शीर्षक
सुझाव :-
विद्यामठ
से मंदिर बचाओ अभियानम की
"”काशी
यात्रा प्रारम्भ "”
29 मई
तक चलने वाली यात्रा दशासमेव
घाट से मानिकरणिका तक
मंदिरो
को हटाने के वीरुध शंखनाद
"काशी
को काशी ही रहने दो की मांग |
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चौका
घाट --लहरतारा
ओवरब्रिज दुर्घटना क्या दैवी
संकेत है --काशी
को क्योटो बनाने वालो को !!
अठारह
लोगो की बलि के बाद भी क्या
वाराणसी स्मार्ट सिटी प्रबंधन
द्वरा विश्वनाथ मंदिर के पास
के दर्जनो मंदिरो को हटाने
और सैकड़ो शिवलिंगों को ""उखाड़
""
देने
और चार लाख लोगो को विस्थापित
करने के बर्बर योजना पर पुनः
विचार करेंगे ?
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मंगलवार
15
मई
को चौकाघाट से लहरतारा के
मार्ग पर बनने वाले ओवेरब्रिज
के एक खंड के धराशायी होने से
20
लोगो
की मौत -कया
योगी -
मोदी
सरकार को दैवी चेतावनी है ?
गौर
तलब है की प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी ने बंगाल मे ओवरब्रिज
के गिरने को "”
एक्ट
ऑफ गाड'
बताते
हुए ममता बनरजी की सरकार के
वीरुध दैवी संकेत कहा था |
आज
वही स्थिति उनके खुद के निर्वाचन
छेत्र मे हुई है |
गौर
तलब है की विद्यामठ के स्वामी
अविमुक्तनन्द की अगुवाई मे
एक अराजनीतिक अभियानम विगत
दस मई को अस्सी संगम से शुरू
हुई थी |
इस
आयोजन मे काशी विद्वत समाज
और -विदुषी
समाज तथा गंगा सेवा के निषाद
संगठन तथा घाट के पडा और पुजारी
के साथ आस्थवन महिलाए पुरुषो
की बड़ी संख्या मे उपस्थित
अपेछित है |
16 मई
से से 29
मई
तक चलने वाली इस काशी यात्रा
का उद्देस्य जन्मानस को
"”स्मार्ट
सिटी प्रबंधन द्वरा उनके
धार्मिक स्थलो और विग्रहो के
अपमान के प्रति जागरूक करना
है "”|
इसके
पूर्व भी महिलाओ ने सूप बजाकर
स्मार्ट सिटी द्वरा मंदिरो
को हटाने का विरोध किया गया
था |
अब
इस आंदोलन का प्रभाव गंगा सेवा
के नाविको तक पहुँच गया है |
उनके
संगठन ने भी विद्यामठ की काशी
यात्रा मे शामिल होने का फैसला
किया है |
इस
संगठन के मल्लाह ही यात्रियो
और पर्यटको को गंगा की सैर
कराते है |
काशी
से सीधे रामनगर के लिए भी बस
नाव ही सबसे सस्ता जरिया है
|
“”अर्पण
और तर्पण के लिए भी यही नाविक
एक मात्र आसरा है |
इनके
अभियानम मे शामिल होने से
पर्यटको और तीर्थ यात्रियो
को परेशानी होने की उम्मीद
है |
काशी
के विद्यरथी और महिला संगठन
ने भी धरोहर बचाओ की इस मुहिम
मे भाग लेने की आशा है |
विश्वनाथ
मंदिर से लेकर मानिकरणिका
घाट तक प्र्स्तवित "”पाथ
वे "
के
रास्ते मे दर्जनो छोटे मंदिरो
को हटे जाना है |
अभी
तक सूत्रो के अनुसार दर्जनो
मंदिरो की विग्रह को हटा कर
-उन्हे
गिरा दिया गया है |
इस
अभियानम से राजनीतिक दलो से
जुड़े लोगो को दूर रखा गया है
|
जिस
से इस सार्वजनिक प्रयास की
शुचिता की सराहना हो रही है
|
प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय
छेत्र होने के कारण "”प्राचीन
नगरी को आधुनिक कलेवर देने
की ज़िद्द मे इस स्थान के धार्मिक
और सामाजिक महता को दरकिनार
कर दिया गया है|
जिस
स्थान का चार हज़ार वर्ष से
वेदिक धर्म मे और विशेस्कर
शैव मत के लिए तो अत्यंत ही
महत्वपूर्ण है |
करोड़ो
लोगो की आस्था यानहा के मंदिरो
और घाटो से जुड़ी हुई है |
यह
हक़ीक़त है की बाबा विश्वनाथ
के दर्शनों के लिए बड़े -बड़े
लोगो को भी पैदल ही चल के जाना
होता है ,
यानहा
तक की काशी नरेश भी जब पारंपरिक
अवसरो पर मंदिर आते है तब वे
भी पैदल आते है |
यह
भी सही है की गलियो मे स्थित
इस ज्योतिर्लिंग की राह किसी
माल की फर्श की भांति साफ या
चमकीली नहीं है ---परंतु
करोड़ो हिन्दुओ की हजारो वर्ष
की आस्था ने इस मार्ग को जीवंत
बनये रखा है |
परंतु
यानहा के सांसद की निगाह मे
इस नगरी को जापान के क्योटो
नगर की भांति साफ और चौड़ी सड्को
वाला हो |
परंतु
वे भूल जाते है की जापान मे
सम्राट की परंपरा उसे "”दैविक
अवतार का स्थान देती है "”
| दूसरे
विश्वयुद्ध के पूर्व सम्राट
को सूर्य पुत्र माना जाता है
|
युद्ध
मे पराजय के बाद अमेरिकन जनरल
डगलस मैकार्थार ने इस विश्वास
को तोड़ने के लिए --सम्राट
को सम्पूर्ण जापान का दौरा
करने को कहा था |
इस
से उनकी दैवी अवतार की छ्वी
खतम की गयी |
वे
जापान के राजधर्म शिटो के भी
मुखिया है |
क्योटो
सदियो से इसी वंश के सम्राटों
के लिए धरम नगरी रहा है |
भारत
मे धर्म की आस्था व्यक्ति से
अधिक मूर्तियो और स्थानो मे
निहित है – जैसे चार धाम -
बारह
ज्यूतेर्लिंग -
72 देवी
स्थल आदि |
काशी
के इतिहास के बारे मे खुद
स्मार्ट सिटी के प्रबन्धको
ने अपनी रिपोर्ट मे स्वीकार
किया है की इसनगर का चार हज़ार
साल का लिखित इतिहास है |
जो
लिपि बद्ध है और सुरछित है |
विश्व
मे इतनी प्राचीन नागरी जो आज
भी "”जीवंत
हो "”
दूसरी
नहीं है |
हजारो
सालो मे यानहा धरम और परंपराए
विकसित हुई है ,
जो
कुछ भी इतिहास मे निर्माण हुआ
"”वह
धरोहर ही है |
उसे
सम्हालना और बनाए रखना हमारा
और सरकार का परम धर्म है |