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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 16, 2021

 

-दिल्ली सरकार को--जागीर बनाने के लिए तड़पती मोदी सरकार !!


पाँच सूबो में सरकार बनाने के लिए केंद्र में सत्तारूड़ दल , जनहा सरकार बनाने के लिए सभी उपाय कर रही हैं | वनही दिल्ली सरकार के हाथ बांध कर , उसे अपना गुलाम बनाने को तरस रही हैं | तभी तो दिल्ली की सीमा को घेरे किसान आन्दोलंकारियों की ओर से "”बेपरवाह "” मोदी सरकार , लोकसभा में केजरीवाल के सुधारो पर "”अंकुश "” लगाने के लिए एक बिल पेश किया हैं !! कारण यह हैं ,की विधान सभा के विगत दो चुनावो में मोदी जी और अमित शाह ने हर जा -बेजा उपाय अपनाए थे , पर नतीजा --सिफर ही रहा ! केंद्र में सत्तारूड नेत्रत्व ने "” हिन्दू -मुस्लिम "” का अपना आजमाया नुस्खा भी लगाया | धन की शक्ति का जो प्रदर्शन हुआ , वह जानने वालो को को आश्चर्यचकित कर देने वाला था | चाहे मोदी जी का रोड शो हो अथवा अमित शाह का घर - घर जा कर मतदाताओ से वोट मांगने का अभियान हो | सभी में जैसी सुविधाओ और समान का उपयोग किया , वैसा कोई पार्टी तभी कर सकती है -----जब उसके दान दाता बड़े उद्योग पति हो अथवा कोई गुप्त खजाना हो ,जिस पर माता लक्ष्मी की अप्रतिम कृपा हुई हो ! परंतु उसके बाद भी "”भाग्य "” ऐसे नेताओ के संगठन को विधान सभा में दहाई में बताई जाने वाली सीटे भी ना दे ! और ऐसा एक बार न हुआ हो ---वरन विरोधी ने अपनी सफलता को दुहराया !

जनहा बंगाल में अमित शाह मुख्य मंत्री ममता बैनर्जी के पर कतरने के लिए केंद्र की आपातकालीन शक्तियों तक का इस्तेमाल किया | पहले उनके मुख्य सचिव को बदला ,फिर कहते हैं "”केंदीय चुनाव आयोग "” ने अपने पर्यवेचको की "” सलाह "” पर पुलिस निदेशक को बदल दिया | एवं नए अफसर के आने के 24 घंटे में नंदी ग्राम में मुख्य मंत्री पर हमला हुआ ---या हादसा हुआ ! अब केंचुआ या चुनाव आयोग को "” खास हस्तियो "” के सुरक्षा के लिए बनी "”ब्ल्यू बूक "” के प्रविधान को भी नए डीजीपी ने भुला दिया ! बीजेपी और काँग्रेस द्वरा "घटना " को हमला बताए जाने पर , काफी खिल्ली उड़ाई गयी ! इसे बीजेपी ने नाटक तक बताया |

1--- परंतु किसी दल ने यह नहीं जानने की कोशिस की मुख्य मंत्री की सुरक्षा के लिए उनके दो चक्र के अफसर कान्हा थे ?

2--- जिला पुलिस को जो सुरक्षा प्रबंध करने थे वे क्यू नहीं किए गए ?

हालांकि ममता विरोधी दल इसे हमले और हादसे बताने में व्यस्त रहे |

काँग्रेस पार्टी को को तो इसे हमला या हादसा बताने की कोशिस नहीं करनी चाहिए ---परंतु उनके नेता अधीर रंजन मुकर्जी शायद

चुनाव प्रचार के दौरान श्रीमति इन्दिरा गांधी पर उड़ीसा में पुरी की सभा में पत्थर मार कर उनकी नाक को घायल किए जाने की घटना को भूल गए | तब भी विरोधी दलो ने इसे "” स्व प्रायोजित "” घटना बताया था | और राजीव गांधी की हत्या भी उचित सुरक्षा नहीं होने के कारण ही हुई ! इसलिए बीजेपी कहे तो कहे लेकिन काँग्रेस को ईटनी अमानवीयता नहीं दिखनी चाहिए |

रहा बीजेपी का सवाल तो उनके किसी बड़े नेता को आज तक हवा भी नहीं छु गयी | पटना में मोदी जी की चुनाव प्रचार सभा में 8 बम विस्फोट हुए , परंतु उनके सुरक्षा अधिकारी ने उन्हे खरोच भी नहीं आने दी | एन आई ए ने घटना की जांच कर कुछ लोगो को गिरफ्तार किया , परंतु 8 साल बाद भी मामला अदालत तक नहीं पहुंचा |


एक ओर अमित शाह बंगाल को "”सोनार बांग्ला "” बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं , वनही केजरीवाल ने दिल्ली की जनता पेय जल --बिजली --स्वास्थ्य और शिक्षा का जो अप्रतिम व्यवस्था की हैं , उसी के चलते कभी पाकिस्तान से आए लोगो में पनप रही मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत को संघ और बीजेपी ने भुनाया था | आज वही संगठन जो दुनिया का सबसे बड़ा संगठन और राजनीति पार्टी का दावा करती हैं -------पिछले दो चुनावो से मात खा रहा हैं | हिन्दू - मुस्लिम का प्रिय ब्रहमसास्त्र भी निसफल हो गया |

अब आते हैं की पाँच राज्यो में चुनाव के दौरान ऐसी कौन सी मजबूरी प्रधान मंत्री की आ गयी की --उन्हे दिल्ली सरकार पर लगाम लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा | वजह है दिल्ली सरकार का बजट --जिसमें केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रवाद के लिए आगामी एक साल तक बड़े -बड़े राष्ट्रिय झंडे पुरी दिल्ली में लगाने का एलन किया हैं | मोदी सरकार ने बाघा बार्डर पर एक विशाल झण्डा लगाया हैं जो पाकिस्तान में भी दिखाई पड़ता हैं | इसे राष्ट्रवाद का प्रतीक बताया गया था | उसी तर्ज़ पर जब दिल्ली सरकार ने फैसला किया तब मोदी जी को लगा की राजनीति की शतरंज में केजरीवाल वही चाल चल रहे -जिससे उन्होने अपने विरोधियो को निरुत्तर किया था |

दूसरा कारण है केजरीवाल का वादा की वे दिल्ली के व्रद्ध जनो को राम मंदिर की यात्रा कराएंगे | अब इस अचूक अस्त्र के वीरुध --- मंदिर के नाम पर अरबों रुपये का चंदा एकत्र करने वाले सगठन कैसे विरोध कर सकता हैं ??? इसी लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया गया की दिल्ली सरकार बिना उप राज्यपाल की मंजूरी के कोई फैसला नहीं ले सकते ! मतलब दिल्ली की जनता की चुनी सरकार केंद्र का एक दफ्तर हो गया जनहा बिना सचिव की अनुमति के कोई फैसला नहीं लिया जा सकता !! इससे ज्यादा अधिकार तो पुलिस के सिपाही को सीआरपीसी देती है की अपराध होते देख कर खुद फैसला ले सकता है --ना की दारोगा जी के पास अनुमति लेने जाए !

वैसे यह विवाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने एक बार निश्चित किया हैं "””” जिसमें उप राज्यपाल "” के अधिकारो को सीमा को रेखांकित किया था | अब दुबारा उसी फैसले को पुनः परिभाषित करना होगा |

वैसे बीजेपी नेताओ की आशंका है की कनही अन्य राज्यो में विरोधी दलो इसी तर्ज़ पर चुनावी वादे किए तब हम क्या कह पाएंगे ??? यही वह फांस हैं जो चुनावी दौड़ में दिल्ली में घायल मोदी जी को तीस रही हैं | वे किसी भी प्रकार केजरीवाल के माडल को देश में फैलने नहीं देना चाहते हैं ----- क्यूंकी उनके "”सुशासन "” के वादे को देश की जनता नोटबंदी और लाक डाउन की त्रासदी में देख भी चुकी हैं और भुगत भी चुकी हैं | आखिर पानी -बिजली -स्वस्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाए ही तो असली चुनावी मुद्दा हैं !