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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 1, 2023

 

ज्ञानवापी की गलती को सुधारने के पहले शंबूक वध का जवाब होगा !

 सत्ता के  लड़खड़ाते पैर दंगो की लड़ाई से जीत हासिल कर सकेंगे !

 

 मणिपुर से  शुरू हुई अशांति का हरियाणा तक फैलना , संयोग तो नहीं , हाँ सत्ता का प्रयोग ही हो सकता है |  आज  नब्बे दिन से अधिक हो गए पूर्वोतर में जन  जातीय समुदायो में हो रही हिंसा ,और उनमे  मरने और विस्थापित होने वालो  की संख्या में लगातार बढोतरी  , केंन्द्रिय सरकार के लिए चिंता से ज्यदा राजनीति में “वनअप  मैनशिप “ की बात है | उनके सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब और सरकारी पैरोकारों की दलीलों से तो यही लगता हैं !

       इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के भगवधारी  मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ  भी इस  “ धरम युद्ध “ में आहुती देने से बाज़ नहीं आ रहे है | ज्ञानवापी को मुसलमान शासको  की गलती बताते हुए  योगी नामधारी  का सुझाव है की मुसलमान पूर्वजो की गलती को  सुधारने के लिए  समुदाय को माफी मंगनी चाहिए |  आशय यह है की मुसलमान  ज्ञानवापि मस्जिद  पर अधिकार छोड़ दे –जिस प्रकार बाबरी मस्जिद  पर उनका अधिकार लिया गया |   इन गोरखनाथ मठ के प्रमुख और राजय के मुख्यमंत्री  के अनुसार  वनहा ज्यूतिर्लिंग है  देव प्रतिमाए है  और दीवारों पर  देवताओ के चित्र है !  अब कुछ सवाल ---किस प्राचीन मंदिरो की की दीवालों पर देवी – देवताओ के चित्र पाये गए है ,क्या बताएँगे ? 

    मुख्यमंत्री   आदित्यनाथ  क्या कोई ऐसा ऐतिहासिक अथवा वेदिक द्र्ष्टांत  बता सकते है , जनहा काषाय वस्त्र धारी  शासक रहा हो ??  भगवा वस्त्र  भौतिक जगत से संबंधो को तोड़ने का प्रतीक है , यानहा तक की यह बना धरण करने वाले को अपने माता पिता –परिवार  से संबंध खतम कर स्वयं का श्राद्ध करके ही इस परंपरा में प्रवेश पाया जा सकता है | तब किस  धार्मिक अथवा नैतिक आधार पर वे भगवा वस्त्र धरण कर के  राज्य चला रहे हैं ??  इसे कहते है खुदरा फजीहत दिगरा नसीहत |  हाँ  187 में सन्यासियों ने शस्त्र  उठाए थे फकीरो ने भी हथियार लिए थे –परंतु वह  विदेशी शासको  के खिलाफ था | परंतु आज जिस प्रकार लोकतन्त्र में  भगवधारी  मुख्यमंत्री   राज्य के एक समुदाय को निशाना बन रहे है –वह धरम सम्मत तो कतई नहीं है | अगर है तो बताए |

    अब ऐतिहासिक भूल की बात करे तो  योगी जी  राम राज्य में ही शंबूक का वध हुआ था –क्यूंकी वह वेदपाठ करने का अधिकारी ,इसलिए नहीं था क्यूंकी वह  निम्न वर्ण में जन्मा था ? क्या उसके लिए आप माफी मांगेंगे , क्यूंकी आप तो  शक्ति उपासक के कनफ़डवा संप्रदाय से है | जो मूर्ति पुजा नहीं करता है परंपरा से |  इतिहास  में  सनातनी समाज में ऊंच–नीच के भेदभाव तथा छुवाछुत  के कारण  महान सम्राट अशोक के काल में ही  बौद्ध और जैन धरम  का उदय हुआ | बहुत बड़ी संख्या में   देश में  बौद्ध संघाराम  बने लोगो ने मूर्ति पुजा छोड़ कर अष्टांगिक मार्ग अपनाया | दक्षिण में सनातनी लोगो के अत्याचार से पीड़ित होकर  लोगो ने ईसाई धरम अपनाया , अब इन सब के लिए ----- कौन गलती का जिम्मेदार और कौन भूल सुधार करेगा ? जवाब दीजिएगा |

 राजनीतिक  कयास _--- हाल ही में कश्मीर समेत अनेक राज्यो में राज्यपाल का पद सम्हालने वाले  नेता सतपाल मालिक  ने सोशल मीडिया पर एक आशंका जाहीर की है की  , आगामी  चुनाव जीतने के लिए   श्री नरेंद्र मोदी जी “” कोई भी  कदम उठा सकते है “” |  मणिपुर की हिंसक घटनाओ पर बोलते हुए उन्होने  आशंका जताई की  राम मंदिर में बम विस्फोट कराया जा सकता है , अथवा किसी नेता की हत्या हो सकती है { यह गुजरात के गृह मंत्री हरेन्द्र पाण्ड्या की हत्या की याद दिलाता है }  या फिर युद्ध  हो सकता है | मतलब यह की  इन घटनाओ से उपजी सहानुभूति से वे अपनी गद्दी  बचा सके | अब  सतपाल मालिक  खुले आम यह बात कह रहे है , परंतु ना तो बुलडोजर मुख्यमंत्री  आदित्यनाथ  की हिम्मत है और ना ही केंद्रीय एन आई ए और उसके मालिक अमित शाह जी कोई कारवाई नहीं कर प रहे है | वे यालगर परिषद के  आरोपियों को “”राष्ट्र द्रोह “ में जमानत  पाये दो आरोपियों को  को एन आई ए की अदालत ने न्यायिक   अनुशासन से अधिक  ही  वफादारी बताई है | उसने सुप्रीम कोर्ट की सात  शर्तो के साथ  दस आफ्नो ओर से नयी शर्ते  जोड़ दी ! इतना ही नहीं  उन्होने नकद जमानत को भी अस्वीकार कर दिया | यह उदाहरण  यह इंगित करता है की किस प्रकार निचली  अदालते भी केंद्रीय सरकार  के इशारो को समझ कर फैसले करती है | यानहा राहुल गांधी के मामले को भी समझा जा सकता है |

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