ना जान बचेगी
और ना जंगल बचेगा ऐसा कानून बनेगा !
जन विश्वास बिल – देश ही नहीं मानवता से धोखा
है !
लोकसभा में बहुमत कितना जन अपघाती हो सकता है ,इसका उदाहरण मंगलवार को अहली
अगस्त को हुआ , जब ध्वनि मत से मोदी सरकार ने
मिलावट और अमानक दवाओ और खाद्य पदार्थो
में –जेल की सज़ा को समाप्त करने की
अपनी नियत को उजागर कर दिया ! मोदी सरकार ने
यह विधेयक लाकर यह साफ कर दिया की उसे “”जन
या जनता “”की परवाह नहीं वरन ‘’अपने दान दाताओ की ज्यादा है | बड़े
उद्योगपतियों के अरबों रुपए के कर्ज़ो को माफ करने वाली सरकार , अब अपने छोटे छोटे और मझोले उदुगपतियों
को “”कवच प्रदान “”” कर रही है | एक मज़ाक राजनीतिक हलको में कहा जाता था की बीजेपी यानि भारत के बनियो और जैन {माफी साहित}} की पार्टी है | यह आम लोगो के हिट की बात करती तो
है पर फैसले सरमायादारों के हित में होते है | अब इस विधेयक का भविषय ही यह निशय करेगा की या जन हितकारी है अथवा सरमायादारों के लाभ का है
लोगो
का अनुमान है की यह विधेयक दवा
बनाने वाली कंपनियो और खाद्य
पदार्थ निर्माताओ के समूह के “”दबाव “” मे लाया
गया है | इस विधेयक
की व्यापकता का अंदाज़ केवल इस टाठी से
लगाया जा सकता है की 42 मंत्रालयों के 42
कानूनों के 182 प्रविधानों ,में आरोपियों को सज़ा के प्रावधान को समाप्त किया
जाना है | राजनीतिक
हल्के में कहा जा रहा है की सरकार की यह पहल
सत्ताधारी दल को “”नोट भले ही दिला दे पर वोट “” नहीं मिलेंगे !
एक व्यक्ति की तथाकथित “”मानहानि “” के मामले में दो साल की सज़ा तो
मैजिसटेँट फटाक से सुना देते है ---पर अब वे भोजन –दवा और
मिलावटी शराब के मामलो में जनहा
अनेकों लोगो की मौत भी हो चुकी हो वनहा वे
केवल लाख का अधिकतम जुर्माना ही सुना
सकेंगे | है ना अजीब बात | कानून एक आदमी की हत्या पर फांसी और “’बिना नियत की
हुई मौत “” की सज़ा तो सात साल या अधिक की
दे सकता है , परंतु अगर यह विधेयक राज्य सभा में भी पास हो
गया तब किसी दवा निर्माता , होटल और हलवाई अथवा सुंदरता के
प्र्सधन बनाने वालो के सामान से किसी मौत भी हो जाए ---तब भी उसे कारावास की सज़ा नहीं दे सकेगा |
नरेंद्र मोदी जी विदेश यात्रा के
बहुत शौकीन है , वे अमेरिका हो कर आए है
---उन्हे क्या मालूम नहीं की वनहा दवाओ की गुणवत्ता और उसके अच्छे –बुरे प्रभाव की
जांच कड़ाई से की जाती है | तभी भारत मे अमेरिकी दवा कंपनीय अपने उत्पाद
चार सौ से अधिक मुनाफे में बेचती है | जबकि भारत की
देसी दवा निर्माता खांसी का कफ सिरप
भी “”हानिरहित “” नहीं बना पाते | यही कारण है की संयुक्त राष्ट्र
संघ ने अफ्रीका के अनेक देशो में भारतीय द्व निर्माताओ के कफ सिरप को “”जहरीला “ मानते हुए इन उत्पादो
और उनको बनाने वालो अन्य उत्पादो के प्रयोग को “”प्रतिबंधित “” कर दिया है | दुबई –जनहा की यात्रा कर के और वनहा
का राष्ट्रिय सम्मान पा कर मोदी जी अभी हाल में लौटे है – वनहा तो कानून
इतना सख़त है की खाने –पीने की वस्तुओ में मिलावट या खराब किस्म होने
पर तो सीधे मौत की सज़ा ही है | इसी लिए वनहा फिरंगी कंपनीया बहुत ज्यादा एहतियात बरतती है , की खाने की वस्तुए एक्सपारी डेट के पहले ही खतम हो जाए , वरना बची हुई सामाग्री उन्हे नष्ट करनी होती है |
विश्व
गुरु की प्रतिमा की चाह रखने वाले लोगो को ईमानदारी और सच्चाई का व्यवहार न केवल रखना होगा वरन ऐसा दुनिया
को लगे की हम ईमानदारी बरत रहे है यह भी दिखाना
होगा | इस बिल के पास होने की दशा में इल्ली लगा चावल और बदबूदार गेंहू को बेचने वाला ----- सिर्फ जुर्माना बाहर कर छूट जाएगा !!! 15 मंत्रालयों के 42 कानूनों के 182 प्रविधानों को संशोधित करने का प्रस्ताव सरकार
ने सदन में किया है----- जिसमे प्रिवेनशन ऑफ मनी लांडरिंग कानून भी है , अब ई डी ,जो की सभी मोदी विरोधियो पर छापे मारने और गिरफ्तार करने के लिए बदनाम है ---उसका
भी काम बस ट्राफिक सिपाही क तरह चालान काटना भर रह जाएगा | अब
वह पुंछ ताछ ही करेगी जांच के लिए हिरासत में
नहीं लेगी ,क्यूंकी जिन
अपराधो में केवल का जुर्माना का प्रविधान होता
है –उनमे क़ैद नहीं होती अमूमन |
संयुक्त
संसदीय समिति में इस विधेयक पर अधिकान्श का
मत यह था की दूध – दही , या समोसे कचौड़ी चाय
और हलवाई के निर्मित सामानो पर जेल की व्यसथा समाप्त की जानी चाहिए | क्यूंकी इन छोटे छोटे व्यापारियो का रोजगार तो श्रम कानून के तहत भी नहीं
आता | परंतु वन अधिनियम 1927 के तहत पेड़ काटने पर 00 रुपए के जुर्माना तो अत्यंत धोखा है | क्यूंकी जंगल का
कोई भी पेड़ की कीमत तो जुर्माने की रकम से
कई गुना होती है | अब
इससे वन माफियाओ की बन आएगी , वे किस्तों में पेड़ काटेंगे और वन रक्षक कुछ भी नहीं कर सकेगा ! हाँ जंगल
में मवेशी चरने पर यह जुर्माना जायज कहा जा
सकता है | क्यूंकी जंगल
के किनारे बसे आदिवासी या दूसरे लोगो “ चरनोई
की जमीने खतम हो जाने के कारण अपने मवेशियो
को जंगल में चराने के लिए मजबूर है | अब ऐसे में उनके हिट के साथ पर्यावरण का ध्यान रखना बहुत जरूरी है |
पर्यावरण और वायु प्रदूषण के कानूनों
में संशोधन करके भी जेल की सज़ा को खतम कर दिया
गया है , अब उद्योगपति हवा –पानी को गंदा या प्रदूषित करके --- शासन के
मुंह पर “चांदी का जूता “” मार कर छूट जाएँगे , उन्हे डर तो सिर्फ
जेल जाने और वनहा की कष्टो का था | जो उन्हे कानून और नियमो का पालन करने को मजबूर करता था | अब फैकट्री और मिललों का गंदा पानी और सामान आसानी से बसाहट में
डाला जा सकेगा , और वह भी बिना किसी सज़ा के भय के | इस विधेयक में जो सबसे अजीब संशोधन है है वह है रेलवे एक्ट 1989 जिसमे रेल के डब्बे में भीख मांगने वालो को अब ना
तो जेल होगी और नाही कोई जुर्माना –क्यूंकी अगर वे जुर्माना अदा करने लायक होते तो
भीख क्यू मांगते | हाँ अब चलती ट्रेन में सामान बेचने वालो को छूट मिल जायेगी ,लेकिन उसे रेलवे से पर्मिट लेना होगा , परमिट नहीं होने
से भी कुछ नहीं होगा | शायद मोदी सरकार नौजवानो को पकौड़े समोसा बेचने और चाय के स्टाल लगाने तथा धार्मिक नगरो में गाइड की भूमिका निभाने को प्रेरित
कर रहे है |
यह
विधेयक अगर राज्य सभा में भी पास हो गया तो
इसके कुफ़ल जल्दी ही दिखाई पड़ेंगे |