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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 29, 2021

 

नववर्ष को विरासत में बीमारी -नफरत -अविश्वास ही मिलेगा !

कुछ घंटे ही बचे हैं जब दुनिया में लोग न्यू इयर का घंटे और आतिशबाज़ी से स्वागत करेंगे | भारत भी इनमे शामिल हैं | परंतु 2022 को विरासत में कोई भी ऐसी उपलब्धि नहीं हैं जो 125 करोड़ की आबादी के देश में किसी भी प्रकार का उल्लखित "”परिवर्तन"” ला हो | हाँ देश की आबादी में मात्र लाख लोगो को ही इस बीमार अर्थव्यसथा और सामाजिक नफरत से अछूते रहे | क्यूंकी इस वर्ग की मंहगाई अनाज और आलू सब्जी के भाव से नहीं होती , वरन उस बाज़ार के उतार-- चड़ाव से होता हैं जिसे कहते तो है "””शेयर मार्केट "” पर यह सिर्फ धनपतियों के कुनबे से ही लाभ बांटता हैं | देश की जनता से नहीं | परंतु आबादी के अनुपात में इस कुनबे की हैसियत दशमलव 000000000001 की होगी पर यह सरकार और उसके सारे तंत्र पर भारी पड़ता हैं | किसान को द्ये गए क़र्ज़ को सरकार उजागर करेगी , मकान बनाने के लिए गए कर्ज़ो को भी संसद को बताया जाएगा | उद्योगो को सरकारी सह्यता की राशि भी सदन के पटल पर रखी जाएगी | पर देश के उद्योगपतियों को किस बैंक ने कितना कर्ज़ दिया हैं , इसके लिए सरकार सुप्रीम कौर्ट में "”गुहार "” लगाएगी की इन लोगो के नाम न उजागर किए जाए -क्यूंकी देश की अर्थ व्यवस्था "डह" जाएगी ! भले ही यह सच्चाई उस बेमानी को उजागर कर दे जिसमें सरकार और उद्योगपति शामिल हो ! पर सदाहरण जन के बचत के धन से इन लोगो को अनाप - शनाप कर्ज़ देकर ,फिर सरकार उसे "”माफ "” कर देगी ! भले ही हज़ार रुपये के बिजली के बिल के बकाए के कारण ना केवल बिजली काट दी जाए वरन उसकी मोटर और ट्रैक्टर को भी ज़ब्त कर लिया जाएगा ! तो यह विरासत आने वाले 2022 को मिलेगी |

अब सामाजिक स्थिति की ओर नज़र डाले तो वनहा भी कोई शुभ और आशा की किरण नहीं दिखाई पड़ती | नोटबंदी से असंगठित व्यापार सेक्टर पूरी तरह चरमरा गया | महिलाओ के बचाए हुए पैसे भी मोदी जी ने निकलवा लिए ; जो परिवार के संकट के समय काम आते थे | रेहड़ी या फेरी वाले जिनका धंधा परिवार के सहयोग से चलता था , उनको "”मजदूरो के बाज़ार में खड़ा होना पड़ा "” क्यूंकी अभूतपूर्व मंहगाई से ग्राहक या तो कम हो गए अथवा गायब हो गए |

अगर देश में विभिन्न धर्मो और समुदायो के मध्य रिश्तो की बात की जाये तो , कहा जा सकता हैं की , संबंधो के कुएं में ही भांग पड़ी है | देश में जिस प्रकार "” कोशिस कर के अनेक संगठनो द्वरा धरम के नाम पर नफरत बोयी गयी थी उसमें अब फल आने लगे हैं | यह किया भी इसी लिए गया था की 2022 के पाँच राज्यो की विधान सभाओ चुनावो में सत्ता रुड दल यानि की "”” हिंदुत्ववादी "”” शक्तियों को विजय प्राप्त हो | भले ही इसके लिए राज्य सरकारो की ताकतों का इस्तेमाल "” गैर वैधानिक "”” तरीको से किया जाये ! हिंदुत्ववादी शक्तियों के निशाने पर मुसलमान तो पहले से ,या कहे आरएसएस की स्थापना से ही हैं , तो गलत नहीं होगा | हालांकि संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत अपने भास्णो से यदा - कदा कहते रहते हैं की "”देश के सभी निवासियों का डीएनए एक ही हैं "”” उनके अनुसार उपासना पद्धति अलग हो सकती है , पर सभी भारतीय हैं !!””” उनके इस कथन को भी लोकसभा में सरकार की ओर से दिये गए कथन से करना चाहिए --- जो आल इज़ वेल और स्थिति नियंत्रण में है कहने का पाखंड करती हैं | जिसके नेता हमेशा ज्वलंत मुद्दो से "” कन्नी काटते है और अनदेखी करते हैं "”” क्यूंकी उनका एक मात्र ध्येय होता है पार्टी विशेस को लाभ मिले भले ही आम जनता मंहगाई -बेरोजगारी और असिक्षा , पीने के पानी , कुपोषण और शासकीय भ्रष्टाचार से पिसती रहे | लेकिन विधान सभा चुनाव की पूर्व स्ंधया पर जनहा सत्तारुड पार्टी अपने किए { जो नहीं किए } और कहे वादो की याद मतदाताओ को दिलाती हैं | वनही विपक्ष सरकार की खामियो को उजागर कर समर्थन मांगती हैं | प्रचार अपनी वाह - वाही बताने तक सीमित रहे तो कोई बात नहीं ---- पर जब एक दूसरे की जांघ खोली जाने लगती है ----तब लगता हैं की हम "”सभ्य और सुसन्स्क्रत समाज से दूर कनही जंगल में हैं "” | जिस नाटकीयता से ही ही भले परंतु धार्मिकता की ओर इशारा अगर हिन्दुत्वादी ,, परंपरा तथा शुद्धता एवं संसक्राति के नारे के साथ करते हैं , मानो देश में धरम को अवतरित करने वाले वे स्वयं है ! चुनाव प्रचार आज गैर बराबरी और विज्ञापन तथा शराब - और पैसा बाँट कर किया जाना आम बात हैं | खास बात यह हैं की निर्वाचन आयोग के "” नुमाइंदे भी ज़ोर ज़बरदस्ती और सीमा से अधिक पैसे खर्च करने का सबूत नहीं पाते !!!! इसीलिए कभी भी आयोग के "पर्यवेक्षक "” की रिपोर्ट ने किसी भी निर्वाचन को "””अवैध "” नहीं बताया ! अदालत में सीध होने की बात दूर रही | चुनाव आयोग की घटती "” निसपक्षता "”” कभी भी अफ्रीका के देशो की तर्ज़ पर "”संगदिग्ध "”हो सकती हैं , तब जन आक्रोश ही एक मात्र विकल्प बचता हैं | यूं तो पीपुल्स रिपब्लिक ओ चाइना और सोवियत रूस के खंडहर पर बचे पुतिन के रूस में भी जन प्रतिनिधियों के चुनाव होते हैं ---- पर वनहा "”ईमानदारी "” ही सबसे बड़ा बलिदान होती हैं | मतदाता को अपनी पसंद का प्रत्याशी चुनने की आज़ादी नहीं हैं | ईरान में भी कुछ ऐसा ही तंत्र विकसित हुआ है ---वनहा इस्लामिक काउंसिल यह तय करती है की कौन चुनाव में "””प्रतायशी "” बन सकते हैं < हालांकि इसके लिए योग्यता का निर्धारण नहीं हैं !!!


समुदायो के मध्य नफरत जरूरी नहीं की मजहब के आधार पर हो , यह राजनीतिक भी हो सकती हैं | जैसा 14 माह तक चले अहिंसक किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी नेताओ और राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के लोगो द्वरा आंदोलन रत सीख किसानो को "”खालिस्तानी - और देशद्रोही कह कर पुकारा गया था | पर जब सेना के अवकाश प्रापत अधिकारियों और जवानो ने अपना समर्थन सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया , तब इन "”अंध भक्तो "” के पास कोई चारा नहीं बचा था | इस जाते वर्ष में ईसाई धर्म भी केंद्र की बीजेपी सरकार के निशाने पर आ गए हैं | विश्व में जिन मदर टेरेसा के संस्थान सिस्टर्स ऑफ चैरिटी को वैटिकन के पोप ने मान्यता दी हो उसे भारत सरकार ने विदेशी सहायता का हिसाब नहीं देने के कारण , उन्हे दूसरे मुल्को से मिलने वाली सहता को स्वीकार करने पर "”रोक "” लगा दी हैं | संयोग की बात यह हैं की यह आदेश केंद्र द्वरा क्रिसनस यानि 25 दिसंबर को दिया गया !! हैं ना मजेदार बात | फिर भी सरकार के नुमाइंदे कह रहे हैं की उन्होने खुद ही अपने खाते बंद कर दिये हैं | मदर टेरेसा द्वरा कुष्ठ रोगियो और बेसहारा लोगो के लिए जो परोपकार के कार्य किए हैं , उसका तो हिसाब केंद्र सरकार मांग रही हैं | परंतु अशोक सिंघल के समय विश्व हिन्दू परिषद को प्रापत चंदे का हिसाब आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया | तब अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए "””एक ईंट और एक रुपया "” का चंदा करोड़ो लोगो से उगाहा गया था | अब फिर वही परिषद अयोध्या में जमीन की खरीद में

हो रहे घोटाले की जांच ना तो योगी आदित्य नाथ की सरकार करा रही हैं नाही केंद्र सरकार ,जिसके पैसे से मंदिर का निर्माण किया जा रहा हैं !!

पंजाब के गुरुद्वारो में ग्रंथ साहब की "” बेअदबी "” और गुनहगार को पीट पीट कर मार देने की घटनाए चिंता की बात हैं | एक ओर यह कुछ "”शक्तियों "” द्वरा इस वर्ग को उकसाने का काम हो सकता हैं | क्यूंकी आजतक जब ऐसी घटनाए नहीं हुई थी ,तब अचानक इंका होना चिंता की बात हैं | खास कर चुनाव के मौके पर | उधर अंबाला के एक गिरजाघर में कुछ उजड्डों द्वरा ईसा मसीह की मूर्ति को तोड़ना और आँय नुकसान पन्हुचाना किसी अतिवादी का ही काम हो सकता हैं | किसान आंदोलन के दौरान लालकिले पर सिख डीएचआरएम के निशान साहब को फहराने का आरोप केंद्र सरकार की एजेंसियो और नेताओ ने किसान आन्दोलंकारियों पर लगे था | तब किसान नेता टिकैत ने आरोप लगाया था की यह "”सरकार के द्वरा कराई गयी हरकत हैं "” आज उस गुनहगार का और उस मुकदमें का कोई आता पता नहीं हैं | सिखो को आतंकवादी -खालिस्तानी और ईसाइयो को धरम परिवर्तन का दोषी तथा मुसलमानो को हिन्दुओ के लिए खतरा बताना ही हिंदुत्ववादी हैं | अभी एक जिम को बंद करने की मांग हिन्दू संगठनो ने इस आधार पर की ,यानहा लोग हिन्दू लड़कियो को "””बरगलाते है "” !! अब देश और धरम के नाम पर नफरत फैलाने को क्या संज्ञा दी जाए , यह प्रश्न खुला हैं !!!

देश अभी भी महामारी से उबरा नहीं हैं , और कोरोना तथा ओमिकोर्न ने दस्तक दे दी हैं | वैसे सरकार और डाक्टर लोग यही कह कर जनता को संतोष दे रहे हैं की "”” यह कोरोना जैसा प्राणघातक नहीं हैं "” | लेकिन वे भी यह मान रहे हैं की यह बच्चो और सीनियर नागरिकों के लिए घातक हो सकता है | चलिये फिर भी कुछ कट्टर वादियो को छोड़ दे , जो जीवन में तो अङ्ग्रेज़ी कलेंडर से ही काम करते हैं , पर साल उनका चैत्र से शुरू होगा ! वैसे मार्च से शुरू होने वाले संवत का वराहमिहिर के अनुसार नाम होगा

“”प्लव "” जो विप्लव के काफी समीप हैं , |

प्रार्थना है की देश के सभी नागरिक नए वर्ष { अंग्रेज़ो } में स्वस्थ्य रहे परिवार सुरक्शित रहे और सुखमय हो |