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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 11, 2021

 

विचारधारा का बनना "”कल्ट"” और लोकतन्त्र में हिंसा का तांडव !


लोकतन्त्र में राजनीतिक दल अपनी विचार धाराओ के आधार पर मतदाता के पास जाते हैं | परंतु इस प्रणाली का दुरुपयोग सबसे पहले जर्मनी में एडोल्फ हिटलर ने किया था | चुनाव जीतने के बाद अपने विरोधियो को देश द्रोही बता कर प्रताड़ित किया | आखिर में उसने "”बुन्डसटैग"” जो की वंहा का संसद भवन था उसमें आग लगवा कर राजनीतिक विरोधियो को कैद कर लिया | फिर शुरू हुआ हिटलर कल्ट – जिसमें वही सर्वोतम नेता और पुरुष था | उसके वीरुध बोलने वाले अथवा उसकी सरकार के आदेशो की आलोचना करने वालो को "”बदनाम "” एसएस गार्ड रात में घर से पकड़ कर ले जाते थे फिर उनका कोई पता नहीं चलता था | हिटलर ने भी अपने सभी कामो और फैसलो को "” राष्ट्रवाद "” का नाम दिया था | राष्ट्रवाद के पहले दुश्मन यहूदी थे , जिनहे वह जर्मन भूमि पर बोझ मानता था और देशद्रोही मानता था | इसी अंध राष्ट्रवाद की बलि लाखो यहूदी स्त्री -पुरुष और बच्चे चाड गए |कुछ -कुछ भारत में जैसे मुसलमान और ईसाई जिनका धरम के नाम पर हिन्दू कल्ट के अंधभक्त प्रताड़ित करते है | कभी गाय के नाम पर कभी लव जिहाद के रूप में कभी नागरिकता को लेकर , मतलब यह की हिन्दुओ को ही भारतवर्ष में रहने का अधिकार हैं | मंदिर बनाने के लिए मस्जिद तोड़ी जाये , यह कान्हा का लोकतन्त्र है ? शायद इसी लिए संविधान में '’सर्व धरम संभव या धरम निरप्र्क़्श्ता "” को हटाने की आरएसएस की मांग को इसी कट्टर राष्ट्रवाद के कल्ट के रूप में देखा जा सकता हैं |

आंदोलनकारी किसानो को सरकार समर्थक संस्थाए और लोग इन्हे सिख आतंकवादी या नक्सलवादी कह कर बदनाम कर रहे हैं | वे भूल जा रहे है की डीएसएच की सेना में सिखो की बहुत बड़ी संख्या हैं | उनका अपमान जातिगत रोष में परिवर्तित हो सकता हैं |

1::---- अमेरिकी लोकतन्त्र का काला दिन !


चुनाव में पराजित होने के बाद भी - परिणाम बदलने की दमित इच्छा ही थी , जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अपने समर्थको को कैपिटल हिल स्थित दोनों सदनो सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेन्सेनटेटिव की कारवायी में बाधा डालने को उकसाया ! चुनाव परिणामो की घोसना चुनाव आयोग द्वरा किए जाने के बाद की वे अपने प्रतिद्वंदी जो बाइडेंन से पराजित हो चुके हैं , उन्होने चुनावो में धांधली होने का आरोप लगाया | संचार साधनो को झूठा बताते हुए अपने "””गिरोह "” के लोगो के मन में भर दिया की उनको हटाने के लिए चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट सब "”मिल गए है "” | विरोधियो ने हमारी जीत को चुरा लिया हैं ! विश्व के बड़े लोकतान्त्रिक देश का राष्ट्रपति संवैधानिक संस्थाओ को इस प्रकार बदनाम करे --- ऐसा तो किसी ने सोचा भी नहीं था |परंतु ट्रम्प के अंध भक्त समर्थक , अपने नेता के झूठ या असत्य भासन को '’सच'’ मानतेरहे |जैसे कोई ढोंगी साधु सीधे साधे लोगो को अपनी बातो से '’’’’ठगता '’’ है बस वही डोनाल्ड ट्रम्प ने किया | लेकिन उनके उकसावे से उनके भक्तो ने --जो तांडव मचाया ,उसका उद्देश्य था की जो बाइडेन और कमला हैरिस की विजय को उप राष्ट्रपति माइक पेन्स सीनेट में घोषित ना कर सके | ट्रम्प समर्थको के हमले से सभी सांसद और सीनेटर अपनी अपनी जान बचाने के लिए कुर्सी और मेज़ के नीचे शरण लेने पर मजबूर हुए | पर भक्तो के मंसूबे असफल हुए , परिणामो की घोषणा विधिवत हुई |

इस घटना से दो बाते सामने आती हैं की - काँग्रेस भवन यानि कैपिटल हिल की सुरक्षा कितनी ढीली हैं ! 200 गार्ड के भरोसे इस भवन के छेत्र की सुरक्षा कितनी कमजोर हैं | सीएनएन और बीबीसी पर आए अतिथियो ने कहा की ट्रम्प की रंगभेद की नस्लवादी सोच में गोरे लोगो ने घंटो तक इतना हँगामा मचाया , और गार्ड्स ने बल प्रयोग नहीं किया ? अगर यही भीड़ गैर गोरो या अफ्रीकन अमेरीकन और एसियान की होती तब गोली चला कर सैकड़ो लोगो को जान से मार दिया जाता | इस तथ्य को "” ब्लैक लाइफ मैटर्स"” के वक्ताओ ने राष्ट्रिय कमजोरी बताया | जिससे संघीय और स्थानीय पुलिस ग्रस्त हैं | अगर हम भारत में देखे तब पाएंगे की अगर आंदोलनकारी हिन्दू हैं और भगवा पार्टी से जुड़े हैं --तब पुलिस का व्याहर बिलकुल अलग होता हैं | जैसा की शाहीन बाग में बीजेपी के कपिल मिश्रा ने किया था |वनही अगर पीड़ित अनुसूचित जाति या मुसलमान हैं तो उसके प्रति पुलिस में वही खूंखार पन आ जाता -जो एक अपराधी के प्रति होता हैं | ट्रम्प का पराभव चार्ल्स विले और फ्लायड जार्ज की पुलिस वालो के हाथ बर्बरता पूर्वक हत्या के बाद सम्पूर्ण अमेरिका में हथियारो पर पाबंदी और पुलिस क्रूएरता पर नियंत्रण और पीड़ित को न्याय का आंदोलन चला था | वही से ट्रम्प की साख उनके समर्थको में भी खतम होनी शुरू हो गयी थी | परंपरागत रूप से दक्षिण के जो राज्य रिपब्लिकन पार्टी के गढ माने जाते थे ----वनहा से भी जब मतगणना के दौरान डेमोक्रेट प्रत्याशी को ज्यादा समर्थन मिलने लगा तब ट्रम्प ने मतदान की प्रक्रिया -वोटो को रखने पर सवाल उठाने शुरू कर दिये | जार्जिया जैसे रिपब्लिकन राज्य से ना केवल जो बाइडेंन को ट्रम्प से अधिक वोट मिले , वरन कुछ दिन बाद सीनेट के दो पदो पर भी डेमोक्रेट ने विजय पायी | जिसका परिणाम हुआ की डेमोक्रेट का बहुमत सीनेट में हो गया, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में उनका बहुमत पहले से था |

इस स्थिति के बाद फ्लॉरिडा के इस धन कुबेर को जो राजनीति को भी पद - पैसा - प्रभाव के लिए इस्तेमाल कर रहा था | उसे आम आदमी को देने के लिए "”नारे अमेरिका फ़र्स्ट "” या "न्यूज़ पेपर झूठे और खतरनाक हैं "” ये आम नागरिकों के शत्रु है '’ ऐसे नारे जो लोकतन्त्र की संवैधानिक संस्थाओ पर प्रहार करते है , और उन्हे शंका के घेरे में लाते है |

2;- वंहा भी और यंहा भी :- विगत जनवरी को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया में जिस प्रकार केंद्र नियंत्रित पुलिस ने छात्रों पर बर्बरतापूर्वक लाठी चार्ज किया था , उसकी रिपोर्ट में उनही लोगो को आरोपी बनाया गया जिनहे राश्त्र्वादी तत्वो ने लाठी और डाँडो से मारा था | अध्यापको को भी इन तत्वो ने नहीं छोड़ा !! फिर भी पुलिस ने इन घायलो को आक्रमांकारी बताया , जबकि शाहीन बाग में बैठी मुस्लिम महिलाओ के सामने दो "” कायर लोगो ने तमंचे से गोली चलायी "” उनमें एक को गाजियाबाद की बीजेपी इकाई ने सदस्य घोषित कर दिया | वह तो जब इस घटना को लेकर सत्तारूद दल के नेत्रत्व पर सावला उठाए गए तब उसे पार्टी से निकाल दिया गया | परंतु उन्नाव जिले के अनुसूचित जाती की महिला से बलात्कार करने वाले विधायक को अभी तक बीजेपी अपना सदस्य बनये हुए हैं | शाहजहाँ पुर के भगवा धारी सन्यासी और परमार्थ निकेतन के गुरु जो पूर्व में केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं ----उनके ऊपर भी एक छात्रा ने बलात्कार का आरोप लगाया था | परंतु उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री भगवा धारी योगी आदित्यनाथ की कृपा से उन्हे गिरफ्तारी के बाद अस्पताल में भर्ती करा दिया गया | जबकि आरोपित कन्या जेल में रही |

3:- किसान आंदोलन ----- 50 दिन से दिल्ली को आने वाली चारो राहो पर हजारो किसान राशन -पानी लेकर धरना दिये हुए हैं | सरकार के नुमाइंदे क्रशि मंत्री तोमर अभी तक 9 नौ बार उनके साथ बात कर चुके हैं , पर हर बार अदालत की भांति अगली तारीख वार्ता की दे दी जाती हैं |

किसान तीनों क्रशि कानूनों को रद्द करने से कम पर राजी नहीं हैं , और मोदी सरकार इन कानूनों को ना तो रद्द करना छाती हैं और नाही वापस लेना चाहती हैं | उधर किसानो की शंका को सच करते हुए मुकेस अंबानी की रिलान्स न कर्नाटक में धन की सीधी खरीद शुरू कर दी हैं | मंडी के बाहर खाद्यान्न को खरीद कर रिलायन्स अपनी पुरानी चाल चल रहा हैं | जैसा की जियो को लांच करने के समय की थी | पहले मुफ्त में कनेकसान दिये --जिससे बीएसएनएल के ग्राहको को तोड़ लिया , फिर धीरे - धीरे दाम बदना शुरू कर दिया | हालांकि इससे टाटा और वोडाफोन को बहुत नुकसान उठाना पड़ा | परंतु सरकार के सहारे अंबानी ने अपना बाजार बड़ाने में सफल हुए | हालांकि पिछली तिमाही के परिणामो के अनुसार उनके ग्राहक अब दूसरी कंपनियो को जा रहे हैं | क्योंकि ना तो जियो वादे के मुताबिक सर्विस दे पा रही हैं ना शिकायतों को दूर कर रही हैं | अब जियो ने बाज़ार में नया झुनझुना दिया है 5जी नेटवर्क का | देखते हैं कितने लोग इस जाल में फसते हैं | जैसे ट्रम्प के फैसले जनता के हित के लिए नहीं वरन कारपोरेट के लाभ के लिए होते थे कुछ वैसा ही भारत में हो रहा हैं | क्रशि कानून उसी का परिणाम हैं | क्रशि को व्यवसाय ना मानकर उत्पादन की श्रेणी में रखा हैं | और उसके द्वरा अपने उत्पाद को बेचने को व्यापार की श्रेणी में रखा हैं | कान्टैक्ट फ़ार्मिंग पुरानी तालुकदारी का ञ संस्कारण हैं | बस अंतर यह हैं की यंहा जमीन किसान की हैं और जोतने -बोने का अधिकार कारपोरेट का हैं |
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