सहमति
का
सम्मान
--क्या
गुल
खिलाएगा---यह
तो
समय
बताएगा
सर्वोच्च
न्यायालय
का
"”सहमति
से
समलिंगी
यौन
संबंधो
को
अधिकार
"””
मानने
के
फैसले
से
जनहा
ट्रान्स्जेंडर
–
गे
और
लेसबियन
वर्गो
को
वैधानिकता
मिली
----वनही
दहेज
प्रताड़ना
और
लिव
इन
रिलेशन
शिप
मे
महीनो
-वर्षो
रहने
के
बाद
-----
जिस
प्रकार
बलात्कार
या
प्रताड़णा
के
मुकदमे
दायर
होते
है
---वैसा
नहीं
होगा
इसकी
कोई
गारंटी
नहीं
है
कानून
की
किताबों
के
अनुसार
दो
वयस्क
स्त्री
-पुरुष
आपसी
सहमति
से
यौन
संबंध
बना
सकते
है
|
परंतु
पार्क
मे
लड़के
और
लड़कियो
के
साठा
-
साथ
घूमने
पर
जिस”””
निज़ाम
“””
{{
हुकूमत
और
उसके
द्वरा
शासित
समाज
]]]]
ने
मजनू
स्क्वाड
और
शक्ति
वाहिनी
के
द्वरा
युवा
वर्ग
की
आजादी
को
सिर्फ
‘’’एक
दूसरे
को
देखने
की
आज़ादी
दी
हो
‘’’’
वनहा
हाथ
पकड़ने
पर
या
चुंबन
लेने
को
पुलिस
अपराध
की
श्रेणी
मे
रखती
है
|
पहले
तो
लड़के
को
मारपीट
कर
और
लड़की
को
धौंस
दपट|
से
और
उसके
परिवार
---
तथा
समाज
को
बता
देने
को
धम्की
देकर
ज़ालिम
सिपहिया
वनही
अपराध
करता
है
-----
जिसका
आरोप
हुकूमत
की
किताब
मे
होता
है
!!
लेकिन
कानून
का
मुंसिफ़
होने
के
नाते
वह
मुजरिम
नहीं
बनता
है
||
इसीलिए
पुलिस
द्वारा
'’’लड़की
या
स्त्री
को
डरा
-धमका
कर
जबरिया
यौन
संबंध
बनाने
के
मामले
--ग्रामीण
छेत्रों
मे
ज्यादा
और
नगरीय
इलाको
मे
कम
होते
है
|
जिस
प्रकार
भारतवर्ष
मे
अधिकतर
लड़कियो
का
पहला
यौन
शोषण
किसी
रिश्तेदार
या
किसी
परिचित
द्वारा
ही
किया
जाता
है
|
फिर
वह
बदता
ही
जाता
है
|
जबतक
लड़की
की
शादी
नहीं
हो
जाती
अथवा
वह
साहस
कर
के
परिवार
जनो
को
बलात्कार
की
पूरी
कहानी
नहीं
बताती
है
|
तब
मामला
पुलिस
और
अदालत
तक
जाता
है
|
अगर
बलात्कारी
कोई
इलाके
का
प्रभावशाली
नेता
हुआ
या
उसके
परिवार
का
कोई
युवा
सदस्य
हुआ
-----तब
तो
पुलिस
लड़की
और
उसके
परिवार
वालो
को
अदालत
मे
पुछेजाने
वाले
अश्लील
सवालो
और
उस
पर
लोगो
की
हंसी
और
उपहास
का
निशाना
बनने
का
डर
दिखा
कर
,
अभियुक्त
पार्टी
से
नोट
वसूलने
का
रास्ता
बना
लेता
है
|
समलैंगिक
संबंधो
को
कानूनी
रूप
से
मान्यता
ब्रिटेन
की
महारानी
एलीज़बेथ
दिवतीय
द्वरा
27
जुलाई
1967
को
दिया
गया
|
हालांकि
इसके
बाद
दुनिया
मे
खुलेआम
समलैंगिक
स्त्री
-पुरुषो
के
संगठन
सार्वजनिक
रूप
से
----समलैंगिक
विवाहो
की
मांग
करने
लगे
||अनेक
देशो
ने
समलिंगी
विवाहो
को
मान्यता
भी
दी
है
---
अमेरिका
उनमे
प्रमुख
है
,
नार्वे
-स्वीडन
-नीदरलैन्ड
आदि
भी
इसी
श्रेणी
मे
आते
है
||
वास्तुतः
जब
कला
और
संगीत
की
बड़ी
-
बड़ी
हस्तियो
ने
अपने
समलैंगि
होने
का
खुलासा
किया
,,
तब
लोगो
इसे
'’’’
संबंधो
की
साहस
के
साथ
स्वीकार
करने
की
सराहना
ही
की
थी
'’’’
| हालांकि
समाज का कट्टर वादी धार्मिक
तबका इसके खिलाफ मुहिम चलता
रहा |
कुछ
देशो मे तो इन उग्रवादी तत्वो
ने समलैंगिक जोड़ो की हत्या
को भी अंजाम दिया |
आज
भी कैथोलिक चर्च और इस्लाम
के धार्मिक पादरी और मौलनाओ
पर अक्सर ही समलैंगिकता के
"””लिए
बालको के शोषण के आरोप लगते
रहे है --और
लगते है "””
| अभी
हाल मे कैथोलिक चर्च के मुखिया
पोप ने अर्जेंटीना मे '’’
उन
लोगो से छमायाचना की जिन लोगो
[बालको
और महिलाओ]
का
शोषण पादरियो द्वरा किया गया
--उन्होने
अपने '’बिशप
'’
द्वरा
की गयी लापरवाही के लिए भी
माफी मांगी |
अमेरिका
के पेनसलवेनिया राज्य के
अटार्नी जनरल अपने इलाके मे
विगत वर्षो मे धर्म गुरुओ
द्वारा दैहिक शोषण की शिकायतों
पर आपराधिक कारवाई करने की
घोसणा की है |
पहले
यह सोच हुआ करती थी की जिन
पुरुषो को नारी का सानिध्य
नहीं प्रापत हो पाता -वे
ही समलैंगिकता मे लिप्त होते
है |
अक्सर
जेलो मे क़ैदियो मे इस '’प्रथा"””
को
पाया जाता है |
कैथोलिक
धरम मे पादरी को '’’
ब्रह्मचर्य
'’
व्रत
की प्रतिज्ञ लेनी पड़ती है |
जिसका
निर्वाह अगर आज के समय मे
'’’’असंभव
नहीं तो अत्यंत कठिन है "””
|क्योंकि
जिस वातावरण मे वे रहते है और
काम करते है ----
उसमे
देह का मोह पनपना स्वाभाविक
है |
बौद्ध
धर्म के भारत मे पराभव के कारणो
मे इतिहासकारो ने पुरुष और
स्त्रियो के लिए अलग -
अलग
संघारामों की व्यवस्था के
बावजूद अनेक बार भिक्षुओ को
चीवर उतारना पड़ा |
ईसाई
धर्म मे भी धार्मिक क़सम या
व्रत भंग होने की दशा मे उन्हे
भी अपना चोगा त्यागना पड़ता
है |
आज
तक समाज ने इसे बीमारी या
कमजोरी माना परंतु अब इसे सहज
'’’आकर्षण
'’’
की
संज्ञा दी जा रही है |
यू
तो खजुराहो के मंदिरो मे -स्त्री
के स्त्री से और पुरुष के पुरुष
से "””कामक्रीड़ा
के द्र्श्य '’’
उत्कीर्ण
है |
इस्लाम
और ईसाई धर्म की किताबों मे
ज़िक्र है |
इस
क्र्त्य को प्र्क़्रती और
परमात्मा के नियमो का उल्लंघन
माना है ------
‘’सोडम'’
नामक
राज्य के निवासियों मे इस
"””आदत
'’’
का
ज़िक्र है |
जिसे
हज़रत लाऊत {{{
हज़रत
अब्राहम के भतीजे -
जिनका
ज़िक्र -जेनसिस
मे है }}}
उनके
समय मे परमात्मा द्वरा इस नगर
के को और इसके निवासियों को
पत्थर हो जाने का {{श्राप
}}
दिया
था |
लेकिन
तब का श्राप इस युग मे अधिकार
बन गया ----अब
इसे दैवी नियमो का उल्ल्ङ्घन
माने अथवा नवजागरण की देना
!!!