आखिरकार वित्त मंत्रालय की कुंभकरणी नींद वित्तीय घोटालो से टूटी
कोबरा पोस्ट के खुलासो से यह तथ्य स्पष्ट हो गया हैं की चाहे निजी छेत्र हो अथवा सार्वजनिक सभी बैंक रिजर्व बैंक के चार्टर के उल्लंघन के अपराधी हैं | निहायत शरम की बात हैं की भारत सरकार के ऐसे वित संस्थान काले धन को सफ़ेद करने के गैर कानूनी धंधे मैं जुटे पड़े हैं | इस से भी ज्यादा ताज्जुब की बात यह हैं की रिजर्व बैंक की जान करी मैं सारी बात आने के बाद भी , वह कोई कडा कदम नहीं उठा रहा हैं | सरकार मैं कोई ऐसा घपला हो तो लोग और राजनेता सीधे सरकार और उसके मंत्री से इस्तीफे की मांग करना शुरू कर देते हैं , पर यंहा तो बस आईसीआईसीआई , और आईडीबीआई तथा एचएफ़डीसी एवं एक्सजिम जैसे निजी स्वामित्व वाले बंकों के अलावा सार्वजनिक छेत्रों के दो दर्जन बैंक भी यही गोरख धंधा अपनाए हुए हैं , की काला बाज़ारियो के काले धन को सफ़ेद कैसे किया जाये , यही गुर बताते ग्राहको को बताते हैं | भले इस कारवाई मे उसकी पहचान को छुपाए रखने के रास्ते भी सुझाए जाते हैं | सवाल हैं की क्या रिजर्व बैंक को इस घोटाले के उजागर होने के बाद भी चुप रहना अथवा रस्मी जांच करने का निर्देश देना ही पर्याप्त हैं ? यही काम बीमा कंपनिया भी कर रही हैं | लगता हैं ये सभी वित संस्थान लोक कल्याण से विरत हो कर केवल और केवल धन पतियों के स्वार्थ साधन का तंत्र बनते जा रहे हैं | आज इनके अनुसार आपका पैसा कानूनों या गैर कानूनी तरीके से जमा किया हो , उसकी कोई परवाह नहीं हैं , बस चिंता इतनी हैं की यह पैसा ''आप'' हमारे यंहा जमा कराएं | यह हैं लोक हितकारी नीति इन संस्थानो की | अब शायद सहारा - श्रद्धा और संचयनी जैसी कंपनियो द्वारा लोगो के धन से गुल्छरे उड़ाने का मौका देने की जिम्मेदार अगर कोई हैं तो रिजर्व बैंक हैं |पर कंही से भी यह आवाज नहीं आ रही हैं की रिजर्व बैंक मैं बैठे लोगो से इस बाबत पूछताछ होनी चाहिए ? आखिरकार इन संस्थानो मे करोड़ो भारतवासियों की बचत का धन जमा हैं ,जिसका दुरुपयोग हो रहा हैं |
सूप्रीम कोर्ट द्वारा सहारा ग्रुप को 24000 हज़ार करोड़ रुपये जमा करने के आदेश के बाद देश मे बड़ी - बड़ी कंपनियो द्वारा आम आदमियों की बचत से खिलवाड़ करने और उसे हजम कर जाने के खेल का पिटारा खुल गया | इस फैसले का महत्व यह हैं की गैर बैंकिंग कंपनीयओ द्वारा धन उगाही करने के गैर कानूनी हरकत पर नियंत्रण की शुरुआत हुई हैं | सहारा द्वारा सभी कानूनी हथकंडो को अपनाने के बाद भी सूप्रीम कोर्ट ने फटकार लगते हुए उन्हे सेबी द्वारा दिये गए निर्देशों का मियाद के अंतर्गत सारा धन जमा करने को कहा हैं | अब सहारा ग्रुप ने जनता का ध्यान आकर्षित क रने के लिए सारे देश में एक साथ जन गण मन के राष्ट्र गान को गाने का रेकॉर्ड बना ने का प्रयास ही तो हैं | यद्यपि इस कोशिस का क्या परिणाम होगा , यह तो भविष्य ही बताएगा ?
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक छेत्र के बैंको को निर्देश दिया हैं की वे उन अधिकारियों को कड़े निर्देश दें जिनहोने ग्राहको को भ्रमित किया हैं कोबरा पोस्ट के स्टिंग आपरेसन से हुए खुलासे से पता चलता हैं की |बैंक और बीमा कंपनिया अपने मूल काम से हट कर कलाबजरियों के काले धन को को ''सफेद'' करने मे लगे रहते हैं | मूलतः आम आदमी से जमा लेकर उसे ब्याज देना और उनकी बचत को सुरक्षित रखना , तथा ज़रूरत पड़ने पर निजी काम के लिए अथवा घर बनवाने के लिए उधार देना होता हैं |
ऐसी स्थिति मैं सुलगता सवाल यह हैं की क्या बैंको और गैर बैंकिंग कंपनियो के अवैधानिक कारोबार पर रोक लगाई जाएगी या नहीं ?
कोबरा पोस्ट के खुलासो से यह तथ्य स्पष्ट हो गया हैं की चाहे निजी छेत्र हो अथवा सार्वजनिक सभी बैंक रिजर्व बैंक के चार्टर के उल्लंघन के अपराधी हैं | निहायत शरम की बात हैं की भारत सरकार के ऐसे वित संस्थान काले धन को सफ़ेद करने के गैर कानूनी धंधे मैं जुटे पड़े हैं | इस से भी ज्यादा ताज्जुब की बात यह हैं की रिजर्व बैंक की जान करी मैं सारी बात आने के बाद भी , वह कोई कडा कदम नहीं उठा रहा हैं | सरकार मैं कोई ऐसा घपला हो तो लोग और राजनेता सीधे सरकार और उसके मंत्री से इस्तीफे की मांग करना शुरू कर देते हैं , पर यंहा तो बस आईसीआईसीआई , और आईडीबीआई तथा एचएफ़डीसी एवं एक्सजिम जैसे निजी स्वामित्व वाले बंकों के अलावा सार्वजनिक छेत्रों के दो दर्जन बैंक भी यही गोरख धंधा अपनाए हुए हैं , की काला बाज़ारियो के काले धन को सफ़ेद कैसे किया जाये , यही गुर बताते ग्राहको को बताते हैं | भले इस कारवाई मे उसकी पहचान को छुपाए रखने के रास्ते भी सुझाए जाते हैं | सवाल हैं की क्या रिजर्व बैंक को इस घोटाले के उजागर होने के बाद भी चुप रहना अथवा रस्मी जांच करने का निर्देश देना ही पर्याप्त हैं ? यही काम बीमा कंपनिया भी कर रही हैं | लगता हैं ये सभी वित संस्थान लोक कल्याण से विरत हो कर केवल और केवल धन पतियों के स्वार्थ साधन का तंत्र बनते जा रहे हैं | आज इनके अनुसार आपका पैसा कानूनों या गैर कानूनी तरीके से जमा किया हो , उसकी कोई परवाह नहीं हैं , बस चिंता इतनी हैं की यह पैसा ''आप'' हमारे यंहा जमा कराएं | यह हैं लोक हितकारी नीति इन संस्थानो की | अब शायद सहारा - श्रद्धा और संचयनी जैसी कंपनियो द्वारा लोगो के धन से गुल्छरे उड़ाने का मौका देने की जिम्मेदार अगर कोई हैं तो रिजर्व बैंक हैं |पर कंही से भी यह आवाज नहीं आ रही हैं की रिजर्व बैंक मैं बैठे लोगो से इस बाबत पूछताछ होनी चाहिए ? आखिरकार इन संस्थानो मे करोड़ो भारतवासियों की बचत का धन जमा हैं ,जिसका दुरुपयोग हो रहा हैं |
सूप्रीम कोर्ट द्वारा सहारा ग्रुप को 24000 हज़ार करोड़ रुपये जमा करने के आदेश के बाद देश मे बड़ी - बड़ी कंपनियो द्वारा आम आदमियों की बचत से खिलवाड़ करने और उसे हजम कर जाने के खेल का पिटारा खुल गया | इस फैसले का महत्व यह हैं की गैर बैंकिंग कंपनीयओ द्वारा धन उगाही करने के गैर कानूनी हरकत पर नियंत्रण की शुरुआत हुई हैं | सहारा द्वारा सभी कानूनी हथकंडो को अपनाने के बाद भी सूप्रीम कोर्ट ने फटकार लगते हुए उन्हे सेबी द्वारा दिये गए निर्देशों का मियाद के अंतर्गत सारा धन जमा करने को कहा हैं | अब सहारा ग्रुप ने जनता का ध्यान आकर्षित क रने के लिए सारे देश में एक साथ जन गण मन के राष्ट्र गान को गाने का रेकॉर्ड बना ने का प्रयास ही तो हैं | यद्यपि इस कोशिस का क्या परिणाम होगा , यह तो भविष्य ही बताएगा ?
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक छेत्र के बैंको को निर्देश दिया हैं की वे उन अधिकारियों को कड़े निर्देश दें जिनहोने ग्राहको को भ्रमित किया हैं कोबरा पोस्ट के स्टिंग आपरेसन से हुए खुलासे से पता चलता हैं की |बैंक और बीमा कंपनिया अपने मूल काम से हट कर कलाबजरियों के काले धन को को ''सफेद'' करने मे लगे रहते हैं | मूलतः आम आदमी से जमा लेकर उसे ब्याज देना और उनकी बचत को सुरक्षित रखना , तथा ज़रूरत पड़ने पर निजी काम के लिए अथवा घर बनवाने के लिए उधार देना होता हैं |
ऐसी स्थिति मैं सुलगता सवाल यह हैं की क्या बैंको और गैर बैंकिंग कंपनियो के अवैधानिक कारोबार पर रोक लगाई जाएगी या नहीं ?