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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 29, 2021

 

नववर्ष को विरासत में बीमारी -नफरत -अविश्वास ही मिलेगा !

कुछ घंटे ही बचे हैं जब दुनिया में लोग न्यू इयर का घंटे और आतिशबाज़ी से स्वागत करेंगे | भारत भी इनमे शामिल हैं | परंतु 2022 को विरासत में कोई भी ऐसी उपलब्धि नहीं हैं जो 125 करोड़ की आबादी के देश में किसी भी प्रकार का उल्लखित "”परिवर्तन"” ला हो | हाँ देश की आबादी में मात्र लाख लोगो को ही इस बीमार अर्थव्यसथा और सामाजिक नफरत से अछूते रहे | क्यूंकी इस वर्ग की मंहगाई अनाज और आलू सब्जी के भाव से नहीं होती , वरन उस बाज़ार के उतार-- चड़ाव से होता हैं जिसे कहते तो है "””शेयर मार्केट "” पर यह सिर्फ धनपतियों के कुनबे से ही लाभ बांटता हैं | देश की जनता से नहीं | परंतु आबादी के अनुपात में इस कुनबे की हैसियत दशमलव 000000000001 की होगी पर यह सरकार और उसके सारे तंत्र पर भारी पड़ता हैं | किसान को द्ये गए क़र्ज़ को सरकार उजागर करेगी , मकान बनाने के लिए गए कर्ज़ो को भी संसद को बताया जाएगा | उद्योगो को सरकारी सह्यता की राशि भी सदन के पटल पर रखी जाएगी | पर देश के उद्योगपतियों को किस बैंक ने कितना कर्ज़ दिया हैं , इसके लिए सरकार सुप्रीम कौर्ट में "”गुहार "” लगाएगी की इन लोगो के नाम न उजागर किए जाए -क्यूंकी देश की अर्थ व्यवस्था "डह" जाएगी ! भले ही यह सच्चाई उस बेमानी को उजागर कर दे जिसमें सरकार और उद्योगपति शामिल हो ! पर सदाहरण जन के बचत के धन से इन लोगो को अनाप - शनाप कर्ज़ देकर ,फिर सरकार उसे "”माफ "” कर देगी ! भले ही हज़ार रुपये के बिजली के बिल के बकाए के कारण ना केवल बिजली काट दी जाए वरन उसकी मोटर और ट्रैक्टर को भी ज़ब्त कर लिया जाएगा ! तो यह विरासत आने वाले 2022 को मिलेगी |

अब सामाजिक स्थिति की ओर नज़र डाले तो वनहा भी कोई शुभ और आशा की किरण नहीं दिखाई पड़ती | नोटबंदी से असंगठित व्यापार सेक्टर पूरी तरह चरमरा गया | महिलाओ के बचाए हुए पैसे भी मोदी जी ने निकलवा लिए ; जो परिवार के संकट के समय काम आते थे | रेहड़ी या फेरी वाले जिनका धंधा परिवार के सहयोग से चलता था , उनको "”मजदूरो के बाज़ार में खड़ा होना पड़ा "” क्यूंकी अभूतपूर्व मंहगाई से ग्राहक या तो कम हो गए अथवा गायब हो गए |

अगर देश में विभिन्न धर्मो और समुदायो के मध्य रिश्तो की बात की जाये तो , कहा जा सकता हैं की , संबंधो के कुएं में ही भांग पड़ी है | देश में जिस प्रकार "” कोशिस कर के अनेक संगठनो द्वरा धरम के नाम पर नफरत बोयी गयी थी उसमें अब फल आने लगे हैं | यह किया भी इसी लिए गया था की 2022 के पाँच राज्यो की विधान सभाओ चुनावो में सत्ता रुड दल यानि की "”” हिंदुत्ववादी "”” शक्तियों को विजय प्राप्त हो | भले ही इसके लिए राज्य सरकारो की ताकतों का इस्तेमाल "” गैर वैधानिक "”” तरीको से किया जाये ! हिंदुत्ववादी शक्तियों के निशाने पर मुसलमान तो पहले से ,या कहे आरएसएस की स्थापना से ही हैं , तो गलत नहीं होगा | हालांकि संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत अपने भास्णो से यदा - कदा कहते रहते हैं की "”देश के सभी निवासियों का डीएनए एक ही हैं "”” उनके अनुसार उपासना पद्धति अलग हो सकती है , पर सभी भारतीय हैं !!””” उनके इस कथन को भी लोकसभा में सरकार की ओर से दिये गए कथन से करना चाहिए --- जो आल इज़ वेल और स्थिति नियंत्रण में है कहने का पाखंड करती हैं | जिसके नेता हमेशा ज्वलंत मुद्दो से "” कन्नी काटते है और अनदेखी करते हैं "”” क्यूंकी उनका एक मात्र ध्येय होता है पार्टी विशेस को लाभ मिले भले ही आम जनता मंहगाई -बेरोजगारी और असिक्षा , पीने के पानी , कुपोषण और शासकीय भ्रष्टाचार से पिसती रहे | लेकिन विधान सभा चुनाव की पूर्व स्ंधया पर जनहा सत्तारुड पार्टी अपने किए { जो नहीं किए } और कहे वादो की याद मतदाताओ को दिलाती हैं | वनही विपक्ष सरकार की खामियो को उजागर कर समर्थन मांगती हैं | प्रचार अपनी वाह - वाही बताने तक सीमित रहे तो कोई बात नहीं ---- पर जब एक दूसरे की जांघ खोली जाने लगती है ----तब लगता हैं की हम "”सभ्य और सुसन्स्क्रत समाज से दूर कनही जंगल में हैं "” | जिस नाटकीयता से ही ही भले परंतु धार्मिकता की ओर इशारा अगर हिन्दुत्वादी ,, परंपरा तथा शुद्धता एवं संसक्राति के नारे के साथ करते हैं , मानो देश में धरम को अवतरित करने वाले वे स्वयं है ! चुनाव प्रचार आज गैर बराबरी और विज्ञापन तथा शराब - और पैसा बाँट कर किया जाना आम बात हैं | खास बात यह हैं की निर्वाचन आयोग के "” नुमाइंदे भी ज़ोर ज़बरदस्ती और सीमा से अधिक पैसे खर्च करने का सबूत नहीं पाते !!!! इसीलिए कभी भी आयोग के "पर्यवेक्षक "” की रिपोर्ट ने किसी भी निर्वाचन को "””अवैध "” नहीं बताया ! अदालत में सीध होने की बात दूर रही | चुनाव आयोग की घटती "” निसपक्षता "”” कभी भी अफ्रीका के देशो की तर्ज़ पर "”संगदिग्ध "”हो सकती हैं , तब जन आक्रोश ही एक मात्र विकल्प बचता हैं | यूं तो पीपुल्स रिपब्लिक ओ चाइना और सोवियत रूस के खंडहर पर बचे पुतिन के रूस में भी जन प्रतिनिधियों के चुनाव होते हैं ---- पर वनहा "”ईमानदारी "” ही सबसे बड़ा बलिदान होती हैं | मतदाता को अपनी पसंद का प्रत्याशी चुनने की आज़ादी नहीं हैं | ईरान में भी कुछ ऐसा ही तंत्र विकसित हुआ है ---वनहा इस्लामिक काउंसिल यह तय करती है की कौन चुनाव में "””प्रतायशी "” बन सकते हैं < हालांकि इसके लिए योग्यता का निर्धारण नहीं हैं !!!


समुदायो के मध्य नफरत जरूरी नहीं की मजहब के आधार पर हो , यह राजनीतिक भी हो सकती हैं | जैसा 14 माह तक चले अहिंसक किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी नेताओ और राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के लोगो द्वरा आंदोलन रत सीख किसानो को "”खालिस्तानी - और देशद्रोही कह कर पुकारा गया था | पर जब सेना के अवकाश प्रापत अधिकारियों और जवानो ने अपना समर्थन सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया , तब इन "”अंध भक्तो "” के पास कोई चारा नहीं बचा था | इस जाते वर्ष में ईसाई धर्म भी केंद्र की बीजेपी सरकार के निशाने पर आ गए हैं | विश्व में जिन मदर टेरेसा के संस्थान सिस्टर्स ऑफ चैरिटी को वैटिकन के पोप ने मान्यता दी हो उसे भारत सरकार ने विदेशी सहायता का हिसाब नहीं देने के कारण , उन्हे दूसरे मुल्को से मिलने वाली सहता को स्वीकार करने पर "”रोक "” लगा दी हैं | संयोग की बात यह हैं की यह आदेश केंद्र द्वरा क्रिसनस यानि 25 दिसंबर को दिया गया !! हैं ना मजेदार बात | फिर भी सरकार के नुमाइंदे कह रहे हैं की उन्होने खुद ही अपने खाते बंद कर दिये हैं | मदर टेरेसा द्वरा कुष्ठ रोगियो और बेसहारा लोगो के लिए जो परोपकार के कार्य किए हैं , उसका तो हिसाब केंद्र सरकार मांग रही हैं | परंतु अशोक सिंघल के समय विश्व हिन्दू परिषद को प्रापत चंदे का हिसाब आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया | तब अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए "””एक ईंट और एक रुपया "” का चंदा करोड़ो लोगो से उगाहा गया था | अब फिर वही परिषद अयोध्या में जमीन की खरीद में

हो रहे घोटाले की जांच ना तो योगी आदित्य नाथ की सरकार करा रही हैं नाही केंद्र सरकार ,जिसके पैसे से मंदिर का निर्माण किया जा रहा हैं !!

पंजाब के गुरुद्वारो में ग्रंथ साहब की "” बेअदबी "” और गुनहगार को पीट पीट कर मार देने की घटनाए चिंता की बात हैं | एक ओर यह कुछ "”शक्तियों "” द्वरा इस वर्ग को उकसाने का काम हो सकता हैं | क्यूंकी आजतक जब ऐसी घटनाए नहीं हुई थी ,तब अचानक इंका होना चिंता की बात हैं | खास कर चुनाव के मौके पर | उधर अंबाला के एक गिरजाघर में कुछ उजड्डों द्वरा ईसा मसीह की मूर्ति को तोड़ना और आँय नुकसान पन्हुचाना किसी अतिवादी का ही काम हो सकता हैं | किसान आंदोलन के दौरान लालकिले पर सिख डीएचआरएम के निशान साहब को फहराने का आरोप केंद्र सरकार की एजेंसियो और नेताओ ने किसान आन्दोलंकारियों पर लगे था | तब किसान नेता टिकैत ने आरोप लगाया था की यह "”सरकार के द्वरा कराई गयी हरकत हैं "” आज उस गुनहगार का और उस मुकदमें का कोई आता पता नहीं हैं | सिखो को आतंकवादी -खालिस्तानी और ईसाइयो को धरम परिवर्तन का दोषी तथा मुसलमानो को हिन्दुओ के लिए खतरा बताना ही हिंदुत्ववादी हैं | अभी एक जिम को बंद करने की मांग हिन्दू संगठनो ने इस आधार पर की ,यानहा लोग हिन्दू लड़कियो को "””बरगलाते है "” !! अब देश और धरम के नाम पर नफरत फैलाने को क्या संज्ञा दी जाए , यह प्रश्न खुला हैं !!!

देश अभी भी महामारी से उबरा नहीं हैं , और कोरोना तथा ओमिकोर्न ने दस्तक दे दी हैं | वैसे सरकार और डाक्टर लोग यही कह कर जनता को संतोष दे रहे हैं की "”” यह कोरोना जैसा प्राणघातक नहीं हैं "” | लेकिन वे भी यह मान रहे हैं की यह बच्चो और सीनियर नागरिकों के लिए घातक हो सकता है | चलिये फिर भी कुछ कट्टर वादियो को छोड़ दे , जो जीवन में तो अङ्ग्रेज़ी कलेंडर से ही काम करते हैं , पर साल उनका चैत्र से शुरू होगा ! वैसे मार्च से शुरू होने वाले संवत का वराहमिहिर के अनुसार नाम होगा

“”प्लव "” जो विप्लव के काफी समीप हैं , |

प्रार्थना है की देश के सभी नागरिक नए वर्ष { अंग्रेज़ो } में स्वस्थ्य रहे परिवार सुरक्शित रहे और सुखमय हो |

Dec 27, 2021

 

यू पी के चुनाव में पराजय की आशंका में सब कुछ दांव पर लगा !!


इलाहाबाद हाइ कोर्ट के जुस्टिस यादव का फैसला यूं तो अखबारो की सुरखिया बना ही , परंतु उनके गैर न्यायिक टिप्पणियॉ ने मोदी जी और शाह के इरादो की पहुँच को जनता में जता दिया हैं | जुस्टिस यादव ने प्रधान मंत्री की शान में कसीदे तो कहे ही साथ ही कोरोना -और चुनावी सभाओ में उसके खतरे को भी ध्यान में रखते हुए चुनाव को "”सुरक्षित माहौल "”” होने तक टालने का "”संकेत "” भी दिया !! अब मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव यूं तो बीजेपी सरकार और काँग्रेस की रस्साकशी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने अड़ंगा लगा दिया | बात वही पिछड़े वर्ग के लिए पंचायत चुनावो में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर थी | परंतु राज्यपाल को अध्यादेश को निरस्त करने की मंत्रिमंडल की सिफ़ारिश में भी कोरोना हैं ! यूं तो अबा बात कोरोना से आगे "”ओमिकरान "” तक आ पहुंची है | वैसे बंगाल विधान सभा चुनावो में मोदी सरकार और निर्वाचन आयोग को कोरोना महामारी के प्रकोप का "”खौफ "” नहीं था | क्यूंकी वनहा तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नारा था "””अबकी बार 300 पार "” ! परंतु बीजेपी की गाड़ी 90 पर ही अटक गयी | वैसे रपट पड़े तो हर गंगा की तर्ज़ पर ही शाह ने इन परिणामो को भी आपदा में अवसर भुनाते हुए कहा की हम इकाई से दहाई की संख्या तक पहुचे | और वामपंथियो का डब्बा गुल कर दिया !

खैर यह तो हुआ एक पैंतरा दूसरा वार उन्होने 14 माह तक दिल्ली में मोदी सरकार की नाक के नीचे धरना देते किसानो के गुस्से को तथा आम जनता को उनकी मांगो के समर्थन के उत्साह से भयभीत नरेंद्र मोदी जी ने

उत्तर प्रदेश में योगी के जन विरोध को देखते हुए तथा समाजवादी के अखिलेश यादव की रैलियो में उमड़ते जन समूह की तादाद से भी केंद्रीय सरकार की एजेंसिया सतर्क हुई | उन्होने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनहा जाट और गुजर समुदाय और मुसलमानो का बाहुल्य है , वनहा से सत्तरूद पार्टी के सफाये का संकेत दिया था | ताबड़तोड़ तरीके से मोदी जी ने यू पी में अमित शाह और राजनाथ सिंह के साथ पार्टी अध्यक्ष नड़ड़ा को भी चुनावी जंग में उतार दिया | तब सबकी समझ में आगया की मोदी जी को भी एहसास हो गया हैं की माहौल उनके नारो से नहीं सम्हाल रहा हैं | भले ही वे सरकारी आयोजन को चुनावी रैली में बदल कर – कहे की यू पी में योगी बहुत उपयोगी ! परंतु मोदी जी के मोटर काफिले के साथ पैदल रास्ता नापते हुए योगी की तस्वीर ने सब कुछ बयान कर दिया था की अब वे विधान सभा चुनावो में मात्र "””प्राकसी "” की ही हैसियत हैं | असली लड़ाई तो नरेंद्र मोदी जी को ही हैं | क्यूंकी इन चुनावो से 2023 के लोक सभा चुनावो की राह निकलनी होगी ----वरना उनका "”सामराज्य "” ढहते देर नहीं लगेगी |

मोदी जी और संघ का तंत्र सिर्फ यू पी में ही नहीं सक्रिय हैं , उसकी कारवाई पंजाब -हरियाणा और उत्तराखंड तक हो रही हैं | 14 माह तक लगातार धरने पर कायम रहने के कारण ही मोदी जी को टीवी पर माफी मांगनी पड़ी और तीनों काले कानूनों को वापस लेने का वादा करना पड़ा | परंतु भारतीय किसान यूनियन के नेता टिकैत ने साफ कह दिया जब तक मोदी के कहे पर संसद की मुहर नहीं लगती ,तब तक धरना जारी रहेगा |एवं आश्चर्य की बात की जनता को "””जुमला परोसने वाले मोदी जी "” को उनकी सारी शर्ते माननी पड़ी | फिर भी टिकैत ने कहा की समझौते के "”उचित तरह से पालन होने तक किसान आंदोलन "”स्थगित हैं वापस या खतम नहीं हुआ हैं "”” | वैसे संयुक्त किसान मोर्चा जिसके 400 से भी ज्यादा घटक हैं उन लोगो ने "”यह साफ कर दिया था की वे चुनावी राजनीति में हिसा नहीं लेंगे "” | शायद उन्हे आंदोलन से निकले राजनीतिक संगठनो में ""असम के छात्र गण परिषद और अन्न आंदोलन से निकल्ले "” आम आदमी पार्टी "” का परिणाम देख रखा हैं | परंतु नरेंद्र मोदी जी ऐसे ताकतवर विरोधी को कायम नहीं रहने देना चाहेंगे | क्यूंकी ये लोग कभी भी उनके नेत्रत्व को चुनौती दे सकते हैं |

इसलिए जब पंजाब के 20 किसान संगठनो ने पंजाब विधान सभा चुनावो के लड़ने की घोसना किया , तब संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से टिकैत ने साफ साफ कहा की "”किसान किंग मेकर हैं हमे किंग नहीं बनना हैं "” सभी नेता हमारे ही हैं , और हम भी सभी के हैं | परंतु पंजाब से आने वाली खबरों के अनुसार वनहा की कांग्रेस्स की सरकार को चुनावो में वैसी सफलता मिलने की कम उम्मीद हैं जैसी विगत में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेत्रत्व में मिली थी | इस बार कैप्टन ने कांग्रेस्स से अलग हो कर अलग पार्टी बना ली हैं , और बीजेपी से चुनावी सम्झौता कर लिया हैं ! उनकी पार्टी कॉंग्रेस के वोट बैंक को ही घटाएगी | उधर अकाली पार्टी के वोट बैंक को सेंध लगाने के लिए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल को "”””संयुक्त समाज मोर्चा '’’ की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया हैं | उनके अनुसार पंजाब के 32 संगठनो ने दिल्ली धरने में भाग लिया था , उनमें से 22 संगठनो ने संयुक्त समाज मोर्चा की पहल का समर्थन किया हैं |

अब इस घटना को सहज रूप से नहीं लिया जा सकता | क्यूंकी इस एक कदम से "”स्थगित किसान आंदोलन "” टूट सकता हैं , और शिरोमणि अकाली दल तथा कॉंग्रेस के वोट बंकों को नुकसान पहुंचा सकती हैं !!!! उधर पंजाब में "”बेअदबी "” के मामलो ने सिख समुदाय में कट्टरता को हवा दी हैं | उधर ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के हरद्वार में कुछ भगवादधारियों द्वरा "”धरम संसद "” बुला कर उसमें प्रतिभागियो को मुसलमानो को खतम करने लिये शस्त्र उठाने का आवाहन किया और कसम खिलाई गयी | मज़े की बात हैं की उतराखंड की पुलिस द्वरा घटना का वीडियो वाइरल होने के पश्चात भी कोई कारवाई नहीं किया जाना ,यह संदेह पैदा करता हैं की , “””ऊपर से आदेश के कारण "”” ही प्रशासन मौन हैं !!! अब सर्वोच्च न्यायालया में 60 वकीलो ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत प्रधान न्यायाधीश से कारवाई किये जाने की याचिका लगाई हैं | उधर प्रधान न्यायाधीश रमन्ना ने एक समारोह में सरकार और विधायिका द्वरा अदालतों के निर्देशों की अवहेलना किए जाने की शिकायत की | उन्होने कहा की "”कुछ लोगो द्वारा यह कुप्रचार फैलाया जा रहा हैं की जज ही जजो की नियुक्ति करते हैं | यह सच नहीं हैं "” वैसे यह मुहिम एक हिंदुवादी कट्टर सौर्स द्वरा सोशाल मीडिया में फैलाया जा रहा हैं | प्रधान न्यायाधीश के अनेक फैसले सत्तासीन गुट के मनोरथ के खिलाफ दिये गए हैं | जिसे संघ और बीजेपी के एक आनुसंगिक संगठन के मुखिया द्वरा प्रसार किया जाता हैं | लखीमपुर घटना में सुप्रीम कोर्ट द्वरा हस्तकछेप से केंद्रीय राज्य गृह मंत्री टेनी किसानो की समूहिक हत्या के आरोपी बन गए हैं |

उधर अभिनेत्री हेमा मालिनी जो मथुरा से बीजेपी सांसद भी हैं ,उनके द्वारा मथुरा का उद्धार भी अयोध्या की तरह किए जाने का बयान भी सार्वजनिक रूप से देना , इस भावना को बल देता हैं की हिन्दू --मुसलमान का खेल फिर शुरू हो गया हैं | यह बात ड्रीम गर्ल के मुंह से आना कुछ अजीब लगता हैं |क्यूंकी अभिनेता और पूर्व बीजेपी संसद धर्मेंद्र से विवाह करने के लिए इस्लाम धरम अपनाया था | लगता हैं इस महिला ने धरम परिवर्तन को भी फिल्म का डायलोग समझ लिया हैं | पर हक़ीक़त लोगो को मालूम हैं | इसी तारतमय में अंबाला के चर्च में तोडफोड और पंजाब के गुरुद्वारो में बेअदबी की घटनाए भी समाज के एका को तोड़ने वाली हैं | परंतु क्या इस बार फिर एक अयोध्या कांड ही बीजेपी की सफलता की राह बनेगा ? क्या फिर से सांप्रदायिक दंगे हिन्दू और मुसलमान को अलग - अलग कर देंगे ? ये सवाल हैं जिसका जवाब विधान सभा चुनाव में मिलेंगे |


Dec 20, 2021

 

अपराध और उसकी- जांच-हिरासत – जमानत और क्या हुआ इंसाफ !

कोई भी अपराध हो या सरकार की नजरों में वह "अपराध " हो उसकी जांच के लिए , पुलिस - सीआईडी -एस आई टी या सीबीआई अथवा आईटी या एनसीबी या कोई अन्य तफतीश करने वाली एजेंसी हो पहला काम वह गिरफ्तारी करती है ,या कानूनी भाषा में कहे तो वह आरोपी को हिरासत में लेती है | फिर अदालत से रिमांड मांगती है | अगर पकड़ने का काम आईबी का हो तो वनहा न कोई अपराध की प्राथमिकी दर्ज़ होती हैं नाही उस इंसान को अदालत में पेश करने की जरूरत होती है | वैसे यह काम राज्य की पुलिश भी करती हैं की "” उठा लो "” फिर उसे तकलीफ देकर "” जांच "” की जाती हैं | आज कल पुलिस कुछ मामलो में यानि की जैसे लखीमपुर -खीरी में केंद्रीय राजय गृह मंत्री "”टेनी "” के सुपुत्र जिनपर किसानो की हत्या का आरोप था , उनकी गिरफ्तारी के लिए नहीं वरन ठाणे में पूछताछ के लिए घर पर नोटिस चस्पा किया था ! जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यू पी पुलिस से पूछा था क्या हत्या के सभी आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता हैं ? जिस पर योगी जी पुलिस की जवाब नहीं दे सकी !

आजकल डीआई टी या फिर एनसीबी ने अपने काम को "”जन् जन तक पाहुचने के लिए "” नोटिस "” देकर पूछताछ के लिए दफ्तर में हाजिर होने का नोटिस भेजते हैं | आम तौर पर ऐसी कारवाई नामचीन हस्तियो के साथ होती हैं | खबर से सनसनी होती हैं , लोगो में खौफ होता हैं की इतने बड़े - बड़े लोग भी "”कानून"” के लंबे हाथो से नहीं बच पाते हैं | पर इन छापो और नोटिस तथा कुछ मामलो में तो हिरासत के बाद भी जांच एजेंसी कुछ भी "”आपराधिक "” नहीं साबित कर पाती हैं | कभी - कभी यह काम "”खुन्नस "” निकालने के लिए भी किया जाता हैं , जैसा की पूर्व गृह मंत्री चिदम्बरम के साथ हुआ था | क्यूंकी उन्होने एक मंत्री को हिरासत जाने से नहीं बचाया था |

अब अगर इन जांच एजेंसियो के अफसरो की इस कारवाई को चुनौती डी जाये तो ये ""आपराधिक प्रक्रिया संहिता "” की आड़ में अपनी कारवाई को बिना किसी द्वेष से की गयी शासकीय कारवाई बता कर बच जाते हैं | यानि की सरकारी कलम और कागज से ये अपनी "””मनमानी "” करते हैं और जब इनकी जांच और चार्जशीट , अदालत में सबूतो के अभाव में रद्द कर डी जाती हैं , तब भी इन्हे कोई "”शरम नहीं आती "” !! सीबीआई का राजनीतिक उपयोग इतना नंगे रूप में केंद्रीय सरकार द्वरा किया गया की सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा की वे अपनी कारवाई का ब्योरा पेश करे | खीरी में किसानो के हत्यकाण्ड की जांच में जब यूपी पुलिस ने मंत्री पुत्र को बचाने के लिए सबूत अदालत को बताए , तब देश के प्रधान न्यायाधीश रमन्ना ने , इस कांड की जांच यूपी के बाहर की एजेंसी से करने को कहा , तब योगी जी के रामराज की ओर से इसकी जांच सीबीआई से कराने कोकहा गया ! तब सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई पर अविश्वास व्यक्त किया | क्यूंकी सीबीआई उनही मंत्री "”टेनी "” के अधीन थी , जिनके पुत्र किसानो की हत्या के आरोपी थे | फिर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के बहा के दो पुलिस अफसरो की निगहबानी मे विशेस जांच टीम बनाई , जिसने स्थानीय पुलिस की एफआईआर को "” रद्द "” करते हुए एक रिपोर्ट अदालत को डी | जिसमें मंत्री जी को भी आपराधिक षड्यंत्र का दोषी इंगित किया गया , तथा उनके पुत्र को हत्या का आरोपी बताया | टीम ने एफआईआर को संशोधित करने की सिफ़ारिश भी की | हालांकि सरकारी अमले पर अगर हत्या जैसा मामला दर्ज़ हो जाये तो उसे "” निलम्बित"”” कर दिया जाता हैं | पर नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में ज़हीर कर दिया की वे "”टेनी "” जी को हटाने वाले नहीं हैं | वैसे पहले भी एक मौके पर बीजेपी नेत्रत्व ने साफ कर दिया था की "” मंत्री को नैतिकता "”” के आधार पर हमारे यानहा इस्तीफा नहीं होता हैं ,यह कांग्रेस की परिपाटी हैं !

अब एनसीबी द्वारा अभिनेता शाहरुख खान के बेटे को ड्रग के मामले में गिरफ्तार किए जाने के मामले में भी एजेंसी का "” """अज़ब - गजब तर्क आया "” | आर्यन खान के पास से ना तो कोई ड्रग या नशीली वस्तु बरामद हुई थी | परंतु उसकी गिरफ्तारी इसलिए हुई की उसके साथी के पास से ड्रग बरामद की गयी | आरोप यह था की आर्यन खान को यह पता था की उसका साथी ड्रग रखे हुए हैं और वह उसका इस्तेमाल करेगा | चूंकि आर्यन ने एनसीबी को यह तथ्य नहीं बताया इसलिए वह भी दोषी हैं !!! हालांकि विशेस मैजिस्ट्रेट और विशेस न्याधीश ने इस "””तर्क "” को हजम करते हुए उसकी जमानत की अर्ज़ी नामंज़ूर कर डी !!!! उनके आदेश को उच्च न्यायालय ने ईविडेंस एक्ट के वीरुध पाते हुए खारिज कर दिया | मतलब अब आपको यह पता होना चाहिए की आपके बगल का आदमी क्या करने वाला है ,नहीं तो आप भी मुलजिम हो !!!

अभी अभिनेत्री ऐश्वर्य रॉय को इन्कम टैक्स का नोटिस मिला हैं ,जिसमें पनामा पेपर्स लीक में उनके नाम होने पर पूछताच्छ के लिए उन्हे दफ्तर में हाजिर होने का हुकुम मिला हैं \| इतना सब लिखने का आशय यह है की जांच एजेंसी के अफ़सरान लोगो के यानहा जा कर क्यू नहीं "”तफतीश" करते ? वे लोगो को अपने यानहा बुला कर उस व्यक्ति की सामाजिक प्रतिस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं | सिर्फ आरोप पर गिरफ्तारी पुलिस या जांच एजेंसी की "”” मर्जी "”” पर होती हैं | जैसा लखीमपुर -खीरी के मामले में पुलिस ने हत्या के आरोपी को बुलाने के लिए नोटिस चस्पा किया घर पर | शेस मामलो में गिरफ्तारी पहले पूछताछ बाद में | है न जांच एजेंसी की मर्ज़ी \

Dec 19, 2021

 

सरकारी आयोजन में सरकार के पैसे पर दलीय चुनाव प्रचार !


गंगा एक्सप्रेस वे हो या सुल्तानपुर में सड़क पर


युद्धक विमानो को उतारने की कवायद हो _----- ये सब उत्तर प्रदेश


सरकार के शासकीय आयोजन थे | जिनके लिए योगी जी के हुकुम से सरकारी बसो में भीड़ जुटाने के लिए परिवहन निगम की बसे और विकासखंडों और राजस्व विभाग के अमले को लगाया गया था | वैसे अन्य शासकीय आयोजनो के लिए जब -जब भीड़ जुटाने की जरूरत होती है , तब स्कूलो के छत्र - छात्राओ को लाया जाता हैं | अगर बात किसी नेता के सड़क पर स्वागत करने की जरूरत हो तो गर्मी हो या सर्दी इन बच्चो को सड़क के किनारे खड़ा कर दिया जाता हैं | अगर बात किसी "”बड़े "” नेता जैसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की हो , तब सारे सरकारी विभाग के अमले को झोंक दिया जाता हैं | अभी सुल्तानपुर में भीड़ जुटाने के लिए तो गावों से लालच देकर की वनहा "”खाना -पानी मिलेगा कह कर उम्र दराज़ आदमी -औरतों को बस में बैठा कर आयोजन स्थल पर ले आए | पर मोदी जी का भाषण सुनने से ज्यादा इन लोगो को खाना और पानी चाहिए था | पर जो लोग उन्हे लाये थे वे तो मिले नहीं और जिन बसो से लाया गया था वे भी उन जगहो में नहीं थी ,जनहा उन्हे छोड़ा था | अब सैकड़ो लोग अनाथों की तरह इधर उधर परेशान होते रहे | एक बुजुर्ग ने तो कहा "”” की मोदी जी ने कौन सा अपना कहा हुआ पूरा किया हैं ,जो हमको बुला कर और खाना देंगे | उनकी भीड़ हो गयी ! बस काम खतम , अब अपना पैसा लगा कर गाव्न जाओ ! सत्तारूद दल के आयोजन स्थल पर मौजूद नेता जो दल के बड़े नेताओ को अपना चेहरा दिखाने ही आए थे , उन्होने भी इन वोटरो की सुध नहीं ली | क्यूंकी ऊपर से कह दिया गया था की भीड़ के बंदोबस्त की ज़िम्मेदारी सरकारी अमले को दी गयी हैं !!! इसलिए उन्हे भी इन गाव्न वालो की कोई परवाह नहीं थी | क्यूंकी वे तो उन्हे लाये नहीं थे जो उनकी खोज - खबर लें |

2--सरकारी आयोजन से चुनाव प्रचार

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 1975 में इन्दिरा गांधी , तत्कालीन प्रधान मंत्री के राइबरेली के संसदीय चुनाव को इसलिए "” रद्द "” कर दिया था की उनके चुनावी खर्चे में , उनके लिए शासन द्वरा बनवाए गए सुरक्षा इंतज़ामों के खर्चे को नहीं जोड़ा गया था | जबकि उनके विरोधी प्रत्याशी समाजवादी नेता राजनारायाण को वह सुविधा नहीं दी गयी थी !!! जुस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा की एकल पीठ ने इन्दिरा गांधी के और भारत सरकार के वकीलो की यह डाली नहीं मानी की केंद्र की "” ब्लू बूक "” के अनुसार प्रधान मंत्री को सदैव एक सुरक्षा चक्र में रहना होता हैं | अतः सुरक्षा का मसला "”पद "” से हैं व्यक्ति से नहीं | परंतु जज साहब इस तर्क को नहीं माना और इन्दिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया |बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया , पर तब तक राजनीति में बहुत बदलाव आ चुका था |

इस नज़ीर को ध्यान में रखते हुए अगर हम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की "” नैतिकता "” को परखे तो उनके भाषण "” अनुचित "” हैं | परंतु वे "” परम हंस "” की भांति उचित - अनुचित की सीमाओ से ऊपर उठ चुके हैं | यद्यपि अभी उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनावो की घोषणा नहीं हुई हैं | पर फिर भी समूचे चुनाव आयोग , के तीनों आयुक्तों को प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव अपने कार्यालय में "”” तलब – हाजिर "”” होने के लिए कहते हैं | अब चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो केवल राष्ट्रपति के अधीन हैं | उनसे अपेक्षा की गयी हैं की सुप्रीम कोर्ट के जजो की भांति वे भी ---विधायिका और कार्यपालिका से दूरी बनाए रखेंगे | पर सुप्रीम कोर्ट के निव्र्त्मन प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कार्यपालिका से दूरी का पालन नहीं किया | फलस्वरूप उनके अयोध्या मंदिर के फैसले को भी "”” इंसाफ "” की श्रेणी में रखने से हिचकिचाहट है | और उनके राज्यसभा में नामिनेट किए जाने को शंका की नज़र से देखा जा रहा हैं | इस परिप्रेक्ष्य में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सचिव द्वरा चुनव आयुक्तों को कार्यालय में बुलाना निश्चय ही एक तरह से उन्हे संदेश देना हैं की जिस प्रकार एक पूर्व चुनाव आयुक्त को "” मोदी जी "” की नाफरमानी करने पर इन्कम ताज इंटेलेजेंस और सीबीआई के छापे से गुजरना पड़ा था , वही हाल हो सकता हैं | डी आर आई ने जिस प्रकार बंगाल - कर्नाटक - और महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनावो के पहले त्राणमूल काँग्रेस -काँग्रेस -तथा एन सी पी नेताओ पर चुनावो के पूर्व छापामारी की थी , वैसी ही उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नज़दीकियों पर छापा पड़ा हैं , वह मोदी सरकार की " नीयत "” पर पूरी तरह से संदेह का कारण हैं | उधर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उद्योगपतियों की सभा में कहते है "” की हमारी सरकार कुछ फैसले गलत हो सकते हैं , पर हमरी नीयत हमेशा सही रही है !!!!!! अब चुनाव के पूर्व फिर से प्रतिद्व्न्दी पार्टी को धौंसपट्टी दिखा कर डराने का प्रयास फिर दुहराया जा रहा हैं | लेकिन इन सभी प्रदेशों में बीजेपी को मुंह की ही खानी पड़ी | अब यही कहना उचित रहेगा की ---- सबक नहीं सीखे हैं और नाही सीखेंगे !!!