चुनाव
पर जेटली उवाच :
मोदी
बनाम अराजकता -
नोटबंदी
-
राफेल
और गौ रक्षा तथा मंदिर जैसे
मुद्दे क्या है
केंद्रीय
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने
लोकसभा चुनावो को लोकतन्त्र
की कसौटी नहीं मानते हुए इसे
एक "”
व्यक्ति
"”
और
देश की स्थिति में चुनाव का
पर्याय बताया हैं !!
वैसे
देश की राजनीति में वकीलो का
शुरू से दाखल रहा हैं -महात्मा
गांधी से लेकर पंडित जवाहर
लाल नेहरू उनके पिता मोती लाल
नेहरू -गोखले
-तिलक
और स्वतन्त्रता संग्राम में
भाग लेने वाले नेताओ में
अधिकान्स कानून के पेशे से
जुड़े थे |
कुछ
डाक्टर और अध्यापक भी रहे |
जैसे
विधान चंद्र रॉय |
परंतु
जो पवित्रता उनके पेशे में
में थी वह उनके व्यक्तित्व
में भी थी |
परंतु
आजकल के वकील--
से
बने नेताओ की पहली उपयोगिता
अपने दल के लोगो की कानून और
पुलिस तथा सीबीआई से रक्षा
करना हैं |
अपने
दल में भी ये लोग सत्य
से अधिक स्वार्थ और असत्य के
पाहुरुए बन गए हैं |
श्री
अरुण जेटली जी भी अतिशयोक्ति
अलंकार की भाषा से सत्या को
नकारते हुए स्वार्थ और झूठ
की रक्षा में बोलते और लिखते
हैं |
शायद
राजनेता होने की मजबूरी हो
---|
परंतु
जो इस देश ने भोगा हैं हैं उसको
झुठलाने का प्रयास तो निंदनीय
ही हैं |
बानगी
के लिये कुछ तथ्य :-
1;-
नोटबंदी
का फैसला जिस प्रकार आधारहीन
तथ्यो पर नियमो को नकारते हुए
घोसीट किया गया --क्या
उससे देश की जनता को सरकार की
अराज्क्ता का परिणाम नहीं
भोगना पड़ा ??
50 दिनो
तक काश्मीर से कन्याकुमारी
तक देश की एक तिहाई आबादी {
लगभग
40
से
50
करोड़
}
लोगो
को अपने रोज़मर्रा के खर्चो
--बीमारी
के इलाज के लिए बैंको की लंबी
-लंबी
कतारों में भूखे -प्यासे
लगना पड़ा |
अपना
ही पैसा पाने के लिए सरकार का
यह अड़ंगा बहुतों के लिए जानलेवा
साबित हुआ !
सरकार
को लाइनों में हुई मौतों का
पता नहीं ---क्योंकि
मर्तको को गिनना उनका काम
नहीं है !!
पर
पराए देश में बम से मारे गए
लोगो की संख्या बताने का कौशल
भारतीय जनता पार्टी के आद्यक्ष
अमित शाह को मालूम हैं !
2;- नोटबंदी
जैसे राष्ट्री को प्रभावित
करने वाले अहम फैसले को लेने
के नियमो में ---किसने
"”अराजकता
की "”
? प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी की सनक
ने ,अथवा
वित्त मंत्रालय {जिसके
मुखिया खुद जेटली हैं }
के
अति उत्साह ने ?
देश
में मुद्रा परिचालन का जिम्मेदार
देश का केन्द्रीय बैंक -
रिज़र्व
बैंक है ,
इस
बैंक के चार्टर ,
यानि
की अधिकार और कर्तव्यो के
दस्तावेज़ में साफ -साफ
लिखा हुआ हैं की यह सरकार को
समय -
समय
पर इस संबंध में सलाह देता
रहेगा |
परंतु
नोटबंदी जिसे महत्वपूर्ण
फैसले में उसकी "””कोई
सलाह नहीं ली गयी वरन सरकार
के फैसले पर 38
दिन
बाद सहमति दी |
काँग्रेस
नेता जयराम रमेश ने सही ही कहा
की सरकार ने रिजर्व बैंक से
इस फैसले पर मुहर बंदूक की
नोक पर लगवाई !
अब
यह अरज्क्ता नहीं तो क्या !
इस
अनियमितता का परिणाम यह हुआ
की नए नोट छ्पने के लिए 16
000 करोड़
खर्च करने पड़े ---इस
गैर ज़रूरी खर्चे का जिम्मेदार
कौन ?
3;-
छणिक
सनक कहे या महान बनने की ज़िद्द
-जिससे
की आने वाले समय में मुहम्मद
बिन तुगलक जैसे ही याद किए
जाने की ख़्वाहिश -इस
आधे -
अधूरे
प्रयास के हुकुमनामे में
तत्कालीन वित्त सचिव जो आजकल
रिजर्व बैंक के गवर्नर है
-उन्हे
भी रोज -
रोज
अपने इस कारनामे में संशोधन
करना पड़ा था |
जिस
प्रकार टेलेविजन से मोदी जी
ने नोटबंदी की थी ,उससे
पचास गुने की रफ्तार से उसमें
दिन प्रति दिन अनेकों बदलाव
किए गए |
बैंक
करामचरियों को रोज बारह से
चौदह घंटे काम करने पर मजबूर
होना पड़ा |
क्योंकि
शशि कान्त दास जी तो प्रधान
मंत्री की तर्ज़ पर टेलेविजन
पर बोल देते थे की "”
बंकों
को संशोधित निर्देश भेज दिये
गए हैं "”
लेकिन
बैंक अधिकारियों को अपने लोगो
को उन आदेशो को पाहुचने में
बहुत दिक्क्ते थी |
पहली
तो यह की सभी ब्रांचो में टेली
प्रिन्टर नहीं थे -
और
ऐसे आदेश जबानी देने पर वैधानिकता
नहीं थी |
शादी
के लिए बीस हज़ार तक निकालने
की छुट विवाह का निमन्त्र्न
कार्ड दिखाने पर मिलने की बात
काही गयी |
परंतु
कसबाई और ग्रामीण इलाको की
ब्रांचो में यह आदेश पहुंचा
ही नहीं |
जब
तक डाक से पहुंचा बहुत देर हो
चुकी थी |
यह
अराज़्क्ता नहीं थी तो क्या
थी ?
4:-
मोदी
जी ने इस कदम को कालाधान निकालने
वाला और आतंकवाद की कमर तोड़ने
वाला बताया था ----परंतु
नोट बंदी के एक सप्ताह के अंदर
काश्मीर में एक जगह नए नोटो
की बड़ी राशि ज़ब्त की गयी |
कर्नाटक
में एक धन्ना सेठ की बेटी की
शादी में नए नोटो की झालर की
फोटो व्हात्सप पर देखि गयी
|
सिर्फ
राजस्थान में एक छापे में कुछ
करोड़ पुराने नोट पकड़े गए ,
बाकी
कनही कोई बड़ी राशि पकड़े जाने
की कोई खबर नहीं आई !
और
आतंकवाद की कमर तोड़ने का दावा
तो इसी तथ्य से झूठा साबित हो
जाता है की कश्मीर और माओवादियो
की कारवाइयों में विगत वर्षो
की अपेक्षा व्रधी ही देखि गयी
|
और
नोट बदली से फेल मोदी जी ने
पाकिस्तान पर हमला ही कर दिया
|
और
इस तथा कथित हमले के परिणाम
के दावो के सबूत मांगने वालो
को देशद्रोही या गद्दार बतया
जाने लगा |
रक्षा
मंत्रालय में राज्य मंत्री
तो चुटकुला बताने लगे |वैसे
वे पहे ऐसे जनरल हुए हैं जो
अपनी ही सरकार के वीरुध सुप्रीम
कोर्ट में अपनी उम्र घटवाने
की लड़ाई लड़ रहे थे |
यह
अराजकता नहीं तो फिर क्या हैं
?
5;- अब
राफेल सौदे की बात करे – सर्वोच्च
न्यायालय में केंद्र द्वरा
दिये गए हलफनामे में कहा गया
की इस सौदे का सारा विवरण
महालेखा परीक्षक द्वरा देख
लिया गया हैं |
एवं
इसे संसद की लोकलेखा समिति
को दे दिया गया हैं |
जब
काँग्रेस नेता खडगे ने ,जो
लोकलेखा समिति के सभापति है
--उन्होने
सरकार के इस हलफिया बयान का
प्रतिवाद करते हुए कहा की -
मैंने
तो ऐसी कोई रिपोर्ट समिति के
सम्मुख नहीं आई ?
तब
अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने
सर्वोच न्यायालय में प्रधान
न्यायाधीश गोगोई को बताया
की कुछ टाइप करने की गलती से
यह भ्रम हुआ है !!
अब
केंद्र के प्रमुख वकील का यह
कथन न्यायालया की समझ पर सवालिया
निशान नहीं लगाता ?
अब
यह प्र्शसनिक और राजनीतिक
अराजकता नहीं हैं तो क्या हैं
जेटली जी ?
6;- नोटबंदी
और जीएसटी में लगातार बदलाव
किए जा रहे थे -
और
लोग यही नहीं समझ पा रहे थे की
वास्तविक स्थिति क्या हैं
----और
आम जनता परेशान थी और सरकार
की छ्म्ता पर सवालिया निशान
लग रहे थे |
तभी
अचानक गौ रक्षको की कारवाई
में एकदम से तेजी आ गयी |
लगता
था की कनही से बत्तन दाब गया
हैं |
राजस्थान
---हरियाणा
और उत्तर प्रदेश में अनेक
मुसलमानो को गौ रक्षको या
बजरंग दल के नेताओ ने हत्या
कर दी |
एनडीटीवी
की रिपोर्ट में दिखाया गया
की कैसे एक तथकथित "हिदुत्व
"
के
ठेकेदार ने दो मुस्लिमो को
गौ हत्या के शक में मार डाला
|
उत्तर
परदेश की पुलिस ने पहले इसे
गाड़ी टकराने से उत्तेजित भीड़
द्वरा की गयी कारवाई बताया
और घटना में एक घायल से अपनी
खानी की पुष्टि भी करा ली |
मुकदमा
"”अज्ञात
"
लोगो
के नाम दर्ज़ किया गया |
बाद
में जब एनडीटीवी की पत्रकार
ने कैमरे पर उनकी असल कहानी
उतार ली ,
और
उसे चैनल ने दिखा दिया |
तब
सुप्रीम कोर्ट ने उस खबर का
संगयन लेकर पुलिस को नया मुकदमा
कायम करने का आदेश दिया |
ऐसी
घटनाओ से इन तीनों राज्यो में
मुसलमानो को भयभीत कर दिया |
तभी
बीजेपी के कुछ नेताओ ने गौ
हत्या और गाय के मांस के खाने
को लेकर एक प्रचार किया |
जिस
पर अरुनञ्चल से मंत्री ने
सार्वजनिक रूप से स्वीकार
किया उनके समाज में गाय का
मांस खाया जाता हैं |
तब
आंध्र और केरल के लोगो ने इस
मुहिम का प्रतीकार किया और
कहा की "”एकता
"”
के
नाम पर खान पान पर प्रतिबंध
सहन नहीं होगा |
खबर
के अनुसार एक दो जगह गाय की
बिरयानी का भोज भी हुआ |
परंतु
केरल में संघ या बीजेपी का
आधार नहीं होने से कुछ नहीं
हुआ |
लेकिन
इस बयानबाजी और गौ रक्षको की
"”
अति
सक्रियता "”
ने
दोनों धर्मो के बीच नफरत बो
दी |
इसका
सबसे ताज़ा उदाहरण बुलंशहर
में पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या
है -जिसमें
नायक बजरंग दल के एक नेता हैं
,
जिनहे
पुलिस एक माह बाद गिरफ्तार
कर पायी |
बताया
जाता हैं की घटनास्थल से कुछ
किलोमीटर दूर मुसलमान का
इजतेमा की तबलिग हो रही थी
जिसमें देश -
विदेश
के लाखो लोग एकत्र थे |
उनके
इस सम्मेलन को बदनाम करने के
लिए ही यह नाटक रचा गया था |
परंतु
अभियुक्तों पर देशद्रोह की
धारा लगाने की योगी आदित्यनाथ
की सरकार ने अनुमति नहीं दी
|
क्योंकि
उसमें बजरंग दल के लीग भी फंस
रहे थे |
यह
कानूनी अराजकता नहीं है तब
क्या है जेटली जी ?
7;- नरेंद्र मोदी जी की ख्याति या कहे कुख्याति अब देश के बाहर विदेशो में भी चर्चित हो रही है --- जिन भक्तो को लगता हैं की विदेश यात्रा में प्रवीण हमारे प्रधान मंत्री को सिर्फ स्वागत और अभिनन्दन ही मिलता हैं , उनको यह जान कर बड़ी निराशा होगी की सीएनएन के एंकर फरीद जकरिया ने नरेंद्र मोदी जी को दुनिया के उन नेताओ में शामिल किया हैं जो प्रजातांत्रिक चुनावो को "”मुक्त निर्वाचन "” का पाखंड कर के समाचार पात्रो की आज़ादी पर हमला कर नागरिकों के अधिकारो पर हमला करने के लिए जाने जाते हैं !! उनके नाम है वेनेजुयाला के राष्ट्रपति मदुरों और तुर्की के अर्दुआन और फिलीपींस दुतेर्ते और अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प ! जकरिया के अनुसार ई सभी नेताओ ने चुनाव के नाम पर लोकतन्त्र का मखौल उड़ाया हैं | इनहोने प्र्जातंत्र के आधार सहमति -सद्भाव और न्याय के सिद्धांतों को नकार कर मनमानी से शासन चलाया हैं |
इन
नेताओ ने अपने -
अपने
इलाको में प्रैस की स्वतन्त्रता
का गला घोंटा हैं |
परंतु
नरेंद्र मोदी ने देश के प्रेस
और मीडिया को क़ब्ज़े में किया
हुआ हैं |
इसके
लिए कुछ नियमो का इस्तेमाल
किया और कुछ को धन से प्रभावित
किया |
अब
इस ब्याज स्तुति को को किस
रूप में लिया जाये यह मैं भक्तो
के ऊपर में छोडता हूँ |