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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 18, 2022

 

मनुष्य परिवार से ही सामाजिक प्राणी हैं -प्लेटो को नकारा गया है

 

       स्वतन्त्रता  दिवस पर प्रधानमंत्री या प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी जी ने देश की सबसे बड़ी समस्या – राजनीति में परिवारवाद को बताया ! उनके  उदबोधन  से साफ झलकता था की वे राष्ट्र की समस्याओ को नहीं वरन -वे अपनी पार्टी के एजेंडे पर बोल रहे हैं |उनके अनुसार राजनीति में परिवारवाद  योगिता को नकारता हैं !  पर क्या वास्तव में ऐसा हैं ?  कम से कम  भारत में तो एक ऐसा परिवार हैं  जिसने देश को तीन प्रधान मंत्री दिये – और उनमें से दो देश के लिए शहीद हुए ! जी हाँ  मैं इन्दिरा जी और राजीव जी की बात कर रहा हूँ | नेहरू -गांधी परिवार से ही पंडित जवाहर लाल नेहरू -इन्दिरा प्रियदर्शिनी गांधी और राजीव गांधी हुए हैं |  कम से कम इन तीनों ने देश को अपने सामर्थ्य के अनुसार  आर्थिक और सामरिक रूप से बलशाली बनाया हैं | उनकी उपलब्धियों  को व्हात्सप्प यूनिवेर्सिटी  के गंदे प्रचार  से  हिंदुवादी  ना तो नकार सकते हैं और नाही धुंधला कर सकते हैं |

             यूनान के एक अदर्शनिक हुए हैं उनका नाम प्लेटो था , उनकी अवधारणा थी की  शासक वर्ग  के लिए उन लोगो को चुना जाना चाहिए जो नागरिकों और समाज को न्याया दे सके | उनकी निसपक्षता  के लिए  , उनका सुझाव था की की नागरिकों के बालको को परिवारों से अलग कर के  लालन पालन किया जाए | उनकी देखरेख  विद्वानो द्वरा की जाये जो उनकी शारीरिक और बौद्धिक छमता के विकास को सुनिश्चित करे | परिवार से अलग होने के कारण उनमें  सबके लिए “” समान भाव “” होगा | इन लोगो को उन्होने “दार्शनिक शासक “ कहा था | परंतु यह प्रयोग बुरी तरह निष्फल हुआ |

                       क्यूंकी मनुष्य जन्म  के पश्चात  दस – बारह वर्ष की आयु तक  माता -पिता के संरक्षण में ही  बड़ा होता हैं | वह परिवार के सहारे ही समाज में “”परिचय “” पाता हैं | परिवार से ही जाति-धरम  मिलता हैं |  प्राचीन काल में व्यवसाय भी परिवार से ही मिलता था | ईशा मसीह के पिता बढई थे उन्होने बाल्यकाल में पिता की मदद की थी | अगर हम विश्व का इतिहास देखे तो  राजवंशो का इतिहास  पारिवारिक विरासत  का ही इतिहास हैं | ऐसा ही कुछ व्यापारी वर्ग में भी होता था | और आज भी बड़े – बदर औद्योगिक घराने  वंशानुगत  ही चल रहे हैं | छहे वे अंबानी हो -बिरला हो या या फिर अन्य कोई | जो नए उद्योगपति बने हैं वे भी अपने परिवार जानो को व्यापार की बागडोर दे रहे हैं |

                               ऐसे में मोदी जी का कथन  उनके राजनीतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  और भारतीय जनता पार्टी को छेतरीय दलो से मिल रही चुनौतियों  की गंभीरता  को उनकी चिंता हैं |  संघ परिवार में  अधिकतर उच्च पदाधिकारी  अविवाहित हैं | कहते हैं की संघ के अनुसार परिवार  राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन  के कार्य में  बाधा बनते हैं |  जो  आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने वालो  के जीवन से गलत साबित होता हैं |  महात्मा – पंडित नेहरू – सरदार पटेल  मौलाना आज़ाद  आचारी कृपलानी आचारी नरेंद्र देव  के पूर्वा लोकमानी तिलक – सुरेन्द्र नाथ बनेरजी  आदि कितने भी नाम ले सभी विवाहित थे | हाँ  क्रांतिकारी  सभी अविवाहित थे – आज़ाद ,भगत सिंह , असफक़ुल्लह खान  आदि | परंतु इन सभी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ था | अनिश्चित जीवन के कारण ही इन क्रांतिकारियों ने विवाह नहीं किया | परंतु संघ  की “”क्रांति “” में लगा हैं जो अविवाहित लोगो द्वरा संगठन को संचालित किया जा रहा हैं ?  क्रांतिकारी हिनसा करते थे , अंग्रेज़ो के कानून तोड़ते थे , इसलिए उन्हे जीवन की अनिश्चितता  थी | पर आज संघ को गुरु दक्षिणा के रूप मे  करोड़ो रुपये मिलते हैं , उनके सामाजिक संगठनो को चलाने के लिए ---फिर परिवार  से अलगाव क्यू ?  अकसर संघ के “”जीवनदानी स्वयंसेवको “  का अंतिम समय बहुत ही दयनीय  अवस्था में गुजरता हैं | दो मौको का मैं स्वयं साछी रहा हूँ |जिसके कारण संगठन द्वरा  जीवन के स्वर्णिम काल को इस्तेमाल कर  अंत समय में संगठन द्वरा  उन्हे उनके हाल में छोड़ देना अमानवीय लगता हैं | इस अवस्था में भी  उन स्वयंसेवको  को उनके परिवारों ने ही  सहारा दिया , जिनकी खोज खबर  उन्होने अपने युवा काल में नहीं की थी |

            लोकतान्त्रिक देशो में भी राजनीति  में परिवारों के लोग आए हैं | अमेरिका  में जार्ज बुश और उनके पुत्र दोनों रेपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति बने | कैनेडी  राष्ट्रपति बने  उनकी हत्या की गयी ,फिर उनके भाई राबर्ट  केनेडी  अट्टार्नी जनरल बने उनकी भी हत्या की गयी | उनके तीसरे भाई  एडवर्ड केनेडी  सीनेटर  बने उनकी भी रहस्यमय  स्थितियो में माउट हुई | अभी पूर्व उप राष्ट्रपति डिक चेनी की पुत्री सीनेटर हैं परंतु वे पार्टी में उम्मीदवारी के लिए हुए प्राथमिक चुनावो में हार गयाई हैं |  वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प  के वीरुध जांच कर रही समिति की सदस्य हैं | इसलिए  ट्रम्प ने उनके वीरुध प्रचार किया |

 

राज्यो के छेत्रीयदल  और परिवारवाद

 मोदी जी को सबसे ज्यड़ा फिकर  उत्तर प्रदेश में मुलायम सिह की समाजवादी पार्टी ---बिहार में  लालू प्रसाद की राष्ट्रीय जनता दल – तेलंगाना में टीएसआर की तेलंगाना परिषद से आंध्र में नायडू की काँग्रेस से उड़ीसा में बीजू जनता दल से -बंगाल में ममता बैनेरजी की त्राणमूल काँग्रेस से तमिलनाडू में द्र्विन मुनेत्र कडगम से  और नागालैंड में संगमा की पार्टी से | इतेफाक से बिहार – उड़ीसा – तेलंगाना – आंध्र – तमिलनाडू  बंगाल -और नागालैंड में गैर बीजेपी सरकारे  हैं | 2024  के लोकसभा चुनावो में इस बार कोरोना और बदती मंहगाई तथा बेरोजगारी  तथा  सरकारी नौकरियों में कमी , और उनमें भर्ती ना होना – प्रतियोगिताओ के परिणाम रद्द किए जाना , आदि बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जी नौजवानो को परेशान किए हुए हैं | मोदी के आठ  साल के शासन में गत वर्षो  मे उनके और उनकी सरकार के खिलाफ  जनता में काफी रोष हैं |  अब बीजेपी  राम मंदिर और हिन्दू -मुस्लिम मुद्दा उठाकर  चुनावी लाभ नहीं ले सकती हैं |

                          फिर जिस प्रकार महाराष्ट्र में  केंद्र के इशारे पर  दल बादल कराकर  उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराया गया , उससे बीजेपी सरकार द्वरा  लोकतान्त्रिक  मूल्यो के हनन  का द्राशय सामने हैं | यह बात दूसरी हैं की  बिहार में नितीश कुमार ने  जिस सफाई से बीजेपी को विधान सभा में अकेले विपक्ष  में बैठा दिया हैं , उसकी मिसाल सिर्फ दिल्ली में अरविंद केजरीवाल  की सफलता से ही दी जा सकती हैं |  आप पार्टी की पंजाब में सफलता ने  , उनके लिए हिमाचल में सरकार बननाने  की राह खोल दी हैं | इसीलिए केजरीवाल मंत्रिमंडल के  एक मंत्री को ई डी ने बंदी बनाया हुआ हैं | खबर यह भी गरम हैं की अगला नंबर  सिसौडिया जी का हैं | क्यूंकी  आजकल वे हिमाचल में  आप के चुनाव प्रचार  को देख रहे हैं | बीजेपी को हिमाचल में सेव उत्पादको  के कोप का भजन होना पद रहा हैं | उत्पादको के सेव 5 रुपए किलो  में खरीद कर  दिल्ली के बाज़ारो  50 रुपए किलो बेच रहे हैं |

 इन सभी कारणो से नरेंद्र मोदी  जी को  परिवारवाद से खतरा लग रहा हैं | हालांकि केजरीवाल  पर और नितीश कुमार पर परिवारवाद  का आरोप नहीं लगेगा |