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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 27, 2016

सरकारी तोता अब पता लगा देता है की कौन किसका पुत्र है ?

सरकारी तोता अब पता लगा देता है की कौन किसका पुत्र है ?

क्रिमिनल ब्यूरो ऑफ इन्वैस्टिगेशन की स्थापना दिल्ली स्पेशल एक्ट के अंतर्गत हुई थी जिसका चार्टर था केंद्र के लिए उन मामलो की "”जांच "”” करना जो उसे सौपे जाये परंतु आम तौर पर इसके हिस्से मे अपराधो की जांच करना आया इसमे आर्थिक मामले खासकर जिनमे बड़े लोगो के नाम हो |

परंतु आजकल सोश्ल मीडिया मे एक प्रायोजित खबर् चल रही है जिसमे समाजवादी नेता मुलायम सिंह और साधना के पुत्र प्रतीक के "”जनक "” का पता लगाने का दावा किया है छपी खबर के अनुसार अपनी जांच के दौरान सी बी आई ने दावा किया है की मुलायम सिंह के पास आने के पहले ही वह चंद्र प्रकाश गुप्ता के बच्चे की माँ बनने वाली थी वही संतान प्रतीक यादव है |


इस टिप्पणी को लिखने का तात्पर्य सिर्फ यही है की क्या यह भी किसी अपराध की जांच का विषय हो सकता है ?? अथवा सरकारी तोते उर्फ सी बी आई को मुलायम और साधना तथा उनके संतान के बारे मे किस अपराध मे ज़रूरत पद गयी थी अथवा इस एजेंसी का "”उपयोग "” इसी प्रकार अपने राजनीतिक विरोधियो को नीचा दिखाने और बदनाम करने के लिए ऐसी जानकारी जुटाई जाती है ? ऐसा इसके चार्टर मे नही है 

Oct 25, 2016

समाजवादी पार्टी और टाटा संस मे विवाद का मूल क्या और कौन ?

समाजवादी पार्टी और टाटा संस मे विवाद का मूल क्या और कौन ?

अक्तूबर के आखिरी सप्ताह के प्रारम्भ से समाजवादी पार्टी मे हो रहे "”गृह युद्ध "” को लेकर मिश्रित प्रतिकृयाए है | जनहा राम मंदिर आंदोलन के समर्थक इसे ''दैवी दंड ''' अथवा '''यादवी संग्राम ''' बता रहे है ,,वही पिछड़े वेर्ग के लोग इसे अपने हितो पर कुठराघात मान रहे है | मुख्य मंत्री अखिलेश सिंह सारे फसाद की जड़ अमर सिंह को मानते है | वही दूसरे राजनीतिक प्रतिद्वंदी इस सारे महाभारत मे किसी "”शकुनि "” को खोज रहे है |
कुछ ऐसा ही घटना क्रम मुंबई के टाटा हाउस मे हुआ जहा टाटा संस के निदेशको की बैठक मे अचानक से सदस्यो ने निर्धारित एजेंडा को स्थगित करते हुए एक लाइन का प्रस्ताव पेश कर दिया | जिसमे सायरस मिस्त्री को के विरुद्ध अविसवास व्यक्त करते हुए उन्हे चेयरमैंन पद से हटाने का "”सर्व सम्मति "”” से प्रस्ताव पारित कर दिया | उसके बाद मिस्त्री न्रे अपना इस्तीफा बोर्ड को सौप दिया | परंतु इस अचानक बदलाव से वे स्वयम भी हतप्रभ थे | क्योंकि उन्हे इस सारी कारवाई की भनक भी नहीं लगी थी |
कुछ ऐसा ही सरप्राइज़ लखनऊ मे भी हुआ था | जब छोटी सी बात पर अखिलेश ने चार मंत्रियो को बरख़ासत कर दिया | यद्यपि वे जानते थे की पार्टी मे अभी भी उनके पिता मुलायम सिंह का ही वर्चस्व है | भले ही विधान मण्डल दल मे उनके समर्थक ज्यादा हों | परंतु अभी भी चुनाव जीतने के लिए"”” साइकिल और नेता जी "”” ज़रूरी है | परंतु जवानी मे जोश ज्यादा और समझ कम का परिणाम था की चाचा शिवपाल से मुठभेड़ हो गयी | भले ही चैनलो के "””महान ज्ञानी राजनीतिक संपादक और विशषज्ञ "” तो पार्टी की टूट की भविष्य वाणी कर रहे थे --जबकि प्रदेश के मिजाज और जातीय समीकरण से लड़े जाने वाले चुनाव के अनुसार --सुलह अनिवार्य थी | क्योंकि अहंकार कितना भी बड़ा हो परंतु सामने खड़ी चुनौती {चुनाव} मे पराजित होने का मतलब वे जानते थे | भावी सरकार उन लोगो के साथ कितना मधुर व्यवहार करेगी ? एवं वही हुआ और अखिलेश का गुस्सा पिता और चाचा को ही शांत करना पड़ेगा | वैसे यह तार्किक बयान है | कोई भविष्यवाणी नहीं |

अब टाटा हाउस की खबरों के अनुसार सायंकाल हुए इस घटना क्रम के बाद अन्तरिम चेयरमैन रत्न टाटा ने सबसे पहले प्रधान मंत्री कार्यालया को इस परिवर्तन की सूचना दी | आम तौर पर ऐसे बदलाव कंपनी का मसला होता है | परंतु कभी - कभी देश के सर्वोच कार्यकारी अधिकारी को भी विश्वास मे लिया जाता है | इस बारे मे दो बाते सामने आ रही है की क्या यह सब हाल ही मे रक्षा सौदे मे बड़े ठेका मिलने के कारण एहतियात के तौर पर सरकार को बताया गाय | दूसरी खबर यह है की सायरस ने पी एम ओ की मंशा का पालन नहीं किया था | जिसके कारण दिदेशक मण्डल के सदस्यो को सरकार की ओर से बता दिया गया था की "” शासन "” नाराज़ है | अब इसका अर्थ व्यावसायिक जगत के लोग अच्छी तरह से समझते है | की पहले आयकर फिर छापा फिर कंपनी ला बोर्ड आदि अनेक सरकारी संस्थाओ का कोप सहना पड़ेगा | इसलिए सभी निदेशको ने एक रॉय से मिस्त्री को हटाने पर सहमति दी| इसीलिए यह सब अचानक हुआ |


फिलहाल शक की सुई एक ही व्यक्ति की ओर उठ रही है जैसे की अमरसिंघ की ओर थी |

Oct 24, 2016

राजनीति और उद्योग के लिए अक्तूबर का काला सोमवार !

राजनीति और उद्योग के लिए अक्तूबर का काला सोमवार !

साल के अक्तूबर का चौथा सोमवार देश के लिए काला अध्याय सा बन गया है | इसकी धुरी तीन शहरो मे थी – लखनऊ - मुंबई और वाराणसी | उत्तर प्रदेश की राजधानी मे सत्तारूद दल -समाजवादी दल मे जिस प्रकार यादवी सघर्ष मे मुलायम सिंह - शिव पाल सिंह और मुख्य मंत्री अखिलेश सिंह के मध्य आरोप - प्रत्यारोप का लेन-देन हुआ उसे कोई भी सम्झौता रफ़फू नहीं कर सकता | सत्ता और संगठन की इस लड़ाई मे अगर किसी की प्रतिस्ठा और सामरथ्य को चुनौती मिली है तो वे है पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह |

दूसरी घटना मुंबई मे देश के सबसे बड़े औद्यगिक घराने "”टाटा "” के प्रधान कार्यकारी सायरस मिस्त्री का इस्तीफा,,तथा रतन टाटा का अन्तरिम अद्यक्ष बनाना | लिखे जाने तक यह नहीं साफ हो सका है की टाटा संस के बोर्ड ने उन्हे हटाया -अथवा उन्होने स्वयं त्यागपत्र दिया | कहा जा रहा है की ब्रिटेन मे जागुआर कंपनी को एक पाउंड मे बेचने के उनके फैसले से निवेशको मे अशंतोष था | यह भी कहा जा रहा है की इस घराने की मशहूर कंपनी टीसीएस मे हुए बदलाव से दूसरी कंपनियो इन्फोसिस का लाभांश मे व्रधी हुई | जबकि टीसी एस का लाभांश कम हुआ | अब कारण का खुलासा दो -चार डीनो मे होने की संभावना है | परंतु टाटा ग्रुप के लिए यह बहुत बड़ा झटका है , क्योंकि यह पहली बार हुआ है की किस ने अपनी आयु पूरी किए बिना विदाई ली| उम्मीद है की शेयर मार्केट मे इसका असर मंगलवार को दिखाई पड सकता है |

तीसरी घटना प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के महोबा और वाराणसी के एक दिनी दौरे से जुड़ी है| जैसा की उम्मीद थी की वे अब चुनावी मोड पर आ गए है | आशाओ के दिये जलाने की एक कोशिस उन्होने फिर की है --यह कह कर की वे उत्तर प्रदेश को "”उत्तम प्रदेश "” बनाने का वादा करते है | हालांकि उन्होने इसके लिए दस वर्ष का समय मांगा ! अब देश मे चुनाव विधान सभा का हो या लोक सभा का --- होता तो वह पाँच वर्ष के लिए ही होता है | याद रखने की बात है की कुछ ऐसा ही वादा उन्होने बिहार के चुनाव मे किया था |
मोदी जी की तर्ज़ पर ही मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने भी नौ साल मे पाँच इन्वेस्टर समिट की है | 23 अक्तूबर को इंदौर मे पाँचवी समिट के समापन के अवसर पर उद्योग पतियों को "”उम्मीद दिलाई "”'की फरवरी 2019 मे छठे निवेशक सम्मेलन की सदारत भी वे ही करेंगे | बस एक ही हक़ीक़त बताना भूल गए की 2018 मे मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव होंगे | अब या तो उन्हे कोई ज्योतिष ने यह भविष्य वाणी की होगी अथवा चुनाव जीतने का कोई गुरु मंत्र उनके पास है | जिसके कारण वे उस समय की भी बात कर गए जिस के बारे मे कुछ कहा जाना अनिश्चित है | परंतु उनके आत्म विश्वास की तो कदर करनी ही होगी |


Oct 20, 2016

शिवराज सरकार को संघ और स्वदेशी मंच ने घेरा

शिवराज सरकार को संघ  और स्वदेशी मंच ने घेरा

सत्तारूद भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच राम की याद मे किए जा रहे प्रयासो को बजरंग दल के नेता विनय कठियार ने पलीता लगा दिया है | केन्द्रीय संसक्राति मंत्री महेश शर्मा द्वरा राम कथा का संग्रहालाय अयोध्या मे बनाने की घोसना की , तब कठियार ने कहा की हमे ये "”झुनझुना '' नहीं मंदिर चाहिए | उधर विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष तोगड़िया ने भी कहा अगर मोदी जी को कुछ करना है तो मंदिर बनवा दे |
जंहा राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी मे ये विवाद चल रहा है ---वनही प्रदेश स्तर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने स्वयं सेवको की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और तथाकथित पिटाई के लिए जिम्मेदारों की गिरफ्तारी के लिए अपने सार्वजनिक रूप से पत्रकार वार्ता कर सरकार को घेरा | वनही चीन के सामानो के विरोध मे इंदौर मे हो रहे ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के बाहर वितता मंत्री जयंत मलाया का पुतला फूंका |
वैसे आम लोग सरकार से संबद्ध इन संगठनो के इस विरोध को भी "””नूरा कुश्ती "” ही करार दे रहे है | सवाल यह है की आखिर यह सब क्यो किया जा रहा है ?

सत्तारूद भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच राम की याद मे किए जा रहे प्रयासो को बजरंग दल के नेता विनय कठियार ने पलीता लगा दिया है | केन्द्रीय संसक्राति मंत्री महेश शर्मा द्वरा राम कथा का संग्रहालाय अयोध्या मे बनाने की घोसना की , तब कठियार ने कहा की हमे ये "”झुनझुना '' नहीं मंदिर चाहिए | उधर विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष तोगड़िया ने भी कहा अगर मोदी जी को कुछ करना है तो मंदिर बनवा दे |
जंहा राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी मे ये विवाद चल रहा है ---वनही प्रदेश स्तर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने स्वयं सेवको की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और तथाकथित पिटाई के लिए जिम्मेदारों की गिरफ्तारी के लिए अपने सार्वजनिक रूप से पत्रकार वार्ता कर सरकार को घेरा | वनही चीन के सामानो के विरोध मे इंदौर मे हो रहे ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के बाहर वितता मंत्री जयंत मलाया का पुतला फूंका |


वैसे आम लोग सरकार से संबद्ध इन संगठनो के इस विरोध को भी "””नूरा कुश्ती "” ही करार दे रहे है | सवाल यह है की आखिर यह सब क्यो किया जा रहा है ?

Oct 17, 2016

राम मन मे है मंदिर होना था पर अब म्यूजियम मे होंगे ?

राम मन मे है मंदिर होना था पर अब म्यूजियम मे होंगे ?

भारतवर्ष मे राम भगवान के अवतार है -करोड़ो लोगो की आस्था है -वे उनके मंदिर है और देश ने एक आंदोलन भी देखा है --- की "”मंदिर यही बनाएँगे का नारा देकर केंद्र मे सरकार बनी "”' और मस्जिद ढहा दी गयी | पर अयोध्या मे राम लला आज भी तिरपाल के नीचे बैठे है | देश से पूर्ण बहुमत की सरकार मांगी थी - --देशवासियों ने वह भी दिया | परंतु उस उद्घोसना के 25वे वर्ष मंदिर नहीं बना | हॉ अब राम आस्था के अवतारी नायक से ऐतिहासिक व्यक्तित्व होंगे |

हॉ केन्द्रीय संसक्रती मंत्री महेश शर्मा जी ने घोसणा की है की अयोध्या मे विवादित स्थान के समीप एक भव्य म्यूज़ियम सरकार बनाएगी ,जिसमे राम के नाम से जुड़ी चीजे - सामग्री रखी जाएगी |प्राप्त सूचना के अनुसार केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिख कर अयोध्या मे 23 एकड़ भूमि आवंटित करने का आग्रह किया है |


इससे यह तो साफ है की मोदी सरकार "”राम संग्रहालय "” के प्रति गंभीर है | परंतु जनता से वादा करके 24 वर्ष बाद भी उसे पूरा न कर पाना --- एक मजबूरी है अथवा तब एक राजनीतिक जुमला था

Oct 13, 2016

सर्जिकल स्ट्राइक -जय श्री राम - चुनावी सर्वे --गज़ब का संयोग !!

सर्जिकल स्ट्राइक -जय श्री राम - चुनावी सर्वे --गज़ब का संयोग !!
आम तौर पर देश के प्रधान मंत्री दशहरे मे दिल्ली की रामलीला मे भाग लेते है पर मोदी जी तो लीक से हट कर चलने वाले नेता है इसलिए उन्होने इस अवसर का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उत्तर प्रदेश की राजधानी को चुना | वैसे लाल किले की रामलीला जनहा अभी तक सभी प्रधान मंत्री ही राम सीता और लक्ष्मण का तिलक करते थे --इस बार यह अवसर काँग्रेस आध्यक्ष सोनिया और राहुल गांधी को मिला |

लखनऊ मे दशहरा की रामलीला मे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भीड़ का जय जय श्री राम कह कर अभिवादन करना ,,एक संकेत तो साफ रूप से देता है की 1991 के आंदोलन के नारे को दुबारा इस्तेमाल किया जाएगा | इसका प्रयोग विधान सभा चुनावो के छह माह पहले से ही प्रारम्भ हो गया | भासण मे मोदी जी ने बड़ी सफाई से युद्ध से बुध और कृष्ण के चक्र से मोहन {महात्मा के लिए प्रयुक्त सम्बोधन } के चरखे की ताकत का भी वर्णन किया | यू तो सभी को अंदाज़ था की मोदी की लखनऊ यात्रा चुनावी रण भेरी बजने के समान ही है | परंतु उनके नारे ने लोगो को थोड़ा विस्मय मे डाला --क्योंकि चुनावी राजनीति मे कोई भी मुद्दा जिसे एक बार भुना लिया गया हो उसको झाड पोंछ कर दुबारा प्रयोग मे लाने की शायद यह पहली घटना हो |

जैसा की संभावना व्यक्त कीजा रही थी की सर्जिकल स्ट्राइक की ''वाह -वाही '' का श्रेय चुनाव मे भुनाने की कोशिस होगी -वह सही निकला | रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने विपक्ष के दावो को नकारते हुए दावा किया की ''संघ के इतिहास मे यह पहला मौका है -जब सरकार ने ऐसा निर्णय लिया ' | जब रक्षा मंत्री का बयान जारी हो रहा था उसी समय हिन्दी और अंग्रेज़ी मे छपने वाली पाक्षिक पत्रिका इंडिया टूड़े और अकसीस के सर्वे ने तस्वीर और इरादे स्पष्ट कर दिया ---जिसकी अनुसार भारतीय जनता पार्टी को 170 से 180 सीट मिलने का दावा किया गया था | 404 सदस्यीय विधान सभा की 403 सीट पर 22231 लोगो से बात की गयी | अब यह नहीं बाते गया की वह कौन सी एक सीट है जिसको सर्वे मे शामिल नहीं किया गया और क्यो परंतु सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तो वे सवाल है जो इन लोगो से पूछे गए | प्रकाशित परिणाम के अनुसार स्ट्राइक को 90% लोगो ने अच्छा बताया परंतु उन्होने दूसरे सवाल के उत्तर मे 79% लोगो ने इस कारवाई के सबूत देश के सामने लाने की बात कही| वनही लोगो ने मुख्य मंत्री के रूप मे 31% ने मायावती को देखने का मत दिया जबकि वर्तमान मुख्य मंत्री अखिलेश को भी 27% लोगो ने पसंद किया |


इन परिणामो से कैसे बीजेपी को 170 से 180 सीट का दावेदार चुनाव के छह माह पहले ही घोसीत कर दिया | कनही ये सर्वे भी बिहार चुनाव के पहले पार्टी के अनुमानो को ध्वस्त ना कर दे

Oct 5, 2016

सर्जिकल स्ट्राइक – सबूत और सवाल तथा --राष्ट्रप्रेम बनाम देशद्रोह

सर्जिकल स्ट्राइक – सबूत और सवाल तथा --राष्ट्रप्रेम बनाम देशद्रोह

भारतीय सेना द्वारा पाक अधिकरत काश्मीर के आतंकी ठिकानो पर 28 सितंबर की रात 1.30 बजे से अलसुबह 4.30 तक आतंकी ठिकानो को "”हमला कर बर्बाद "” करने केउद्देश्य से सरगिकल आपरेशन हुआ | डाइरेक्टर जनरल मिलिट्री आपरेशन लेफ्टिनेंट जेनरल रणबीर सिंह की 29सितंबर को हुई प्रैस कोन्फ़्रेंस मे बताया गया था की इस मुहिम मे 24 पैरा के कमांडो पाकिस्तान की सीमा मे दो से चार किलोमीटर अंदर तक जा कर सात ठिकानो को बर्बाद किया | इस हमले मे दो पाकिस्तानी सैनिको और 35 आतंकियो के मारे जाने का दावा किया गया था | प्रैस कान्फ्रेंस ने किसी को भी सवाल पुछने की इजाजत नहीं थी | क्योंकि मामला देश की सुरक्षा का है -यह कहा गया था

परंतु 29 सितंबर की शाम को ही सयुक्त राष्ट्र संघ के महा सचिव | मून के राजनीतिक सहायक के हवाले से कहा गया की सर्जिकल स्ट्राइक जैसी को घटना नहीं हुई | उसी रात कश्मीर मे भारत पाक सीमा पर तैनात संयुक्त राष्ट्र के चौकसी दस्ते की ओर से भी बयान आया की ऐसी कोई वारदात सीमा पर नहीं हुई है , हा राइफल और मोर्टार से गोलीबारी दोनों ओर से रह -रह कर हुई | इस घटना क्रम के बावजूद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बंगाल - उड़ीसा - बिहार और पंजाब के मुख्य मंत्रियो को स्थिति से अवगत कराया | उन्होने राजनीतिक दलो के नेताओ काँग्रेस के गुलाब नबी आज़ाद और कम्यूनिस्ट पार्टी के सीतरम येचूरी आदि को सरकार की तरफ से स्थिति से अवगत कराया गया |
_शक का कारण ------- 30 सितंबर को देश के सभी समाचार पत्रो मे सेना के विजय अभियान की धूम रही | सत्ता -संगठन से जुड़े लोगो ने तो अभूतपुरवा प्रशान्नता ज़ाहिर की | विपक्ष ने भी सेना के इस करी की और जवानो के साहस और शौरी की तारीफ की | परंतु पाकिस्तान द्वारा महाराष्ट्र के चंडू बाबूलाल चौहान , 37 राष्ट्रीय राइफल के सिपाही को बंदी बनाए जाने की खबर फोटो सहित जारी कर दी | इस खबर को जानकार आरक्षक की नानी की मौत हो गयी | इस घटना के बाद लोगो ने सरकार से सवाल करने शुरू कर दिये | गृह मंत्रालय ने मंजूर किया की सिपाही हमारा है और हम उसे वापस देश मे लाने की कोशिस कर रहे है |

इस घटना के पूर्व सेना द्वारा यह दावा किया गया था की ना तो हमारा कोई सिपाही घायल हुआ ना ही मारा गया - देश के मीडिया घरानो द्वरा मोदी सरकार की सफलता के कसीदे मे यह घटना एक कंकड़ साबित हुआ

देशप्रेम और राष्ट्र की दुहाई ------------ इसके बाद सरकार से सेना की कारवाई का सबूत मांगने की आवाज उठने लगी तब राष्ट्रभक्ति की “”सनद देने वाले स्वयंभू “” नेताओ ने बयान देने वालो को गद्दार और अनेक उपाधियों से अलंकरत किया |
राजनीतिक लाभ तो नहीं इस सारी कारवाई पर संदेह होने का कारण विधान सभा के भावी चुनाव , कहे जा रहे है | क्योंकि दिल्ली मे भारतीय जनता पार्टी की पैदली पराजय --वह भी जब की 2014 के हाल मे हुए चुनावो के महानायक मओडी जी ने स्वय पाँच "”महा रैलि की थी | परंतु परिणाम सभी जानते है की सतार सदस्यो वाली विधान सभ मे मात्र तीन सीट मिली | फिर बिहार के चुनावो मे संगठन - दल और सरकार की ताक़त के साथ गठबंधन बना कर चुनाव लड़ा गया --परिणाम सौ के आंकड़े के नीचे भारतीय जनता पार्टी रही | बंगाल मे हुए चुनावो मे भी शिकष्त खानी पड़ी हालांकि वनहा के चुनावी सेनापति बहुमत का दावा प्रैस के सामने करते रहे | फिर उत्तराखंड का प्रकरण हुआ --जिसमे केंद्र और राज्यपाल की बदौलत रावत सरकार को बर्खास्त किया | जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बहाल करते हुए केंद्र के वीरुध तीखी प्रतिकृया दी |


देशप्रेम का फतवा हक़ीक़त मे सत्या नहीं होता | क्योंकि पहले भी ऐसे वाकये हुए है जब सेना को दुश्मन के इलाके मे जाकर हमला किया | परंतु वह सब "”गोपनीय "”ही रखा गया < तो इस बार क्यो विपरीत हुआ ? दूसरा यह की जब कारवाई सार्वजनिक की है तब आप को सब बताना पड़ेगा | यह कह कर सरकार के नुमाइंदे नहीं बच सकते की की इस से देश की जनता का मनोबल गिरेगा | जब उरी मे सत्रह जवानो को पठानकोट मे ग्यारह जवानो को दुश्मनों के हाथो शहीद होना पड़ा तब तो कुछ भी ऐसा नहीं ह
घटाटोप प्रचार से सत्य को धाकने का एक वाकया याद आता है -----बात केदारनाथ त्रासदी के दौरान की है जब खबर फैली की गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी ने पाँच सौ गुजराती तीर्थ यात्रियो को एयर लिफ्ट कर पंद्रह सौ इनोवा कारो से उबके घरो को भेज दिया गया | अब इस दावे को पहले दिन समाचार पात्रो मे खूब प्रमुखता मिली | तब कुछ लोगो को ध्यान इस बात पर गया की सेना और नागरिक हेलेकोप्टर एक दिन मे तीन सौ से ज्यादा को ही देहारादून लाया जा सकता है | और जिन गुजराती परिवारों को एअर लिफ्ट करने का दावा किया जा रहा है उन्हे कन्हा से और कैसे यह "”” बड़ा काम "”” अंजाम दिया ?? जब इस बात की खोजबीन शुरू हुई ---तब गुजरात सरकार की ओर से कहा गया की हमने कोई विज्ञप्ति नहीं जारी की थी | इस "”घपले के लिए "”” एक विज्ञापन एजन्सि को दोषी बताया गया |


उपरोक्त कारणो से ही सार्वजनिक छेत्र के लोगो को संदेह होता है --और सबूत मांगते है | इस से राष्ट्र के मर्म पर प्रहार नहीं होता --- क्योंकि असत्य मर्म नहीं होता है

Oct 2, 2016

नवरात्रि मे सोलह घंटे देवी की आराधना ?/

     नवरात्रि पर्व पर सोलह घंटे देवी की आराधना का माहौल 

क्या आप विश्वास करेंगे की नवरात्रि को बंगाल के दुर्गा पूजा उत्सव की भांति मनाने की --होड मे प्रदेश मे भी मूर्ति बिठाने की संख्या मे बहुत इजाफा हुआ है | परंतु असल की नक़ल मे अक्सर गलतिया होती ही है | वैसी ही दिखाई पद रही है | बंगाल मे यह समय महालय से प्रारम्भ होता है | और वनहा प्रातः देवी को पुस्पांजली अर्पण के उपरांत प्रसाद वितरित होता है | रात मे आरती के साथ देवी का शयन कराया जाता है | यह परंपरा सदियो से चली आई है | बंगाल मे जिस भव्यता से यह आयोजन किया जाता है ,, उससे प्रभावित होकर उत्तर भारत मे इस का आयोजन होने लगा है | पिछली सदी के अंत तक और 21वी सदी के प्रारम्भ तक दुर्गापूजा शहरो मे "””कालीबाड़ी "” यानि की बांग्लाभाषी लोगो का उत्सव होता था | जिसमे स्थानीय लोग भाग लेते थे | उत्तर भारत के शक्ति उपासको मे नवरात्रि को देवी का आवाहन घट स्थापना से होता है उपरांत चंडी पाठ किया जाता है | घट के समक्ष अखंड दीप जलाया जाता है जो हवन के बाद ही समापन किया जाता है | रात्रि को भक्त परिवार के साथ आरती करके विदा लेते है |

     परंतु अगर आप दुर्गा पंडाल मे काली की मूर्ति देखे तो अचरज मत करिएगा ---क्योंकि आयोजको को पर्व की मूल और मुख्य बात का ज्ञान नहीं होता वे तो भक्ति का गीत बाजा कर और ''जय माता दी '' का जयकारा लगा कर वैष्णव देवी और शक्ति स्वरूपा चंडी का मेल कराते है | यद्यपि यह परंपरा के विप्रोत है ---परंतु आजकल किसे परवाह है परंपरा या करमकांड की | आयोजन स्थलो पर राम और कृष्ण की लीलाओ का चरित्र वर्णन होता है |
वस्तुतः मूर्ति के विधान और पूजा अर्चना को झांकी बिठाने वाले लोग '''भूल ही '''' गए उन्हे पंडाल से बाहर लगे खाने - पीने के स्टाल और गाना बजने मे ज्यादा रुचि हो गयी है | वे नवरात्रि को भी ''पर्व ''' नहीं '''उत्सव'' के रूप मे मनाने लगे है |

हमारे एक मित्र जो शासन मे सचिव स्टार के अधिकारी है और संवेदनशील भी है | उन्होने गणेश चतुर्थी के अवसर पर दक्षिण भारतीय मंदिर और स्थानीय मंदिर के माहौल का वर्णन करते हुए लिखा था की दक्षिण भारतीय मंदिर मे वेद मंत्रोच्चार के साथ पूजा हो रही थी अत्यंत शांत वातावरण था दर्शनार्थी भी प्रभावित होते थे |इसके विपरीत शहर के बड़े मंदिर मे लगे लाउड स्पीकर पर बज रहे अनाम लोगो के गीत आने -जाने वालों को तनाव ज्यादा दे रहे थे – बनिस्बत शांति | उपासना -आराधना भी अब एक व्यापारिक इवैंट बन गयी है | जिस से इस पर्व की गुरु -गंभीरता लाउड स्पीकर के शोर मे खो गयी |






Oct 1, 2016

इन्जिनियरिग के बाद मेडिकल कालेजो मे शिक्षा माफिया का अंत प्रदेश सरकार की स्वर्णिम पहल

इन्जिनियरिग के बाद मेडिकल कालेजो मे शिक्षा माफिया का अंत

प्रदेश सरकार की स्वर्णिम पहल



तीस सितंबर 2016 मध्य प्रदेश के लिए विशेस तौर महत्वपूर्ण दिन साबित हुआ जब प्रदेश के निजी और शासकीय मेडिकल कालेजो मे N.E.E.T. की मेरिट लिस्ट के आधार पर छत्रों की काउन्सलिन्ग पूरी हो गयी | इस एक कदम से प्रदेश के हजारो छात्रो को मेडिकल मे प्रवेश के लिए "”नीलामी "” नहीं लगानी पड़ी | उच्च न्यायालया के आदेश के उपरांत अब यह स्पष्ट हो गया है की एक - एक सीट के लिए बीस से तीस लाख रुपये की उगाही ने अनेक "”योग्य "” छात्रों को निराश तो किया ही था अनेकों ने तो आत्म हत्या तक कर ली थी | फलस्वरूप अमेकों घर सूने हो गए थे |
व्यापम के कलंक से प्रदेश सरकार और शासन का दोष इस एक प्रशासनिक सफलता से काफी हद्द तक धूल सा गया है

सिंहस्थ के आयोजन के लिए तमाम महा मंडलेश्वंरोः और मठाधीशों अखाड़ो के महंतो ने मुख्य मंत्री को आयोजन मे उनके लिए और यात्रियो की सुविधा के लिए किए गए प्रबंधों के लिए उन्हे बहुत -बहुत आशीष प्रदान किया ,| लोकभावना के अनुसार इसके लिए मुख्य मंत्री को "”बहुत पुण्य की प्राप्ति "””'होगी | अब पाप और पुण्य का हिसाब तो धरमराज जाने ---परंतु प्रदेश के सारे निजी और और सरकारी मेडिकल कालेजो मे भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाई गयी अखिल भारतीय एकल प्रतियोगिता {NEET] को ही एकमात्र पथ चुने जाने के लिए लाखो छात्रो और उनके अभिभावकों की आशीष अवश्य मिलेगी | और यह आशीस उनकी राजनीति का फलदायक बनाएगी |

दासियो सालो से जब से इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढाई के लिए निजी छेत्रों को संस्थान खोलने की छूट दी गयी थी | तब यह कल्पना कभी नहीं की गयी थी की इन्हे "””मुनाफे का धंधा "””' बना दिया जाएगा | उम्मीद यह की गयी थी जैसे पराधीन भारत मे बड़े - बड़े धन्ना सेठो ने आम और गरीब हिन्दुस्तानियो के अध्ययन के लिए लगभग हर ज़िलो मे कालेज स्थापित किए | जो आज भी अपने निर्माताओ की दान शीलता के कारण जाने जाते है |
आज के अनेक नेता -मंत्री -अफसर - ऐसे ही संस्थानो से पद कर निकले है | 1977 के उपरांत अनेक प्रदेशों मे राज नेताओ ने चुनाव मे पराजित होने के बाद भी समाज मे अपनी "”उपयोगिता "” बनाए रखने के लिए शिक्षा के छेत्र मे कदम रक्खा | परंतु यह किसी "”सद्कार्य "” का श्री गणेश नहीं था ----वरन यह एक सेवा को व्यापार बनाने का काम था | दक्षिण के अनेक राज्यो मे तो इन पराजित पुरोधाओ ने अकादमिक - और मेडिकल के अलावा नर्सिंग तथा बी एड और अनेक पाठ्यक्रम के लिए संस्थान खोल दिये | मज़े की बात यह है की इन सभी संस्थाओ के मालिक - मुख्तार एक ही परिवार के सदस्य होते है | जो इन संस्थानो को "””अपनी जागीर "”” समझ कर इनका दोहन करना ही अपना परम कर्तव्य समझते है |

विगत चालीस सालो से चल रहे इस "”व्यापार"” का भंडाफोड़ तब हुआ जब चेन्नई के एक निजी मेडिकल कालेज के अधिकारी का आडियो रेकॉर्ड किया गया था जिसमे MBBS मे दाखिले के लिए भाव - ताव कर रहे थे | उसकी जांच मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से कराई गयी | उस सनस्थान के विरुद्ध कारवाई की मांग जनता और मीडिया द्वारा की गयी थी | परंतु काउंसिल ने मात्र संबन्धित अधिकारी के विरुद्ध ही कारवाई की अनुषंशा की | पुलिस प्रशासन ने भी मामला दर्ज़ कर उसे ठंडे बस्ते मे डाल दिया |

सूचना के अधिकार के आने के बाद जब इन '' निजी कालेजो "””” भर्ती के बारे जब - जब प्रश्न किए गए | तब तब यही उत्तर शासन की ओर से आया की ये निजी संस्थाए है-- अतः ये इस कानून के अधीन नहीं है | बात ठीक थी ,परंतु सभी प्र्देशों मे चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास सभी मेडिकल कालेगो की नकेल रहती है , यदि वे ईमानदारी और पारदर्शिता बरतते तब व्यापम ऐसा घोटाला संभव नहीं होता | क्योंकि इन निजी मेडिकल कालेजो के "”कर्ता- धरताओ"”” ने चपरासी से लेकर अफसर तथा मंत्रियो ---विधायक और सांसदो तक को इस '''गंदे खेल '''' मे उलझा दिया | फिर एक बार जब गला तर और ज़ेब भारी हो गयी तब साहस भी दुस्साहस मे बदल गया | फिर तो कहने --सुनने और लिखने का कोई असर नहीं रहा | आंखो का पानी मर गया | बाजरवाद की आँधी मे "””सब कुछ संभव "””” कर दिया गया | बस मोल ठीक होना चाहिए था | इस सबका परिणाम यह हुआ की किसान की ज़मीन बिकने लगी माँ -बहनो के जेवर गिरवी रखे जाने लगे | परंतु शिक्षा को व्यापार बनाने वाले लोगो का संगठन ---एक “”गिरोह””” के रूप मे काम करने लगा | इसी कारण "”सुप्रीम कोर्ट "””ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के लिए लिखा की "”वे अपने दायित्वों के निर्वहन मे बुरी तरह फेल हुए "”””| सच है एमसीआई की जांच "”” सरकारी मेडिकल कालेज की कमिया उजगार करना और निजी मेडिकल कालेजो को ओके करना रह गया | भले ही निजी मेडिकल कालेजो मे "”” मरीज और डाक्टर तक फर्जी रूप से एमसीआई की जांच के समय प्रस्तुत कर दिये जाते है | वनही सरकारी मेडिकल कालेजो मे रोगियो की भरमार और डाक्टरों की आनुपातिक कमी से सुविधाए भी बिखर जाती है | इस प्रकार वास्तविकता और प्रहसन के मंच को एक तराजू से तौल दिया जाता था |

इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की "”” शिक्षा के छेत्र को व्यापार बनाने नहीं दिया जा सकता | जो बिना --लाभ हानि के इन संस्थाओ को चला सकते है ,, वे ही इस छेत्र मे आए ना की लाभ कमाने के उद्देश्य से "” सर्वोच्च न्यायालय के "”” इस कथन से अदालत की मंशा स्पष्ट हो जाती है