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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 18, 2013

इस्लामिक कट्टर वादियो का कहर अब मिश्र पर

 इस्लामिक  कट्टर वादियो का कहर  अब मिश्र पर 
                                                                       अल्जीरिया  से शुरू हुए मुस्लिम ब्रदरहूड़  के राजनीतिक मुहिम के कारण उनके द्वारा  चुनाव जीतने के बाद  देश को इस्लामिक राज्य बनाने की उनकी कोशिसों को  वंहा की सेना और बुद्धिजीवियों  ने उनका तख़्ता पलट दिया और और एक गैर इस्लामी राज्य तंत्र की स्थापना की | इसी कट्टरवाद का नतीजा पहले साइप्रस  मे परणाम दिखा चुका था , इनहि तत्वो के कारण उस देश का विभाजन हो गया और वंहा की अर्थ व्यसथा  चौपट हो गयी | क्रिश्चियन  और मुस्लिमो मे यह पहली मुठभेड़ थी | कुछ यही कारण थे जिनके वजह से पूरब का  लॉस वेगास कहे जाने वाले बेरूत  को बम धमाको ने हिला कर रख दिया | आज लगभग पचास साल बाद भी लेबनान  गृहयुध  मे झुलस रहा हैं | फिर आय सुडान जंहा दो मुस्लिम जातियो मे ही इस्लाम की परिभाषा पर हुए विवाद ने कट्टर पंथियो को  संघर्ष  की ओर धकेल दिया | अल्पमत  मे होने के बावजूद  वे एक जाती का पल्ला पकड़ने मे सफल हुए | परंतु इस हथियारो की लड़ाई का फल सुडान के विभाजन के रूप मे सामने आया |
                                                                                        युगोस्लाविया  के मुस्लिम बहुल और ईसाई  बहुल छेत्रों मे   विकास मे उनदेखी और भेदभाव  की शिकायत को लेकर जो संघर्ष  शुरू हुआ वह  दुनिया के अनेक देशो के लिए चिंता का विषय बन गया | देश के इस आंतरिक संघर्ष  को ईसाई  बनाम इस्लाम का रूप दे दिया गया | एक ओर अमेरिका जैसे राष्ट्रओ ने वंहा शांति की अपील की वंही लड़ाको  को हथियार की सप्लाइ को लेकर अरब मुल्को पर शक की उंगलिया  उठने लगी | बीच - बचाव से युद्ध तो शांत हुआ परंतु देश के तीन टुकड़े हो गए युगोस्लाविया  का नामो -निशान मिट गया , मार्शल  टीटो की विरासत समाप्त हो गयी | इस लड़ाई को लेकर अनेक इस्लामिक  आतंक वादियो ने ईसाई  मुल्को खासकर अमेरिका  को  निशाना  बनाया और वंहा  ""धमाके "" भी किए | उनकी शिकायत थी  की मुसलमानो का कत्ले -आम के जिम्मेदार यही ईसाई मुल्क हैं |

             ईसाई और इस्लाम के झगड़े के बाद इराक मे  शिया - सुन्नी मे हिंसक झड़पे शुरू हो गयी जो आज तक़ भी जारी हैं ,  रमज़ान के माह मे मस्जिद मे नमाज़ अदा कर रहे लोगो को  गोलियो का निशाना बनाया गया | इन हमलो मे सैकड़ो जाने गयी | शिया बहुल ईरान मे सुन्नियों को यह शिकायत हैं की उनके साथ भेदभाव किया जाता हैं | गाहे - बगाहे  वंहा भी बमो के धमाको की आवाज सुनाई  पड जाती हैं |

                                         सबसे ज्यादा खराब हालात  तो पाकिस्तान मे हैं , जंहा  न केवल शिया  वरन अहमदिया और खोजा मुस्लिम भी  सुन्नी  दहशत गर्दो के निशाने पर रहते हैं |  अमूमन  हर हफ्ते पख्तूनिस्तान - बलूचिस्तान मे शिया या अहमदिया  लोगो पर गोलाबारी  अथवा बम के धमाके होते रहते हैं | इतना ही नहीं चूंकि यह इलाका इस्लामिक  आतंकवादियो का ठिकाना बना हुआ हैं , और वे अक्सर पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान मे घुसपैठ कर के वंहा भी अफरा -तफरी मचा देते हैं | लाशकरे -तोईबा का सरगना  ओसामा बिन लादेन भी यानही रहता था | जिसे अमेरिका के फौजी जवानो ने मार डाला था | जिसके बाद से उसके संगठन ने अमेरिका को धम्की दी हैः की वे उसके ''नागरिकों और  सैन्य  ठिकानो पर हमला कर के नेस्तनाबूद कर देंगे | इन इस्लामिक कट्टर वादियो पर न तो पाकिस्तान की हुकूमत का कोई कंट्रोल हैं नहीं उन्हे किसी का खौफ |

                           अधिकतर कट्टर वादियो का मानना हैं की प्रत्येक देश मे इस्लाम की हुकूमत हो और '''शरीयत'' कानून का पालन हो | मज़े की बात यह हैं की दुनिया लगभग साथ ऐसे देश हैं जंहा इस्लाम मानने वालों का बहुमत हैं , परंतु शरीयत का कानून सिर्फ विवाह और तलाक तथा विरासत -मेहर के मामलो मे ही लागू हैं | आपराधिक और अन्य मामलो वंहा भी अलग कानून हैं | केवल एक र्श्त्र सऊदी  अरेबिया ही हैं जंहा  शरीयत का ही कानून हैं | उसके पड़ोसी जॉर्डन या यमन मे भी सऊदी अरेबिया जैसी हालत नहीं हैं |

            मिश्र मे भी यही हुआ तख़्ता पलट के बाद हुए चुनावो मे मुस्लिम  ब्रदर हूड़ का बहुमत बना | राष्ट्रपति मुरशी  ने सत्ता समहलने के बाद ''डिक्री ''' के सहारे शासन करना शुरू कर दिया , जबकि आम जनता की मांग थी की संविधान के अनीसर काम - काज हो | उन्होने संविधान मे संशोधन कर के देश के दस प्रतिशत  कोप्टिक ईसाइयो और गैर मुसलमानो को अनेक नागरिक अधिकारो से वंचित कर दिया | जिसका विरोध हुआ | तहरीक चौक मे प्रदर्शन के कारण जब हालत बिगड़ने लगे और राष्ट्रपति मुरशी ने किसी भी रद्दो - बादल करने से इंकार कर दिया | तब उन्होने सेना को ''इस आशंतोष'' को दबाने का हुकुम दिया | परंतु सेना पहले तो ऐसा करने से इंकार करती रही ,तब उन्होने सेना मे भी दखलंदाज़ी करना शुरू किया | जिसका विरोध हुआ | फिर सेना ने उनको वार्ता से मामले को सुलझाने को कहा | परंतु मुस्लिम ब्रदर हूड़ की ताकत पर वे इंकार करते रहे , और हालत बिगड़ते रहे | फलस्वरूप  मुरसी को नज़रबंद करके अन्तरिम सरकार बनाई गयी जिसके मुखिया सूप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस  बने | अब आबादी मे एक ओर सेना के समर्थक थे दूसरी ओर उसके विरोधी | यह सिलसिला आज ताक़ जारी हैं |
                                             

                                            अब हालत इतने बिगड़ गए हैं की विदेशी दूतावास के लोगो को उनकी सरकार ने वापस बुलाना शुरू कर दिया हैं | अमेरिका  ने शांति की अपील करते हुए संयुक्त  सेना के अभ्याश को मुल्तवी कर दिया हैं | लगता हैं सीरिया जैसे हालत यानहा भी पैदा न हो जाये | इस सब को लिखने का मतलब यही हैं की इस्लाम के कट्टर पंथियो ने ना केवल अपने मजहब को बदनाम कर दिया वरन उनके कारण करोड़ो लोग हिंसा  के शिकार हो रहे हैं | उनके सगे - संबंधी गोलियो का शिकार हो रहे हैं फिर चाहे वह ब्रदर हूड़ की हो या सेना की | इतना तो साफ हैं की कुछ थोड़े से लोग धरम के नाम पर हिसा फैला रहे हैं | भारत वर्ष मे भी कुछ तंज़िमे हैं जो ऐसी हरकतों को जायज मानती हैं | परंतु क्या किसी प्रकार का कट्टर वाद किसी भी समस्या का समाधान हैं | अफगानिस्तान  मे तालिबानों ने राज किया परंतु जब चुनाव हुए तो वे बाहर कर दिये गए | परंतु कुछ थोड़े से लोग हर मुल्क मे अशांति फैलते ही हैं | जैसे बंगला देश मे हो  रहा हैं |