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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 1, 2020


सुपर रिच टैक्स बनाम कोरोना सैस -नयी श्रम नीति मजदूर विरोधी
केन्द्रीय राजस् घाटे को दूर करने के लिए 50आयकर अफसरो की टीम ने सुपर रिच -यानि की एक करोड़ सालाना से अधिक की आय वालो पर तीस प्रतिशत कर लगाने का सुझाव दिया था | वित्त मंत्रलाय इस टीम के उन अफसरो से इतना नाराज हुआ की पाँच अफसरो को हटा दिया गया |क्योकि इस श्रेणी में वे सभी लोग आ रहे थे , जिनहोने चुनावी बांड खरीदने - और प्रधान मंत्री केयर फंड में करोड़ो रुपये देकर सत्ता की मदद की थी| इस ग्रुप ने आपदा की इस घड़ी में कोरोना सैस लगाने का विरोध किया था | परंतु वित्त मंत्रालय और कहे हुकूमत के पाहुरूओ ने '’’इन कुछ लोगो को बचाने "”””” के लिए इनको सज़ा दी ! क्योंकि इनहोने सत्ता के बगलगीरों को "”तकलीफ "” पाहुचने का सोचा था !! हमारी सरकार ने राजस्व घाटे की पूर्ति के लिए --- विकलप के रूप में आम आदमी -किसान के उपयोग के पेट्रोल और डीजेल पर 5/- और 7/- प्रति लीटर दाम बड़ा दिया ! आज जब दुनिया में तेल के दाम बेहद गिर गए हैं ---तब भी हमारी सरकार अपने नागरिकों को घटी हुई दर का फाइदा पाहुचने के बजाय उल्टे उनसे और अधिक पैसा वसूल रही हैं ! ऐसी जनहितकारी सरकार है हमारी ! अगर सेस्स के दाम के पूर्व पर भी ईंधन की आपूर्ति जारी रहती तब भी सरकारी खजाने को मौजूदा हालत में अरबों का लाभ होता | परंतु हुआ इसके उल्टा -लक डाउन में पीस रही जनता को लाक डाउन से बाहर आने पर किसान और आम जनता को दो पहिया और चार पहिया चलाना और महंगा पड़ेगा ! एक ओर कोरोना के कारण देश परेशान खाने -पीने की दिक्कत के साथ अब उसे अपनी बेल्ट और कासनी होगी | और यह तब होगा की जब करोनो लोगो की नौकरिया खतम हो गयी --जो बचे हैं उनकी वेतन एक तिहाई से आधे किए जा रहे हैं ! यह सही हैं की राजी की सरकारो पर कुछ बोझ बड़ा हैं , परंतु शासन द्वरा दिहाड़ी मजदूरो को मुफ्त राशन देने का और ढिंढोरा पिता गया -जितना समाचार पात्रो में संपर्क करने वाले फोन नंबर दिये गये वे सब एक प्रतिशत भी कारगर नहीं हुए | चैनलो में सुविधाओ का प्रचार और संपर्क करने वाले फोन नंबरो पर अधिकतर व्यस्त मिलते हैं , और घंटी भी बाजी तो की जवाब देने वाला नहीं मिलता | यह खबर तो समाचार पात्रो में छ्पती है की फलां नंबर पर इतनी शिकायते मिली ,जिंका निराकरन किया गया ! पर कितनों का कान्हा पर किया गया यह पुछे जाने पर भी नहीं पता चलता | मुफ्त के राशन वितरण की तो यह हालत हैं की इस आपदा में भी रासहन का दुकानदार वर्क तो रूल किए हुए हैं ! उसे यह नहीं दिखाई पड़ता , और अफसरो को भी रतौंधी {दिन की } हो गयी की वे कम से -कम चिलचिलाती धूप में ब्रामह मुहूरत से राशान पाने का इंतज़ार कर रहे लाइन में लगे लोगो को राशन वितरित करवा दे ! नगर निगम द्वरा घरो में सब्जी पाहुचने का काम सिर्फ मूलती स्टोरी में रहने वालो को नसीब हुआ हैं | क्योंकि माध्यम वर्ग की बस्तियो में यह सुविधा नहीं पहुँच पायी | शायाद की वे लोग इतनी मंहगी सब्जी खरीदने की हैसियत नहीं रखते !
- नयी श्रम नीति और निवेशको को सुविधा :- मजदूर दिवस पर पर एक क्रूर मज़ाक सरकारे कर रही हैं की वे -तेरा और मेरा कह कर अपने राज्य के मजदूरो को तो लाने का प्रयास कर रही हैं , पर अपने राज्य में आए प्रवासी मज़दूरोको अपने राज्य की सीमा तक छोडने का काम भिनही कर रही हैं | अरे जब बस भेज रहे हो तो खाली क्यो भजो , उनमे सीमावर्ती राज्यो के मजदूरो को बैठा कर भेज दो | अगर सभी राज्य ऐसा करे तो कम से कम "” महंगा डीजल "” का सदुपयोग हो सकेगा | पर अफसरो को तो वही करना हैं जो उन्हे भला लगे !
खैर इस लाक डाउन से से ग्रामीण मजदूरो को यह एहसास तो हो गया की गाव -घर की रूखी -सुखी खा कर जो संतोष और इज्ज़त है हैं , वह दस गुना दस के कमरो में 6 से 8 लोगो के साथ कीड़े -मकोड़ो की भांति रहने से अच्छा हैं | यद्यपि यह चालीस डीनो तक बिना -काम -और वेतन के घर में बंद रहने का इमोसनाल भाव हो , जब पेट के लिए रोटी अगर गाव में नहीं मिले तब शायद वे भी पुराने धारी पर लौट आए | पर अबकी मजदूरो को शहर ले जाने वाले ठेकेदारो को दिक्कत तो बहुत आएगी | क्योंकि उन्होने इस विपदा में अपना मुंह तक नहीं दिखाया था | प्रति मजदूर कमिसन खाने वाली इस प्रजाति को कनही गावों में हिनशा का शिकार ना होना पड़े , इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता |
49 करोड़ मजदूरो में मुश्किल से 2 करोड़ लोग ही संगठित छेत्रों में हैं , जो श्रम कानूनों को जानते है और उसके लिए लड़ाई भी लड़ते हैं | पर जो संशोधन केंद्र और बीजेपी की राज्य सरकरे उद्योग और व्यापार को बड़वा देने के लिए कदम उठाने जा रही है -----वह श्रम कानून के पहले कदम को ही खतम करने का हैं |
अमेरिका में उन्नीसवी सदी में एक कानून बना था की कोई भी मालिक अपने मजदूरो से 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं ले सकता | पर इक्कीसवी सदी में अनेक बहू राष्ट्रीय कंपनियो ने इस कानून का तोड़ निकाल लिया | और अब दिल्ली सरकार और राज्य सरकरे दुकानों और फक्ट्रियो में अब एक पाली 12 घंटे की होगी | यानि सुबह 6 बजे से से शाम 6 बजे तक !! यानि अब 8 घंटे काम करने का हक़ या अधिकार सिर्फ सरकारी अधिकारी को होगा ! मोदी सरकार का निवेशको को लुभाने के लिए मुफ्त जमीन और चीप लेबर देने की योजना बनाई हैं | अब इससे यह तो साफ हैं की की विदेशी सेठ और बहू राष्ट्रीय कंपनी तो मुनाफा कमाएँगी | जैसा की अभी तक वे चीन में कर रही थी | आज चीन का साम्यवादी शासन उन्हे रोकने में असमर्थ हैं , परंतु भारत जरुर सरकार की इस उदयागो की लिप्सा जरूर 49 करोड़ मजदूरो को फिरा एक बार गुलामी की जंजीरे पहना देगा | इसीलिए श्रम कानूनों में रद्दो - बदल की जा रही हैं | इससे फिरंगी सेठ तो सुखी होंगे पर भारतीय आत्मा फिर क़ैद हो जाएगी | मध्य प्रदेश सरकार ने दुकानों को सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक खोलने का निश्चय किया हैं !! पर सवाल हैं की चालीस डीनो के इस लाक डाउन में लोगो क कमर टूट गयी हैं | सरकार भले ही कहती रहे की मालिको को करामचरियों को निकालना नहीं चाहिए --उनके वेतन में कटौती नहीं करनी चाहिए ! पर जब सरकारे खुद वेतन में कटौती करे रही हो तब यह कैसे चलेगा ? केरल सरकार ने 6 दिन के वेतन की कटौती करने का अध्यादेश पारित कर दिया हैं | मध्य प्रदेश में खदायन्न की खरीद की न्यूनतम कीमत तय हैं | पर अध्यादेश द्वरा अब किसानो से रिलायंस और आई टी सी जैसी कंपनिया भरपूर पैदावार के बाद अन्न संकट कैसे होता हैं यह भी दिखा देंगे | आज गाव के 80 करोड़ किसान और 47 करोड़ मजदूरो को इस वर्ष मई दिवस का यही तोहफा हैं !!!