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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 19, 2017

अर्श से फर्श तक पहुंचे --- राष्ट्र नायक बने खलनायक
इन्डोनेशिया के सुकर्णो और जिम्बावे के रोबर्ट मुगाबे

अपने देश को विदेशी दासता से मुकि दिलाने वाले सुकर्णो और मुगाबे की कहानी
लगभग एक जैसी ही है | वे स्वतन्त्रता संघर्ष के अगुआ और पराधीन देश वासियो के लिए आशा की किरण थे | परंतु सत्ता ने उनके सारी कुर्बानियों को धूमिल कर दिया | सत्ता के माध्यम से से विरोधियो को समाप्त करने की उनकी कोशिस ने धीरे -धीरे उन्हे राष्ट्र नायक से खलनायक बना दिया |

वर्तमान इन्डोनेसिया के जावा प्रांत मे स्कूल अध्यापक के यानहा सुकर्णो का जन्म 1901 मे हुआ था | उस समय उनका देश डच {{नीदरलैंड}} की गुलामी मे था | सुकर्णो ने उनके विरुद्ध लड़ाई छेड़ी हुई थी | डच सरकार ने उनको जेल मे ड़ाल दिया था | दूसरे महायुद्ध मे जापानियों ने इन्दोनेसिआ पर क़ब्ज़े के बाद सुकर्णो को जेल से मुक्ति दिलाई 1944 मे | उन्होने 17 अगस्त 1945 को देश की बागडोर सम्हाली | संसदीय लोकतन्त्र मे उन्होने वामपंथियो की हत्या करवाना शुरू किया था |और 1957 मे उन्होने संसदीय लोकतन्त्र को एक प्रकार से समाप्त ही कर दिया | परंतु देश की आर्थिक और ---वित्तीय स्थिति बदतर होती गयी | अंततः फौज ने जनरल सुहारतों के नेत्रत्व मे सत्ता सम्हाल ली | एवं अपने ही राष्ट्र नायक को राष्ट्रपति निवास मे नज़रबंद कर दिया | 1967 मे उन्होने अंतिम सांस ली | 22 साल सत्ता के शीर्ष पर रहने के बाद भी उन्हे देशवासियों ने ठुकरा दिया |

कुछ ऐसा ही जिम्बावे के रोबर्ट मुगाबे के साथ हुआ उनका जनम 1924 |को हुआ था | गोरो की गुलामी से देश को आज़ादी दिलाने के वे अगुआ थे | 1980 से 1987 तक वे प्रधान मंत्री रहे | बाद मे वे संविधान बदल कर राष्ट्रपति दो बार राष्ट्रपति बने | उन्होने ने भी अपने विरोधियो को फ़िफ्थ ब्रिगेड से लगभग हजारो लोगो की हत्या करवाई | 2018 के चुनाव मे वे अपनी तीसरी पत्नी ग्रेस को राष्ट्रपति बनवाना चाहते थे | जिसका देश मे बहुत विरोध था |
फलस्वरूप 16 नवंबर को फौज ने उन्हे भी राष्ट्रपति आवास मे नज़रबंद कर दिया | ज़िम्बावे अफ्रीकन नेशनल यूनियन पार्टी --जिसके वे नेता थे ,,उसने भी दो दिन बाद बैठक कर के उनके विरुद्ध ''अविश्वास प्रस्ताव "” पारित कर,, उन्हे पदमुक्त कर दिया | ऐसा ही प्रस्ताव अन्य प्रांतो की भी इकाइयो ने पास कर दिया | अब फौज उनसे शांति से पद छोडने का आग्रह कर रही है | इसके बदले उनके खिलाफ गबन और अव्यवस्था के आरोप मे मुकदमे नहीं नहीं क्नलने की गारंटी देने का सुझाव दिया है | उन्होने भी चुनाव के नाम पर धांधली कर के निर्वाचित हुए थे | संसदीय लोकतन्त्र मे उन्होने विपक्षी दलो को सत्ता के सूत्रो और हत्या के जरिये समाप्त करने का कारी किया | जिसके आरोप उनके विरुद्ध लगते रहे है |

इसी लाइन मे कंबोडिया के प्रधान मंत्री हूँ सेन भी आ रहे है | उन्होने प्रमुख विपक्षी दल के नेताओ को पहले तो आरोप लगा कर जेल मे ड़ाल दिया | अब सुप्रीम कोर्ट द्वरा पूरी पार्टी को ही "”देश द्रोही "” करार दिला कर प्रतिबंध लगवा दिया | इस प्रकार उन्होने लोकतन्त्र के स्थान पर चीन के समान "”एकल पार्टी "” शासन कर दिया है | जिसका अंतर्राष्ट्रीय जगत मे बहुत विरोध हो रहा है | अमेरिका की सीनेट ने त्वरित रूप से कंबोडिया पर प्रतिबंध लगाने की सिफ़ारिश की है | गौर तलब है की कंबोडिया का सर्वाधिक निर्यात टेक्सटाइल है --जो की यूरोपियन यूनियन के देशो को होता है | हालांकि चीन ने कंबोडिया सरकार के निर्णय का समर्थन किया है | परंतु यूरोप द्वरा प्रतिबंध लगाने से देश की आर्थिक स्थिति बदतर होने की आशा है | हौंसें भी विगत 30 वर्षो से "”निर्वाचित"” होने का नाटक करते आ रहे है | उनके भी खलनायक बनने की उल्टी गिनती शुरू होने की आशंका है |