साता की लिप्सा का फल
मणिपुर में फलती नफरत की फसल – नेली से अब तक !!
प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी ने एक आयोजन में सत्तर हज़ार लोगो को नियुक्ति पत्र देते हुए कहा , हमने फोन से बैंकिंग सिस्टम बना दिया है , जबकि पहले
की सरकारे फोन से बंकों से पैसा मंगवाती
थी , वे सत्ता से चिपकी रहती थी !!!! यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश का पूर्वोत्तर भाग नफ़रत
और हिंसा से जल रहा था | आज भी वनहा आगजनी और हत्या और अशांति का माहौल है | मणिपुर की दशा
को लेकर योरोपियन संसद और ब्रिटेन के हाउस
ऑफ कामन्स में ईसाई धरम के कुकी और मिज़ो लोगो की हत्या और चर्च
के जलाए जाने व्यथित है | ब्रिटिश संसद ने बीबीसी से कहा हैं
की वह इन घटनाओ की गहराई से छानबीन करे | मिज़ो – नागा – कुकी और आन्य जन जातीय बहुमत से ईसाई है | वे ब्रिटेन
के प्रोटेस्टेंट के अनुयायी
है | हाउस ऑफ कामन्स ने लार्ड कंटर्बरी से इस संबंध मे कारवाई और मदद करने को कहा है |
अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी तो मणिपुर मसले पर बोलेंगे ही नहीं , हाँ अब सुप्रीम कोर्ट
ही सरकार के कान उमेठे तब कुछ बात बने \संविधान के अनुछेद 356 के तहत यदि राजी में संविधान सम्मत कानून का शासन नहीं हो तब राष्ट्रपति शासन केंद्र सरकार के प्रस्ताव से लगाया
जा सकता है | अब केंद्र सरकार ने मणिपुर की राज्यपाल कुमारी अनुसूइया
ऊईके के दर्जनो रिपोर्ट राष्ट्रपति को संभोधित
कर भेजी है , ऐसा उन्होने
एक चैनल को दिये इंटरव्यू मे स्वीकार किया है | अत्यंत उदीग्न
अवस्था में उन्होने कहा मै स्वयं आदिवासी हूँ और उनके घर जलाए जाने और महिलाओ
की इज्ज़त सरे आम लूटे जाने जैसी निंदनीय और
घटिया हरकत करने वालो के खिलाफ कारवाई क्यू नहीं की जा रही ?? राज्यपाल के कथन पर भी गृह मंत्री अमित शाह औ-र उनका विभाग मौन है ? इस्
से क्या यह ना मान लिया जाये की जो उपद्रव
–अशांति और नर संहार मणिपुर में हो रहा है
---- वह भी क्या नेली -मलियाना - खोराबाई –
गोपेस्वर का ही अगला अध्याय है | आज भूतपूर्व
अम्रीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा
का बयान सही लगता है ---- की अगर भारत में अलपसंख्यकों को
सरकार ने न्याय नहीं दिया तो भारत टूट जाएगा |युगोस्लाविया की
भांति कितने टुकड़े होंगे और कान्हा होगा गौरवशाली इतिहास ????
बॉक्स
मोदी
सरकार के निज़ाम मे मुसलमानो को निशाने पर लिया
गया --- चाहे वह पशुओ के आवागमन की बात हो अथवा व्यापार में उनकी स्म्रधी हो | राजस्थान के दो मुस्लिम युवको जो पशु खरीदने पैसा लेकर जा रहे थे , उन्हे हरियाणा में बजरंग दल के गौ
रक्षको ने जला कर मार दिया !!! अभी हाल में
गडवाल में उत्तर काशी में पुरोला गाव्न में एक घटना के बाद मुसलमानो को वनहा से चले जाने का अल्टिमेटम स्थानीय
नेताओ ने दिया | वजह
थी की मुसलमान दुकानदारो की बिक्री ज्यड़ा होती
थी ,क्यूंकी वे कम मुनाफे
मे अपना माल बेच देते थे \ जिससे स्थानीय दुकानदारो को पर्वतीय होने का
लाभ नहीं मिलती थी |जब
एक सत्ताधारी बीजेपी के नेता लोगो को समझने पहुंचे तब लोगो ने उन्हे भी मार पीट कर भगा दिया
| मेरठ के हाशिमपुरा में 42 मुसलमानो
को की हत्या के आरोप मे उत्तर प्रदेश की पीएसी के 11 जवानो को आजीवन कारावास किसजा मिली | परंतु मलियाना कांड में 800 पेशियो या तारीखों के बाद भी न्यायालय
को 72 हयाओ
के दोषी नहीं दिखाई पड़े | अदालत ने सबूतो के अभाव में अभियुक्तों
को बारी कर दिया !!!!!!!!
बॉक्स
कुकी
जाती की महिलाओ को नंगा करके परेड कराना और
बलात्कार और हत्या तथा घरो
और चर्चों को आग लगाना , यह मतेई समुदाय द्वरा दूसरे
समुदायो से नफरत करने का ही परिणाम लगता है
| 1983 फर्वरी 18 को
में भी तत्कालीन आसाम में 6 घंटे
में 2000 से अधिक लोगो को मौत के घाट उतार दिया गया था | उसके बाद खोराबरी 7 फ़रवरी 1983 को
500 लोगो को और गोरेस्वर में भी आगजनी और नर
संहार हुआ | इसका कारण
जैसा की समाचार पत्रो में लिखा गया –उस समय शेखर गुप्ता जो की इंडियन एक्सप्रेस में
थे उन्होने इन घटनाओ को लिखा था |
इन घटनाओ का कारण गैर आसामी और स्थानीय भाषा के
लोगो का गैर आसामी और बंगाली भाषा भाषी होना
पाया गया था | अफसोस है की यह कारवाई उस आसाम गण परिषद के लोगो केद्वरा हुई जो आसम केवल आसामी लोगोके लिए का नारा देते थे | वे तत्कालीन सरकार के फैसले से नाराज
थे जिसमे बंगला देश से आए शरणार्थियो को मत
देने का अधिकार दिया गया था | आज भी आसाम इनहि विभाजक रेखा से बंटा हुआ है | पूर्वोतर राज्यो के पुनर्गठन के बाद अनुसूसूची जन जातियो के संरक्षण के लिए संविधान में विशेस प्रविधान किए
गये |
परंतु आरएसएस द्वरा इस छेत्र में हिन्दू
पहचान के लिए स्थानीय जातियो को साधा और उन्हे स्थानीय संसाधनो पर मालिकाना हक़ के लिए उकसाया | जिससे की अन्य समुदाय जैसे मिज़ो – कुकी – आदि को निशाना बनया गया | परंतु उसके पहले बंगला भाषा बोलने
वालो को निशाना बनाया गया | बात त्रिपुरा जैसे
प्रदेश मे भी पनहुची , जनहा तत्कालीन मुख्य मंत्री विप्लव कुमार
दास ने कहा था जो हिन्दी नहीं बोलता ,वह देश भक्त नहीं हो सकता
!! अब ऐसे उत्तेजक बयान तो लोगो में “”नफरत””
ही भर देंगे |
धरम
और भाषा के आधार पर अलगाव का बीज़ बोने का काम अनेक तथकथित गैर राजनीतिक संगठनो द्वरा किया गया | इन नर संहारो के प्रणेता कौन थे राजनीतिक रूप से सभी को मालूम है \ परंतु नाम लेने से –मानहानि का मुकदमा चलने की पूरी पूरी संभावना है | इन छेत्रों में हुए नरसनहार के बाद पुनर्वास का
काम राम क्रष्ण मिसान द्वरा किया गया | उन्होने अस्पताल –स्कूल आदि खोल कर
मारे गए लोगो के परिवारों राहत पहुंचाई \ परंतु एक गैर राजनीतिक संगठन के
लोगो ने स्वायसेवकों के माध्यम से – बहू संख्यक
जन जातियो को प्राचीन गौरव की याद दिला दिला कर उनकी धमनियो अन्य समुदायो के लिए नफ़रत भर दी थि | कुह ऐसा ही उत्तर भारत में दासियो साल से धरम के
नाम पर जहर फैलाने का काम किया जा रहा है !!!