Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 19, 2020


योगी जी बहुत हुआ -पर्मिट क्लर्क के अड़ंगे -मजदूरो को प्रयाण करने दे !


मजबूर मजदूरो की मैराथन पद यात्रा मैं भूखे - प्यासे स्त्री पुरुषो का कष्ट आपको नहीं दिखता -बस आपकी राजनीति फ़ेल ना हो जाए ,इस भय से आप बाबू टाइप एतराज़ लगा रहे है | और राजनीतिक विरोधियो पर झूठ बोलने आ आरोप लगा रहे है , कभी पलट कर अपने बयानो पर गौर कीजिएगा की कितना "”सच"” उनमे था !
आप की सरकार मजबूर मजदूर और मरीजो की मौत की संख्या पर आपका सत्य किसी दिन अगर होगा --उस दिन आप अपने मठ की प्रतिस्ठा को कलंकित कर चुके होग्ङ्गे ! यह समय भी निकाल जाएगा -आप अमरता नहीं लिखा कर लाये हैं , ना ही अनाड़ी काल तक आप पदासीन रहेंगे | गीता में श्री कृष्ण ने कहा है की जो "”शासक सत्या की अनदेखी कर सत्ता से चिपका रहता है उसकी अवनति निश्चित हैं | आपके आदि गुरु गोरखनाथ ने राज्य त्यागा था-सत्या की खोज के लिए , और आप सत्य से अंखे मूँद रहे है |
आज भी लाखो लोग उत्तर प्रदेश के निवासी आगरा - गाजियाबाद -झाँसी - चाक घाट पर अटके पड़े हैं , रेल की सुविधा से वंचित ,इन लोगो के पास खाना खरीदने को भी पैसा नहीं है , बिस्कुट खा कर सैकड़ो मील की मरथन यात्रा कर के ये लोग अपने घर जाना छाते हैं | | आप इन्हे रोके नहीं मदद करे | खुद बसे नहीं भेज सकते तो जो भी इस काम में सहायता कर रहे हैं --उसे मंजूरी दीजिये ---राजनीति मत करिए आप के राज्य में अभी तक 40 मजदूरो की मौत हो चुकी हैं , उनकी आत्मा के लिए ही उनके परिवार वालो को घर जाने दीजिये | कोरोना के संक्रामण के लिए आप इनकी जांच करे - संक्रमित पाये जाने पर -उन्हे क़्व्रंटाइन या एकांतवास में रखे ,गाव -गाव में स्कूल अथवा पंचायत भवन में उन्हे रखा जा सकता हैं | पर आप सरकार हैं कुछ करिए !
पैदल चलते हुए इन लोगो के बच्चो की दयनीय हालत देख कर किसी भी माता पिता का दिल और आँख भर आती है , यह वात्सल्य शायद आपको नहीं मिला इसलिए आप कठोर हो रहे हैं ! यह अनुचित हैं |
करोड़ो लोगो की सड्को पर पदयात्रा को लेकर भी आपने अपनी डांडा मार पुलिस को कह दिया हैं की कोई सड्को पर पैदल न चले -अथवा ट्रक या अन्य साधन से प्रदेश की सीमा मै नहीं प्रवेश करने दिया जाये ! क्या सड़क सिर्फ कार वालो के लिए और ट्रको के लिए ही सुरक्शित हैं ? इसलिए की पैदल चलने वाले रोड टैक्स नहीं देते ! अथवा उनको भी हिटलर के जर्मनी की भांति अनुज्ञा पत्र लेकर चलना चाहिए !
अभी तक कोरोना मर्ज का कोई अक्सीर इलाज नहीं मिला है , कहते हैं कोई वैक्सीन अमेरिकी कंपनी ने निकाली है --पर वह आम आदमी की हैसियत से बहुत दूर हैं | वह तो कुछ बड़े और विशिस्त लोगो को ही संभव होगी | आप तो इन परदेश कमाने गए मजदूरो को उनके घर जाने दे | जब वे 1400 किलोमीटर पैदल चले है --तो थोड़ा और चल लेंगे | पर आप का भासन की "””प्रवासी मजदूरो को सम्मान और सुविधा से उनके घर पहुंचाएंगे "”” किस तरीके से संभव होगा ? जो आप कर रहे हैं --उससे तो संभव नहीं | आज बड़े - बड़े अखबार भी विज्ञापन के डर से इन मजदूरो की बेबसी पर बस एक फोटो भर छाप देते हैं , उनकी व्यथा - कथा लिखने का साहस उनमें भी नहीं बचा हैं | देश विभाजन के समय रिफ़्यूजी कैसे आए और उन्होने कैसे अपने को इस देश की आबो - हवा में ढाला हम सबने देखा हैं | तब इनके दुख दर्द पर साहित्य लिखा गया ----हो सकता है , आने वाले दिनो में इनकी व्यथा भी लिखी जाये , तब आप सभी की भूमिका पर भी कलम चलेगी | सआदत हसन मंटो की टोबाटेक सिंह उस बँटवारे की पीड़ा को उजागर करता हैं | जो घर के उजाड़ जाने की होती हैं | यानहा तो अपने घरो को वापस लौटने की त्रासदी -वह भी अपने ही देश में कितनी होगी यह कल्पना ही की जा सकती हैं |
आज ये मजदूर कोरोना से भयभीत नहीं हैं -डरते है तो पुलिस के डंडे की मार से जो न यह देखता हैं की सामने महिला है हैं अथवा -पुरुष या बच्चे| आपके क़्व्रनटिन या एकांतवास की हक़ीक़त तो रायबरेली में उजगर हो चुकी हैं , जनहा डाक्टरों ने भी रहने से मना कर दिया था, तीन दिन बाद आपको फैसला बदलना पड़ा और सही स्थान पर मरीजो को भेजना पड़ा |
हम कोरोना वीरो का सम्मान जरूर करे --- पर इन मजबूर मजदूरो की शौर्य गाथा की अनदेखी ना करे | क्योंकि जिस प्रकार इन लोगो ने मुंबई - सूरत राजकोट तथा दिल्ली और राजस्थान से पैदल निकाल कर घर की ओर प्रयाण किया वह असधारण हैं |