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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 6, 2018


चुनाव प्रचार और व्यापारिक विज्ञापन बाज़ी मे अब इतना ही अंतर है
की चुनाव मे बोले गए या कहे गए ----असत्य और आधारहीन बाते और दावो
के लिए ठगा गया मतदाता -किसी भी न्यायालय मे न्याय नहीं पा सकता ,,
जबकि बाजारू चीजों के विज्ञापन के झूठ को "”उपभोक्ता फोरम "” मे चुनौती
दी जा सकती है !! क्या मतदाता इतना "असहाय '' है की वह उपभोक्ता से भी
गया बिता है !! उसे चुनाव प्रचार के सुनहरे वादो
की सत्यता का परखने का कोई ठौर --ठिकाना नहीं !!!!!!!



विगत 20 वर्षो से लोकसभा के चुनावो के प्रचार मे ऐसे - ऐसे वादे जनता --मतदाता से किए जाते है , जो उसकी कल्पना से भी बाहर होते है | परंतु चुनाव जीतने के बाद ----वो वादे हक़ीक़त --यथार्थ की ज़मीन पर कभी नहीं उतरते !!
और मतदाता जो नेताओ के चुनावी वादो को "””सच मानकर "” अपना मत उनके सुझाए गए चुनाव चिन्ह के सामने ई वी एम मशीन के बटन को दबा कर दे देता है ! पर पाँच मिनट की उस कवायद का फल उस राजनीतिक पार्टी को तो एक प्रतिनिधि के रूप मे मिल जाता है <<पर उससे किए हुए भासण के वादे मानो धार्मिक प्रवचनों की तरह हो गए -------जिनका कोई "”प्रतिफल नहीं होता ---क्योंकि वह किरतनिया द्वारा कहा गया सब कुछ भविष्य मे अथवा अगले जनम मे मिलेगा || जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा |


इस हालत मे भारतवर्ष का गणतन्त्र हर बार कुछ कुछ नए वादो और नए सपनों के साथ समय के पाठ पर बाद जाता है | अभी कर्नाटक के विधान सभा चुनावो मे काँग्रेस और केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यो द्वारा जो -जो भी कहा जा रहा है वह तो वनहा के नागरिकों को परमसुखी बनाने के करार जैसा है ! परंतु क्या वास्तविकता मे ऐसा है ???
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तूम्कुर की सभा मे राहुल गांधी को पंद्रह मिनट बिना कागज बोलने की चुनौती दी -----वनही उन्होने पूर्व प्रधान मंत्री देवगौड़ा के लिए पुत्रवत व्यवहार का वाद करते हुए यानहा तक कहा की "””वे अपना समय जनहा कनही भी बिताना चाहे वनहा उनके रहने का प्रबंध कार्वा देंगे – वे चाहे तो किसी बंगले अथवा फार्म हाउस या आप मेरे साथ रहना चाहे तो मई एक पुत्र की भांति आप की सेवा करूंगा "””” कितना बाद सम्मान और आदर !!! पर्ंतु दो दिन बाद ही मोदी जी ने अपना 48 घंटे पूर्व दिया हुआ प्रस्ताव रद्द कर दिया !!!

उनपर आरोप लगाया की वे चुनाव मे भारतीय जनता पार्टी के आधार मे सेंध लगा रहे है | देवगौड़ा जी ने भी मोदी जी को धन्यवाद कहते हुए कहा की वे अपने स्थान पर संतुष्ट है | अब दो दिनो तक चले इस "” प्रणय प्रस्ताव "” की परिनिति
ने राजनेताओ के कथन और करनी को उजागर कर दिया |

इसी प्रकार इनके दावो के आंकड़ो की हक़ीक़त की जांच भी "”नहीं हो सकती "”” क्योंकि दावा करने वालो ने मतदाता के सर से बहुत ऊंचे से यह बात कही है "” अब निरीह मतदाता उसको नाही चुनौती दे सकता है ---और ना ही इसे पालन करवाने का कोई उपाय उसके पास है ! अगर आपके पास कोई तरकीब हो तो मान्यवर उसे बता दीजिये !

सवा सौ करोड़ के लोकतन्त्र का प्रधान मंत्री चुनाव के दौरान अपने मुक़ाबिल से इस तरह की घर और परिवार की बात कहे --वह भी मात्र 48 घंटे के लिए !!!!
फिर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की "” अंतकछारी"”” का ज़िक्र भी जरूरी है | गांधी परिवार संघ और बीजेपी के लिए चांदमारी का ठिकाना है !! परंतु अब वनहा से भी वार को पलटा दिया जाता है ----अपनी सादगी और उनके प्रति सम्मान से !! राहुल का कहना की आप जो भी कुछ कहे मै आप पर हमला नहीं करूंगा ??? क्या यह शराफत है अथवा परंपरा ?? जिस तरीके से अभिनय की मुद्राओ मे मोदी जी जनता को संभोधित करते है ----- वह लोगो को कुछ और भी याद दिला देती है |
लगता है आने वाला कुछ समय भारत वर्ष मे धर्म के नाम पर "”पाखंड "” और गेरुवा वस्त्र धारियो के दखलंदाज़ी के रहेंगे | जैसे यूरोप के इतिहास मे 1500 ईस्वी तक था | लेकिन अंत मे उन चोगाधारियों को दस वर्ग मील के "” धार्मिक साम्राज्य वैटिकन सिटि "”” मे समेट दिया गया | इस नज़र से इन बाबाओ और मठो तथा मंदिरो का राजनीति मे दखलंदाजी - अब खतम ही होगा !

क्या चुनाव कमीशन कोई ऐसी " एडवाइजरी"” जारी कर सकता है की जिसमे क्या कर सकते है "नेता या राजनीतिक पार्टिया ''' यह लिखा हो | क्योंकि क्या "””नहीं करना चाहिए "” इसकी लिस्ट तो है | परंतु मतदाता से वादे करने और सुनहरा भविष्य दिखाने पर ---- आर्थिक और कानूनी सीमाओ की लगाम हो " !

आखिर मे एक ही लाइन मतदाता के लिए उम्मीद पर दुनिया कायम है !!!