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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 6, 2018


सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट निर्देश दिये जाने के बाद की --दिल्ली छेत्र के मुखिया जनता का चुना हुआ मुखिया यानि मुख्या मंत्री ही है ,उप राज्यपाल की सलाह को सरकार "”मानने को बाध्य नहीं "” | इसके बावजूद केंद्र मे बैठे आकाओ के इशारे पर -उप राज्यपाल और आईएएस अधिकारी हठधर्मिता पर उतारू ?? लगता है की सुप्रीम कोर्ट को अब केंद्र और दिल्ली के उप राज्यपाल को बुलाकर पूछना होगा ---बिना अधिकार के दिल्ली सरकार कैसे शासन करेगी
संविधान पीठ के पाँच जजो द्वारा स्पष्ट रूप से दिल्ली की चुनी सरकार को शासन का हक़ का निर्णय सुनाये जाने के बाद भी --- प्रशासन की नकेल केंद्र सरकार आईएएस अफसरो के माध्यम से अपने हाथ मे ही रखना चाहती है | बीमार पड़े वित्त मंत्री घर से लेटे-लेटे ब्लॉग पर लिखा है की "” सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हार या जीत के रूप नहीं लेना चाहिए !! वैसे जयप्रकाश जी के आंदोलन से निकले अरुण जेटली --लालू यादव और नितीश बाबू के साथ के ही है | परंतु जनहा लालू और नितीश ने जनता के मध्य काम कर के ---चुनाव लड़ कर सरकार बनाई ,, उसली तुलना मे जेटली जी ने अदालतों मे "”उलझे पर बड़े धन कुबेरो और अर्थ पिशाचो के मुकदमो की पैरवी करके काफी धन-मुद्रा कमाई है || परंतु जनता इनकी कितनी इज्ज़त करती है अथवा कितना चाहती है ---उसका उदाहरण 2014 का लोकसभ का चुनाव परिणाम है ---जब मोदी की प्रचंड आँधी भी --आपातकाल विरोधी इस नेता को गुरु की नगरी अमृतसर के लोगो ने इन्हे --बुरी तरह नापसंद किया !!! इसलिए इनसे चुने हुए जन प्रतिनिधियों की "”” महता और मंजूरी "” को इनके द्वारा समझ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है !!! प्रधान न्यायधीश दीपक मिश्रा ने अपने फैसले मे लिखा है की "” संविधान के साथ जो भाषायी-जीमनास्टिक को छोड़ कर उसकी भावना को समझे | जो साफ तौर पर जनता के प्रति जवाब देह सरकार और प्रशासन की बात कहता है | परंतु जेटली जी जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की दिल्ली विधान सभा चुनावो मे अपरिमित संसाधनो और धन की बरसात के बावजूद भी 70 मे से मात्र 3 तीन भारतीय जनता पार्टी के लोगो को चुनवा पाये थे !! चुनाव की राजनीतिक शतरंज की हुई उस बाज़ी मे शर्मनाक "”पैदली मात खाकर गिरे शहनशाह मोदी की टोली को भयानक दंश मिला था "”!
जिस प्रकार आप पार्टी और उसके विधायकों -मंत्रियो को कभी अयोग्य बता कर ---कभी किसी मुकदमे मे फंसा कर गिरफ्तार कर के या मंत्री पर भ्रस्टाचार का आरोप लगा कर गिरफ्तार करना की हरकतों को सारे देश ने '’देख और पढा है '’’ | ऐसे ही आरोप मे गोवा के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी या उसके '’’साझे मे चलने वालो सरकार के मंत्रियो के खिलाफ भी लगे है और अभी लग रहे है "” क्यो उन पर ऐसी ही कारवाई नहीं होती ?
जिस द्वेषपूर्वक रूप से राजनीतिक और ---प्रशासनिक फैसले नरेंद्र मोदी सरकार द्वरा लिए जा रहे है वे देश की राजनीति मे किसी पार्टी की सरकार अपने विरोधी दल के नेताओ और मंत्रियो को इसी प्रकार '’’प्रताडित'’ करने का अवसर ///अधिकार ///हक़ मिलेगा ?? जिस प्रकार केंद्र सरकार "” संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का मनमाफिक परिभाषा गढने और सीबीआई तथा इंकम टैक्स या अन्य जांच एजेंसियो के माध्यम से विरोधियो को परेशान कर रही है ----वह उनही के नेताओ के भविष्य को सुखद होने का संकेत तो नहीं देता | जिस प्रकार विपक्ष के नेताओ को काबू करने के लिए उनके मन्त्रालयीन फैसलो को आधार बना कर जांच का नाटक किया जा रहा वह भविष्य मे इनहि पर बूमरैन्ग करेगा | तब इन नेताओ को परेशान किए जाने गिरफ्तार किए जाने पर वे "” विरोध करने का नैतिक अधिकार खो चुके होंगे |

प्रापत संकेतो के अनुसार संविधान पीठ के सामने केजरीवाल सरकार 2016 के गृह मंत्रालय की अधिसूचना और सरकार के "” अधिकारो को रेखांकित करने की मांग से "”पुनरीक्षिन याचिका लगाने वाले है | उप राज्यपाल और मुखी सचिव का कहना है के वे आज भी केंद्र के निदेशो के अधीन ही काम करेंगे | अफसरो की रुख पर दो -एक अवकाश प्रापत अफसरो ने सार्वजनिक बयान भी दिये है की "” केंद्र का दिल्ली मे अधिक हस्तक्षेप है --चूंकि अदालत ने 1960 के बारे मे कोई साफ -साफ निर्देश नहीं दिया है , अतः दिल्ली सरकार की बात मानने को मजबूर नहीं है "” इस बयान से यह ध्वनित होता है की दिल्ली सरकार मे तैनात आईएएस अफसर ,, केजरीवाल सरकार पर एहसान कर रहे है -----अपनी दुति नहीं कर रहे ? जैसे उनके सहयोगी आँय राज्यो मे करते है ? इस गुथी को भी सुलझना होगा -----वरना वही कहावत होगी की घरबार सब तुम्हारा है ----पर कोई चीज़ भी छुई तो हाथ पकड़ेंगे !!!!!