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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 24, 2016

पाकिस्तान नरक नहीं है -- यह बयान क्यो देशभक्तों को शूल जैसा चुभा ?

रामम्या का बयान देशभक्तों को क्यो शूल जैसा चुभ गया ?

जेनयू मे हुए विवाद के बाद छात्र नेता कनहिया के विरुद्ध जब राष्ट्र द्रोह का आरोप लगे था तब दो सवाल जनमानस
मे उभरे थे | जिन पर मीडिया के सभी अंगो --यानि लिखने -सुनने और टीवी चैनलो मे काफी बहस हुई थी | उस समय भी 1860 के देशद्रोह के कानून पर चर्चा हुई -- थी क्योंकि इसी के अंतर्गत ही कारवाई की गयी थी | आज फिर एक बार वह मुद्दा उठ खड़ा हुआ है – कन्नड अभिनेत्री
एवं भूतपूर्व सांसद रामम्या के विरुद्ध कोडगू ज़िले की एक अदालत द्वारा एक इस्तगासा स्वीकार किए जाने पर |

इस मुद्दे के दो पहलू है 1- क्या इस्तगासा अदालत द्वारा स्वीकार किया जा सकता है ?? 2- की किसी मंत्री के बयान की आलोचना "”देशद्रोह होती है ? विषयवस्तु के अनुसार रक्षा मंत्री परिकर द्वरा इस्लामाबाद मे हुए "”सार्क "” राष्ट्रो के सम्मेलन मे भारत द्वरा भाग लिए जाने के अनिश्चय पर बयान दिया था की "””पाकिस्तान नरक है वनहा कौन जाएगा "” | इसकी प्रतिक्रिया मे रामम्या ने कहा था की "” पाकिस्तान नर्क नहीं है "” इसी बयान को लेकर यह विवाद खड़ा हुआ है | इस इस्तगाशा को भारतीय जनता पार्टी के के कार्यकर्ता ने अदालत मे कहा की "” रामम्या के बयान से "”देश भक्तो की भावना को चोट पहुंची है | इसलिए उनके विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए |
राष्ट्र द्रोह का मुकदमा किसी नागरिक द्वारा दायर किए जाने की यह पहली घटना है | क्योंकि देश के "”हित - अहित "” को देखने की कानूनी ज़िम्मेदारी राज्य की होती है | जैसे गोपनियता कानून का मुकदमा किसी नागरिक द्वरा अदालत मे नहीं दायर किया जा सकता ---क्योंकि क्या गोपनीय है , यह तो सरकार द्वरा ही तय किया जा सकता है निजी व्यक्ति द्वारा नहीं | कई ऐसे कानून है जैसे विवाह संबंधी मामलो मे – केवल उभय पक्ष ही मामला दायर कर सकते है कोई तीसरा व्यक्ति नहीं | रिश्वतख़ोरी के मामलो मे भी सरकार ही मुकदमा दायर करती है निजी व्यक्ति शासन से शिकायत कर सकता है , जो उचित समझने पर अदालत मे चालान पेश करती है | उसी प्रकार देशद्रोह का मामला "” निजी '' व्यक्ति दायर करने का पात्र नहीं है |

दूसरा मुद्दा है की ''पाकिस्तान नर्क नहीं है "” यह कहने से "”देशभक्तों"” का दिल दुख गया है ? अब अगर हम तथ्यो को देखे तो पाएंगे की – रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बयान के बाद भी गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस्लामाबाद गए और सम्मेलन मे भाग लिया | अब याचिका दायर करने वाले सज्जन की भावना देश के ग्रहमंत्री के उनके अनुसार "”” नरक मे जाने से भावना आहत नहीं हुई "”? एक पहलू यह है की भारत के संविधान मे मूल अधिकार मे अभिव्यक्ति का अधिकार है - जिसके अंतर्गत सरकार की आलोचना भी की जाती है विधानमंडल मे और संसद मे भी | इतना ही नहीं परंपरा स्वरूप विपक्ष को विधायी कार्यो मे भाग लेने का अधिकार भी है | जीएसटी विधेयक पर विरोधी दलो ने कितनि आलोचना की यह देश को मालूम है |


अब ऐसे मे राम्म्या के कथन को लेकर बीजेपी समर्थित आनुषंगिक संगठनो द्वारा उन्हे --- पाकिस्तान भेज दिये जाने और उनहे देश निकाला देने की मांग करना --निहायत मज़ाक ही तो है | परंतु मीडिया के एक वर्ग द्वरा इन सब पहलुओ पर विचार किए बिना लंबी - चौड़ी खबर चलाना यथार्थ से परे है और तार्किक भी नहीं है |