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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 29, 2023

 

सांप्रदायिक  उन्माद  कश्मीर और मणिपुर

 सरकार की भेद भाव की नीति  ही दोनों स्थानो में अशांति का कारण

            मणिपुर में “” शांत मातेई इलाके में “”  भीड़ द्वरा  बीजेपी के प्रांत अध्यक्ष  के निवास पर  हमला और आगजनी  की घटना  सबूत है की प्रांत की सरकार का हालत का आंकलन कितना गलत है !  हालांकि इस निवास में हमले के समय कोई नहीं था इसलिए  जान की कोई हानी नहीं हुई , परंतु  इस वारदात से  यह साफ हो गया की अब मातेआइ  समुदाय भी  सरकार से आशंतुष्ट है |  क्यूंकी  भीड़ मे इसी समुदाय के लोग थे !  अब गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर के  पुलिस अधीक्षक  बलवाल को  मणिपुर भेजा गया है | इस हवाई  नियुक्ति से क्या कोई नीतिगत  परिवर्तन संभव है ?  शायद नहीं , क्यूंकी काश्मीर में प्रदेश की पुलिस  के अलावा  केन्द्रीय पुलिस बल  तथा सेना की टुकड़ियों की मौजूदगी भी है | अभी हाल में ही आतंकवादियो  से मुठभेड़ में  सेना के एक मेजर और कैप्टन तथा पुलिस का उप पुलिस अधीक्षक शहीद हुए थे |  यह हालत तब है जब की  वनहा की आबादी  के अनुपात में  सशष्त्र  बलो की उपस्थिती  हजार पर एक है |

          काश्मीर और मणिपुर में एक समानता है की दोनों ही पर्वतीय छेत्र है ,  मौसम लगभग एक जैसा ही है | परंतु  जनहा  कश्मीर में आतंकवादियो को केवल मुसलमानो  मे खोजा  जाता है --- वनही मणिपुर में  सांप्रदायिक उन्माद से भरे  माइतेई और कुकी दोनों  भी  हिन्दू और ईसाई   धर्मो में विभाजित है |  मणिपुर में लगी यह आग  अब राज्य के बाहर भी  फ़ेल गयी है | पहले नागालैंड में माइतेइ  लोगो को नागा  जाती के कोप का भजन होना पड़ा था | परिणामस्वरूप  मणिपुर के मुख्यमंत्री विरेन सिंह को नागालैंड की सरकार से आग्रह करना पड़ा था की वे उनके राज्य के नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करे |  परंतु जब जातीय उन्माद  हो तब  किसी भी समुदाय की भावना को नियंत्रित करना इतना आसान नहीं होता |   अब हाल की घटना आसाम के हलकन्दी जिले की है ,जिसमे एक कुकी  बैंक मैनेजर  पर हमला किया गया , घायल  अधिकारी ने बताया की जब वे बाजार मे ख़रीदारी कर रहे थे कुछ लोगो ने उनको जातीय  गाली देते हुए उनसे भाग जाने को कहा , बाद में उनपर हमला करके घायल कर दिया , उनकी चीख पुकार से भीड़ के आ जाने से  अभियुक्त भाग गए | वे अभी आईसीयू  मे भर्ती है |  पुलिस के अनुसार  हमलावर  भाग गए और अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं |    इन घटनाओ से साफ है की  मणिपुर की मतेयाई  और कुकी  समुदायो की आपसी नफरत अब  राज्य की सीमा के बाहर भी फ़ेल चुकी है | जैसा की कुछ समय पहले  जम्मू में कश्मीरी मुसलमानो   चरवाहो और कालीन विक्रेताओ  से दुर्व्यहर हुआ था | जातीय या धार्मिक   नफरत  किसी भौगोलिक  सीमा तक ही  नहीं रहते , यह व्यक्ति  के साथ  होते है –उसकी भावना  और विचार में होते है |  यही कारण है की  कुछ साल पहले बंगलौर में भी उत्तर –पूर्व के  छात्रों  और कामगारों  के साथ  स्थानीय लोगो  के  नफरती व्यवहार ने वनहा से इन लोगो को  भागने पर मजबूर किया था | तब भी मामला  मांस खाने और गैर हिन्दू होने पर  ही गैर बराबरी का मामला था | बाद में  सरकार  ने कोशिस भी की थी , परंतु बजरंगियों  को  पकड़ने में नाकाम रही थी |

                अब वर्तमान हालत में भी  यही सवाल है की  क्या कश्मीर की ही भांति  मणिपुर में भी  फौज और हथियार के जोर पर शांति लायी जा सकती है ?  काश्मीर का मसला  पाकिस्तान से जुड़ा होने से  सत्ताधारी बीजेपी  के लिए  हिन्दू – मुसलमान  करने से लाभदायक था –शेस भारत मे , भले ही यह तरकीब  कश्मीर में सफल नहीं हुई हो |  परंतु  देश के  मध्य भाग  में या कहे हिन्दी और अन्य  भाषा भाषी  लोगो  के लिए---- उत्तर भारत राज्यो के लोग अपनी  शक्ल से ही अलग दिख जाते है |  उनमे  हिन्दू  या मुसलमान अथवा ईसाई  का भेद करना मुश्किल है | 

          इसलिए केंद्र के सत्ताधारियों को विचार करना पड़ेगा  की धर्म और समुदाय तथा जाति की राजनीति  अब चुनव के वोट तक ही सीमित नहीं रही है , वरन  अब वह  हिंसा  और मार –काट  तक पहुँच गयी है |  इसके लिए

प्रधान मंत्री और उनके सहयोगीयो  को  चुनाव प्रचार तक ही नहीं सीमित रहना होगा , वरन  शासन  की ओर ध्यान देना होगा | मोदी और अमित शाह जी जिन दोनों की यह ज़िम्मेदारी  है की देश में शांति –व्यवस्था  बनी रहे ----वे तो बस दिल्ली से उड उड़ कर कभी  मध्य प्रदेश तो कभी राजस्थान या फिर छतीस गड  में उतरते है –रैलियो में भाषण देते है | या फिर शासकीय आयोजन में विरोधी दलो को  कटु वचन बोलते रहते है | अपनी  बड़ाई और दुसर्रों की बुराई  इन लोगो का शगल  हो गया है |   \

          ऐसी हालत में  अफसरो के भरोसे  शांति व्यवस्था  कायम कर पाना  मुश्किल है |  अगर नव नियुक्त  पुलिस अधिकारी बलवाल  ने शक्ति  प्रदर्शन से  हथियार बंद  दोनों समुदायो को  दबाने की कोशिस की ---- तब कुछ अनरथ  घटने की संभावना ज्यादा है |  क्यूंकी काश्मीर में हथियार केवल  गिने – चुने आतंकवादियो के पास ही थे –परंतु मणिपुर में तो  दोनों समुदाय  ही  हथियारबंद  है , उनके पास पुलिस के समान  सभी हथियार है | यह वैसी ही समस्या है जैसी दशको पूर्व उत्तर प्रदेश  और मध्य प्रदेश  में दस्युओ  की थी | वे  दहाई में होते थे  ,परंतु उनका आतंक  बड़े इलाके को भयभीत करे रहता था | सैकड़ो सालो से  डाकुओ की समस्या  का इलाज़ पहले  विनोबा भावे जी   डाकुओ का आतम समर्पण  करा कर किया था | फिर बाद मे जयप्रकाश  जी ने किया | तब से  उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश  में डाकुओ के गैंग  खतम हो गए |  परंतु उस समय की सरकारे भी “” ईमानदारी “” से इस समस्या का शांतिपूर्ण  समाधान चाहती थी |   परंतु आज की हालत में मामला  केंद्र के पाले में है  | उनको मालूम है की मणिपुर की पुलिस  भी  कुकी और माइते  में विभाजित है | उसे कानून से ज्यादा  अपनी बिरादरी के प्रति निष्ठा  है | ऐसी हालत में  स्थानीय पुलिस   सहायता से ज्यड़ा समस्या  की जड़ है | दूसरी समस्या  है पुलिस  से लूटे गये  हथियार की , जिनका इस्तेमाल   अब हो रहा है | इन लूटे गए हथियारों मे सेमी औटोमेटिक  हथियार  भी है |  इसके अलावा म्यांमार  से  आए हुए चीन के बने हथियार  भी इस्तेमाल भी हो रहे है |  अगर  केंद्र सीमा को  बंद नहीं करता  तब  तक हथियारो की  आपूर्ति  जारी रहेगी ----- और जातीय उन्माद  की आग  सुलगती रहेगी | 

               सुलह और शांति तथा   सभी पकछो  से बात  करके ही  राज्य में में व्यासथा  कायम हो सकेगी |

 

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       संसद में बिरला जी का न्याय !

 लोकसभा में  सदस्यो के व्यवहार को लेकर  कई बार पीठासीन   अधिकारी को कड़े फैसले लेने पड़ते है | व्यवस्था  के लिए यह जरूरी भी है  , परंतु न्याय का दंड  अपराध  के अनुसार होना चाहिए , ना की अपराधी की शक्ल देख कर !! परंतु  लोकसभा में  ऐसा  अनेक बार नहीं होता |  पहला उदाहरण  है राहुल गांधी के  वक्तव्य के दौरान  जब उन्होने  व्यवधान  डालने वाले सत्ता पक्ष के सदस्यो से कहा “” डरो नहीं भाई डरो नहीं “” तब अध्यक्ष जी ने उनको टोकते हुए कहा  की  सदन में सभी बराबर है  डरो शब्द का इस्तेमाल नहीं करे !!!

      वनही  नए भवन में  हुए सत्र में जब बीजेपी सांसद  विधुडी जी ने बीएसपी  सांसद को  धर्म के अपमानजनक  सूचक शब्द  से  पुकारा   और  उन्हे देख लेने की  धमकी भी दी , तब ना तो सभापति  ने कोई कडा फैसला लेने की हिम्मत दिखाई  , और बाद में तो स्पीकर साहब ने मामले को विशेसाधिकार समिति को भेज दिया |  नेता प्रतिपक्ष अधीर मुकर्जी  के मामले भी  “” तुरत – फुरत “” सदन से निकाल दिया गया !!!  यह दोहरा मानदंड  तकलीफ देने वाला है | उस सदन में जनहा यह उम्मीद की जाती है की वह ऐसे विधि का निर्माण करेंगे जो सभी भारतवासियों को एक निगाह से देखेगा |

        

Sep 27, 2023

 

मोदी का सम्मोहन  खतम हो रहा है ?

पार्टी के नेता भर है –  शासन नहीं भाषण भर देना  आता है ?

      तीन राज्यो में  विधान सभा  चुनावो का ताप बद्ने के साथ  मोदी जी के हवाई दौरे और आभासी उद्घाटनों  के सरकारी आयोजनो  की सूचना के विज्ञापनो से भरे समाचार पत्रो के बाद भी भीड़एकत्र  करे का दायित्व  भी  पार्टी का नहीं – सरकार की ज़िम्मेदारी है ! परंतु ऐसे आयोजनो  में उनके भाषण  अभी भी  कॉंग्रेस  केन्द्रित होते है , अब  ऐसे  अवसर पर दलीय  प्रचार कितना  उचित है , ?? यंहा पर इलाहाबाद  उच्च न्यायलय का जस्टिस  जगमोहन  लाल का विख्यात फैसले का ज़िक्र  करना जरूरी  है ,  जिसमे उन्होने  इन्दिरा गांधी जी के राय बरेली  से संसद के चुनाव  को सिर्फ इसलिए  “”  अवैध “ घोषित कर दिया था – की उनकी सुरक्षा  के लिए  सरकारी खर्चे पर  “ डी” बनवाया गया था ! अब इस फैसले के मद्दे नज़र  अगर हम देखे तब उनके आयोजन  , जो पूरी तरह से  सरकार द्वारा इंतजाम  किया जाता है – उनमे मोदी जी का  राजनीतिक  प्रचार कितना वैधानिक  है ??

        भोपाल में उन्होने   अपने भाषण  में  कहा की  मोदी के वचन  ही मोदी की गारंटी है , अब इस  बयान को उनके  बड़े – बड़े वादो में परखे  तब हक़ीक़त   तहा मा “ काला धन को देश मे वापस लाना , और उसको देश के लोगो को 15 पंद्रह  लाखा वितरित करना ! भाइयो  बताए कितने लोगो को यह वादा  मिला !! फिर  दूसरा वादा हर साल  करोड़ो युवा  लोगो को रोजगार  सुलभ करना  था ! आज सभी सर्वे  और रिपोर्ट बता रहे है की  देश में रोजगार के अवसर  घटे है !! चाहे  वह कारपोरेट  सेक्टर हो अथवा  “ इनफारमल” सेक्टर  हो  , सब जगह  एक जैसी हालत है |    प्रधान मंत्री द्वरा  आभासी  रूप से नौजवानो को नियुक्ति पत्र  देने के आयोजनो  का प्रचार विज्ञापनो  में तो होता है --- परंतु इन नियुक्तियों  की संख्या – विभाग और  नियुक्ति कर्ताओ का विवरण  गायब रहता है |  इनकी जानकारी का विवरण  सरकारी वेबसाइटो  पर भी नहीं उपलब्ध है !!   इससे भी अचरज की बात है की वे कांग्रेस  सरकारो की राहत योजनाओ  की खिल्ली उड़ाते है !  मतलब हम कहे तो ठीक ,तुम कहो तो  गलत !

      जिस प्रकार चुनाव की जमीनी  इंतेजाम को गृह मंत्री अमित शाह  कर रहे है , उसको देखे तो  पता चलता है की  उनकी अपने गठबंधन  एनडीए  से ही नहीं वरन भारतीय जनता पार्टी  से भी लोग भाग रहे है , इसे  मध्य प्रदेश में देखा और महसूस किया जा रहा है |    सबसे पहले  तो सनातन धरम  को लेकर   द्रविड मुनेत्र कड्ड्गम के मंत्री द्वरा  की गयी गैर शालिन टिप्पणी को लेकर जिस प्रकार   बीजेपी के नेता  राहुल गांधी और सोनिया गांधी से जवाब तलब कर रहे थे  , तब उन्होने  दक्षिण के कड्ड्गम  आंदोलन की तमिल बहुसंख्यकों  में जमी जड़ो को नहीं समझा था | उन्होने उत्तर भारत में  राम मंदिर आंदोलन से उपजी राजनित्क सफलता  को सर्वव्यापी  फार्मूला मान लिया था !!   परिणाम स्वरूप  एआईडीएमके  ने एनडीए से नाता तोड़ लिया और कहा की वे  अकेले ही चुनाव लड़ेंगे !!!   क्यूंकी  सनातन का मसला राजनीतिक से कनही ज्यादा  सामाजिक  हैं !  अब  बीजेपी  तमिलनाडू के ब्रांहनों  के आसरे  वनहा चुनाव लड़ेगी !!  काँग्रेस  का पराभव भी   कडगम आंदोलन  को नहीं समझा पाने से ही हुआ था | यद्यपि काँग्रेस के अंतिम मुख्य मंत्री  के कामराज  दलित थे --- पर तब तक  ब्रांहनों और चेट्टियार  से  नाराजगी इतनी तीव्र नहीं थी | आज  वही गलती मोदी जी कर गए !!

         दक्षिण में धर्म मंदिरो में बसता है , वनहा के लोग मंदिर दरसन  और संगीत  एवं कला  के प्रति  संवेदन शील है |  जिसे उनके संगीत और  न्रत्य  तथा  सिनेमा  में देखा जा सकता है |  परंतु राजनीति  से  उनके दिन प्रतिदिन की आस्था  का कोई संबंध नहीं है | बीजेपी ने राम मंदिर  आंदोलन  को “” कसौटी “” मान लिया था --- जिसमे  साधारण जन  धार्मिक  आस्था को ही  राजनीतिक  चयन मान कर उत्तर प्रदेश  में बीजेपी को चुनाव जीता दिया | यही अंतर है उत्तर और दक्षिण  का है |

                मोदी जी काँग्रेस  को भ्रष्ट और अर्बन नक्सलियो  द्वरा  चलाये जाने का आरोप लगाते है – जैसा उन्होने भोपाल में भाषण  दिया था --- वे भूल जाते है की यही पार्टी  है जिसने देश को आज़ाद कराया  , इसी पार्टी के दो प्रधान मंत्री  इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी  देश के लिए शहीद हुए है !!  पंडित जवाहर लाल नेहरू  के बदौलत  ही देश  में स्टील के कारखाने  और  आईआईटी तथा आईआईएम  एवं  एम्स बने , बड़े  बांध  बिजली घर बने  \| ऐसी पार्टी  को   जंग खाई पार्टी बताना  और  देश विरोधी बताने का प्रयास  कितना जनता के गले उतरेगा  यह  वक़्त बताएगा !!

       वैसे सत्तधारी दल के  आनुषंगिक संगठन  बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद  का काम सिर्फ और सिर्फ किसी न किसी बहाने चंदा उगाहना  है | बजरंग दल के  लोगो को बिलकीस बानो मामले में सज़ा  हुई , और गुजरात सरकार  ने उनकी सज़ा  मे कमी कर दी , जब सुप्रीम  कोर्ट  ने  जवाब तलब किया तब  नियम कायदे  बताने लगी थी प्रदेश की सरकार !!   मणिपुर में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद    जिस प्रकार  नस्लीय  और जातीय हिंसा  विगत दो माह से ज्यादा दिनो से  हो रही है – वह पंजाब में  भिंडरानवाले  के गुट द्वरा  आतंक फैलाये जाने के समान ही है | तब प्रधान मंत्री ने इन्दिरा गांधी ने   आपरेशन ब्ल्यू स्टार  किया था |  मिजोरम में जब आतनवादी गुटो ने आकाशवाणी और शासन के मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था  तब उन्होने हवाई  हमला कर आतंकवादियो  का खत्म किया था | यह बात और है की सिखो की नाराजगी  ही उनकी हत्या का कारण बनी | परंतु पंजाब में कैरो की भी हत्या हुई थी परंतु उनके हत्यारो को नेपाल से बंदी बना कर लाया गया था !!  दूसरे मुख्य मंत्री के हत्यारे  आज भी जेल में बंद है |  यह है अंतर  प्रधान मंत्री  इन्दिरा गांधी और आज के  नरेंद्र मोदी में | जो मणिपुर को  धार्मिक उन्माद में जलने दे रहे है , पहले देश में , हिन्दुओ को मुसलमानो के खिलाफ  जहर भरा  और अब ईसाई जन जाती के कूकियों  के खिलाफ मतेई समुदाय को शह  दे रहे है |

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    सभी धर्म  परमात्मा या सर्व शक्तिमान नियंता की कल्पना करते है ----  कुछ निराकार रूप में और बाकी मूर्ति पूजक होते है |  इतिहास में धर्म के नाम पर  अनेक कुरीतिया पनपी –जिंका कारण  धर्म के “ठेकेदारो का लालच था “”  मंदिर की मूर्ति के अरचको  द्वरा  साधारण जनो  को नियंत्रित करने के लिए  अनेक प्रकार की अफवाहों  का सहारा भी लिया गया | मिश्र में फरौन  के समय की मूर्ति के पुजारी  जनमानस  और यनहा तक की राजसत्ता  को भी  , नहीं मानते थे |  तब  हज़रत मूसा ने उनके देवता   को  निरर्थक सिद्ध कर दिया था |  निराकार ईश्वर की कल्पना शायद इसीलिए की गयी होगी  की उपासको में  उंच – नीच  या छोटे बड़े का भाव नहीं पनपे | परंतु  मानव की फितरत है  देखने और दिखाने की  , जिस कारण उन धर्मो भी  मूर्ति पुजा  प्रकारांतर में शुरू हो गयी | इसका उदाहरण  बौद्ध और जैन ध्रमों का है | दोनों वेदिक धरम  के कर्म कांड और ब्रांहणवाद  से उपजे आशंतोष  से उपजे थे | परंतु  बुद्ध और जैन धर्म के तीर्थंकरो  की बड़ी बड़ी  प्रतिमाए  प्रमाण है |  दोनों ही धर्म  ईश्वर की अवधारणा को खारिज करते है  ,एवं आत्मशुद्धि को मानव की  अंतिम उपलब्धि मानते है |  कुछ ऐसा ही सनातन धर्म में हुआ की ईश्वर से बड़े उनके पुजारी हो गये | जिनके अत्याचारो की कथा केरल की इडवा स्त्रियो के स्तन  खुले रखने की प्रथा और मंदिरो में देवदासी  की प्रथा की आड़ में पुजारियों   की स्त्री लिप्सा  ही रही है |

           इस संदर्भ में धरम  के नाम पर मंदिरो –मस्जिदों और  मूर्तियो  की स्थापना  समाज के धनिक वर्ग द्वारा  तथा शासक वर्ग अपने स्वार्थो के लिए इस्तेमाल करता है | इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओ ने धर्म से सरकार –राजय को अलग रखने की कोशिस की थी ------जिसे नकारने की कोशिस  नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं |

     धर्म और जाति  भावनात्मक  है , क्यूंकी  सभी धर्मो के लोग “”” मानव पहले है “” उनका जन्म और मौत  एक जैसी होती है | तब धर्म –जाति और इलाके के आधार पर बंटवारा  आदमी द्वरा बनाया गया है | ऐसा  मानव समुदाय मे व्यसथा  और शांति के लिए किया गया था |  परंतु कालांतर में मानव ने ही “” व्यक्तिगत “ स्वार्थो  के लिए  इंका इस्तेमाल किया | यानि  ताकत का बेज़ा इस्तेमाल !!   आदिम मानव की शिकार की  तमन्ना  ही जातीय और सामुदायिक युद्धो का कारण बना | भले ही इसका कारण भूमि और संपाती   रहा |  मानव को मानव का गुलाम बनाने की प्रथा  इसी जंगली  व्यवहार  का कारण थी |

          वैसे  सभी धर्मो ने व्यापक रूप से  सभी इन्सानो को बराबर माना है , परंतु  धर्म के नाम पर ही सर्वाधिक  अत्याचार भी हुए | साम्राज्य  बने  पहले शासक ही देवता बना { मिश्र का फरौन }  पर वह भी प्रक्रति  का उपासक था | आज भी  अनेक धर्म इनकी उपासना करते है ---जैसे पारसी जिनहे अग्नि पूजक माना जाता है |  सनातन धर्म के प्रथम ग्रंथ  ऋग्वेद में प्रथम दस ऋचाए अग्नि को ही समर्पित है , उनही की स्तुति है |

      

      

Sep 14, 2023

 

सनातन –सन्यासी और  मोदी सरकार !

अब भगवा धारी सनातन  से ज्यादा  भाजपा के प्रचारक !

 

                   आज के अखबार में  रामकथा वाचक  सन्यासी राम भद्राचर्या जी ने सिवनी में एक सार्वजनिक घोसना की --  यह चुनाव भाजपा  और काँग्रेस के बीच नहीं वरन सनातन वा अधर्मियों के बीच  है !   उनका दूसरा  वचन था  कथा के श्रोताओ से की वे , “” मुनमुन रॉय  को जिताओ , उन्हे मंत्री बनवाने की ज़िम्मेदारी मेरी “! !!!  मुनमुन रॉय उनके यजमान है जो रामकथा करवा रहे है !!!  उधर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  ने बीना रिफायनरी  में उद्घाटन  के समय कहा  “” सनातन को    इंडिया गठबंधन  समाप्त करना चाहता है  , वह सनातन जिसे  गांधी जी  जीवन भर अपनाया , और अंत समय हे राम कहा “  पर ऐसा हमला किया जैसे  मानो  सनातन  कोई भौतिक वस्तु हो ---जिसे उनके राजनीतिक विरोधी  समापत करना छ्ते चाहते है !!!  गांधीजी का जिक्र परंतु उनकी जैसी नैतिकता  नरेंद्र मोदी जी में कान्हा !! बिना का कार्यक्रम भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय का था --- परंतु नरेंद्र मोदी जी ने  वनहा भी बीजेपी नेता  की भांति  ही  व्यवहार किया और --- देश और उद्योग  के बारे में बात ना करके  अपने “ भय “” को ही उजागर कर रहे थे !   उनके अनुसार महातमा  गांधी  के राजनीतिक वारिस काँग्रेस  पार्टी से ज्यादा  --- नरेंद्र मोदी को फिक्र है उनकी वैचारिक विरासत की | ईतना बड़ा असत्य _--  अब राष्ट्र  स्वीकार नहीं करेगा , क्यूंकी देश की जनता उनके पिछले वादो और घोसनाओ को  सुन चुकी है और भुगत भी चुकी है |  जिस प्रकार नरेंद्र मोदी जी ने 2024 में होने  वाले चुनावो  पर निगाह बना कर  मध्य प्रदेश  को अपना कुरुछेत्र  बना रखा है --- उसे देखते हुए इंडिया गठबंधन  ने भी अक्तूबर माह में  पहली रैली  भोपाल में करने को घोसना की है !!! यानि मोदी  जी अगर डाल डाल तो गठबंधन पात पात चल रहा है |

           आइये बात करते है प्रज्ञा चछु राम  भद्राचर्या  और उनके “” उवाच की “”   ! जिस प्रकार उन्होने  बीजेपी के समर्थन और काँग्रेस के विरोध  मे  बयान दिया ,और अपने यजमान की कामना पूर्ति  के लिए जनता का आवाहन किया है , वह घटना  महर्षि  विश्वामित्र  द्वरा  त्रिशंकु  को शशरीर स्वर्ग भेजने  का प्रयास था | अब  मुममुन रॉय जी  विधान सभा चुनाव  जीतेगे  या नहीं --- यह राम भ्द्राचार्य  जी के कथन से तो संभव नहीं होगा !! वह तो जनता के मतपत्र  से ही होगा !

            लेकिन  जिस प्रकार उन्होने  बीजेपी को सनातन  का रखवाला  बताया  है ---- उसस एक सवाल उठता है की – जब बीजेपी नहीं थी तब  “” सनातन धरम  “ का रखवाला कौन था ????   अब न जैसे  सन्यासी को यह तो मालूम ही होगा की , आज जिस रूप में हम सनातन धर्म  को पाते है – वह

आदिगुरु  शंकराचार्य  की देन है ,,  | बौद्ध और जैन धर्म  का आविर्भाव  वेदिक धर्म  के भ्रष्ट  रूप से , जब  ब्रांहनों  द्वरा समाज के अन्य वर्गो को  धर्म के कर्म काँडॉ  का भय दिखा कर शोषण  हो रहा था –तब शक्य मुनि जिनहे बाद में महात्मा बुद्ध कहा गया , तब उन्होने “” अष्टांगिक  मार्ग “”  का मंत्र  दे कर उपासना  की नयी पध्ति  प्रदान की |  उधर  जैन धरम  मे स्वामी महावीर  ने भी  त्याग और वैराग्य  के जरिये  आत्मा की शुद्धि  का उपाय बताया |    इन धर्मो  के आविर्भाव  की सहजता से समाज के बहू संख्यक समुदाय ने  वेदिक धर्म के  कर्म काँडो  से दूरी बना ली | यज्ञ और अन्य ध्रमिक कार्यो  के आयोजन में  धन   के साथ ही ब्रामहन वर्ग   की मांगो  से जनता त्रस्त थी | उसे इन धर्मो की सहजता  पसंद आई | फलस्वरूप  सनातन धर्म  मंदिरो तक सीमित हो गया |   परंतु समय के साथ बौद्ध  संघाराम  में  अनैतिक कार्य कलापों से उनका भी पतन  हुआ | जिस मूर्ति पुजा का विरोध  इन दोनों धर्मो   का मूल था ---- उनमे  मूर्ति पुजा शुरू हो गयी |

                 जिस प्रकार बीजेपी के नेता  और  भगवा धारी   डीएमके  को रावण और कंस  जैसा सनातन विरोधी निरूपित करते है - --- और श्राप  देते है की  उनका भी नाश  रावण  और कंस की भांति होगा !! हंसी लगती है की रावण जैसा  शिव भक्त  जिसने  शिव तांडव स्त्रोत की रचना की  उसे  सनातन  धर्म विरोधी बताना इन सन्यासियों के ज्ञान पर   सवाल खड़ा करता है | कंस   सनातन विरोधी होने  का की द्र्श्तांत  आख्यनाओ  में नहीं है ---- सिवाय इसके की वह अपनी भगिनी के आठवे पुत्र  को अपनी म्र्त्यु  का कारण मान कर --- समाप्त कर  अमर होना चाहता था |  अब इन दोनों   उदाहरणो  में धर्म  का विरोध कान्हा है !!! हाँ   मानवीय मूल्यो  की उपेक्ष ही दिखाई पड़ती है |

 

                 अयोध्या में बन रहे राम मंदिर  के उदघाटन के अवसर  पर  “” संत”” लोगो ने राम भद्रा चार्य जी का सम्मान करने की घोषणा की है |  देश के 127 सम्प्रदायो  के मुखिया  साथ आ गए हैं |  भारतीय संत समिति और  आखाडा परिषद  ने निश्चय किया है की ---  देश के  9 नौ लाख मंदिरो  में “ हर मंदिर राम मंदिर “” की अलख जगाई जाएगी !!  अब इन स्वायभू  धरमाधिकारियों  को कौन बताए की देश में सबसे अधिक मंदिर  --- शिव के है फिर शक्ति के विभिन्न रूपो के है !  राम और कृष्ण के मंदिर  की संख्या  काफी कम है |  खासकर दक्षिण भारत में  तो राम के मंदिर इक्के – दुक्के ही है |  अब इस जमीनी सच को  अनदेखा कर के   भगवा धारी समाज क्या सिद्ध करना चाहता है !

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              सिवनी में राम भ्द्राचार्य  उवाच  और बीना में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  के भाषण  ने आगामी  विधान सभा  2023 और लोकसभा  के 2024  के  चुनावों में भगवा ब्रिगेड  की भूमिका साफ कर दी है |  जन प्रतिनिधित्व  कानून में साफ लिखा है की चुनावो  में धार्मिक  कथन चिन्ह अथवा  कथाओ का उपयोग “ अपराध “” है | इस संदर्भ में अगर हम प्रदेश के विधान सभा चुनावो  2023  को देखे तो --- पाएंगे की  सन्यासी  अब धर्म के बाना में बीजेपी का प्रचार  करेंगे | सिवनी में  राम कथा में राम भ्द्रचार्य  जी ने जिस ठसके से  अपने “” यजमान  मुनमुन रॉय “” को मंत्री बनवाने की ज़िम्मेदारी ली ---- वह उनकी  राजनितिक  पहुँच  का ही प्रमाण है | अन्यथा  जगत त्याग करने वाले  सन्यासी   को किसी के मंत्री बनने या ना बनने से क्या मतलब ! इच्छा  और महत्वाकांच्छा   को त्याग करने के बाद  , खुद का तर्पण करने और  संसार से संबंध खतम करने के लिए ही  सन्यासी को प्रथम भिक्षा अपने परिवार  से ही लेने का विधान है | जैसा की आदिगुरु  ने सन्यास आश्रम  के लिए विधान बताया है !!  महात्मा बुद्ध ने भी पत्नी से भिक्ष्ह  ग्रहण की थी | महावीर के बारे में ऐसा ही कहा जाता है |  सन्यासी को दंड  लेकर ही चलने का विधान है | परंतु देश में शंकराचार्य  पीठ  के सन्यासीओ के अलावा  बिरले ही सन्यासी इस “” कोड “” या नियम का पालन करते है |  भगवा धारी  बड़े –बड़े रथो और  गाड़ियो  में विदेशी सुंदरियों के च्वर  हिलाते हुए  तथा  सोने की मालाओ से लड़े भगवा धारी  “” त्याग  और वैराग्य  को “” मुंह चिड़ाते  लगते है |  परंतु कुम्भ ऐसे अवसरो पर  सरकारे  ऐसे ही “””  सोना और सुंदरियों से घिरे सन्यासियों को  जमीन देती है – जनहा वे स्विस काटेज़ बना कर रहते है | त्याग और वैराग्य  का उपदेश  ऐसे लोगो से  बहुत  छोटा लगता है |

Sep 13, 2023

 

सनातन में समानता का अभाव – दलितो पर पेशाब की वारदात !!!

         सीधी जिले में बीजेपी विधायक  के परिचित द्वरा दलित युवक पर  मुंह में पेशाब की घटना ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जानहा द्रवित कर दिया था और उन्होने  , पीड़ित को भोपाल बुलाकर उसके चरण पखारे थे , प्रायश्चित स्वरूप --- परन्तु उनके ही दल के नेताओ  द्वरा  बार – बार ऐसी नफरती सोच का सार्वजनिक  प्रदर्शन  अत्यंत  दुख की बात हैं |   इस घटना के बाद  औद्योगिक नगरी ____ में एक थानेदार द्वरा  पत्रकारो  पर पुलिस स्टेशन  में ऐसा ही दुर्व्यहर किया गया –पर कोई कारवाई नहीं हुई !  अब राजधानी भोपाल  में  के चौपादकलान  के कोटवार [ चौकीदार ]  रामस्वरूप  पर स्थानीय बीजेपी विधायक  के समर्थक  शेरु मीना द्वरा   मारपीट करने और  उसके ऊपर पेशाब करने  की घटना समाचार पतरो  में  सुरखिया बनी  , परंतु  पुलिस की कारवाई का पता नहीं चला !   जिन  शेरु मीना  को जिस बीजेपी विधायक  का समर्थक बताया जा रहा हैं ----- उन्होने बयान दिया है की – पीड़ित और आरोपी दोनों ही उनके समर्थक है ! उन्होने दावा किया  दोनों अच्छे दोस्त है |  परंतु खबर लिखे जाने तक  आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई |

                              इन घटनाओ को  सनातन धरम  के अलंबरदारों  के लिए बड़ा सवाल हैं | क्यूंकी  बीजेपी के मंत्री और बड़े बड़े नेता  डीएमके  नेताओ द्वरा  सनातन धरम  के बारे में की जा रही विवादित टिप्पणियो के लिए  काँग्रेस से  जवाब मांग रहे है ,, तब इन घटनाओ के बारे में उनका मौन   क्या कह रहा हैं ?    साफ हैं की  बीजेपी  चुनवी गठबंधन  इंडिया को लेकर  काफी चिंतित है , उसे लग रहा है की – इस “” नाम “” से  विरोधी दल ने  उनके प्रचार अभियान  की हवा निकाल दी है |  इसलिए  वे सनातन धरम  के बारे में डीएमके की विवादित टिप्पणी  को गठबंधन  के माथे लगा रहे हैं  |  इसलिए  ज़ोर ज़ोर से  अनेकों  नेता  जगह जगह से  बयान देकर  कांग्रेस से जवाब तलबी  कर रहे हैं |

               पर इन बीजेपी नेताओ  द्वरा  “” खुदरा फजीहत   -दिगरा नसीहत “”  करते हुए  बड़े धरम रक्षक  बन रहे है ----जबकि  उनही के नेता -- विधायक  आदि दलितो और  किसानो पर   ज्यादतिया कर रहे है |  इन घटनाओ  से यह साफ हो रहा है  की  इनका  उद्देश्य  धरम का नाम  ले कर चुनाव की वैतरणी पार करना ही है | इनके इस चुनावी अभियान  में   भगवा धारी  साधु – सन्यासी जो स्वयंभू  संत  बने हुए है ----- वे भी धरम के नाम  पर राजनीतिक  उद्देश्य  का औज़ार  बन रहे है |  जिन सनातन धरम के ठेकेदार  आज

“” हिन्दू धर्म की रक्षा “”” के नाम  पर झण्डा उठा  रहे हैं ,वे   सिर्फ ‘’’बयान वीर ही है ‘’’’  जैसे की प्रधान मंत्री  नरेंद्र मोदी  के बयान  होते हैं,  जो सिर्फ ढपोर शंख के वादे होते है |

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       बीजेपी और आरएसएस तथा  वीएचपी  की  मिली जुली  शक्ति  का उदेश्य  एकमात्र चुनाव  ही है |  वीएचपी और संघ  ने अयोध्या  में राम मंदिर  को लेकर  जिस मुहिम के सहारे  देश की सत्ता को प्रपट किया , है अब नरेंद्र मोदी के 9 नौ साल के शासन  काल में  देश की अबोध  जनता ने खूब महसूस किया हैं | शुरू से लेकर 15 लाख रुपए  देने के वादे को जिस सहज ढंग से  अमित शाह ने चुनावी  जुमला बता दिया  उससे  प्रधान मंत्री  के सार्वजनिक   घोसना  से जनता  का विश्वास उठ गया है |   वैसे  बीजेपी नेताओ द्वरा सार्वजनिक रूप से  असत्य बोलने या अदालत में झूठा हलफनामा  देने का इतिहास रहा है |   सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद की सुरक्षा का हलफनामा  ड्ने के बाद  -- कार सेवको को बाबरी मस्जिद का धावांस  करने से  नहीं रोकने के जुर्म में  --- सुप्रीम कोर्ट ने  उन्हे एक दिन की सज़ा  भी सुनाई थी | यूं तो यह प्रतिकात्मक  थी ---- की किस प्रकार संविधान की कसम  लेने के बाद भी कोई  मुख्य मंत्री  मस्जिद को तोड़ने के षड्यंत्र में शामिल हो सकता है --- उसका उदाहरण है कल्याण सिंह का “”” झूठा हलफनामा ‘’ !!!

 

                      आइये अब बात करते है 2 नवम्बर  1990 की जब मुख्य मंत्री मुलायम सिंह ने कार सेवको को अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोड़ने  की कोशिस ना करने की  चेतावनी  दी थी |   परंतु   वीएचपी और आरएसएस  की मिली जुली  षड्यंत्रकारी  चाल से  सैकड़ो  कार सेवक घटनास्थल पर पहुँच गए ------ मस्जिद की सुरक्षा के लिए तैनात  पुलिस ने उन्हे रोकने के लिए गोल चलायी | इस घटना में  अनुमान है की 30 से 40 लोग मारे गए और करीब 60 लोग हताहत हुए | 

   आइए अब बात करते है  संघ और वीएचपी  के पाखंड  की , की किस प्रकार वे धार्मिक आस्था  का दोहन करते है |  गोली कांड के बाद  उत्तर प्रदेश के पूर्व  पुलिस महानिदेशक [ अभिसूचना ] रहे पंडित श्रीश दीक्षित  का भोपाल आगमन हुआ | वे अपने साथ   कोई 40 या 50  मिट्टी की छोटी –छोटी  मटकिया थी | उन्होने एक प्रैस कोन्फ्रेंस  कर के तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार को हिन्दू विरोधी बताते हुए कहा की वे उन “”” शहीदो की राख़  का तर्पण करने के लिए सागर तट  जा रहे है “” |  गमगीन सूरत बनाकर  उन्होने मानव संवेदना  का दोहन करने का भरपूर प्रयास किया |

  तब इस लेखक ने उनसे प्रश्न किया की वेदिक  परंपरा के अनुसार    तर्पण के लिए  “जातक का नाम –जाती और गोत्र  का उच्चारण  आवश्यक है “” क्या वे इन मटकियो के जातको का नाम बटने की कृपा करेंगे ! यह सवाल  किए जाने की कल्पना भी  नहीं की थी , इसलिए उन्होने हड़बड़ी में  किसी प्रकार  प्रैस कोन्फ्रेंस  खतम किया | उसके बाद मेरी खोज की जाने लगी | मै उनसे मिला और सवाल दोहराया , तब उन्होने  स्वीकार किया की उन्हे नहीं मालूम  की किन – किन  शहीदो  की राख़ है | उन्होने एक सूची दिखाई जिसमे  नाम लिखे हुए थे | ना उनमे जाती लिखी थी और नाही गोत्र  आदि | जब मैंने उनसे कहा पंडित जी आप खुद कन्याकुब्ज ब्रामहन है  आप को तो श्राद्ध और तर्पण के कर्मकांड का ज्ञान होगा ! तब वे अनुतरित हो गए | परिणाम स्वरूप  उनका उद्देश्य  अभीष्ट फल प्रपात नहीं कर सका |

     अब 33 तैंतीस सालो बाद  एक बार फिर भगवा धारी  लोगो को  राम मंदिर के नाम से बीजेपी के लिए हवा  बनाने का काम  शुरू करने का ऐलान किया है |  राम मंदिर  के लोकरपन  के लिए  अखिल भारतीय  संत समिति और  अखिल भारतीय अखड़ा परिषद  ने सम्मिलित रूप से  अभियान चलाने की घोसना की हैं | देश के 127 विभिन्न सम्प्रदायो के धार्मिक गुरु  “”” हर मंदिर राम मंदिर और  संत चले गवन की ओर “”” अभियान का नाम दिया गया हैं |  इसमे दावा किया गया है की देश के 400 ज़िलो के  495 महा मंडलेश्वर  और 1000 “” स्वयंभू संत “”    5 लाख गावों में जा कर  प्रचार करेंगे ---- स्वाभाविक है  बीजेपी का |  2 नवम्बर को काशी  मे शुरू होने वाले भगवादधारियों के सम्मेलन  में काफी भीड़ आने की उम्मीद है |

   अब इस प्रयास को सनातन धर्म   की रक्षा  का प्रयास माना जाये अथवा बीजेपी आरएसएस बचाओ  मुहिम समझा जाए ! आप ही बताए | वैसे   |