चुनाव प्रचार --शिवराज ने मंदिर -मोदी से किया किनारा
सावन की शुरुआत से विधान सभा चुनाव का शखनाद करके मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने , यह साबित कर दिया की वे अटल और आडवाणी को अपना नेता मानते हैं परंतु नरेंद्र मोदी के लिए ''उस धरातल पर ''' स्थान नहीं हैं | इतना ही नहीं प्रचार के लिए मुद्दे का चयन करते हुए उन्होने मंदिर ऐसे विवादास्पद मुद्दे से अपने को दूर रखा |उनके इस फैसले को पार्टी मे भले ही कुछ लोग ''ना'''' पचा पा रहे हों , परंतु इस फैसले से कट्टर ''हिंदुवाद ''' के विरोधी मतदाता शिवराज की ओर खिसक जाएंगे |
हालांकि चुनाव प्रचार के लिए तैयार पोस्टर मे तो ''नमो '' नहीं हैं परंतु क्या मंदिर का मुद्दा जो संघ के ह्रदय के काफी करीब हैं , उस से देश और प्रदेश के आने वाले नेता अपने को कब तक रोक पाएंगे ? लेकिन इस पहल से यह तो शिवराज और नरेंद्र तोमर की जोड़ी ने साबित कर दिया की वे भी अपनी ओर से फैसले कर सकते हैं | अभी तक भारतीय जनता पार्टी मे शिवराज सिंह को टेकेन फार ग्रानटेड मान कर फैसले लिए जाते थे | परंतु पहली बार अपनी पसंद को सार्वजनिक तौर पर अमली जामा पहना कर शिवराज ने अपनी खुद मुख़तारी ज़ाहिर कर दी हैं | इस से यह भी साबित हुआ की प्रदेश स्तर पर पार्टी का नेत्रत्व हिंदुवाद की कड़ी खुराक देने के पछ मे नहीं हैं | इस से यह भी स्पष्ट होता हैं की पार्टी को वे उदारवादी छवि का जामा पहनाने के हामी हैं | जो प्रदेश के राजनीतिक माहौल के लिए सुखकर संकेत हैं |
सावन की शुरुआत से विधान सभा चुनाव का शखनाद करके मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने , यह साबित कर दिया की वे अटल और आडवाणी को अपना नेता मानते हैं परंतु नरेंद्र मोदी के लिए ''उस धरातल पर ''' स्थान नहीं हैं | इतना ही नहीं प्रचार के लिए मुद्दे का चयन करते हुए उन्होने मंदिर ऐसे विवादास्पद मुद्दे से अपने को दूर रखा |उनके इस फैसले को पार्टी मे भले ही कुछ लोग ''ना'''' पचा पा रहे हों , परंतु इस फैसले से कट्टर ''हिंदुवाद ''' के विरोधी मतदाता शिवराज की ओर खिसक जाएंगे |
हालांकि चुनाव प्रचार के लिए तैयार पोस्टर मे तो ''नमो '' नहीं हैं परंतु क्या मंदिर का मुद्दा जो संघ के ह्रदय के काफी करीब हैं , उस से देश और प्रदेश के आने वाले नेता अपने को कब तक रोक पाएंगे ? लेकिन इस पहल से यह तो शिवराज और नरेंद्र तोमर की जोड़ी ने साबित कर दिया की वे भी अपनी ओर से फैसले कर सकते हैं | अभी तक भारतीय जनता पार्टी मे शिवराज सिंह को टेकेन फार ग्रानटेड मान कर फैसले लिए जाते थे | परंतु पहली बार अपनी पसंद को सार्वजनिक तौर पर अमली जामा पहना कर शिवराज ने अपनी खुद मुख़तारी ज़ाहिर कर दी हैं | इस से यह भी साबित हुआ की प्रदेश स्तर पर पार्टी का नेत्रत्व हिंदुवाद की कड़ी खुराक देने के पछ मे नहीं हैं | इस से यह भी स्पष्ट होता हैं की पार्टी को वे उदारवादी छवि का जामा पहनाने के हामी हैं | जो प्रदेश के राजनीतिक माहौल के लिए सुखकर संकेत हैं |