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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 5, 2019


कब रोक लगेगीखन खननन खन -खनन -कितना होगा क्या पर्यावरण बर्बाद होने के बाद सरकारे जागेंगी ?उदयौगों के लालच पर ?

मध्य प्रदेश मे रेत के खनन के माफिया के हाथ बहुत बड़े है --- यानहा नर्मदा के रेत भरे डंपर पर अगर चौहान लिखा है तो उसे रोकने की ताकत ना तो पुलिस की होती थी ना खनिज विभाग की | यानहा चौहान का संकेत मुख्य मंत्री शिव राज सिंह चौहान से वैसे ही होता था -जैसे राजवंश से होता था | होशंगाबाद और बुधनी से गैर कानूनी रूप से रेत भर ला रहे डंपर भगवान की गाय के समान थे ---जिनहे कोई नहीं छू सकता | गौर तलब है की शिवराज सिंह को बच्चो के मामा के अलावा एक नाम और भी चलता था"” डंपर वाले मामा "”|गौर तलब है की शुरुआती दिनो मे रीवा की सीमेंट मिल मे डंपर की खरीद को लेकर उनपर मुकदमा भी चला था |


इतिहास गवाह है को सिंधु घाटी और हद्दप्पा तथा नील नदी की दजला -फरात सभ्यताए मानव के लालच की शिकार हुई फिर प्र्क्रती क्रूर बदला लिया और इन सभ्यताओ का नाम ही मिटा दिया | आज मानव ज़ाती फिर उसी दो राहे पर खड़ी है -----जनहा यद्योगों के लालच को सत्ता की शह पर आम लोगो की बाली चड़ाई जा रही है | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इसके उदाहरन है -जो मानते है की भूमंडल का तापमान मानव निर्मित गैसों से बाद रहा है | उस पर नियंत्रण के अंतरराष्ट्रीय प्रयासो का वे मजाक उड़ाते है | जबकि इनके समय मे ही सर्वाधिक प्र्क्रतिक आपदा उनके देश मे हो रही है | सुनामी - बाद और जंगल मे आग की घटनाओ ने लाखो अमेरिकियों को बेघर कर दिया है | संपति के नुक सान होने का अंदाज़ लगाना कठिन है | फिर भी वे कोयला खनन की छूट देकर सरमायादारों को लाभ तो कमाने का अवसर दे रहे है , जो उनके लिए चुनाव मे फंड जुटाने का काम कर रहे है |
ऐसे मे भारत मे भी राष्ट्रीय ग्रीन ट्राईबुनल के आदेशो की सरकारो द्वरा अवहेलना अनेकों भीषण दुर्घटनाओ का कारण बन रही है कुछ उदाहरण ये है |

मेघालय की जयंतिया पहाड़ियो मे "” अवैध रूप से "” चल रही कोयला खदानों मे से एक मे बीस मजदूरो के धरती से अस्सी फीट नीचे फंस जाने के बीस दिन बाद भी उन्हे निकाला नहीं जा सका | सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से बचाव कार्य की जानकारी तलब की है ! विगत समय थायलैंड मे बालको की फूटबाल टीम के फंस जाने पर विश्व व्यापी प्रतिकृया हुई थी | उन्हे सकुशल निकालने मे दुनिया के अनेक देश संसाधनो सहित आगे आए थे | भारत की किर्लोसकर कंपनी जो भरी उपयोग के लिए पम्प बनती है उसने और अमेरिकी धन कुबेर इयान मशक ने भी मदद की थी | वे सभी लोग जो एक प्राकक्र्तिक गुफा मे फंसे थे -----सकुशल निकाल लिए गए |

इसकी तुलना मेघालय की जयंतिया पहाड़ो की इस दुर्घटना से करे तो देश का सर शर्म से झुक जाता है | केंद्र ने अभी तक सेना को इस आपात स्थिति से निपटने के लिए नहीं लगाया शायद इसलिए की वनहा "”विपक्ष " दल की सरकार है !! इसीलिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तकछेप करना पड़ा !

एक किस्सा है की की एक बार अकबर ने बीरबल से कहा की लोग कहते है सारी दुनिया "”खुदा की खुदाई है "” यह कैसे है ? बीरबल उन्हे यमुना किनारे सुबह टहलने ले गए और पूछा की बादशाह यह नदी किसने खुदाई ? अकबर ने कहा की यह तो नहीं मालूम - यह इंसान की करामात तो नहीं हो सकती -खुदा की खुदाई ही होगी ! बीरबल ने कहा की आप को जवाब मिल गया | लेकिन आज कल लोग खुदा की इस खुदाई को बर्बाद करने पर जूटे है | खनन माफिया एक ऐसा शब्द बन गया है जो सरकार किसी की भी हो पर वह फलता -फूलता रहता है | यह सब संभव होता है सरकार मे बैठे मंत्री और अफसरो की शह और संरछण से | अरबों - खरबो के पत्थर - बालू और मुरम कोयला और तथा अन्य खनिज "गैर कानूनी "”रूप से खोदे जाते है और बाज़ार मे बेचे भी जाते है | एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष सार्वजनिक बैंको की डूबंत राशि के बराबर का यह "”अंधा और गैर कानूनी कारोबार फलफूल रहा है | वह भी ज़िले ले अफसरो की नाक के नीचे से राजी की राजधानियों से होते हुए दिल्ली तक इस माफिया की तार और तंत्र जुड़े है |

इसका ही असर है की बीते समय भिंड मे एक आईपीएस अफसर ने जब खनन माफिया के ट्रैक्टर ट्राली को रोकने की कोशिस की तब ड्राईवर ने उन्हे कुचल दिया ! इस घटना मे उनकी मौत हो गयी | दुखद बात यह हुई की प्रदेश सरकार ने इस घटना को एक तात्कालिक घटना मानकर अपराध दर्ज़ किया और - उन शक्तियों का पता लगाने की कोशिस नहीं की जिनकी शाह पर इतना बड़ा कांड हुआ | आखिर मे शहीद पुलिस अफसर की आईएएस पत्नी ने राज्या सरकार के रवैये से खिन्न होकर अपना काडर ही बदलवा लिया | शायद यह पहला मौका है , जब अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी की मौत को इतने सरसरे घंग से निपटाया हो ! आखिर क्यो उनकी पत्नी ने उत्तर प्रदेश जाना पसंद किया ? शायद वनहा ऐसी घटना पर बवंडर मच जाता |
कुछ ऐसी ही घटना छतरपुर मे महिला खनिज अधिकारी के साथ भी हुई -जनहा उन्हे भी कुचलने की कोशिस हुई | भला हो उनके साथ के कर्मी का जिसने उन्हे खीच लिया और पहिये के नीचे आने से बचा लिया | होशंगाबाद की एक महिला खनिज अधिकारी भाग्य शाली थी उन्होने अवैध रूप से रेत ला रहे चौहान लिखे दस डंपरो को पकड़ कर थाने मे बंद कर दिया | उनके चलन को पुलिस ने लेने से इंकार कर दिया | शाम होते होते उनका तबादला आदेश आ गया ----उन्हे मुख्यालय भेज दिया | अवैध खनन के मामले मे अपराधी या तो नदी से पोकलें मशीन द्वारा रेत निकालने पर पकड़े जा सकती है अथवा बिना पर्मिट के अवैध परिवहन के समय |
परंतु दुखद यह है की कर्नाटक के रेड्डी बंधु हो या आंध्र के इन लोगो ने इस गैर कानूनी से इतनी ताक़त बना ली है की वे राजनीतिक दलो को धन देते है सरकार पर प्रभाव डाल कर मनचाहे अफसरो को नियुक्त कराते है | जो स्वयं भी रिश्वत लेकर सम्पन्न बनते है |और अपने आकाओ को भी नोटो की गडडिया पाहुचते है | इसमे पर्यावरण नंगा होता है और सरकार बेशर्म होती है और खन खन खननना होता है वे लोग जो सत्ता मे बैठे है |
जयंतिया खन मे हुई दुर्घटना मे आज तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई – क्योंकि सरकार और अधिकारी मिले हुए है | नेशनल ग्रीन ट्राई बुनल के आदेश के बाद भी मेघालय सरकार ने इन खतरनाक घोषित खदानों मे काम चालू रखा | आखिर एनजीटी के आदेश को रद्दी की टोकरी मे फेकने की हिम्मत सरकार मे कैसे आई | अब सुप्रीम कोर्ट ने सज्ञान लेकर इस मामले मे पूछ ताछ तो की है ----पर क्या वह कारवाई भी करेगी |