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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 16, 2018


वैसे तो संपाद्को की हत्या होते ही सुना है --चाहे वे गौरी लंकेश हो अथवा शुजात बुखारी हो - या बिहार मे भास्कर के पत्रकार नवीन निश्चल हो या विजय सिंह हो ---- ये नाम सरकार या आतंकवादी अथवा इलाके के डान के आंखो की किरकिरी रहे -इसलिए इन्हे रास्ते से हटे गया | परंतु भास्कर समाचार पत्र के समूह संपादक कल्पेश याज्ञनिक की आसामयिक मौत एक रहस्य बनती जा रही है |एक ओर शक्तिशाली लाबी इस मौत को तनाव मे की गयी आतंहत्या बता रहे है |वनही घटनाए उन कारणो का भी खुलाषा कर रही है --जिनहोने कल्पेश को आत्म हत्या करने पर मजबूर किया ? क्योंकि कानून ख़ुदकुशी का कारण बनने वाले को भी '’’’हत्यारे '’’की ही श्रेणी मे रखता है और अङ्ग्रेज़ी की कहावत है की '’’एवरी मर्डर हैज मोटिव "” माने हर हत्या का कोई उद्देश्य होता है---- या तो कुछ छुपाना अथवा किसी जानकारी को मरनेवाले के साथ ही दफन कर देना \\ अब कल्पेश की मौत किस मे है ??? और कौन है वे लोग ?? |--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

वैसे भास्कर समाचार पत्र के मालिकान का नाता भोपाल से खास है , इस अखबार को स्थापित करने वाले द्वारिका प्रसाद अगरवाल और उनके पुत्र रमेश अग्रवाल इस शहर के स्थायी निवासी थे | परंतु समाचारपत्र के संपादकीय मामलो मे इंदौर था ---जनहा समूह संपादक कल्पेश याग्न्यिक बैठते थे \ 13 जुलाई को गहरी रात करीब दस से ग्यारह बजे के बीच कार्यालय के नीचे सड़क पर घायल और बेदम मिलना संदेह पैदा करता है \ क्योंकि दफ्तर से घर जाते समय उन्हे कभी भी अकेले नहीं देखा गया \ पर उस दिन वे अकेले रहे यह स्थिति सम्पूर्ण घटनाक्रम पर सवालिया निशान ल्गाती है /


जनहा तक बात कल्पेश के दुश्मनों की हो तो -- कोई भी संगठन या लोग अथवा किसी भी लाबी के खिलाफ नहीं थे | वे व्यवस्था और तंत्र के विरोधी थे , कुछ अतिवादी विचारधारा के खिलाफ वे लिखते थे | परंतु किसी के खिलाफ उन्होने "” मुहिम चलायी हो "” ऐसा तो याद नहीं पड़ता | वैसे मुहिम मीडिया मे कैसे चलायी जाती है -----इसका पाठ हमे या पत्रकारो को एनडीटीवी के रवीश कुमार से सबक लेंना होगा | जो सतत रूप से प्रशासनिक व्यसथा के तंत्र की पोल खोलते रहते है \ उनके वीरुध जो विषवमन हिंदुवादी -और गौसेवक धरम रक्षक तथा '’ अंध भक्त " सोशाल मीडिया पर गाली -गलौज करते हुए जान से मार डालने की धम्की देते रहते है ,,, उसकी तुलना मे कल्पेश को प्राण का कोई आसन्न खतरा नहीं था \ असंभव के विरुद्ध उनके कालम को काफी लोग सराहते थे \ परंतु चूंकि वह एक स्पष्ट तोय होती थी \ इसलिए किसी को उनसे इस सीमा तक कुपित होने की जरूरत नहीं थी की की वह उनकी जान का दुश्मन बन जाये !!

अब इन बातो और तथ्यो पर गौर करे ----तब एक घटनाक्रम चौंका देने वाला है , उन्होने एक पूर्व सहकर्मी द्वरा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज़ करने की धम्की का पत्र , प्रदेश के पुलिश महानिदेशक ऋषिकुमार शुक्ल को कुछ समय पहले दिया था \ उन्होने यह आग्रह किया था की इस पत्र को सूचना के लिए दे रहे है \ यह कोई प्रथम ड्राष्ट्य रिपोर्ट या प्राथमिकी नाही मानी जाए \| अब यह बात संदेह पैदा करती है -----की तकलीफ की शिकायत तो है पर दस्ताने वाले हाथो से यह भी हिदायत है की ----कोई कोई कारवाई करने की नीयत नहीं है !! तो क्या यह पत्र एक इंश्योरेंश पॉलिसी की मानिंद था -- की जिसे किसी '’’घटना या दुर्घटना '’’ होने या मेरे मरने के बाद खोला जाये ? अगर ऐसा था तो ----दो सवाल उठते है
;- ऐसी कौनसी बात या तथ्य था -जिसके उजागर
करने से वे बच रहे थे ?
:- परंतु वे यह भी चाहते थे की यदि उन्हे कुछ हो
जाये तो '’’’वह हक़ीक़त "” कानून और दुनिया के सामने
ज़रूर लायी जाये
:- अब ऐसी बात है या रहस्य है ::जिसको वे
खुद सार्वजनिक करने का साहस नहीं कर पा रहे थे ?

अब यह तथ्य किसी नेता या अधिकारी के खिलाफ है अथवा किसी संस्थान या उसके किसी व्यक्ति के खिलाफ है ? अगर ऐसा है तो निश्चित ही वह व्यक्ति कल्पेश की हैसियत को हिलाने की ताक़त तो रखता ही होगा | इसीलिए उन्होने सिर्फ "”इत्ला भर ही की ---कोई कारवाई नहीं मांगी ??
हालांकि पहले कुछ हल्कों मे यह कहा जा रहा था की ---की खिड़की पर खड़े हो कर जब वे रात की कालिमा मे कोई रोशनी को देखने की कोशिस कर रहे थे --तब निराशा के कारण उन्हे हार्ट अटैक हुआ -वे नीचे गिर गए !!! पर वनही दफ्तर के लोगो का कहना है की --केवल अपना साप्ताहिक कालम लिखने के समय ही वे अकेले रहते थे , वरना उनके दफ्तर मे लोग --आया - जाया ही करते थे | वे बिरले ही अकेले रह पाते हो ! बात भी तार्किक और तथ्यात्मक भी है ----- की देश के तीन बड़े हिन्दी अखबारो मे किसी भी एक का '’’समूह संपादक '’’ भला कैसे एकांत प्राप्त कर सकता है !!!!



अब इंदौर से एक मुहिम चली है जिसमे यह लिखवाया जा रहा है की कलपेश यागनिक '’ मिर्गी के दौरे के मरीज थे '’’ लेखक ने अपने आलेख मे दावा किया है की अपने नौकरी के प्रांभिक काल मे इनदुर से --भोपाल जाते समय उन्हे मिर्गी का दौरा पड़ा था ! मेडिकल विज्ञान के अनुसार '’ मिर्गी का मूल का इतिहास रोमन साम्राज्य के जूलियस सीज़र से से मिलता है | जिनको लगातार युद्ध के छेत्र मे रहते -रहते सहवास का अवसर नहीं मिला था | मिश्र की खूबसूरत रानी क्लियोपेट्रा से विवाह करने के बाद ---उसे मिर्गी के दौरे पड़ना बंद हो गए थे | अब कल्पेश को की मौत मिर्गी का दौरा आने से हुई --जैसा की इंदौर के एक अकादमिक डाक्टर ने लिखा है ------संदेह पूर्ण है ? उन्होने अपने आलेख की शुरुआत ही 'मे कह दिया की कल्पेश यागनिक को कोई भी संस्थान नौकरी पर रख लेता "””क्योंकि वे नितांत प्रतिभाशाली थे "””| मेरा उन डाक्टर साहब से एक ही सवाल है की क्रप्या वे यागनिक के नियोक्ताओ से पूछ ले की कितने सालाना के पकेज पर काम कर रहे थे ?? और क्या उतना वेतन ---भत्ता , अन्य संस्थानो [[[ समाचार पत्र मे ]]]] मे मिलता है ?? रिलायन्स के मुकेश अंबानी की तरह तो कल्पेश अपने वेतन भत्ते निश्चित नहीं कर सकते थे ? उभे तो मालिक ही तय करता है ? या नहीं ?

इंदौर से चली इस मुहिम से अब यह संकेत तो मिल रहा है की --जबरन इस्तीफा लिए जाने की बात मे दम हो सकता है | वरना भास्कर समूह की ओर से ऐसा दुष्प्रचार करने का कोई कारण नहीं ?
इन संदर्भों मे कल्पेश यागनिक द्वरा पुलिश महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ल को दी गयी चिठी ---बेहद महत्व पूर्ण हो जाती है \ अब सरकार जैसा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी '’जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान पत्रकारो को आश्वासन दिया है की '’आत्म हत्या '’ के लिए जिम्मेदार लोगो को छोड़ा नहीं जाएगा // हालांकि मुख्यमंत्री का यह आश्वशन पिछले 14 वर्षो से से प्रदेश की जनता देख -सुन रही है \| अब उस अनुभव से तो इस रहस्य की गुथी के जिम्मेदारों को सज़ा मिलने की उम्मीद नहीं हो सकती \ क्योंकि शांति --व्यसथा और कानून का राज --और न्याया को तो 14 साल का वनवास मिला हुआ है 1!!!!