महिला दिवस एवं उनके विरुद्ध बढते अपराध
महिलाओ के विरुद्ध अपहरण - शादी का वादा करके भगा ले जाना तथा दहेज़ के लिए प्रताड़ना अदि ऐसे अपराध हैं जिनके कारण सनातन धर्म की देवी को पैर की जूती बना दिया गया हैं । यह स्थिति किसी खास छेत्र अथवा मानव समूह तक ही सीमित नहीं हैं । यह कमी महामारी की तरह सारे देश में व्याप्त हैं । महिलाओ के विरुद्ध अपराधो का अंदाज़ कुछ आंकड़ो से लगता हैं । हम यंहा पर मध्य प्रदेश में पांच सालो में गुम हुई लडकियों की संख्या लगभग तीस हज़ार हैं । इसमें से लगभग पांच हज़ार अभी भी बरामद नहीं हुई हैं । एक निस्क़र्ष यह भी हैं की इनमें से अधिकतर या तो मुंबई या दिल्ली के वेश्यालय में पहुंचा दी गयी हों ।
उधर सरकार का कहना हैं की मानव तस्क़री का अपराध तब बनता हैं जब ऐसी कोई शिकायत करता हैं अर्थात जब तक कोई यह सूचना न दे की गम लडकिया किस चकला घर में हैं तब तक कोई पुलिस कारवाई नहीं हो सकती । अब इतनी खबर लाने के बाद तो स्थानीय पुलिस भी कारवाई कर सकती हैं । लेकिन सरकार का कथन भी बिल्कुल अनर्गल नहीं हैं , क्योंकि जब तक कोई सुराग न हो कारवाई भी संभव नहीं ।
लेकिन इस संख्या में दो तिहाई संख्या ""नाबालिग"" लडकियों की हैं , जिन्हे बहला फुसला कर के सब्ज बाग़ दिखा कर के घर से भगा ले जाते हैं । बालिग़ लडकियों को बेहतर वेतन और सुविधाओ का लालच देक़र बहलाया जाता हैं फिर उन्हे किसी के घर में "बंधुआ" मजदूर बना कर रख दिया जाता हैं । इस के बाद हम खबरों से ही जान पाते हैं की किसी ने नौकरानी को घर में ताला बंद कर के पंद्रह दिन के लिए घुमने चले गए । हकीक़त यह हैं की दिल्ली और अन्य शहरो में ""घरो ""में नौक़र रखने की बड़ी चाहत रहती हैं। यह की , हमारे घर पर मैड सर्वेंट हैं । इन नव धनवानों के शौक़ की शिकार होती हैं मंडला की आदिवासी अथवा गुना की सांसी युवती । अब वे ""मालिक "" की वासना और मालकिन की मार पीट की शिकार होती हैं , तब तक जब तक कोई हमदर्द न मिल जाए अथवा वे किसी अपने को अपनी दास्ताँ न बता दे ।
इस किस्से का एक और भी पहलु हैं , नाबालिग लडकियों की गुम्सुदगी और उनको वेश्यलाओ में बेचे जाने की घटनाये । इतना ही नहीं उनके साथ बलात्कार और अनेको मामलो में दूष्कर्म के बाद उनकी हत्या । मध्य प्रदेश में विगत पांच सालो में सवा सात हज़ार से ज्यादा नाबालिगो के साथ बलात्कार हुआ हैं । विगत २ ० १ ० से अब तक यानी की तीन सालो में उन्नीस लडकियों की बलात्कार के बाद उनकी हत्या कर दी गयी । इसी अवाधि में दस वर्ष से कम उम्र की लडकियों से बलात्कार की संख्या १ ६ ६ थी । इसमें सर्वाधिक शिकार पिछडे वर्ग की ५ ९ थी ,जबकि अनुसूचित जाति और जन जाति की सत्तर बालिकाए थी शेस ३ ७ सामान्य वेर्ग की थी । इन आकड़ो से स्थिति गंभीरता को समझा जा सक ता हैं । हम यही कामना करे की नाबालिग लडकियों के साथ दुष्क़र्म न हो , नहीं तो हमे ""सभ्य " कहलाने का अधिकार नहीं रहेगा ।
महिलाओ के विरुद्ध अपहरण - शादी का वादा करके भगा ले जाना तथा दहेज़ के लिए प्रताड़ना अदि ऐसे अपराध हैं जिनके कारण सनातन धर्म की देवी को पैर की जूती बना दिया गया हैं । यह स्थिति किसी खास छेत्र अथवा मानव समूह तक ही सीमित नहीं हैं । यह कमी महामारी की तरह सारे देश में व्याप्त हैं । महिलाओ के विरुद्ध अपराधो का अंदाज़ कुछ आंकड़ो से लगता हैं । हम यंहा पर मध्य प्रदेश में पांच सालो में गुम हुई लडकियों की संख्या लगभग तीस हज़ार हैं । इसमें से लगभग पांच हज़ार अभी भी बरामद नहीं हुई हैं । एक निस्क़र्ष यह भी हैं की इनमें से अधिकतर या तो मुंबई या दिल्ली के वेश्यालय में पहुंचा दी गयी हों ।
उधर सरकार का कहना हैं की मानव तस्क़री का अपराध तब बनता हैं जब ऐसी कोई शिकायत करता हैं अर्थात जब तक कोई यह सूचना न दे की गम लडकिया किस चकला घर में हैं तब तक कोई पुलिस कारवाई नहीं हो सकती । अब इतनी खबर लाने के बाद तो स्थानीय पुलिस भी कारवाई कर सकती हैं । लेकिन सरकार का कथन भी बिल्कुल अनर्गल नहीं हैं , क्योंकि जब तक कोई सुराग न हो कारवाई भी संभव नहीं ।
लेकिन इस संख्या में दो तिहाई संख्या ""नाबालिग"" लडकियों की हैं , जिन्हे बहला फुसला कर के सब्ज बाग़ दिखा कर के घर से भगा ले जाते हैं । बालिग़ लडकियों को बेहतर वेतन और सुविधाओ का लालच देक़र बहलाया जाता हैं फिर उन्हे किसी के घर में "बंधुआ" मजदूर बना कर रख दिया जाता हैं । इस के बाद हम खबरों से ही जान पाते हैं की किसी ने नौकरानी को घर में ताला बंद कर के पंद्रह दिन के लिए घुमने चले गए । हकीक़त यह हैं की दिल्ली और अन्य शहरो में ""घरो ""में नौक़र रखने की बड़ी चाहत रहती हैं। यह की , हमारे घर पर मैड सर्वेंट हैं । इन नव धनवानों के शौक़ की शिकार होती हैं मंडला की आदिवासी अथवा गुना की सांसी युवती । अब वे ""मालिक "" की वासना और मालकिन की मार पीट की शिकार होती हैं , तब तक जब तक कोई हमदर्द न मिल जाए अथवा वे किसी अपने को अपनी दास्ताँ न बता दे ।
इस किस्से का एक और भी पहलु हैं , नाबालिग लडकियों की गुम्सुदगी और उनको वेश्यलाओ में बेचे जाने की घटनाये । इतना ही नहीं उनके साथ बलात्कार और अनेको मामलो में दूष्कर्म के बाद उनकी हत्या । मध्य प्रदेश में विगत पांच सालो में सवा सात हज़ार से ज्यादा नाबालिगो के साथ बलात्कार हुआ हैं । विगत २ ० १ ० से अब तक यानी की तीन सालो में उन्नीस लडकियों की बलात्कार के बाद उनकी हत्या कर दी गयी । इसी अवाधि में दस वर्ष से कम उम्र की लडकियों से बलात्कार की संख्या १ ६ ६ थी । इसमें सर्वाधिक शिकार पिछडे वर्ग की ५ ९ थी ,जबकि अनुसूचित जाति और जन जाति की सत्तर बालिकाए थी शेस ३ ७ सामान्य वेर्ग की थी । इन आकड़ो से स्थिति गंभीरता को समझा जा सक ता हैं । हम यही कामना करे की नाबालिग लडकियों के साथ दुष्क़र्म न हो , नहीं तो हमे ""सभ्य " कहलाने का अधिकार नहीं रहेगा ।
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