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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 23, 2020


नागरिकता - धर्म और मोदी सरकार पर विश्व की नज़र !

डेढ दिन का ट्रम्प का दौरा मोदी सरकार के हिन्दुत्व के एजेंडे पर चोट या सुलह ?


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 24 फरवरी के मध्यानह से 25 फरवरी की मध्य रात्रि के दौरे को ---ना तो पारंपरिक रूप या कूटनीतिक मर्यादा के अनुरूप राष्ट्राध्यक्ष का सरकारी दौरा कहा जा सकता है ना ही इसे उनकी निजी यात्रा काही जा सकती हैं ! अहमदाबाद में उन्की अगवानी सिर्फ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे , क्योंकि किसी भी मुख्य मंत्री को ट्रम्प के नजदीक जाने का "””मौका "” आधिकारिक रूप से नहीं दिया गया हैं !! फिल वक़्त तक भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय अतिथि के लिए "”किसी भी मिनिस्टर इन वेटिंग "” तथा अम्रीका की प्रथम लेडी के लिए भी यह प्रोटोकाल नहीं निभाया गया हैं ! मेलानिया ट्रम्प दिल्ली सरकार के स्कूल मे एक घंटे छात्र -छात्राओ के साथ गुजारेगी पर उनका स्वागत शायद वनहा के प्रिंसिपल ही करेंगे !!! क्योंकि भारत सरकार की सूचना के अनुसार -गुजरात - उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्रियों को दूर रहने की ही अलिखित सलाह हैं !! आखिर ऐसा क्यो आज़ाद भारत के इतिहास में शायद यह पहली बार हो रहा हैं !
शायद इसका कारण प्रधान मंत्री का फोटो में "”एकल "” प्रभाव की ज़िद ही है |कैमरे के प्रति अति संवेदन शील मोदी जी को अनेकों बार डेकाह गया है की वे जनहा तक हो सकता हैं --फोटो साझा नहीं करते | सारा श्रेय स्वयं ही चाहते हैं | खैर ट्रम्प उनके बेहतर मित्र हैं ---ऐसा ट्रम्प और नरेंद्र मोदी दोनों ही ही दावा करते है | इसलिए जो भी बदोबस्त हुआ /हो रहा हैं सहमति से हुआ हो होगा |
परंतु मुलाक़ात में जिन विषयो पर चर्चा का संकेत व्हाइट हाउस के सूत्रो से मिलता हैं , वे निश्चित ही मोदी जी के लिए "”तकलिफ़देह होंगे " ! छपी हुई खबरों के अनुसार नागरिकत संशोधन कानून के वीरुध देखि के शाहीन बाग में चल रहे महिलाओ के धरणे को सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त दो वार्ताकारों ने ने शिवरात्रि के दिन कुछ घंटो के लिए धरना स्थल की बगल की सड़क से ट्रैफिक की आवाजही की इजाजज्त पुलिस ने दी | वार्ताकारों ने भी पुलिस से इस बारे में पूच्छा की सड़क को किसने कहने पर खोल गया फिर बंद क्यो किया गया ? इस घटना से वनहा बैठे प्रदर्शनकारियो में --- दो राय हो गयी | एका वर्ग का कहना था की सुरक्षा की गारंटी यदि सुप्रीम कोर्ट खोले ज्णे दिलवा दे ते उन्हे सड़क के खोले जाने पर एतराज़ नहीं हैं | वनही दूसरे ज्यादा उग्र गुट ने कहा की सुरक्षा के वादे के बाद अगर कोई वारदात प्रदर्शन करियों के साथ हो -----तो बीट पुलिस सिपाही से लेकर कमिश्नर को निलंबित किया जाये ! अब ऐसी गारंटी तो श्रीमति इन्दिरा गांधी या राजीव गांधी को भी नहीं थी ! इस मांग का कारण का आधार भी ही --जिस प्रकार प्रदर्शनकारियो पर गोली चलये जाने दो वारदात हुई उनसे पुलिस की :::निष्ठा और तत्परता पर तो बहुत बड़ा स्वलया निशान लग गया हैं | शायद यही कारण हो सकता हैं की कोई महिला प्रदर्शनकारियो का मनोबल तोड़ने ले लिए हिंसक वारदात अंजाम दे !अब वार्ताकारों की पाँच बार बैठक प्रदर्शनकारियो के साथ हो चुकी हैं | यह बहुत साफ हैं की अगर ई लोगो ने सुप्रीम कोर्ट की बात नहीं मानी तब ---इन्हे दिल्ली पोलिस की कारवाई का सामना करना पड़ेगा ----जैसा जे एन यू और जामिया में हुआ हैं |

शाहीन बाग आंदोलन का देश और विदेश में प्रभाव :- शाहीन बाग आंदोलन भले ही विकराल नागरिकता कानून के विरोध में शुरू हुआ हो की उनकी संतानों को भांति - भांति के दस्तावेज़ो को प्रस्तुत करने में कितनी कठिनाइया आसाम मे मुसलमानो को हुई --उससे ज्यादा वनहा के भ भोजपुरी भाषी मजदूरो को भी उठाना पड़ा हैं | इसलिए सरकार द्वरा बनये गए ट्राइबुनल द्वरा जिन 14 लाख लोगो को विदेशी घोषित कर दिया गया ---उनमे 9 लाख हिन्दू और 5 लाख मुसलमान हैं !!! राष्ट्रीय रजिस्टर ऑफ सिटीज़न्स जो की सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना था ------विदेशियों को पाहचानने के लिए – उसने मनमाने ढंग से यू पी और बिहार तथा उड़ीसा के मजदूरो को भी डिटेनशान कैंप पनहुंचा दिया |||||| इस परियोजना के समन्वयक प्रतीक हजेला को जिस हड़बड़ी में सरकार ने हटाया ---- और उनके वीरुध 22 पुलिस में प्राथमिकी लिखाई वह कनही ना काही कुछ तो इंगित करती हैं की --------राजनीतिक हरकत को प्रशासनिक जामा पहनाने में "”””नाकामयाबी "”” ही उनके मध्य प्रदेश में तबादले का कारण तो नहीं ????
लेकिन नागरिकता कानून के विरोध में अभी तक सिर्फ काँग्रेस शासित राज्यो की विधान सभाओ ने ही केंद्र के अधिनियम के वीरुध प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति को भेज दिया हैं | परंतु गैर कोङ्ग्रेस्सी दलो ने लोक सभा मोदी सरकार के बिल को पास करने में शिव सेना --- अन्न डीएमके ,उत्तर पूर्व के छ राज्यो के छूट पूट दलो ने भी समर्थन दिया | इनमें अधिक्न्स्तः '’’’इनर लाइन '’’’के प्रविधान से सुरक्शित हैं --क्योंकि इन इलाको में कोई गैर आदिवासी न तो बस सकता है और ना ही व्यापार कर सकता है |
इन संदर्भों में अगर हम नागरिकता संशोधन विधि के विरोध को देखे तो वह सरकार और संसद का फैसला भले ही हो परंतु देश की जनता का फैसला तो नहीं हैं हैं | आखिर भारतीय जनता पार्टी का एनडीए को कूल मतदाताओ का 38 प्रतिशत ही समर्थन दिया था , लोक सभा चुनाव के समय !! उसे अगर बाद में हुए विधान सभा के चुनावो में मोदी सरकार के विरोधियो को मिले मतो से तुलना करेंगे तब -----हम समझ सकते हैं की मोदी का नेशनल डेमोक्रेटिक अल्लाएन्स का राष्ट्र के बहुमत का दावा कितना तथ्य हीन हैं !!!!
फिर संशोधन के बीजेपी समर्थको का बार -बार कहना की संसद से पारित कानून को कैसे मानने स मना कर सकते हैं !! कितना बेमानी लगता हैं ! आज के पूर्व केंद्र सरकार की किसी विधि के विरोध में राज्यो ने एक स्वर में अपनी विधान सभाओ से इस प्रस्ताव को नकार दिया हों !! मुझे तो नहीं स्मरण नहीं आता किनही सुधि जन को मालूम हो तो जरूर बताए !
राज्यो के पुनर्गठन को लेकर आमरण अनशन हुए हैं ------- आंध्र के लिए प्रकाशम और पंजाब के लिए फेरुमान के जवान का अंत हुआ ----तब इन राज्यो का गठन हुआ | शायद सरकारे स्वभाव से ही बहरी होती हैं ---चाहे वे काँग्रेस की हो अथवा बीजेपी की ! इसलिए यह कहना की संसद से पारित कानून को जनता के अथवा कुच्छ लोगो के दबाव में कैसे वापस लिया जा सकता हैं , कहना बेमानी हैं | क्योंकि जब न्यायिक समीक्षा में किसी विधि को सुप्रीम कोर्ट "”’असंवैधानिक "” बता देती हैं तब सरकारे अदालत के कहे अनुसार चलती हैं |

ट्रम्प मौजूदा सवालो के लिए-मोदी के संकट है या समाधान !
फिलहाल तो जो समाचार पात्रो और विदेशी चैनलो में लिखा और दिखाया जा रहा हैं – वह मोदी जी के लिए सहायता तो नहीं हो सकती , क्योंकि ट्रम्प साहेब भारत अपनी "”राजनीति "” करने आ रहे हैं | नवंबर में अमेरिका में चुनाव हैं ----और मोदी की तरह डोनाल्ड भी दुबारा चुनाव जितना चाहते हैं | परंतु भारत में तो "”15 लाखा "” का जुमला हो अथवा अच्छे दिन का वादा हो चल जाता हैं | परंतु अम्रीका में लोग चुनावी वादो को याद रखते हैं -----और हिसाब मांगते हैं | टाउन हाल की बैठको में सत्तारूद दल के सांसदो को जवाब देना पड़ता हैं | वनहा राष्ट्रपति को भी रोज - रोज पत्रकारो के सवाल जवाब देने पड़ते हैं \ यभा की तरह नहीं मोदी जी ने कब प्रैस कोन्फ्रेंस की थी किसी को याद नहीं --- ऐसा ही वे गुजरात के मुखय मंत्री रहते हुए भी करते थे ! जिस प्रकार देश में बेरोजगारी और बीजेपी सरकारो द्वरा नागरिक अधिकारो का उल्ल्ङ्घन है वैसा वनहा संभव नहीं | न्यायपालिका जिंदा हैं ---ट्रम्प के अनेक दोस्त जेल भेजे जा चुके हैं , सिर्फ असत्य बोलने पर ! यानहा तो बनरस में निर्माणाधीन पल गिरता हैं ----तब पुलिस को यह नहीं मालूम कहलता की ठेकेदार कौन हैं ?? ऐसा वनहा नहीं चल सकता |
अमेरिका में आप राष्ट्रपति के दोस्त होने के बावजूद सज़ा से नहीं बच सकते --और नाही देश के कानून से भाग सकते हैं ---जैसे माल्या और नीरव मोदी तथा अनय धन पति देश के बैंको का पैसा लूट कर विदेश जा बैठे हैं | और उनको वापस लाने की "”””ईमानदार सरकारी कोशिस भी नहीं हो रही हैं "” |
अब अगर प्रवासी अमेरिकन भारतीयो को प्रभावित करने के लिए शाहीन बाग --या नागरिकता संशोधन कानून { जिसको लेकर वनहा लाखो भारतीय परेशान हैं वे ग्रीन कार्ड नहीं पा सक रहे हैं }}} जैसे मामलो पर बात हुई तो नरेंद्र मोदी जी --- देश की जनता की तरह ट्रम्प को बहला नहीं सकेंगे | मजबूरी में ट्रम्प जिस प्रकार की भी व्यापारिक संधि चाहेंगे नरेंद्र मोदी जी को मंजूर करने होगी | इस प्रकार ट्रामप समस्या का समाधान नहीं मोदी के लिए संकट ही बन जाएंगे -----भगवती करे ऐसा ना हो यही प्रार्थना हैं |





















नागरिकता - धर्म और मोदी सरकार पर विश्व की नज़र !

डेढ दिन का ट्रम्प का दौरा मोदी सरकार के हिन्दुत्व के एजेंडे पर चोट या सुलह ?


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 24 फरवरी के मध्यानह से 25 फरवरी की मध्य रात्रि के दौरे को ---ना तो पारंपरिक रूप या कूटनीतिक मर्यादा के अनुरूप राष्ट्राध्यक्ष का सरकारी दौरा कहा जा सकता है ना ही इसे उनकी निजी यात्रा काही जा सकती हैं ! अहमदाबाद में उन्की अगवानी सिर्फ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे , क्योंकि किसी भी मुख्य मंत्री को ट्रम्प के नजदीक जाने का "””मौका "” आधिकारिक रूप से नहीं दिया गया हैं !! फिल वक़्त तक भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय अतिथि के लिए "”किसी भी मिनिस्टर इन वेटिंग "” तथा अम्रीका की प्रथम लेडी के लिए भी यह प्रोटोकाल नहीं निभाया गया हैं ! मेलानिया ट्रम्प दिल्ली सरकार के स्कूल मे एक घंटे छात्र -छात्राओ के साथ गुजारेगी पर उनका स्वागत शायद वनहा के प्रिंसिपल ही करेंगे !!! क्योंकि भारत सरकार की सूचना के अनुसार -गुजरात - उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्रियों को दूर रहने की ही अलिखित सलाह हैं !! आखिर ऐसा क्यो आज़ाद भारत के इतिहास में शायद यह पहली बार हो रहा हैं !
शायद इसका कारण प्रधान मंत्री का फोटो में "”एकल "” प्रभाव की ज़िद ही है |कैमरे के प्रति अति संवेदन शील मोदी जी को अनेकों बार डेकाह गया है की वे जनहा तक हो सकता हैं --फोटो साझा नहीं करते | सारा श्रेय स्वयं ही चाहते हैं | खैर ट्रम्प उनके बेहतर मित्र हैं ---ऐसा ट्रम्प और नरेंद्र मोदी दोनों ही ही दावा करते है | इसलिए जो भी बदोबस्त हुआ /हो रहा हैं सहमति से हुआ हो होगा |
परंतु मुलाक़ात में जिन विषयो पर चर्चा का संकेत व्हाइट हाउस के सूत्रो से मिलता हैं , वे निश्चित ही मोदी जी के लिए "”तकलिफ़देह होंगे " ! छपी हुई खबरों के अनुसार नागरिकत संशोधन कानून के वीरुध देखि के शाहीन बाग में चल रहे महिलाओ के धरणे को सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त दो वार्ताकारों ने ने शिवरात्रि के दिन कुछ घंटो के लिए धरना स्थल की बगल की सड़क से ट्रैफिक की आवाजही की इजाजज्त पुलिस ने दी | वार्ताकारों ने भी पुलिस से इस बारे में पूच्छा की सड़क को किसने कहने पर खोल गया फिर बंद क्यो किया गया ? इस घटना से वनहा बैठे प्रदर्शनकारियो में --- दो राय हो गयी | एका वर्ग का कहना था की सुरक्षा की गारंटी यदि सुप्रीम कोर्ट खोले ज्णे दिलवा दे ते उन्हे सड़क के खोले जाने पर एतराज़ नहीं हैं | वनही दूसरे ज्यादा उग्र गुट ने कहा की सुरक्षा के वादे के बाद अगर कोई वारदात प्रदर्शन करियों के साथ हो -----तो बीट पुलिस सिपाही से लेकर कमिश्नर को निलंबित किया जाये ! अब ऐसी गारंटी तो श्रीमति इन्दिरा गांधी या राजीव गांधी को भी नहीं थी ! इस मांग का कारण का आधार भी ही --जिस प्रकार प्रदर्शनकारियो पर गोली चलये जाने दो वारदात हुई उनसे पुलिस की :::निष्ठा और तत्परता पर तो बहुत बड़ा स्वलया निशान लग गया हैं | शायद यही कारण हो सकता हैं की कोई महिला प्रदर्शनकारियो का मनोबल तोड़ने ले लिए हिंसक वारदात अंजाम दे !अब वार्ताकारों की पाँच बार बैठक प्रदर्शनकारियो के साथ हो चुकी हैं | यह बहुत साफ हैं की अगर ई लोगो ने सुप्रीम कोर्ट की बात नहीं मानी तब ---इन्हे दिल्ली पोलिस की कारवाई का सामना करना पड़ेगा ----जैसा जे एन यू और जामिया में हुआ हैं |

शाहीन बाग आंदोलन का देश और विदेश में प्रभाव :- शाहीन बाग आंदोलन भले ही विकराल नागरिकता कानून के विरोध में शुरू हुआ हो की उनकी संतानों को भांति - भांति के दस्तावेज़ो को प्रस्तुत करने में कितनी कठिनाइया आसाम मे मुसलमानो को हुई --उससे ज्यादा वनहा के भ भोजपुरी भाषी मजदूरो को भी उठाना पड़ा हैं | इसलिए सरकार द्वरा बनये गए ट्राइबुनल द्वरा जिन 14 लाख लोगो को विदेशी घोषित कर दिया गया ---उनमे 9 लाख हिन्दू और 5 लाख मुसलमान हैं !!! राष्ट्रीय रजिस्टर ऑफ सिटीज़न्स जो की सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना था ------विदेशियों को पाहचानने के लिए – उसने मनमाने ढंग से यू पी और बिहार तथा उड़ीसा के मजदूरो को भी डिटेनशान कैंप पनहुंचा दिया |||||| इस परियोजना के समन्वयक प्रतीक हजेला को जिस हड़बड़ी में सरकार ने हटाया ---- और उनके वीरुध 22 पुलिस में प्राथमिकी लिखाई वह कनही ना काही कुछ तो इंगित करती हैं की --------राजनीतिक हरकत को प्रशासनिक जामा पहनाने में "”””नाकामयाबी "”” ही उनके मध्य प्रदेश में तबादले का कारण तो नहीं ????
लेकिन नागरिकता कानून के विरोध में अभी तक सिर्फ काँग्रेस शासित राज्यो की विधान सभाओ ने ही केंद्र के अधिनियम के वीरुध प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति को भेज दिया हैं | परंतु गैर कोङ्ग्रेस्सी दलो ने लोक सभा मोदी सरकार के बिल को पास करने में शिव सेना --- अन्न डीएमके ,उत्तर पूर्व के छ राज्यो के छूट पूट दलो ने भी समर्थन दिया | इनमें अधिक्न्स्तः '’’’इनर लाइन '’’’के प्रविधान से सुरक्शित हैं --क्योंकि इन इलाको में कोई गैर आदिवासी न तो बस सकता है और ना ही व्यापार कर सकता है |
इन संदर्भों में अगर हम नागरिकता संशोधन विधि के विरोध को देखे तो वह सरकार और संसद का फैसला भले ही हो परंतु देश की जनता का फैसला तो नहीं हैं हैं | आखिर भारतीय जनता पार्टी का एनडीए को कूल मतदाताओ का 38 प्रतिशत ही समर्थन दिया था , लोक सभा चुनाव के समय !! उसे अगर बाद में हुए विधान सभा के चुनावो में मोदी सरकार के विरोधियो को मिले मतो से तुलना करेंगे तब -----हम समझ सकते हैं की मोदी का नेशनल डेमोक्रेटिक अल्लाएन्स का राष्ट्र के बहुमत का दावा कितना तथ्य हीन हैं !!!!
फिर संशोधन के बीजेपी समर्थको का बार -बार कहना की संसद से पारित कानून को कैसे मानने स मना कर सकते हैं !! कितना बेमानी लगता हैं ! आज के पूर्व केंद्र सरकार की किसी विधि के विरोध में राज्यो ने एक स्वर में अपनी विधान सभाओ से इस प्रस्ताव को नकार दिया हों !! मुझे तो नहीं स्मरण नहीं आता किनही सुधि जन को मालूम हो तो जरूर बताए !
राज्यो के पुनर्गठन को लेकर आमरण अनशन हुए हैं ------- आंध्र के लिए प्रकाशम और पंजाब के लिए फेरुमान के जवान का अंत हुआ ----तब इन राज्यो का गठन हुआ | शायद सरकारे स्वभाव से ही बहरी होती हैं ---चाहे वे काँग्रेस की हो अथवा बीजेपी की ! इसलिए यह कहना की संसद से पारित कानून को जनता के अथवा कुच्छ लोगो के दबाव में कैसे वापस लिया जा सकता हैं , कहना बेमानी हैं | क्योंकि जब न्यायिक समीक्षा में किसी विधि को सुप्रीम कोर्ट "”’असंवैधानिक "” बता देती हैं तब सरकारे अदालत के कहे अनुसार चलती हैं |

ट्रम्प मौजूदा सवालो के लिए-मोदी के संकट है या समाधान !
फिलहाल तो जो समाचार पात्रो और विदेशी चैनलो में लिखा और दिखाया जा रहा हैं – वह मोदी जी के लिए सहायता तो नहीं हो सकती , क्योंकि ट्रम्प साहेब भारत अपनी "”राजनीति "” करने आ रहे हैं | नवंबर में अमेरिका में चुनाव हैं ----और मोदी की तरह डोनाल्ड भी दुबारा चुनाव जितना चाहते हैं | परंतु भारत में तो "”15 लाखा "” का जुमला हो अथवा अच्छे दिन का वादा हो चल जाता हैं | परंतु अम्रीका में लोग चुनावी वादो को याद रखते हैं -----और हिसाब मांगते हैं | टाउन हाल की बैठको में सत्तारूद दल के सांसदो को जवाब देना पड़ता हैं | वनहा राष्ट्रपति को भी रोज - रोज पत्रकारो के सवाल जवाब देने पड़ते हैं \ यभा की तरह नहीं मोदी जी ने कब प्रैस कोन्फ्रेंस की थी किसी को याद नहीं --- ऐसा ही वे गुजरात के मुखय मंत्री रहते हुए भी करते थे ! जिस प्रकार देश में बेरोजगारी और बीजेपी सरकारो द्वरा नागरिक अधिकारो का उल्ल्ङ्घन है वैसा वनहा संभव नहीं | न्यायपालिका जिंदा हैं ---ट्रम्प के अनेक दोस्त जेल भेजे जा चुके हैं , सिर्फ असत्य बोलने पर ! यानहा तो बनरस में निर्माणाधीन पल गिरता हैं ----तब पुलिस को यह नहीं मालूम कहलता की ठेकेदार कौन हैं ?? ऐसा वनहा नहीं चल सकता |
अमेरिका में आप राष्ट्रपति के दोस्त होने के बावजूद सज़ा से नहीं बच सकते --और नाही देश के कानून से भाग सकते हैं ---जैसे माल्या और नीरव मोदी तथा अनय धन पति देश के बैंको का पैसा लूट कर विदेश जा बैठे हैं | और उनको वापस लाने की "”””ईमानदार सरकारी कोशिस भी नहीं हो रही हैं "” |
अब अगर प्रवासी अमेरिकन भारतीयो को प्रभावित करने के लिए शाहीन बाग --या नागरिकता संशोधन कानून { जिसको लेकर वनहा लाखो भारतीय परेशान हैं वे ग्रीन कार्ड नहीं पा सक रहे हैं }}} जैसे मामलो पर बात हुई तो नरेंद्र मोदी जी --- देश की जनता की तरह ट्रम्प को बहला नहीं सकेंगे | मजबूरी में ट्रम्प जिस प्रकार की भी व्यापारिक संधि चाहेंगे नरेंद्र मोदी जी को मंजूर करने होगी | इस प्रकार ट्रामप समस्या का समाधान नहीं मोदी के लिए संकट ही बन जाएंगे -----भगवती करे ऐसा ना हो यही प्रार्थना हैं |