उन्नाव
के विधायक की तो गिरफ्तारी
तो उच्च न्यायालय के हुकुम
से सीबीआई को करना पड़ा और छ
पुलिस वालो की गिरफ्तारी भी
कारवाई नहीं करने के आरोप मे
हुई ---पर
क्या उदयपुरा की पुलिस के
खिलाफ भी कारवाई हाई कोर्ट
द्वरा ही की जाएगी ?
_____________________________________________________________________________-______________________________________________
आखिरकार
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी
ने देश के ज्वलंत मुद्दे पर
अपना मौन तोड़ा |
यह
पहली बार हुआ है की -राजनीतिक
विषयो पर गरजने वाले मोदी जी
को तात्कालिक मुद्दो पर देश
को आश्वासन देना पड़ा |
जम्मू
के कठुआ इलाके मे 8वर्षीय
बकरवाल मुस्लिम लड़की से देवस्थान
पर बलात्कार के मामलो को दो
भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियो
लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा
द्वरा हिन्दू -
मुस्लिम
विवाद बनाने के लिए भीड़ एकत्रित
करने और पुलिस को चार्ज शीट
अदालत मे दाखिल करने से रोकने
के लिए भीड़ को उकसाने का काम
किया था |
इन
मंत्रियो की शिकायत मुख्य
मंत्री महबूबा मुफ़्ती ने
केन्द्रीय गृह मंत्री से की
थी |
तब
सत्ताधारी दल के इन नेताओ की
करतूतों पर मोदी सरकार ने इन
दोनों को इस्तीफा देने का
निर्देश दिया |
उन्नाव
जिले के माखी से विधायक कुलदीप
सिंह सेंगर पर नाबालिग बलात्कार
पीडीत लड़की द्वारा आरोप लगाए
जाने के बाद भी मुख्य मंत्री
आदित्यनाथ के दबाव के कारण
राज्य पुलिस उन्हे "”बचाती
"”
रही
|
पीड़िता
के पिता की मार -
पिटाई
का विडीओ बाज़ार मे आने के बाद
भी --””
महानिदेशक
पुलिस कहते रहे की "”जांच
कर रहे है -सबूत
मिलेंगे तब कारवाई करेंगे
"”!
इलाहाबाद
उच्च न्यायालय मुखी न्यायधीश
जब इस मामले मे चिठी को जनहिता
याचिका मान कर पुलिस से पूछ
लिया की कब वे "विधायक
को गिरफ्तार करेंगे "?
तब
आदित्यनाथ की सरकार ने मामले
को सीबीआई को सुपुर्द करने
का नाटक किया |
जिस
से की मामले मे राज्य सरकार
और उसकी पुलिस निकाल जाये |
परंतु
माननीय उच्च न्यायालय ने
सीबीआई को कुलदीप सिंह सेंगर
को "”
हिरासत
मे नहीं वरन गिरफ्तार करने
और 2
मई
को स्टेटस रिपोर्ट अदालत मे
दाखिल करने का फैसला दिया |
तब
न्याया की प्रक्रिया शुरू
हुई |
अब
इस मामले मे "”जांच
"”
की
निगरानी हाई कोर्ट करेगा !!
इसका
मतलब यह हुआ की अब आदित्यनाथ
जी को अपने विधायक को निर्दोष
साबित करने के लिए "”सबूत
"”
देने
होंगे |
हुकुम
भर नहीं |
मध्य
प्रदेश मे एक मंत्री पुत्र
गिरजेश सिंह द्वरा आर्य समाज
मे प्रीति रघुवंशी से विवाह
करने के बाद जब पिता ने इस संबंध
को मंजूर नहीं किया – तब लड़की
को मजबूरन पिता के घर पर ही
रहना पड़ा |
परंतु
पिता और परिवार की नाराजगी
के बावजूद साहेबज़ादे अपनी
प्रेमिका पत्नी से मिलते रहे
| इस
संबंध को "”खतम
करने "”के
लिए मंत्री जी ने लड़के की शादी
एक धनी परिवार मे करने का एलान
किया |
इस
खबर से मंत्री पुत्र की "”पत्नी"”
का
दिल टूट गया |
धन
और सत्ता बल से लैस मंत्री
परिवार से अपना हक़ ले पाने मे
असफल रहने की संभावना और अपने
विवाह को
मज़ाक
बनते देख कर एक माह पूर्व
प्रीति रघुवंशी जी हा यही उस
हतभागिनी का नाम था – उसने घर
मे फांसी लगा कर मौत को गले
लगा लिया ?
परंतु
अभी तक राज्य की पुलिस बक़ौल
सुप्रीम कोर्ट जांच मे लगी
है लेकिन प्राथमिकी दर्ज़ नहीं
हुई है ---क्योंकि
जांच मे सबूत मिलने के पहले
गिरफ्तार नहीं कर सकते !!
इतना
तो पक्का लगता है की अभी तक इस
मामले मे किसी ने मृतका की ओर
से जबलपुर हाइकोर्ट मे कोई
अर्ज़ी नहीं लगाई है |
हालांकि
काँग्रेस के बड़े -
बड़े
नेताओ ने पीड़ित परिवार से
मिलकर पूरी सहानुभूति जताई
है |
यानहा
तक की कोप्ङ्ग्रेस्स ने प्रीति
को इंसाफ दिलाने के लिए "न्याया
यात्रा भी उदयपुरा से भोपाल
तक निकली "
परंतु
अभी तक सरकार और न्यायालय ने
इस ओर कोई कारवाई नहीं की है
|
अब
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के
मुख्य न्यायधीश की भांति क्या
जबलपुर हाइकौर्ट भी "”संवेदनशीलता
दिखाएगी जिस से की प्रीति
रघुवंशी को न्याय मिल सके ?