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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 7, 2013

महिला दिवस एवं उनके विरुद्ध बढते अपराध

    महिला दिवस एवं उनके विरुद्ध बढते  अपराध  
                                                                     महिलाओ के विरुद्ध  अपहरण - शादी का वादा करके भगा ले जाना तथा  दहेज़ के लिए प्रताड़ना  अदि ऐसे अपराध हैं जिनके  कारण सनातन धर्म  की देवी को पैर की  जूती बना दिया गया हैं । यह स्थिति किसी खास छेत्र अथवा मानव समूह तक ही सीमित नहीं हैं । यह कमी  महामारी  की तरह सारे  देश में व्याप्त हैं । महिलाओ के विरुद्ध अपराधो का अंदाज़ कुछ आंकड़ो से लगता हैं । हम यंहा पर  मध्य प्रदेश  में पांच सालो में गुम हुई लडकियों की संख्या  लगभग तीस हज़ार हैं । इसमें से लगभग पांच हज़ार अभी भी बरामद नहीं हुई हैं । एक निस्क़र्ष  यह भी हैं की इनमें से अधिकतर  या तो मुंबई या दिल्ली  के वेश्यालय  में पहुंचा दी गयी हों । 
                                                            उधर सरकार  का कहना हैं की मानव तस्क़री  का अपराध  तब बनता  हैं जब ऐसी कोई शिकायत  करता हैं  अर्थात जब  तक कोई यह सूचना न दे  की गम  लडकिया  किस चकला घर  में हैं तब तक कोई पुलिस कारवाई  नहीं हो सकती । अब इतनी खबर लाने के बाद   तो स्थानीय पुलिस  भी कारवाई  कर सकती  हैं । लेकिन सरकार का कथन  भी बिल्कुल अनर्गल  नहीं हैं , क्योंकि जब तक कोई सुराग  न हो  कारवाई  भी संभव नहीं । 
                                                     लेकिन  इस संख्या में दो तिहाई  संख्या  ""नाबालिग"" लडकियों की हैं , जिन्हे बहला फुसला कर के  सब्ज बाग़ दिखा कर के घर से भगा ले जाते हैं । बालिग़  लडकियों को  बेहतर  वेतन  और  सुविधाओ   का लालच  देक़र  बहलाया  जाता हैं फिर उन्हे  किसी के घर  में "बंधुआ"  मजदूर  बना  कर रख दिया जाता हैं । इस के बाद हम खबरों से  ही जान पाते हैं की किसी ने नौकरानी को घर में ताला   बंद कर के  पंद्रह दिन के लिए घुमने  चले गए । हकीक़त  यह हैं की दिल्ली और  अन्य शहरो में ""घरो ""में नौक़र  रखने की बड़ी चाहत रहती हैं। यह  की , हमारे घर पर मैड सर्वेंट  हैं । इन नव धनवानों  के शौक़  की शिकार होती हैं  मंडला की आदिवासी अथवा गुना की सांसी युवती । अब वे ""मालिक "" की वासना और  मालकिन  की मार पीट  की शिकार होती हैं , तब तक जब तक कोई हमदर्द न मिल जाए अथवा वे किसी अपने को  अपनी दास्ताँ न बता दे । 
                                  इस किस्से  का एक और भी पहलु हैं , नाबालिग लडकियों की गुम्सुदगी और उनको वेश्यलाओ में बेचे जाने  की घटनाये । इतना ही  नहीं उनके साथ बलात्कार  और अनेको मामलो में दूष्कर्म  के बाद उनकी हत्या  । मध्य प्रदेश में विगत पांच  सालो में  सवा  सात हज़ार से ज्यादा नाबालिगो के साथ बलात्कार हुआ हैं ।  विगत २ ० १ ० से अब तक  यानी की तीन सालो में उन्नीस  लडकियों की बलात्कार  के बाद उनकी  हत्या कर दी गयी । इसी अवाधि  में दस वर्ष से कम  उम्र की लडकियों से   बलात्कार    की संख्या   १ ६ ६ थी । इसमें सर्वाधिक  शिकार  पिछडे  वर्ग की ५ ९ थी ,जबकि अनुसूचित जाति और जन जाति की सत्तर बालिकाए थी  शेस ३ ७ सामान्य वेर्ग की थी । इन आकड़ो से स्थिति गंभीरता को समझा जा सक ता हैं ।  हम यही कामना करे की नाबालिग   लडकियों  के साथ दुष्क़र्म  न हो , नहीं तो हमे ""सभ्य " कहलाने का  अधिकार नहीं रहेगा  ।