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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 27, 2023

 

 मंदिर  का परिचय  उसके देवता से या की उसे बनवाने वाले से

                   प्रधान  मंत्री नरेंद्र मोदी ने चित्रकूट में मफ़तलाल के मंदिर में हुए समारोह में भाग लिया , उनकी कुछ घंटो की यात्रा का खर्च  सिर्फ 90 से 97 लाख का खर्च ज़िला प्रशासन को आया है !  वैसे अयोध्या के राम मंदिर  का  निर्माण संभव हुआ सुप्रीम कोर्ट के फैसले से , पर निर्माण का खर्च  भारत सरकार  दे रही है | पर निर्माण कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का ही बोलबाला है ! वैसे इसकी स दारत  एक आईएएस अफसर नृपेन्द्र मिश्रा कर रहे है , जिनहे अपनी सेवा मे लाने के लिए मोदी जी ने  नियुक्ति के नियमो को ही बदल डाला था !!  तो यह है अयोध्या में मंदिर के निर्माण की तथा –कथा !

    देश के प्रमुख तीर्थ स्थानो में  औदोगिक घराने बिरला समूह  के राधा कृष्ण  के मंदिर है – परंतु इन मंदिरो को उनके देवता के नाम से नहीं वरन  निर्माण करता के नाम से ही जाना जाता है | कानपुर में  भी ऐसा ही एक मंदिर है जो अभी भी  बन ही रहा है – उसका भी परिचय  उद्योग समूह  जेके के नाम से जाना जाता है ! राधा कृष्ण ही इस मंदिर के मुख्य देवता है ! देश के मशहूर  मंदिर तिरुपति   में देवता बालाजी है परंतु कहलाते वे भी है तिरुपति के बाला जी !  हालांकि अब तो तिरुपति मंदिर प्रबंध स्थानम  ने देश के दस से अधिक स्थानो पर  बालाजी के मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण कार्य कर लिया है , और इन सभी स्थानो को तिरुपति के बालाजी के ही नाम से जाना जाता है |  इस मंदिर की श्रंखला  की ही भाति  अहमदाबाद के प्रसिद्ध  स्वामी नारायण  मंदिर  की भी शाखाये  बी देस – विदेश तक में है | अभी अमेरिका  में बहुता भव्य  मंदिरा का समारोह पूर्वक उदघाटन हुआ है , कहते है इसके निर्माण में  करोड़ो रुपये नहीं वरन डालर  खर्च हुए है | इनके मंदिरो की विशेस्ता यह है की इनके मुख्य देवता इस पंथ के प्रवर्तक  है | बताते है की इनके प्रवर्तक  उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एक स्थान छपिया  से घनश्याम पांडे  लगभग सौ वर्ष पूर्व गुजरात चले गए थे | एवं वनहा उन्होने अपने “” पंथ” की स्थापना की | जिसे आज स्वामी नारायण के नाम से जाना जाता है | इनकी भी गुजरात में अनेक शाखाये है , जिनके प्रबंध में अहमदाबाद मुख्यालय का नियंत्रण रहता है | हाल ही में सूरत में इनके मंदिर के पुजारी को  एक अपराध के सिलसिले में बंदी बनाया  गया था | जिसे बाद में अहमदाबाद  मुख्यालय एनआर निकाल दिया था | वैसे दुबई में भी इनके मंदिर को वनहा के शासन से भूमि प्रदान की थी, जिस पर भव्य  मंदिर का निर्माण हुआ है | जिसे हिन्दू मंदिर के रूप मे  जाना जाता है | वैसे इनके मंदिरो में  देवताओ की भी मूर्तिया होती है , जिनको श्रद्धालु  पुजा – अर्चना करते है |

        अपने देवताओ के नाम से जिन मंदिरो को जाना जाता है , उनमे अधिकान्स्तः  दक्षिण में है | जनहा  भक्तो के अनुसार गैर सनातनी लोगो का बाहुल्य है | जिसको लेकर  द्रविड़ मुनेत्र कडगम के नेता बहुत आलोचक रहते है | उनके अपने कारण है , वे सनातन धर्म में ब्रांहनों के वर्चसव  और परिणामस्वरूप पिछड़े और दलित वर्ग के साथ हुए भेदभाव और अन्यायपूर्ण  बर्ताव को लेकर आज भी अशन्तुष्ट है |  परंतु आंध्र में मीनाक्षी मंदिर को उसकी देवी के नाम से जाना जाता है | चिदम्बरम  जिले में अनेक मंदिर है जो अपने देवता के नाम से ही जाने जाते है , ना की अपने निर्माणकर्ता के नाम से  |  इसी प्रकार  देश के सबसे धनी  मंदिर  पदनाभ स्वामी मंदिर  का नाम लिया जा सकता है , त्रिवेन्द्रम स्थित इस मंदिर का निर्माण   वनहा के राजाओ द्वरा  सदियो पहले कराया गया था | जिसमे  अकूत धन और सोना और जवाहरात  है | इसके तहखाने में एक द्वार ऐसा है जिसको किसी छ्भि द नहीं खोला जा सकता | वरन  केवल किस मंत्र के उच्चारन  से ही खुल सकता है ---परंतु उस मंत्र की जानकारी मंत्री के अरचको और पुजारियो को नहीं है | सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मंदिर  का अधिकार पुनः त्रिव्ङ्कुर  के राजघराने  को दे दिया है | पहले अन्य बड़े मंदिरो की ही भांति  इस का प्रशासन राज्य सरकार के  पास था |  कहते है इस मंदिर में इतनी संपाती है की देश के रिजर्व बैंक के पास भी उतना सोना नहीं होगा | अब आप अंदाज़ लगा सकते है की धरम मे कितना दम है | इसीलिए हिन्दू –हिन्दू किया जा रहा है और मंदिर मंदिर  किया जा रहा है | पर क्या इससे देश की असिक्षा  और गरीबी को मिटाने मे कोई मदद  मिल सकती है ? शायद नहीं , क्यूंकी  मूर्ति और मंदिर के प्रति यह श्रद्धा  प्रातः कालीन  दर्शन  के समय के  बाद तो आम आदम रोजी –रोटी और कपड़ा तथा मकान  के सवालो  से जूझने मे लग जाता है |