं बजरंग दल या किसी धार्मिक सेना नामधारी संगठन द्वारा की जाने वाली वारदात भी इसी श्रेणी मैं आती हैं | बुलंदशहर मैं बजरंग दल की भीड़ द्वरा एटा के ठाकुर पुलिस इंस्पेक्टर की जिस निरममा तरीके से हत्या की गयी थी ----- उसमैं भी राजनीतिक दबाव मैं पुलिस ईमानदारी से कारवाई नहीं कर पायी | अभी गए दिन फिर एक ठाकुर लड़के ने दलित लड़की को छेड़ा , और विरोध किए जाने पर लड़की के दो परिवार जानो को कार से रौंद कर मार डाला | मजे की बात है की वनहा की पुलिस घटना की रिपोर्ट भी नहीं लिख रही थी ! जब लड़की के परिवारजनों ने सड़क पर आवागमन रोक दिया , तब रिपोर्ट लिखी गयी | पर वह भी सड़क दुर्घटना की !!! जबकि मरने वालो के परिवार वालो ने लिखी तहरीर मैं ठाकुर के लड़के द्वारा छेदखानी किए जाने का आरोप लगाया गया है | पुलिस घटना को सड़क दुर्घटना बता कर मामले को ज़मानती अपराध बनाने पर तुली हैं | जबकि यौन उत्पीड़न के मामले मैं कानून बहुत सख्त हैं |

अब अंत मैं एक किस्सा नागरिक सम्मान से “”\पीड़ित ‘’’’ उड़ीसा के माउंटेन मन उर्फ दैतारी का | उन्होने जन सुविधा के लिए गोनासिका की पहाड़ियो को अकेले दमपर खोद कर 3 किलोमीटर की नहर बनाई थी | जिससे की लोगो को पानी की कमी से परेशान नहीं होना पड़े | सरकार ने उनके काम को देखते हुए उन्हे “”पद्म श्री “” सम्मान प्रदान किया | अब यह सम्मान उनकी गले की फांस बन गया हैं | पहले वे मजदूरी कर के अपना और परिवार का पेट भरते थे | परंतु सम्मान मिलने के बाद लोगो नए उन्हे काम पर रखना बहड़ कर दिया हैं !!! क्योंकि सम्मान पाये व्यक्ति को मजदूरी पर कोई रखना नहीं चाहता | सत्तर साल की उम्र मैं वे चींटी के अंडे खा कर जी रहे हैं !!! अब वे अपने सम्मान को राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को लौटना चाहते हैं | कान्हा तो भरे पेट के लोग इस सम्मान को पाने के लिए सिफ़ारिश और पैसा ख़रच भी करते हैं , और कान्हा वे इसको लौटने की सोच रहे हैं | वह भी किसी के समर्थन या विरोध मैं नहीं बस मजबूरी मैं !!! इस संदर्भ मई एक बुजुर्ग की बात याद आ रही है , अंग्रेज़ो ने उन्हे “”रॉय बहादुर “” की पदवी प्रदान की थी | लोगो ने यह सम्मान मिलने के बाद उनसे दावत मांगी | तब उन्होने कहा की भाई किस खुशी मैं दावत दूँ ? तब लोगो ने कहा की इतना बड़ा सरकारी सम्मान मिला हैं , इसलिए , उनका जवाब था की भाई कोई वेतन या पदोन्नति तो हुई नहीं हैं | जो कोई आम्दानी बदती | उल्टे पोस्ट कार्ड का खर्चा बड़ गया हैं | लोगो के बधाई के जवाब देने के लिए | कुछ कुछ वैसा ही दैतारी के साथ हुआ हैं | पर आखिर मैं वही सवाल यह कैसा नया इंडिया और कैसा हैं मेक इन इंडिया !!