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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 27, 2022

 

गुजरात सांप्रदायिक दंगे जब फरियाद करना गुनाह बन गया !!!!

अदालत ने फैसला सुना दिया पर इंसाफ हुआ ?

 

 सर्वोच्च न्यायालय की तीन  जजो की पीठ के फैसले को सुनाते

 

हुए जुस्टिस खिडवरकर ने  यह तो लिखा की सीबीआई और एसआईटी की जांच रिपोर्ट  पर “”संदेह का कोई सबूत याचिककर्ता नहीं दे सके – की  गुजरात के साम्प्र्दयीक  दंगो में  तत्कालीन मुखय मंत्री और वर्तमान प्रधान मंत्री  नरेंद्र मोदी का कोई हाथ था अथवा उनकी कोई साजिश थी | उन्होने यानहा तक कह दिया याचिकाकारता तीस्ता सीतलवाड और तत्कालीन कांग्रेस्स संसद इमरान जाफरी और 69 लोगो की हत्या  में तत्कालीन गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य मंत्री  नरेंद्र मोदी  के वीरुध असत्य साक्षी  पेश किए | ऐसे लोगो को  कटघरे  में लाना चाहिए !

    और लो इधर फैसला हुआ और उधर  गुजरात पुलिस ने  तीस्ता और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के खिलाफ  झूठे साछ्य बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज़ कर  उन्हे “”कटघरे” में अंदर कर दिया !!

                    अब इस फैसले से क्या तत्कालीन  गुजरात की मोदी सरकार काँग्रेस संसद  इमरान जाफरी और उनके साथ मारे गए लोगो को न्याय दे सकी ? शायद नहीं | अदालत ने  पीड़ितो के साथ न्याया नहीं किया वरन  “”कानून और सबूत “” को आधार बना कर उन्हे अंतिम बार निराश किया हैं | वैसे  यह पहली बार नहीं हुआ हैं ---- की अदालतों ने  “”” रूले ऑफ ला”” की बजाय “” रूल बाइ लॉं “” के सिधान्त को अपनाया हैं | क्यूंकी  कानुन के मुताबिक   फैसला करना  सहज हैं परंतु  ‘’पीड़ितो या प्रभावितों ‘’ को इंसाफ या उनका हक़  दिलाने के लिए  ‘’ संवेदन्शिल्ता ‘’ की जरुता होती है | दिमाग के बजाय दिल चाहिए होता है |सामाजिक असमानताओ और  स्वाभाविक न्याय के स्थान पर ---- मात्र कानून की किताबों के हरफ ही राज करते हैं !!!

 

बॉक्स

 कांग्रेस  के संसद रहे एहसान जाफरी की गुलबर्गा  हाउसिंग सोसाइटी  के रहवासी 69 लोगो की जलाकर  रख कर देने की घटना  में तत्कालीन एस आई टी और सीबीआई की जांच रिपोर्ट ने गुजरात सरकार  केगुजरात के  आला हुक्मरानो को क्लीन चिट दे दी ! सवाल यह हैं की क्या इंसाफ की गुहार लगाने वाले बीबी श्रीकुमार  जो की तत्कालीन समय में गुजरात की स्पेसल  पुलिस इकाई के मुखिया थे , उनकी रिपोर्ट और समय समय पर उनके  कमेंट  अपने अधीन अफसरो को दंगाई को रोकने में बीजेपी नेताओ द्वरा  दोषियो को पकड़ने और गिरफ्तार करने में डाली गयी अडचने  को अपनी किताब में लिखा हैं |जो 2020 में प्रकाशित हुई हैं | अगर इस स्तर  के अधिकारी के बयान को सीबीआई और एसआईट  “”असत्य मानती है “”” और अपनी रिपोर्ट को ही सही मानती हैं --------तब कनही ना कनही गड़बड़ी हैं | 

इन्दिरा जी की हत्या के बाद  देश के बहुत से भागो में सिखो के खिलाफ हुए दंगे  के लिए बीजेपी किस हैसियत से  सोनिया गांधी से देश से माफी मांगने को कह सकती हैं ?  गुजरात में गोधरा हत्यकाण्ड के बाद  राज्य सरकार ने अगर कोशिस की होती हो तो यह भीसण नर संहार रोका जा सकता था | परंतु गुजरात के कुछ खास ज़िलो में जिस प्रकार  बजरग सेना  और ऊसके शासन 

बीजेपी या आरएसएस के एक आदमी पर हमला हो या हत्या हो जाए तब केरल और बंगाल की सरकारो से -----मो दी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ना केवल सार्वजनिक बयान देकर “””राज्य सरकार को दोषी बताएँगे वरन  लोकतन्त्र  की हत्या बताएँगे ? तब वही कारण गुजरात में क्यू नहीं अपनाया गया ?  बंगाल में अपने विधायकों को केंद्रीय बल की सुरक्षा  देने का काम अब महाराष्ट्र में  बगावत किए हुए शिवसेना  के एमएलए और उनके परिवारों को दी गयी हैं |  पर अगर मतदाता  अपने प्रतिनिधि की भावनाओ के खिलाफ  पार्टी बदल ले -----तब उसके आक्रोश को   या प्रदर्शन  को “”हिंसा” कैसे कहेंगे ?

आखिर में बस यही कहना की कानून की छानबिन में जाफरी और तीस्ता शीतलवाद  और बीबी श्रीकुमार  द्वरा पेश किए गए सबूतो   को  सिरे से नकार देना  न्यायिक प्रक्रिया का भाग नहीं हैं | अगर हलफनामे में कोई बात असते लिखी गयी हैं तब  उसकी जांच  अदालत की रजिस्ट्री  में हो जाती | या अदालत उनसे उन सबूतो  का आधार जान सकता था | परंतु यह सब न कह कर  जस्टिस खिरवादकर  ने जिस प्रकार फरियादी श्रीमति जकरिया की  असत्य औए बे बुनियाद टाठी अदालत में पेश किए उसकी जांच के आदेश दे सकती थी |  महात्मा गांधी हत्या कांड में  गोडसे के साथ सावरकर भी अभियुक्त थे | उन्हे अदालत ने क्लीन  चिट नहीं दी थी ! पर नर संहार पर सरकार को जिस प्रकर  दोष मुक्त   किया गया हैं  -- ओबिटर डिकट्टा   ने फरियादी को न्याया तो नहीं दिया  वरन एक गुनहगार  बन दिया हैं |

 

 

 

 

 

 

 

     

Jun 24, 2022

 

असत्य और  अनीति ही  क्या आज के समय का सत्य हैं ?

 

 

                 भारतीय लोकतन्त्र में जितनी   भयावह स्थिति आज दिखाई पड़ रही हैं , उतना आज़ादी के बाद  कभी नहीं हुआ |  शायद यह   आज भारतीय मतदाताओ के भावना में बह कर अपना नेत्रत्व चुनने की स्थिति हैं |    लोकतन्त्र में  निर्भीक और सत्य बहस और विमर्श से  निर्णय के स्थान पर आज  “”भय और दबाव “” में राजनीतिक फैसले किए जा रहे हैं |  इसका  फल यह हो रहा हैं की सरकार  को लोक हितकारी या  जन प्रतिनिधि  के रूप में ना देख कर एक “” दंड देने वाला या भ्यादोहन करने वाला  तथा सत्य से परे प्रचार द्वरा असत्य परोसे जाने की स्थिति बन रही हैं |  जांच एजेंसी और पुलिस की पिटाई से  शासन तो ब्रिटिश हुकूमत ने भी नहीं किया | उनकी दुश्मनी आज़ादी मांगने वालो आन्दोलंकारियों  से थी | पर तब  हम गुलाम थे -पराधीन थे , पर आज भी वैसा ही डर का माहौल

 बना हुआ हैं !  आबादी में इस्लाम और ईसाई धरम के मानने वाले लोगो को  शासन तंत्र – गुलाम समझ कर व्यवहार कर रहा हैं |  बहुसंख्यक  भगवाधारियो  के  धरम के नाम पर नफरत भरे भासन  शासन द्वरा या तो अनदेखे किए जा रहे हैं  और अलपसंख्यकों  के खिलाफ बुलडोजर और गिरफ्तारी तथा ठाणे में पिटाई  आम बात हो चुकी हैं |  सर्वोच्च न्यायालय  ऐसी घटनाओ पर जवाब तलबी करता हैं तब सरकार कोई न कोई कानून की झूठी आड़ ले कर बचाव करती नजर आती हैं |

 

हाल में ही कुछ घटनाओ का विश्लेषण करना चाहता हूँ :-  

 

1:- बुलडोजर की धम्की की हक़ीक़त बनाम योगी जी की हुंकार

    उत्तर प्रदेश में मुख्य मंत्री आदित्यनाथ   जो अपने को योगी कहते हैं, और इसीलिए भगवा वस्त्र पहन कर  राज चलाने का उदाहरण कायम कर रहे हैं | वैसे सनातन धरम के पुराणिक वर्णननो  में किसी भी सम्राट अथवा राजा को  भगवा धारी नहीं बताया गया हैं | मौर्य साम्राज्य  को स्थापित करने वाले  चाणक्य

 

 

उन्होने कभी काषाय वस्त्र पहने हो , पर वे “” सिंहासन पर कभी नहीं बैठे “” ! वैसे भी आदि गुरु शंकराचार्य  द्वरा  सन्यास के लिए जो आवासयकताए  बताई गयी हैं उनमें सबसे पहले   “” सुखी और विलासिता पूर्ण  जीवन को तो “”” गर्हित “” बतया हैं | यानहा तो कनफ़ट्वा योगी तो एसी और हवाई जहाज  से कम में तो चलते नहीं |  दूसरा सुख और दुख के सूतक से दूर रहने का नियम हैं | उसे भी ये नहीं मानते |

विधान सभा चुनावो में इनहोने हुंकार भरी थी की अगर किसी ने पत्थर बाज़ी की तो “”बुलडोजर चलेगा”” | सत्ता में आने के बाद मुस्लिम बहुल इलाको में चलाभी | पर इनकी हुंकार का सच तो सुप्रीम कोर्ट में दिये गए हलफनामे से सामने आया ! जिसमें इनहोने कहा की  “” अवैध निर्माणों पर ही बुलडोजर चलाया गया हैं | किसी वर्ग द्वेष से नहीं ऐसा किया गया !  अब योगी जी बताए की उत्तर परदेश में कितनी अवैध बस्तियो पर बुलडोजरा चला हैं !!!!

 

2;-  ज्ञानवापी  मस्जिद प्रकरण :-  बनारस में  विश्वनाथ बाबा  के मंदिर से सटी ज्ञानवापि मस्जिद को देवी का मंदिर और और शिवलिंग होने का दावा  “”5 महिलाओ “” द्वरा किया गया |  अदालत ने जांच के आदेश दिये |  “”” बिना जलहरी या यौनि के लिंग को शिवलिंग बताने की काफी कोशिस “”हिंदुवादी  सत्ता समर्थित संगठनो “” द्वरा की गयी | आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई , ज़िला एवं सेश्स्न जज द्वरा करने का हुकुम दिया |  जज साहब ने दोनों पक्षो की सहमति से विवादित स्थान की विडिओग्राफी  करने का आदेश दिया | जिसकी कॉपी  दोनों पक्षो को इस गारंटी  पर सुलभ कराई गयाई की वे इसे गोपनीय रखेंगे | परंतु वीडियो की कापी मिलते ही वह  चैनल पर दिखाई जाने लगी !!!! आज तक इस घटना की जिससे की अदालत की स्पष्ट अवमानना हुई --- उस पर कोई कारवाई नहीं की गयी ? किसस्के दबाव में ?

 

3 ;- अग्निवीर योजना  -कुछ दावे और बाकी सच ?

            केंद्र द्वारा  सेना में जवानो के वेतन और भत्तो तथा पेंशन  पर होने वाले खर्च को  कम करने के लिए , इस योजना को लाये हैं | वैसे  रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओ के प्रमुख का “”सार्वजनिक बयान “” तो यही हैं की इस योजना के द्वारा  नौजवानो में बेरोजगारी को कम किया जा सकेगा | योजना के अनुसार  बहरती होने वाले जवान को 6 माह की ट्रेनिंग दी जाएगी ,उसके बाद उसकी पोस्टिंग  फारवर्ड एरिया  में की जा सकेगी | सरकार की ओर से यह साफ कर दिया गया है की  इन जवानो को सैनिक नहीं कहा जाएगा – वरन अग्निवीर के रूप में जाने जाएंगे ! मतलब काम सैनिक का पर नाम नहीं !  यह भी स्पष्ट कर दिया गया हैं की चार साल के अनुबंध के बाद , इन्हे भूतपूर्व सैनिक “”नहीं कहा जाएगा “” | ना ही उन्हे स्वास्थ्य और अन्य सुविधाए मिलेंगी जो भूतपूर्व सैनिको को मिलती हैं !  चार साल की अवधि -सरकार ने इसलिए रखी हैं ,क्यूंकी 5 साल की सेवा अवधि होने पर इन्हे ग्रेट्यूटि  आदि का लाभ कानूनन  प्रपट हो जाता ! यानि जैसे निजी संस्थानो में 90 दिन के बाद करामचरि बीमा योजना का लाभ मिलता हैं ---जो मालिक के लिए वित्तीय दायित्व होता हैं | इसीलिए निजी और सरकारी संस्थानो में भी जिनको अस्थायी  रूप से रखा जाता हैं , उन्हे साप्ताहिक अवकाश आदि नहीं मिलता | कुछ ऐसा ही हाल इन अग्निवीरों  का होने वाला हैं | 

कितने लज्जा की बात हैं की हम  सैनिक के नाम पर  भाड़े के लोग रख रहे हैं | शायद  इसलिए की  केंद्र सरकार के नेत्रत्व  ने चीन को खतरा मानना छोड़ दिया हैं ! क्यूंकी इसीलिए यूएनओ हो त ब्रिक्क्स सम्मेलन हर स्थान पर प्रधान मंत्री  पर्यावरण और उक्रेन  जैसे मसलो पर चीन के साथ खड़े दिखाई देते हैं |  रही पाकिस्तान की बात तो वह भी अमेरिका के मुंह मोड लेने के बाद  अब चीन पर ही वित्तीय और सनया साजो समान के लिए निर्भर हैं |

 अवकाश प्राप्त  सेना के जनरल और देश के  उद्योगपतियों  में होड लगी हैं की सेना से मुक्त होने के बाद वे अग्निवीरों को  अपने यनहा  काम पर रखेंगे !  परंतु निम्न आंकड़े उनके दावो की पोल खोल देते हैं ---लेकिन असत्य ही आज का सच हैं और विज्ञापन बाजी ही “”दावा”” तो भी हकीक़त  को ओझल नहीं किया जा सकता ‘-

 

भूतपूर्व सैनिको के पुनर्वास की स्थिति

उत्तर प्रदेश  -86192  भूतपूर्व  सैनिक जो नौकरी कर रहे 1616

बिहार भू पू सैनिक –43845 – नौकरी मिली मात्र 06 को

पंजाब -60772 – पुनर्वास 1150  यह आंकड़े कितने सही हैं इसकी ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता | लेकिन ये अखबारो में आए हैं |

 

Jun 20, 2022

 

हुज़ूर सुरक्षा में धन के लाभ हानी को नहीं देखा जाता ! क्या वीआईपी सुरक्षा के लिए धन कोई बंधन बना है ? क्या वीआईपी सुरक्षा में इन अग्निवीरों की लगाया जाएगा !

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 जब नहीं बना तब सेना के जवानो की पेंशन का 75 % खर्चा बचाने के लिए  ::अग्निवीर “” योजना का औचित क्या हैं ? 

क्यू अग्निवीरों को ना तो सैनिक सा सम्मान और चार साल पूरे होने पर भी उन्हे भूतपूर्व सैनिक की सुविधाए नहीं क्यू ?   न वे मेडिकल की सुविधा और नाही भूतपूर्व सैनिको के रूप में उन्हे पेट्रोल पमप -गॅस की एजेंसी  आदि जैसी सुविधाए क्यू नहीं ?   क्या वे रेजीमेंट में अफसरो के “”बैट मैंन “ बन कर रह जाएँगे ? रेगुलर आर्मी में उनका न कोई ओहदा होगा नही दायित्व होगा | परंतु जनरलो केआर बयान में कहा जा रहा हैं की वे पलटन के साथ नियुक्त होंगे  ,पर उनका रैंक क्या होगा यह अनिश्चित हैं |  अगर वे पेट्रोलिङ्ग पर भेजे जाते हैं तो सेक्शन कमांडर  के दस्ते में कितने रेगुलर सैनिक और कितने अग्निवीर होंगे ? उनकी छ्म्ता क्या सैनिको केबराबर होगी -अगर नहीं तो वे क्या सामने से आतंका वादियो और दुश्मन की गोलियो के चारा नहीं बनेंगे ?

 

जो सरकार वन रंक वन पेंशन के वादे पर चुन कर आई ----आज वही राजनीतिक नेत्रत्व  पेंशन की राशि का 75 प्रतिशत बचाने के लिए अग्निवीर योजना एक  सिर्फ साधन हैं ?

छह माह की ट्रेनिंग में असलहा संभालना और साथी को घायल होने पर लाद कर सुरक्शित जगह लेकर पहुंचाना भर है |

 प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा इस समय याद आती हैं ----जिसमे उन्होने कहा था की “”पंजाब के मुख्य मंत्री से कहना की की बच कर जा रहा हूँ ! क्या उस समय जिस सुरक्षा का सरंजाम किया गया था –क्या -वह अग्निवीरों के द्वरा संभव हो सकता हैं | पुलिस की ट्रेनिंग भी 38 माह की होती हैं | अभी तक यह नहीं साफ किया गया हैं की उनकी ट्राइनिग फौज से निकालने के बाद कितनी और किस छेत्र में काम आएगी ! जो बयानो और व्हात्सप्प युनिवेर्सिटी  में आ रहा हैं की अधिकतर  सुरक्षा गार्ड और मोटर मेकेनिक  तथा बार्बर आदि के लिए योग्य होंगे | क्या यह बात सही नहीं है की इन्हे कारपोरेट संस्थानो में गार्ड ड्यूटी में लगा दिया जाएगा | जबकि इन अग्निवीरों में अधिक्तएर स्नातक शिक्षा प्रपट हैं |

 

इन्हे सेना में सेवा देने के बाद भी -भूतपूर्व सैनिक प दर्जा नहीं मिलेगा ----क्यूंकी इस दर्जे से मिलने वाली चिकित्सा और आँय सरकारी स्थानो में भूतपूर्व सैनिको को नौकरी मिलने की सुविधा नहीं नहीं मिलेगी ! 

फिर किस प्रकार इन अग्निवीरों का विस्थापन होगा ? क्या सरकार के बयान देने और 15 लाख के वादे जैसा ही हसरा नहीं होगा –इसकी क्या गारंटी है ?क्यूंकी अभी सरकार में भुतपूर्व सैनिको के लिए जीतने स्थान आरक्षित किए जाते हैं ------राज्य सरकारे उनका “””पालन नहीं कर प रही हैं “” मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों 60 रिक्त पदो पर विगत 5 वर्षो में 6 लोगो को भी नहीं लिया गया हैं ---यह मामला जबलपुर हाइ कोर्ट में चल रहा हैं | जनहा राज्य सरकारो के भरोसे इनके विस्थापन का सपना तो करे ही न |

विस्थापन की आशा की जा रही है ----वनहा के

यह हाल हैं |

 अब सोचे की ये शॉर्ट सर्विस कमीस्सन तो है नहीं -उल्टे इन्हे कोई रंक -या अधिकार भी नहीं होगा | क्या इन्हे सिर्फ  संतरी की ड्यूटी पर ही लगा जाएगा !!! तो अग्निवीर सिर्फ “कोत” सम्हालेंगे | जो जनरल आज कह रहे हैं की  इन्हे सिममा पर ड्यूटी पर लगाया जाएगा < कितना सही है उनका कथन ? बरफ  से भरी चोटियो पर विशेस प्रकार का परिधान होता हैं , फिर वनहा गोली चलाने के अवसर बताए जाते हैं ----क्यूंकी इन बर्फीले पहाड़ो पर गोलियो के चलने से बर्फ के तोदे  गिरते हैं | इसीलिए विगत समय जब चीनी सैनिको से मूठभेड़ हुई थी तब दोनों ओर से आग्नेय अष्टरो का इस्तेमाल नहीं हुआ था | यह बात ग्लाशियर में तैनात 6 -6 माह तक तैनात जवानो को सिखायी जाती हैं , एक विशेस कोर्स में ,क्या ऐसे कोर्स सादे तीन साल की अग्नि वीअरो की सेवा में संभव हैं |