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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 3, 2020

सालाना बजट -ढपोर शंख का लाल बुझकड़ी दांव - देश की जनता के लिए !! -


सालाना बजट -ढपोर शंख का लाल बुझकड़ी दांव - देश की जनता के लिए !!
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हस्ब्मामूल के खिलाफ वितीय वर्ष के पूर्व देश का बजट प्रस्तुत करते हुए श्रीमति निर्मला सीतारामन ने 2014 के चुनावो में अच्छे दिन के जो सपने जनता को दिखाये थे – वे ही इस बार नारे के साथ नहीं कह कर कुछ शब्द गढ कर जैसे "”थालिनोमिक्स"” को सस्ती बताया !! जबकि उनही की सरकार की रेल्वे मैं यात्रियो को ट्रेन में मिलने वाली थाली के दाम बजट के पहले ही तीस से साठ से फीसदी मंहगी कर दी गयी !! अब किस की थाली सस्ती हुई और कान्हा सस्ती हुई इसकी भी तकलीफ मोहतरमा ने संसद में नहीं की ! हाँ सरकार की ओर से एक बयान जरूर आया की संसद के सेंट्रल हाल में सांसदो को सब्सिडाइजेड दर पर मिलने वाला नाश्ता और भोजन -अब वास्तविक डरो पर मिलेगा ! पारा यह खुलासा नहीं किया गया की पहले किस दर से क्या वस्तु मिलती थी और हुकुमनामे के बाद अब उसकी क्या दर होगी ! हैं न लाल बुझकड़ी दांव !
               अब यानहा पर  यह बताना  जरूरी है की ढपोर शंख  क्या है , कहते हैं एक ऋषि ने अपने शिष्य  को एक ऐसा शंख दिया ,जो मांगी जाने वाली वस्तु को  ला देता था | उस शिष्य की जरूरते पूरी होने लगी | यह देख कर एक परसंतापी  यानि दूसरों के सुख से दुखी होने वाला पड़ोसी भी था | उसने एक दिन  चोरी से देख लिया की कैसे उसका पड़ोसी बिना श्रम के  सभी वस्तुए पा जाता हैं | उसने उस शंख को चुरा लिया \  वह शिष्य पुनः ऋषि के पास गया ,और समस्या बताई | वे समझ गए की किसी ने उस शंख की महिमा जान ली हैं , और उसे चुरा लिया हैं | उन्होने  शिष्य को दूसरा शंख दिया और कहा  की ज़ोर - ज़ोर से शंख से मांग करना ,जिससे की पड़ोसिसुन ले | उसने वैसा ही किया | अब इस शंख से जब  दो स्वर्ण मुदराए मांगी तो शंख बोला चार ले लो  तो शिष्य ने कहा की अच्छा चार ही दे दो , तब उसने कहा की आठ लेलों  आ\ ऐसा चल रहा था की पड़ोसी ने सुन तो आकार  देखा खिड़की से की जितना मांगा जा रहा हैं ,उससे दोगुना देने को शञ्ज्ख कह रहा हैं | शिष्य थक कर बैठ गया | पर पड़ोसी ने  चुराये हुए शंख  को वापस रखा कर बड़ा शंख चुरा लिया | 
जब  उसने शंख से मांगना शुसु किया ओ उसने वही दो गुने देने की बात की | आखिर कार  कई घंटे की मेहनत के बाद पड़ोसी बोला  की भाई तू जो भी देता हो दे दे ----इस पर शंख ने कहा मेरा नाम ढपोर शंख  हैं   , मैं बोलता हूँ देता कुछ नहीं हूँ | 
                                                                    अब लाल बुझक्कड़  कीकथा  एक गाव से कोई हाथी गुजर गया , उसके पैर के निशान सुबह  लोगो  | ने देखा , चूंकि उस गाव को लोगो ने  हाथी को कभी नहीं देखा था , इसलिए वे दर गाये  की इतना बड़ा निशान किसी बहुत बड़े जानवर का होगा |  गाव के सबसे  बड़े स्व्नाम धन्य  """अकलमंद "" लाल बुझक्कड़ के पास गए -----उनहने काफी देखने =सुनने की मुद्रा बनाते हुए कहा  "" सबने देखा  पर कोई न बूझा - पैर में चक्की बांध के खरगोश न कूड़ा होया """  तो यह कथा हैं दोनों की 
                            




देश की मौजूदा हालत और समस्याओ पर वित्त मंत्री ने पूरे भाषण में ना तो बदती बेरोजगारी और बंद होती उत्पादन की औदोगिक इकाइयो और उनसे निकले जा रहे मजदूरो की राहत पर कुछ नहीं बोला हैं | एक अखबार को दिये इंटरव्यू में , जब उनसे पूच्छा गया की बेरोजगारी पर आप ने कुछ ठोस नहीं कहा --तो ऊक जवाब था की "”अगर मैं यह कह देती की एक करोड़ रोजगार के अवसर बनेंगे ,तो पंद्रह माह बाद राहुल गांधी पुछते की कान्हा हैं नौकरिया ? मैंने इसी लिए कोई स्पष्ट संख्या नहीं बताई ! वाह क्या जवाब हैं | सवाल हैं की संसद में सरकार जो कहती हैं --वह देश की जनता की सूचना के लिए होता हैं ,और कोई वादा किया गया हैं तब उसकी एक पवित्रता होती हैं | अगर केंद्र सरकार सवाल पुछे जाने से भयभीत हैं , तब तो नागरिक संशोधन विधि और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की वादे पर शक करना लाजिमी हैं | क्योंकि जब प्रधान मंत्री मुंबई में कह रहे थे की देश के जिन निवासियों को "”विदेशी "’बाते गया हैं विदेशी नागरिक त्रिबुनल द्वरा उन्हे आसाम के देटेंटीओन केन्द्रो में रखा गया हैं | अभी उनकी संख्या लगभग 8000 हैं !! चूंकि नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री जन सभा में बोल रहे थे इसलिए उनपर कोई कानूनी बाध्यता नहीं थी ---की वे सच ही बोले वे ऐसा नहीं करने के लिए आज़ाद थे ! परंतु जब वे संसद के सत्र की शुरुआत मैं एनडीए सहयोगी सांसदो से संसद भवन में यह कह रहे थे ई "”आप लोगो को नागरिकता कानून और एनआरसी पर रक्षात्मक होने ई जरूरत नहीं हैं ! इसका मतलब हुआ की आप तो हमारी भाषा और नारो का इस्तेमाल करो ------नागरिकों और निवासियों के सवालो पर ध्यान देने की जरूरत नहीं हैं !!! यह बात देश का प्रधान मंत्री कहे तो फिर मतदाता के पास सिवाय आंदोलन के अलावा क्या विकल्प बचता हैं !
इस बात को दिल्ली विधान सभा के चुनावो में बीजेपी के चुनाव प्रचार से समझा जा सकता हैं ----आम तौर पर चुनाव में राजनीतिक दल मतदाताओ को रिझाने के लिए "”विकास और सुविधाओ "” के वादे करते हैं , परंतु दिल्ली में केंद्र की सत्ताधारी दल ऐसा नहीं कर रहा हैं | क्योंकि आप की केजरीवाल सरकार ने पानी - बिजली - अस्पताल और स्कूल की जैसी बेहतर व्यवस्था की हैं , वैसी विगत समय में ना तो शीला दीक्षत अथवा बीजेपी की सरकारो के समय में हुआ था | अब मतदाताओ को अगर इन बाटो पर कुछ लुभाने की कोशिस होगी तब ---- सवाल तो पुछे जाएँगे | जिनसे बीजेपी नेता बहुत भयभीत रहते हैं | उनका तो बस एक ही स्वर रहता हैं की अपनी राष्ट्रवाद - पाकिस्तान और हिन्दू -मुसलमान का भड़काऊ नारा लगते रहो | इसके लिए उन्हे शाहीन बाग मिल गया हैं |
शाहीन बाग पर महिलाओ के धरने पर भले ही मुस्लिम औरते ज्यादा हो पर यह कहना तो बिलकुल गलत होगा की यह सिर्फ और सैफ उनही का धारणा हैं | बीजेपी नेता मुसलमानो की जिस हिंसक प्र्व्रती को लेकर काश्मीर से पंडितो के निष्कासन की बात करते हैं --- और उसके लिए काँग्रेस सरकारो को जिम्मेदार बताते हैं ----- वह कितना असत्य हैं ,यह इस टाठी से पता चलेगा की की उस समय के राज्यपाल श्री जगमोहन , बाद में अतलबिहारी वाजपेयी सरकार में रहे ! जनहा तक बात उनके गवर्नर होने की हैं , तो वे भी आरिफ़ मोहहमद या कल्याण सिंह जैसे ही राज्यपाल थे | उनकी निष्ठा इसी तथ्य से स्पष्ट हैं | फिर से बात करते हैं शाहीन बाग और काश्मीरी पंडितो के अपनी जमीन से पलायन की | पंडितो के काश्मीर से भगाये जाने की तो फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा जो खुद एक कश्मीरी है ,और उनका परिवार भी लूटपाट और आघजानी के साथ यूने खानदान वालो की हतयाए की गयी थी | उन्होने शाहीन बाग जाकर कहा जो हुआ सो हुआ अब बस आप लोग एक बार सोर्री बोल दो तो हमारे ज़ख़म भर जाएँगे !!! जो भगाये गए -जिनके नजदीकी मारे गए अब बीस सालबाड़ वे भी उसे एक बुरे सपने की तरह भूलना चाहते हैं | पर बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा चुनाव प्रचार में कहते हैं की अगर दिल्ली में बीजेपी नहीं जीती और उसकी सरकार नहीं बनी तो दिल्ली में भी काश्मीर दुहराया जाएगा !!! हालांकि इन बुद्धिमान सांसद को चुनाव आयोग ने पार्टी या उम्मीदवार के प्रचार से हटा दिया और बीजेपी को कहा की वे इनके स्टार प्रचारक का तमगा वापसा ले !!! अब केंद्र की सत्तारूढ पारी के सांसद और केंद्र के राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर को चुनाव आयोग द्वरा प्रचार से बाहर करना मोदी सरकार को काला तमगा मिलना ही जैसा है , परंतु उनके लिए तो हिन्दू --मुसलमान का नारा ही मात्र प्रचार हैं !!
बात बजट की हो रही थी ---वितता मंत्री सीतारामन जी देश को उम्मीद दिखा रही थी नए नौकरियों की और उसी दिन बीएसएनल के 80,000 कर्मचारियो को {{ जबरिया }} स्वेक्षा से अवकाश ग्रहण करना पड़ा ?? अब यह उन्हे ना मालूम हो ऐसा तो नहीं हो सकता !! सवाल यह भी है केंद्र अपने शासकीय उपक्रमो को जिस प्रकार '’’आधा -तिहा या पूरी तरह "”” से बेच रहा हैं , उससे क्या देश की जनता देख नहीं रही !!! मोदी और उनके भक्त हमेशा कहते हैं की जो काम 70 सालो में नहीं हुआ वह मोदी जी ने किया !! सच ही तो हैं , काँग्रेस सरकारो ने सार्वजनिक छेत्र में बीमा - बैंक और बड़ी बड़ी तेल कंपनियो का गठन किया था , नरेंद्र मोदी की सरकार "”अछम संतान "” की तरह की बेच बेच कर काम चला रही हैं ! खुद तो कुछ भी बनाया नहीं , हाँ सरदार पटेल की मूर्ति – और राम मंदिर के निर्माण की घोषणा भर ही की हैं | जिनसे देश का कोई आर्थिक भला नहीं होने वाला हैं ! रिजर्व बैंक से क़र्ज़ लेना -सार्वजनिक उपक्रमो की हिस्सेदारी बाज़ार मे बेचना एयर इंडिया को होलसेल में बेचने की नियत हो तब विकास की बात क्या होगी ------जो हैं उसका ही बचा पाये |
विश्व पर्यावरण की राजदूत ग्रेटा का संयुक्त राष्ट्र संघ मैं यह बयान – मोदी सरकार की कारगुजारियों पर पूरी तरहा से चस्पा होता हैं की आप लोगो { देशो के नेताओ } ने हम बच्चो के भविष्य को भी बर्बाद कर रख दिया हैं ! न जंगल बचे हैं नाही पानी के श्रोत ,पशु - पक्षियो की प्रजातीय लुप्त होती जा रही हैं ! आप लोगो को बने रहने का अधिकार नहीं हैं !! कुछ ऐसा ही हमारे '’’मन की बात करने वाले "” प्रधान मंत्री भी हैं | फिर आते हैं देश की आर्थिक और वित्तीय स्थिति को बयान करने वाले सालाना बजट पर ----- बात तो उद्योग की कृषि की और नौजवानो की भी की गयी हैं | शिक्षा और स्वास्थ्य की भी बात की गयी हैं | परंतु जैसे बैंक और बीमा को सार्वजनिक नियंत्रण से हटा कर निजी हाथो में सौपा जा रहा हैं , कुछ उसी प्रकार दूर संचार और रेल में भी निजी भागीदारी लाकर सरकार की नियत पर शंका की जा रही हैं | लखनऊ से दिल्ली के बीच पहली तेजस ट्रेन का बड़े पैमाने पर प्रचार हुआ | परंतु निजी कंपनियो ने रेलवे के तौर तरिके जाने बिना अपने महिला कर्मियों को एयर होस्टेस की ड्रेस तो दी ---- पर यात्रियो को सुविधा कर्मियों के लिए नियम की जगह बनिए की दुकान बना दी | अब यात्री को शिकायत पुस्तिका मांगने पर नहीं मिलती वरन एक मोबिल नंबर मिलता हैं जिस पर आप शिकायत कर सकते हो | पर वह नंबर अधिकतर व्यस्त ही रहता हैं , जैसे सरकारी फोन | दूसरी बात यह हैं की रेलो को पैसे वालो को सुविधा के लिए चलाया जा रहा हैं , ना की ग्रामीण जनो की जरूरतों को ध्यान में रख कर | बुलेट ट्रेन चलेगी परंतु मोदी जी सीतारामन जी बिहार - उड़ीसा और उत्तर प्रदेश से मुंबई और कलकत्ता की ओर जाने वाली गाड़ियो में जानवरो की तरह ठूँसे हुए मुसाफिरो की कोई परवाह नहीं हैं !!! तो बजट की प्राथमिकता रईसो का सुख और समय बचाने का हैं | आम आदमी की दिक्कताओ को दूर करने का नहीं |
किसान की आम्दानी दुगनी करने का मोदी जी का वादा कमोबेश उनकी पार्टी की प्रदेश सरकरे भी दुहराती रही --- पर मध्य परदेश में पंद्रह साल में छतीसगढ़ में दस साल में ऐसा ना हो सका | इस बार इस बात को दुहराया गया हैं , परंतु ----कैसे इस लक्ष्य को प्रपट किया जाएगा न तो इस बात का ज़िक्र आर्थिक सर्वेक्षन में हैं नाही बजट भासन में ! अब इससे क्या समझा जाये ????? अच्छे दिन तो नोटबंदी और जीएसटी खा गयी , अब उन नारो की याद दिलाना भी बीजेपी के भक्तो की दुखती रग छूना हैं | आम बहस मैं भी वे अपने किए हुए पर बात नहीं करते {{ क्योंकि ऐसा कुछ किया नहीं जो बताया जा सके }}} पर पिछली सरकारो ने क्या नहीं किया वह जुबानी याद हैं | अब वह देश का विभजन हो या कश्मीर का मसला हो - गो हत्या हो वे उसे ही दुहराते हैं | एक प्रचंड संघ भक्त से पूछ लिया की आप की उपलब्धि क्या हैं इस बजट में ??? उनका उत्तर था सब ठीक ठाक चल रहा हैं बस घुस पैठियों को निकालना हैं | तो वे तो बंगला देशी हैं - फिर पाकिस्तान बार क्यू नाम लिया जा रहा हैं ? इसलिए की बंगला देश भी तो पहले पाकिस्तान था | पाकिस्तान को दस दिन में धूल चटा देंगे , {{नरेंद्र मोदी जी का भाषण }} तो कहा की भाई उसके पास भी तो एटम बम हैं ? तो क्या हुआ उनका जवाब था , 130 करोड़ में कुछ मुसलमान भी तो लड़ाई में मरेंगे !! यह मानसिकता हैं , जो दिल्ली विधान सभा के चुनाव में "”””लोक कल्याण और जन सुविधाओ पर नहीं वरन मुसलम्न से नफरत पर लड़ा जा रहा हैं "””