Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 4, 2023

 

क्या महिला पहलवानों को न्याय मिलेगा भी ! 

 

   जंतर मंतर पर बड़ी उम्मीदों से धरना दे रहे महिला कुश्ती  के खिलाड़ियो की उम्मीद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट  के फैसले से  बुरी तरह टूट गयी है !  सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की  कुश्ती संघ के आद्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह  के वीरुध ,  अपराध की रिपोर्ट दर्ज़ की जा चुकी है , इसलिए अब आगे अदालत इस मामले में कोई सुनवाई नहीं करेगी !   अदालत ने यह भी  नहीं देखा की एक नाबालिग महिला के साथ यौन शोषण की शिकायत पर पाकसो एक्ट  में दर्ज़ तो हुई पर –दिल्ली पुलिस ने  ना तो अभियुक्त के की गिरफ्तारी की और ना ही सभी शिकायत कर्ताओ के बयान दर्ज़ किए | पुलिस के अनुसार चार  महिलाओ के बयान धारा 160 अपराध दंड संहिता के तहत बयान दर्ज़ कर लिया हैं |  आम तौर पर पाकसो एक्ट के तहत अभियुक्त को गिरफ्तार कर पुच्छ ताछ की जाती हैं | यह शायद पहला मामला होगा जिसमें  अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हुई हैं!!!  क्या इसलिए की अभियुक्त बीजेपी सांसद है , अथवा सत्तारुड  दल का प्र्भवी नेता हैं ! सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब पकसो एक्ट  के अभियुक्त की गिरफ्तारी –और अपनी निर्दोषिता  सिद्ध करने का कानून अब पलट जाएगा !!!

        पकसो एक्ट में अभियुक्त को अपनी निर्दोषिता सिद्ध करना होती हैं | जबकि आम तौर पर किसी भी अपराध में आरोपी के वीरुध  उसका दोष सिद्ध करने की ज़िम्मेदारी सरकार को करनी होती हैं |  अब इस मामले में भी ब्रज भूसन शरण सिंह की ना तो गिरफ्तारी होगी और मुकदमे की कारवाई सालो साल चलेगी |

 

 जैसे उत्तर प्रदेश में मलियाना नर संहार में छतीस  साल मुकदमा चलने के बाद  अतिरिक्त ज़िला न्यायडिश  ने 40 ज़िंदा आरोपियों को बाइज्जत बारी कर दिया !  वजह अभियुक्तों के खिलाफ जुर्म साबित नहीं हो पाया !!! 

                इस तरह गुजरात के नरोदा पटिया नर संहार में भी  अतिरिक्त ज़िला जज शुभ्दा  बक्सी ने भी एक लाइन का फैसला सुना कर  67 अभियुक्तों को रिहा कर दिया ------की सभ अभियुक्तओ  के खिलाफ  दोष सिद्ध के पर्याप्त  सबूत नहीं है !!

        

      दिल्ली विश्वविद्यालय  के प्रोफेसर साईबाबा को आतंकी मामले मे  मुंबई पुलिस ने गिरतार किया | मुंबई उच्च न्यायालया ने  उन्हे जमानत पर रिहा करने का आइसला सुनाया | परंतु केन्द्रीय जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में मुंबई हाइ कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपपील दायर की | सुप्रीम कोर्ट की खंडा पीठ के जस्टिस शाह की बेंच ने मुंबई हाइ कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए साईबाबा की जमानत को रद्द करते हुए आदेश दिया की  मुंबई हाइ कोर्ट इस मामले को  की सुनवाई किसी दूसरे बेंच को दे |  इस आइसले का अरथा यह हुआ की जमानत देने वाली पीठ की यौग्यता और निष्ठा  पर सवालिया निशान लगा दिया |

     

     गुजरात के ही बिलकीस बानो केस में अभियुक्तों को सज़ा पूरी होने के पहले ही रिहा क्यी जाने के फैसले पर जुस्टिस जोसेफ  ने गुजरात सरकार की इस कारवाई को घोर आपतिजनक बताया था |  जब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से अभियुक्तों की रिहाई के दस्तावेज़  तलब किए ----- तब सरकार ने अदालत के आदेश को माममे से इंकार कर दिया था !!!!  तब सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा था की  की हम स्वयं  निष्कर्ष निकालेंगे |

परंतु जब गुजरात सरकार दस्तावेज़ अदालत में अगर देगी ----तब जुस्टिस जोसेफ  रिटायर हो चुके होंगे !!!

 इन उदाहरणो  से यह साग हो जाता है की संविधान के तीनों अंग ---सरकार और विधायिका  का तो पूरी तरह से राजनीतिकरण  हो चुका हैं | उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ अपने  चल रहे मुकदमो को हाइ कोर्ट से वापस कार्वा देते हैं | सरकार कहती हैं की  ये सभी मामले  सरकार द्वरा द्वेष वश चलाये गए थे | परंतु उसी सरकार ने पत्रकारो के खिलाफ  मुकदमे दायर किए =-- क्यूंकी उन्होने योगी सरकार की हरकतों को उजागर किया था |

         अब रहा सवाल न्यायपालिका की , तो सूरत के अतिरिक्त जज आर पी मोगेरा ने  राहुला गांधी के मानहानि के मामले भी कहा की दो साल की सज़ा तिक है ,| बस एक लाइन में फैसला हो गया |

 बस ऐसे ही महिला पहलवानो के मामले कभी फैसला एक लाइन में हो गया ! क्यूंकी निज़ाम को कोई भी नाराज़ नहीं करना चाहता