तीन
साल के प्रचार मे देश के प्रथम
प्रधान मंत्री की पुण्य तिथि
ही भूल गयी सरकार !!
15
अगस्त
1947 से
पहले जिस छेत्र को ब्रिटिश
उपनिवेश का हिस्सा जाना जाता
था ,और
जिसकी पहचान बर्मा और श्री
लंका के साथ होती थी |
वायसराय
का छेत्राधिकार आज के इन तीनों
देशो के ऊपर था |
आज़ादी
के बाद इंडिया और 26
जनवरी
1950 को
इस देश को यूनियन ऑफ इंडिया
अथवा इंडिया जो की भारत है की
पहचान जिस प्रथम प्रधान मंत्री
के नेत्रत्व मे मिली वे थे
पंडित जवाहर लाल नेहरू |
जिनके
जनम दिन को 60
वर्षो
तक बाल दिवस के रूप मे याद किया
जाता था |
एवं
उनका अवसान 27
मई
1962 को
हुआ |
राष्ट्रपिता
महात्मा गांधी की समाधि राजघाट
मे ही उन्हे शांतिवन बनाकर
समाधि दी गयी |
परंतु
55 साल
बाद इस वर्ष केंद्र सरकार और
मोदी जी का मंत्रिमंडल अपने
तीन साल पूरे होने की खुशी मे
''भूल
गये '''
की
इस देश का 15
साल
तक नेत्रत्व करने वाले पहले
प्रधान मंत्री की पुण्य तिथि
पर दो लाइन का संदेश भी नहीं
जारी किया |
जो
सरकार तीन साल की "”तथाकथित
"”
उपलब्धि
को देश के सामने प्रदर्शित
करने के लिए दो अरब रुपये से
ज्यादा खर्च किया हो ---उस
सरकार का इतिहास बोध इतना
कमजोर होगा की वह देश के प्रधान
मंत्री की पुण्य तिथि को भी
बिसरा देगी !!
वर्तमान
राजनीतिक नेत्रत्व इतिहास
का बिगुल बजते नहीं थकता है
--- अशोक
-चाणक्य
– प्रताप -और
शिवाजी का गुणगान करने के लिए
बड़े -
बड़े
आयोजनो पर करोड़ो रुपया खर्च
किया जा रहा है |
परंतु
देश के संवैधानिक इतिहास और
आज़ादी की लड़ाई को बिसरा देने
की जानबूझ कर कोशिस है क्या
?
अन्यथा
अपने राजनीतिक अग्रजो की
अनदेखी करने का यह प्रयास
निंदनीय ही कहा जा सकता है |
अगर
ऐसा कुछ नहीं था -----तब
सरकार के जिम्मेदारों को
स्पष्ट करना होगा की की ऐसी
अनदेखी आखिरकार क्यो हुई ?