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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 17, 2022

 

   प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भीड़ जुटाने की एक नयी प्रथा शुरू की

 

 

हैं –वे सरकारी बसो से पंचायत अधिकारियों की मदद से सभा स्थल पर सरकारी बसो में भीड़ को फ्री  आने -जाने की व्यसथा कर के – जन सैलाब को देखने की अपनी मर्जी पूरी करते हैं | अपने भाषणो के दौरान वे  श्रोताओ से हाथ उठवाते है और  अपने कहे पर हामी भी भरवाते हैं |  मध्य  प्रदेश में महाकाल  को महाकाल लोक  घोषित करने के दौरान  दस ज़िलो से  हजारो बसो में भरकर लोग लाये गए , इनके आने जाने का खर्चा  ज़िलो के समाज कल्याण और आदिम जातिकल्याण  के बजट से ख़रच किया गया | अब इस आयोजन से इन वर्गो को कितना लाभ हुआ  यह तो शोध का विषय हैं | यह हुआ मोदी जी की सभा में भासन में श्रोताओ की गिनती का रहस्य | वैसे इस लाने -ले जाने का ख़रच मात्र  3 करोड़ से अधिक हुआ हैं , शासकीय  सूत्रो के अनुसार |  यह सिर्फ आवागमन का खर्च है |

           कुछ ऐसा ही हिमाचल प्रदेश में भी हुआ , वनहा तो चुनाव आयोग ने  निर्वाचन की घोसना के बाद --- लागू होने वाले प्रतिबंधों को  तीन दिन बाद से लागू होने की छूट दी !!! ऐसा कभी हुआ नहीं हैं | जिस दिन से चुनाव की घोसना हो जाती हैं सभी प्रतिबंध उसी समय से  लागू हो जाते हैं | परंतु बात प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वरा चुनाव प्रचार करने की थी चार चुनाव सभाए प्रस्तावित थी | अतः  चुनाव आयोग ऐसी संस्था जिससे “”निसपक्षता “” की आशा की जाती है ----वह भी  मोदी के कोप से भयभीत हो कर अनैतिक फैसला ले बैठा | इन सभाओ पर राज्य सरकार का  4 करोड़ रुपये ख़रच हुए | 

यानहा   सवाल हैं की पूर्व प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी का चुनाव  इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने इसलिए रद्द कर दिया था चूंकि उन्हे “”ब्लयू बुक “” के अनुसार  उनके पद के अनुरूप सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे | जिसे  जज साहब ने  चुनाव का खर्चा मान ,और विवरण में उसका उल्लेख ना किए जाने से  उनके निर्वाचन को ही “”अवैध “ करार दिया | इस घटना को मोदी जी की सभाओ  और रैलियो  में राज्य सरकारो द्वरा  भीड़ एकत्र करने के लिए  सरकारी अमले की तैनाती और बसो और गाड़ियो  का उपयोग ---किस ब्रम्हास्तर के तहत  चुनाव खरच में नहीं जोड़ा जाता ? इतना ही नहीं   आयोग के नियमो के अनुसार सरकार के साध्नो  समपूर्ण  निर्वाचन प्रक्रिया को ही “”अवैध “” बना देता हैं |

                   ऐसा लगता है की चुनाव आयोग नियमो का          उल्ल्ङ्घन  को देख कर आँख मुंदे  बैठा हैं | अन्यथा गुजरात में भी चुनावों में  प्रधान मंत्री के हवाई जहाज  के खर्चे  को बीजेपी के चुनाव खर्च में नहीं जोड़ा जा रहा | जबकि इस विशेस विमान  का खर्चा अत्यधिक है , लाख रुपया प्रति घंटे ,जब हवा में हो | स्थानीय प्रशासन का तो साहस ही नहीं हैं की वह पुछ – परख ले |                            कर्नाटक चुनावो के दौरान कोङ्ग्रेस्सियों  पर छापे पड़रहे थे बीजेपी नेताओ के जहाज नकद ले कर पनहुंच रहे थे | चुनाव आयोग के एक पर्यवेक्ष्क  ने प्रधान मंत्री के हवाई जहज की नियमानुसार तलाशी लेने का प्रयास किया , तो तुरंत तबादला आदेश थमा दिया |बाद में उसे प्रताडित भी किया ---क्यूंकी वह एक मुस्लिम अफसर था !    

मोदी जी सभा में भीड़ -राहुल की रैली में जन समूह --

 

  सरकारी साधनो के उपयोग /दुरुपयोग से चुनाव सिर्फ सत्तासीन सरकार ही लड़ सकती हैं | जो पैसा खर्च कर भीड़ जुटते हैं | लेकिन भीड़ तो जुटाई जा सक्ति है लोगो तीन-चार सौ रुपय प्रतिदिन देकर , लेकिन  “””जन समूह””  एकत्र होता है अपनी  श्र्धा से –आता है -अपने साधनो से राशन पानी लेकर | उसे कहते हैं जन समर्थन |अब उज्जैन में महाकाल “”लोक”” के उदघाटन के समय शिव भक्त तो स्वयं आते , महकाल की नगर सवारी के समय जो जन -सैलाब उमड़ता हैं , वह दस ज़िलो से बसो में भर कर बुलाये गए ग्रामीणो  से बेहतर होता | परंतु भीड़ देख कर “”मूड””  जिंका बने ,उनके लिए तो  मातहत  कुछ भी करेंगे , क्यूंकी मोदी की भ्रकुटी   उनका सिंहासन  छिन सकते हैं |  

अतः नियम – प्रदेश का कुछ भी हो परंतु  हुकुम पुर हो |

                                 उधर राहुल गांधी देश जोड़ो पद यात्रा का रहे है ,  जो नितांत  काँग्रेस पार्टी द्वारा मैनेज की जा रही है | परंतु भीड़ ‘’’’आ रही है ---लोग आ रहे है ‘’’ कोई उन्हे बस में या टॅक्सी मे ल नहीं रहा है | सब अपनी इच्छा से ही आ रहे हैं | न कोई भय हाइनना कोई लालच  यह होता है जन समर्थन  और जुटाई गयी भेद का अंतर |