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Jun 24, 2016
"अब आपातकाल लागू नहीं होने देंगे””'-बीजेपी नेता कैलाश सोनी !!
"अब
आपातकाल लागू नहीं होने
देंगे””'-बीजेपी
नेता कैलाश सोनी !!
आगामी
26 जून
को नयी दिल्ली मे जंतर -
मंतर
कान्वेंसन सेंटर मे "”
लोकतन्त्र
सेनानी संघ "”
के
राष्ट्रिय अध्यक्ष कैलाश
सोनी ने भोपाल मे पत्रकारो
से बात करते हुए यह दावा किया
| इस
आयोजन मे आधे दर्जन केंद्रीय
मंत्री शामिल होंगे |
सोनी
जी ने इस दौरान दो मुख्य बाते
कही 1-- बिना
किसी संवैधानिक प्रावधान के
इन्दिरा गांधी ने आपातकाल
लगाया ,,2- उस
दौरान जो क्रूरतम अपराध किया
गया ,आज
उसका कोई अभिलेख नहीं उपलब्ध
है | चलिये
उनके इस बयान को हक़ीक़त के आधार
पर परखते है |
आम
लोगो की धारणा है की इन्दिरा
जी ने आपातकाल गैर कानूनी रूप
से लगाया था ,,जिसका
उन्हे कोई अधिकार नहीं था |
परंतु
यह सत्य नहीं है |
संविधान
के निर्माताओ ने आपात स्थिति
की संभावनाओ का आंकलन करके
ही इसका प्रविधान किया था |
सर्वप्रथम
सोनी जी को शायद यह ज्ञात नहीं
रहा होगा की भारत के संविधान
मे अनुछेद 352
से
लेकर 360 तक
तक आपातकाल के उपबंधो का ही
प्राविधान है |
इनमे
तीन हालत मे केंद्र सरकार देश
मे अथवा देश के किसी भाग मे
"”आपात"”
घोसणा
कर सकती है |
352 के
अंतर्गत राष्ट्रपति का समाधान
ही इसका निर्णायक तत्व है |
वास्तव
मे इसे ''असंवैधानिक
''' कहने
का अर्थ है की आप भारत के संविधान
की मर्यादा का उल्ल्घन होगा
|
354
अनुच्छेद
मे आर्थिक /वित्तीय
आपात का एवं 355
मे
बाहरी आक्रमण अथवा आंतरिक
अशांति की स्थिति मे तथा 356
मे
राज्य मे संवैधानिक तंत्र
के विफल होने की स्थिति मे
आपात की घोसणा की जा सकती है
| उत्तराखंड
मे रावत सरकार द्वारा संवैधानिक
तंत्र कायम रखने मे विफल होने
के "” तथ्य
"” के
आधार पर ही उनकी सरकार को
बरख़ाष्त किया गया था |
परंतु
इन सभी प्राविधानों का असर
मात्र छह माह रहेगा और इस
दौरान ततसंबंधी प्रस्ताव
को संसद द्वारा दो तिहाई बहुमत
से पारित किया जाना आवश्यक
है | इस
परिप्रेक्ष्य मे यह कहना की
"”आपात"”
उद्घोसणा
को लागू नहीं होने देंगे की
हुंकार ---
राजनीतिक
प्रचार से बहादुरी का प्रदर्शन
तो हो सकता है |
परंतु
हक़ीक़त इसके बिलकुल "”उलट
"” होगी
|
रही
बात की उस समय के क्रूरतम
कारनामो का कोई अभिलेख नहीं
मिलता ,,तो
इसका कारण आपातकाल लगाना नहीं
है | वरन
उसके अनुपालन करने वाली एजेंसी
का दोष है --अर्थात
प्रदेशों मे कानून -व्यवसथा
की जिम्मेदार वनहा की पुलिस
होती है उसकी है |
अब
पुलिस के पास रेकॉर्ड नहीं
है ,, इसका
तात्पर्य अधिकारियों का गैर
जिम्मेदार रुख हो सकता है |
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